10/02/2021

व्यक्तिगत भिन्नता का अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं

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व्यक्तिगत भिन्नता का अर्थ (vyaktik bhinnata kya hai)

vyaktik bhinnata arth paribhasha visheshta;व्यक्ति की एक दूसरे से मानसिक, संवेगात्मक तथा शारीरिक दशाओं के भिन्न होने को व्यक्तिगत भिन्नता कहते है। टायलर का मानना है कि शरीर के आकार, रूप, शारीरिक कार्य की गति एवं क्षमता, बुद्धि, उपलब्धि, ज्ञान , रूचियों, अभिवृत्तियों और व्यक्तिगत लक्षणों की मापन विधियों ने व्यक्तिगत भिन्नताओं के अस्तिव को सिद्ध कर दिया हैं। यह व्यक्तिगत भिन्नतायें मानव के चरित्र एवं व्यक्तिगत के विकास में उसके , मानसिक, संवेगात्मक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। व्यक्तिगत भिन्नताओं का कोई एक आधार नहीं है। वास्तव में शारीरिक, मानसिक एवं अन्य विशेषताओं के कारण मानव में यह भिन्नतायें देखने को मिलती हैं। यह भिन्नतायें भिन्न-भिन्न प्रकार की हो सकती हैं।

व्यक्तिगत विभिन्नता की परिभाषा (vyaktik bhinnata ki paribhasha)

स्किनर के अनुसार," आज हमारा यह विचार है कि व्यक्तिगत विभिन्नताओं में संपूर्ण व्यक्तित्व का कोई भी ऐसा पहलू शामिल हो सकता है, जिसका माप किया जा सकता हैं।" 

टायलर के अनुसार," शरीर के आकार एवं स्वरूप शारीरिक कार्यों, गति संबंधी क्षमताओं, बुद्धि, उपलब्धि, ज्ञान, रूचियों, अभिवृत्तियों तथा व्यक्तित्व के लक्षणों में माप की जा सकने वाली विभिन्नताओं की उपस्थित सिद्ध की जा चुकी हैं।" 

व्यक्तिगत भिन्नताओं की विशेषताएं (vyaktik bhinnata ki visheshta)

यदि हम उपरोक्त विवेचन का विश्लेषण करें, तो व्यक्तिगत विभिन्नता में निम्नलिखित विशेषताएं पाई जाती हैं-- 

1. व्यक्तित्व 

व्यक्तिगत भिन्नताओं के अंतर्गत किसी एक विशेषता को आधार मानकर हम अंतर स्थापित नहीं करते हैं, बल्कि संपूर्ण व्यक्तित्व के आधार पर अंतर करते हैं। अतः कहा जाता हैं कि अमुक व्यक्ति अन्तर्मुखी हैं एवं अमुक बहिर्मखी।

2. जीवन के पक्ष 

प्रत्येक व्यक्ति स्वाभाविक रूप से परिवर्तन चाहता हैं। यह परिवर्तन उसे नवीन कार्यों को सीखने से प्राप्त होता हैं। इस तरह से सीखना ही उसका विकास बन जाता हैं। बालक जन्म से लेकर वृद्धावस्था तक जीवन के पक्ष-परिवर्तन, सीखना तथा विकास में संलग्न रहता हैं। इनके द्वारा वह जो कुछ प्राप्त करता हैं, वही अन्य लोगों से भिन्न स्थापित करने में मदद देता हैं। 

3. समानता में असमानता 

डाॅ.एस.एस. माथुर के अनुसार, सभी बालकों में निम्न 5 आधारों पर समानताएं पायी जाती हैं-- 

1. बुद्धि

2. मूल प्रवृत्तियाँ 

3. समाजीकरण 

4. अधिकार एवं कर्तव्य 

5. स्वभाव।

फिर भी सभी मानव प्राणियों में विभिन्न तरह की असमानताएं पाई जाती हैं। बुद्धि एवं व्यक्तित्व, व्यक्तिगत भिन्नता के आधार हैं। इनके द्धारा सीखने की क्रिया प्रभावित होती हैं।

यह भी पढ़े; व्यक्तिगत भिन्नता के कारण, प्रकार

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