9/29/2021

अवधान/ध्यान भंग होने के कारण, बालकों का ध्यान केंद्रित करने के उपाय

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अवधान या ध्यान भंग होने के कारण 

प्रायः अवधान भंग होने के संबंध में बालक शिकायत करते हैं, अवधान भंग होने के निम्नलिखित कारण हैं-- 

1. किसी एक ही विषय पर काफी समय तक अवधान केन्द्रित करने का प्रयास करना विषय परिवर्तन के अभाव में अवधान भंग हो जाता हैं। 

2. शिक्षक द्वारा पाठ की पूरी तैयारी न कर सही रूप में पाठ्य-वस्तु को समझा न पाने के कारण भी ध्यान भंग हो जाता हैं। 

3. कक्षाव व विद्यालय का अशांतिपूर्ण वातावरण भी अवधान भंग होने के लिये उत्तरदायी होता हैं। 

4. बालकों की रूचि एवं आवश्यकता के अनुरूप पाठ्य-वस्तु न होने की वजह से अवधान भंग होने की प्रबल संभावनायें बनी रहती हैं। 

5. बालकों के प्रति शिक्षक के स्नेह, सहानुभूति एवं शिष्टतापूर्ण व्यवहार के अभाव में भी अवधान भंग की स्थिति उत्‍पन्‍न होती हैं। 

6. शिक्षक द्वारा अवधान में विघ्न डालने वाली वस्तुओं को दूर न करा पाने की स्थिति मे भी अवधान भंग हो जाता हैं। 

7. सीखने की क्रिया में बालकों के निष्क्रिय रहने के फलस्वरूप भी उनका अवधान भंग हो जाता हैं। 

8. प्रोत्साहन के अभाव तथा रचनात्मक कार्यों की ओर उन्मुख करने के अवसरों से वंचित रहने के फलस्वरूप भी अवधान भंग होने की स्थिति उत्‍पन्‍न होती हैं। 

9. जब शिक्षण का आयोजन बालकों की मूल प्रवृत्तियों को नजर-अंदाज कर किया जाता हैं तो उनका ध्यान बारा-बारा भंग होता रहता हैं। 

10. आयु, मानसिक योग्यता तथा रूचि के आधार पर शिक्षण का आयोजन न कर पाने से भी अवधान भंग हो जाता हैं। 

11. अच्छी शिक्षण विधियों के अभाव मे भी अवधान भंग होता हैं। 

12. पाठ्य-वस्तु के साथ अन्य रोचक वस्तुओं के समावेश के अभाव में भी अवधान भंग की स्थिति उत्‍पन्‍न होती हैं। 

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अवधान भंग न होने के उपाय अथवा बालकों का अवधान केन्द्रित करने के उपाय 

शिक्षक द्वारा बालकों के अवधान को केन्द्रित करने या बनाये रखने हेतु निम्नलिखित उपायों को प्रयोग में लाया जा सकता हैं-- 

1. शान्तिमय वातावरण 

शोर-गुल, बालकों के ध्यान को भंग करता हैं। अतः उनके ध्यान को केन्द्रित रखने के लिये शिक्षक को विद्यालय एवं कक्षा का वातावरण शान्तिमय बनाये रखना चाहिए। 

2. पाठ की अच्छी तैयारी 

पाठ पढ़ाते समय कई अवसर ऐसे भी आते हैं जब शिक्षक पाठ के अंतर्गत कई ऐसी बातें होती हैं जिन्हें सुस्पष्ट नही कर पाता। ऐसी स्थिति में बालकों का ध्यान पढ़ने से विचलित हो जाता हैं। अतः प्रत्येक शिक्षक का यह दायित्व है कि वह प्रत्येक पाठ को पढ़ाने से पहले उसे पढ़ाने की अच्छी तैयारी स्वयं करे। अच्छी तैयारी बालकों का ध्यान आकर्षित करने में सफल सिद्ध होती हैं। 

3. विषय में परिवर्तन 

बच्चों का मन चंचल होता हैं और वे किसी एक ही विषय पर काफी समय तक ध्यान केंद्रित नही कर पाते। अतः शिक्षक को शिक्षण में एक-डेढ़ घण्टे बाद विषय परिवर्तन कर देना चाहिए तभी अवधान केन्द्रित करना संभव हो पाता हैं। 

4. सहायक शिक्षण सामग्री का प्रयोग 

सहायक शिक्षण सामग्री बालकों का ध्यान केंद्रित करने में बहुत सहायता देती हैं। अतः शिक्षक को पाठ से संबंधित जरूरी एवं उपयोगी सहायक शिक्षण सामग्री का प्रयोग अवश्य करना चाहिए। 

