10/10/2021

विस्मरण/विस्मृति का अर्थ, परिभाषा, कारण

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विस्मृति या विस्मरण का अर्थ (vismaran kya hai)

vismaran arth paribhasha karan;स्मृति की तरह ही विस्मृति या विस्मरण या भूलना भी एक मानसिक क्रिया हैं। अंतर केवल इतना हैं कि विस्मृति एक निष्क्रिय तथा नकारात्मक क्रिया हैं। स्मृति के साथ-साथ विस्मृति का अध्ययन भी महत्वपूर्ण हैं। यदि विस्मृति अधिक होने लगती है तो यह व्यक्ति में असामान्य व्यवहार पैदा करती हैं। 

जब हम कोई नई बात सीखतें हैं या नया अनुभव प्राप्त करते हैं, तब हमारे मस्तिष्क में उसका चित्र अंकित हो जाता हैं। हम अपनी स्मृति की सहायता से उस अनुभव को अपनी चेतना में फिर लाकर उसका स्मरण कर सकतें हैं। पर कभी-कभी, हम ऐसा करनें में सफल नही होते हैं। हमारी यही अफसल क्रिया-- विस्मृति या विस्मरण कहलाती हैं। 

दूसरे शब्दों में," भूतकाल के किसी अनुभव को वर्तमान चेतना में लाने की असफलता को 'विस्मृति' कहते हैं।" 

विस्मरण या विस्मृति की परिभाषा (vismaran ki paribhasha)

मन के अनुसार," सीखी हुई बात को स्मरण रखने को पुनः स्मरण करने की असफलता को विस्मरण कहते हैं। 

ड्रेवर के अनुसार," विस्मृति का अर्थ हैं-- किसी समय प्रयास करने पर भी किसी पूर्व अनुभव का स्मरण करने या पहले सीखे हुए किसी कार्य को करने में असफलता।" 

एबिंगहाॅस के अनुसार," विस्मरण एक निष्क्रिय मानसिक प्रक्रिया हैं।" 

फ्राॅयड के अनुसार," जो कुछ अप्रिय हैं, उसे स्मृति से दूर करने की प्रकृति ही भूलना हैं।"

अण्डरवुड के अनुसार," अधिगम स्थानांतरण का अर्थ वर्तमान क्रिया पर पूर्व अनुभवों का प्रभाव होता हैं।" 

हिलगार्ड एवं एटकिन्सन के अनुसार," अधिगम स्थानांतरण में एक क्रिया का प्रभाव दूसरी क्रिया पर पड़ता हैं।" 

काॅलेसनिक के अनुसार," अधिगम अंतरण पहली परिस्थिति से प्राप्त ज्ञान, कौशल, आदत, अभियोग्यता का दूसरी परिस्थिति में प्रयोग करना हैं।" 

गुथरी एवं पावर्स के अनुसार," अधिगम अंतरण से अभिप्राय व्यवहार के विस्तार तथा विनियोग से हैं।" 

क्रो व क्रो के अनुसार," जब अधिगम के एक क्षेत्र में प्राप्त ज्ञान, अनुभव, विचार, आदत या कौशल का दूसरी परिस्थिति में प्रयोग किया जाता है तो वह अधिगम अंतरण कहलाता हैं।" 

सोरेन्सन के अनुसार," स्थानांतरण एक परिस्थिति में अर्जित ज्ञान, प्रशिक्षण एवं आदतों का दूसरी परिस्थिति में अन्तरण होना हैं।" 

पेटरसन के अनुसार," स्थानांतरण सामान्यीकरण हैं, क्योंकि यह एक नये क्षेत्र तक विचारों का विस्तार हैं।"

विस्मृति या विस्मरण के कारण (vismaran ke karan)

विस्मृति या विस्मरण के कारणों को हम दो भागों में विभक्त कर सकते हैं--

(अ) सैद्धान्तिक कारण (Theory Causes) 

बाधा, दमन और अनभ्यास के सिद्धान्त। 

(ब) सामान्य कारण (General Causses) 

