9/27/2021

अधिगम के व्यवहारवादी उपागम का अर्थ, विशेषताएं

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अधिगम के व्यवहारवादी उपागम का अर्थ 

अधिगम का व्यवहारवादी उपागम उद्दीपन और प्रत्युत्तर को जोड़ता है। यह उपागम इस बात पर जोर देता है कि व्यवहार प्रतिक्षेपों से शुरू होता है अर्थात् स्वाभाविक प्रत्युत्तर और उद्दीपन के नये बाण्ड से उत्पन्न नये व्यवहार और अनुभवों द्वारा प्रत्युत्तर। इस उपागम के अनुसार जब कोई अधिगमकर्ता किसी ज्ञान को प्राप्त करता है तो इसे अन्य विचारों से जोड़कर ग्रहण करता है। 

उदाहरण के लिए फूलों की सुन्दरता से व्यक्ति कई बुरे और अच्छे अनुभव जीवन में प्राप्त करता है म। इस प्रकार व्यवहारवादी उपागम में निम्नलिखित बातें शामिल हैं-- 

1. अधिगम से व्यवहार में परिवर्तन आता है। 

2. अधिगम उस समय होता है जब वातावरण की परिस्थितियां अनुकूल होती हैं। अधिगम व्यक्ति के वातावरण के साथ निरन्तर अनुक्रिया का परिणाम होता है। 

3. उत्पन्न व्यवहारिक परिवर्तन रूप से प्रेक्षणीय है।

व्यवहारवादी उपागम के क्षेत्र में प्रसिद्ध रूसी मनोवैज्ञानिक इवान पवलोव का नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय है। उनके अनुसार," व्यवहार का निर्धारण स्वतंत्र उद्दीपन - प्रत्युत्तर के जटिल व्यवस्था द्वारा होता है। जो अधिगम से और जटिल हो जाता है। थार्नडाईक, वाटसन और स्को ने व्यवहार की वस्तुनिष्ठता पर अधिक जोर दिया है। 

अधिगम के व्यवहारवादी उपागम की विशेषताएं

अधिगम के व्यवहारवादी उपाग की निम्नलिखित प्रमुख विशेषताएं हैं--

1. व्यवहारवादी मनोवैज्ञानिक जानवरों और मानव जाति दोनों के व्यवहार के वस्तुनिष्ठ अध्ययन मानते हैं। 

2. यह उपागम वातावरण पर विशेष बल देता है। इसके अनुसार वातावरण व्यवहार  के वाहक आनुवंशिकता से अधिक महत्वपूर्ण मानते हैं। 

3. अनुकूलन व्यवहार के बोध की कुंजी है जो उद्दीपन और प्रत्युत्तर के योग से बना है और वस्तुनिष्ठ वैज्ञानिक विधि से सफलतापूर्वक विश्लेषित किया जा सकता है। 

4. अधिगम की प्रमुख विधि अनुकूलन है ।

7. व्यवहारवादियों का विचार है कि ज्ञान की इकाई ज्ञान की नई इकाई से समानता, असमानता या निकटता के द्वारा जुड़ जाती है। 

अभिक्रमित अनुदेशन में अनुकूलन की भूमिका 

अभिक्रमित अनुदेशन  तुरन्त प्रतिपुष्टि के संप्रत्यय पर आधारित है। तुरन्त प्रतिपुष्टि प्रतिक्रिया का एक रूप है जो एक पुरस्कार है। इस प्रकार पुरस्कृत करके एक अधिगमकर्ता को अभिप्रेरित किया जाता है। इसलिए अधिगमकर्ता का अनुदेशन उसके तुरन्त प्रतिपुष्टि तथा सीखने के लिए उसकी रुचि पर आधारित है।

व्यवहार उपागम की कमियां 

1. यह उपागम मनुष्यों को एक मशीन के रूप में प्रयोग करता है जो सही नहीं है। 

2. यह उपागम संवेगों, विचारों और कार्यों को सम्पूर्ण रूप से प्रत्यक्ष प्रेक्षणीय व्यवहार के सन्दर्भ में व्याख्या करता है। 

3. इसके परिणाम जानवरों पर किये गये प्रयोग पर आधारित है। इसलिए यह निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता है कि मानव के सामाजिक अधिगम स्थितियों मे भी सफल होगा।4. व्यवहारवादियों ने संरचनात्मक और वंशानुक्रम के कारकों की उपेक्षा की है जो भाषा को मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया के विकास में बहुत महत्वपूर्ण है।

5. अनुकूलित पुर्नबलन व्यवस्था में सर्जनशीलता, उत्सुकता आदि तत्वों को विशेष महत्व नहीं दिया जाता। 

6. व्यवहारवादियों का तर्क है कि व्यक्ति के सही व्यवहार उसके जीवनकाल में ही प्राप्त कर लिये जाते हैं। इस प्रकार वह सिद्धान्त आनुवंशिकता को कोई महत्व नही देता। 

7. स्किनर का सिद्धांत मानव की अधिगम प्रक्रिया का मशीनीकरण करता है। इस प्रकार यह प्रकृति से कृत्रिम है। 

8. अधिगम का अनुकूलन सिद्धान्त मस्तिष्क की गहराई से विचार नहीं करता और इस प्रकार यह प्रकृति से कृत्रिम हैं।

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