5. शिक्षण में विभिन्न विधियों एवं तकनीक का प्रयोग 

एक ही विधि या तकनीक को अपनाकर शिक्षण का आयोजन करने से नीरसता उत्‍पन्‍न होती हैं और बालकों का ध्यान भंग हो जाता हैं। बालकों को खेल, कार्य, प्रयोग, निरीक्षण, चर्चा आदि में बड़ा आनन्द आता हैं। अतः शिक्षक को बालकों का ध्यान आकर्षित करने हेतु आवश्यकतानुसार विभिन्न शिक्षण प्रविधियों एवं तकनीकों का प्रयोग करना चाहिए। 

6. बालकों की रूचियों के प्रति सजगता 

जो शिक्षक बालकों की रूचियों के सजग रह कर उनका ध्यान रखते हैं, वे उनका अवधान केन्द्रित कराने में भी सफल होते हैं। इसी संदर्भ में डमबिल ने शिक्षकों को निर्दिष्ट करते हुये लिखा हैं कि," पाठ का प्रारंभ बालकों की स्वाभाविक रूचियों से कीजिए और फिर शनै:-शनैः अन्य विधायों से उनमें रूचि उत्पन्न कीजिए। 

7. बालकों के प्रति उचित व्यवहार 

स्मरण रहे कि यदि बालकों के प्रति शिक्षकों का व्यवहार कठोर और डाँट-फटकार लगाने वाला होता हैं, तो यह व्यवहार बालकों का ध्यान आकर्षित करने में सफल नही हो पाता। अतः बालकों का अवधान केन्द्रित करने हेतु शिक्षक को उनके प्रति प्रेम, सहानुभूति और शिष्टता का व्यवहार करना चाहिए। 

8. बाल-प्रवृत्तियों का ज्ञान 

बालकों के अवधान को केन्द्रित करने की दृष्टि से शिक्षक को बालकों की सभी प्रवृत्तियों की भली-भाँति जानकारी होनी चाहिए। वास्तव में यदि वह इन प्रवृत्तियों को ध्यान रखते हुये अपने शिक्षण कार्यक्रम का आयोजन करता हैं तो वह बालकों के अवधान को केन्द्रित रखने में सफल हो जाता हैं। 

9. बालकों द्वारा किये जाने वाले प्रयत्नों को प्रोत्साहित करना 

यदि शिक्षक बालकों को मात्र निष्क्रय श्रोता बना देता हैं, तो वह अपने शिक्षण के प्रति उनका ध्यान आकर्षित करने में बिल्कुल सफल नही हो पाता। शिक्षक बच्चों की इच्छा को जीवित रखकर एवं उनके द्वारा किये जाने वाले विभिन्न प्रयत्नों के लिये उन्हें प्रोत्साहित करके उनके अवधान को केन्द्रित करने में निःसंदेह सफल हो सकता हैं। 

10. बालकों के पूर्व ज्ञान को नवीन ज्ञान सम्बद्ध करना 

जेम्स के अनुसार," बालक जो ज्ञान पूर्व मे किसी विषय पर अपना अवधान केन्द्रित कर प्राप्त कर लेता है और शिक्षक द्वारा जब नवीन विषय पढ़ाया जाता हैं और उसे पूर्ण ज्ञान से सम्बद्ध कर दिया जाता हैं तो बालकों को अपना ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई नहीं होती। इस प्रकार स्पष्ट हैं कि बालकों के अवधान को केन्द्रित रखने हेतु शिक्षक को नवीन विषय को पहले वाले विषय से सम्बद्ध करना चाहिए। 

11. क्रिकेट टेस्ट मैच और टी.व्ही. के दुष्प्रभावों से मुक्त करना 

वर्तमान में पाँच दिवसीय क्रिकेट टेस्ट मैचों या एक एक दिवसीय प्रतियोगी क्रिकेट मैचों के टी.व्ही या मोबाइल पर देखते रहने के दुष्प्रभावों से बच्चों को मुक्त रखना आवश्यक हैं। इसी प्रकार टी.व्ही, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर  विभिन्न देशी व विदेशी चैनलों से मनोरंजन, फिल्म या सीरियल के नाम पर चौबीस घण्टे प्रसारित होने वाले अश्लील, भ्रामक तथा अनावश्यक कार्यक्रमों के देखने से उत्पन्न दुष्प्रभावों से मुक्त रखना भी पढ़ाई में अवधान केन्द्रित करने के लिये आवश्यक हैं।

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