समय का प्रभाव, रुचि का अभाव, विषय की मात्रा इत्यादि। हम इन कारणों का क्रमबद्ध वर्णन नीचे की पंक्तियों में प्रस्तुत कर रहे हैं-- 

1. बाधा का सिद्धान्त (Theory of Interference)

इस सिद्धान्त के अनुसार यदि हम एक पाठ को याद करने के बाद दूसरा पाठ याद करने लगते हैं तो हमारे मस्तिष्क में पहले पाठ के स्मृति चिन्हों (Memory Traces) में बाधा पड़ती है। फलस्वरूप वे निर्वल होते चले जाते हैं और हम पहले पाठ को भूल जाते हैं। 

2. दमन का सिद्धान्त (Theory of Repression) 

इस सिद्धान्त के अनुसार हम दुःखद और अपमानजनक घटनाओं को याद नहीं रखना चाहते हैं अतः हम उनका दमन करते हैं। परिणामतः वे हमारे अचेतन मन में चली जाती है और हम उनको भूल जाते हैं । 

3. अनभ्यास का सिद्धान्त (Thoery of Dis-use) 

थार्नडाइक एवं एविंगहॉस (Thorndike | and Ebbbinghaus) ने विस्मृति का कारण अभ्यास का अभाव बताया है। यदि हम सीखी हुई बात का बार-बार अभ्यास नहीं करते हैं, तो हम उसको भूल जाते हैं। 

4. समय का प्रभाव (Effect of Time)

हैरिस (Harris) के अनुसार, सीखी हुई बात पर समय का प्रभाव पड़ता है। अधिक समय पहले सीखी हुई बात अधिक, और कम समय पहले सीखी हुए बात कम भूलती है।

5. रुचि, ध्यान व इच्छा का अभाव (Lack of Interest, Attention & Will) 

जिस कार्य को हम जितनी कम रुचि, ध्यान और इच्छा से सीखते हैं, उतनी ही जल्दी हम उसको भूलते हैं। स्टाउट के अनुसार,"  जिन बातों के प्रति हमारा ध्यान रहता है, उन्हें हम स्मरण रखते हैं।" 

"We remember the things we attend to." -Stout 

6. विषय का स्वरूप (Nature of Material) 

हमें सरल, सार्थक और लाभप्रद बातें बहुत समय तक स्मरण रहती हैं। इसके विपरीत, हम कठिन, निरर्थक और हानिप्रद बातों को शीघ्र ही भूल जाते हैं। मर्सेल (Mursell) के अनुसार," निरर्थक विषय की तुलना में सार्थक विषय का विस्मरण बहुत धीरे-धीरे होता है।" 

7. विषय की मात्रा (Amount of Material) 

विस्मरण, विषय की मात्रा के कारण भी होता है। हम छोटे विषय को देर में, लम्बे विषय को जल्दी भूलते हैं। 

8. सीखने में कमी (Underlearning) 

हम कम सीखी बात को शीघ्र और भली प्रकार सीखी हुई बात को विलम्ब से भूलते हैं। 

9. सीखने की दोषपूर्ण विधि (Defective Methods of Learning) 

यदि शिक्षक, बालकों को सीखने के लिए उचित विधियों का प्रयोग न करके दोषपूर्ण विधियों का प्रयोग करता है, तो वे उसको थोड़े ही समय में भूल जाते हैं। 

10. मानसिक आघात (Mental Injury) 

सिर पर आघात या चोट लगने से स्नायु - कोष्ठ छिन्न-भिन्न हो जाते हैं। अतः उन पर बने स्मृति चिन्ह अस्त-व्यस्त हो जाते हैं। फलस्वरूप, व्यक्ति स्मरण की हुई बातों को भूल जाता है। वह कम चोट लगने से कम और अधिक चोट लगने से अधिक भूलता है।

11. मानसिक द्वन्द्व (Mental Conflict) 

मानसिक द्वन्द्व के कारण मस्तिष्क में किसी-न-किसी प्रकार की परेशानी उत्पन्न हो जाती है। यह परेशानी , विस्मृति का कारण बनती है। 

12. मानसिक रोग (Mental Disease) 

कुछ मानसिक रोग ऐसे हैं जो स्मरण शक्ति को निर्बल बना देते हैं, जिसके फलस्वरूप विस्मरण की मात्रा में वृद्धि हो जाती हैं। इस प्रकार का एक मानसिक रोग दुःसाध्य उन्माद (Psychosis) है। 

13. मादक वस्तुओं का प्रयोग (Use of Intoxicants) 

मादक वस्तुओं का प्रयोग मानसिक शक्ति को क्षीण कर देता है। अतः विस्मरण एक स्वाभाविक बात हो जाती है। 

14. स्मरण न करने की इच्छा (Lack of Desire to Remember) 

यदि हम किसी बात को स्मरण नहीं रखना चाहते हैं तो हम उसे अवश्य भूल जाते हैं। स्टर्ट व ओकडन का कथन है," हम बहुत-सी बातों को स्मरण न रखने की इच्छा के कारण भूल जाते हैं।" 

"We forget many things that we do not want to remember. " -Sturt & Oakden 

15. संवेगात्मक असन्तुलन (Emotional Disturbance) 

किसी संवेग के उत्तेजित होने पर व्यक्ति की शारीरिक और मानसिक दशा में असाधारण परिवर्तन हो जाता है। उस दशा में उसे पिछली बातों का स्मरण करना कठिन हो जाता है। बालक, भय के कारण भली प्रकार याद पाठ को भी भूल जाता है। भाटिया का विचार है, " संवेगात्मक असन्तुलन विस्मृति के सामान्य कारण हैं।" 

"Emotional disturbances are the common causes of forgetting." -Bhatia 

16. प्रत्याह्वान में टाल-मटोल (Declination in Recall) 

यदि  प्रयोज्य जानबूझकर प्रत्याहान में हिला हवाली करता है तो विस्मरण बढ़ जाता है। प्रत्यक्षीकरण के प्रयोगों में प्राप्त परिणामों के आधार पर मैकगिनीज ने निष्कर्ष दिया हैं कि सूची मे रखे हुए तटस्‍थ पदों (जैसे-- कलम, बाजार आदि) के साथ-साथ प्रयोज्य निषेधित पदों का प्रत्यह्रान नहीं करना चाहते हैं। इससे विस्मरण की मात्रा बढ़ जाती हैं। इससे स्पष्ट है कि तटस्‍थ शब्दों के धारणा प्रतिशत अधिक और निषेधित पदों के लिए कम प्राप्त होता हैं।

विस्मृति कम रोकने के उपाय 

विस्मृति के विस्तृत विवेचन द्वारा यह स्पष्ट है कि 'भूलना' मानव स्वभाव में निहित तथ्य हैं। यह कभी-कभी अनिवार्य भी होता हैं और कभी-कभी अनावश्यक भी। जब कभी अप्रिय लगने वाला अनुभव स्मृति में होता हैं तब 'भूलना' एक आवश्यक प्रयास माना जाता है किन्तु जब कभी पूर्व अनुभवों की आवश्यकता होती है और व्यक्ति उन्हें याद नही कर पाता तब यह एक अनावश्यक एवं दुःख दायी सिद्ध होता हैं। 'भूलने' की क्रिया के अधिक बढ़ जाने से कभी-कभी व्यक्ति असामान्य व्यवहार भी करने लगता हैं। अतः ऐसी स्थिति में 'भूलने' को रोकने के उपाय करना आवश्यक हो जाता हैं। 

कारण में ही निवारण होता हैं, भूलने के कारणों को हटा देने पर भूलने को रोका जा सकता हैं। विस्मृति को रोकने के कुछ मुख्य उपाय निम्नलिखित हैं--

1. तीव्र संवेगों पर नियंत्रण करना। 

2. मन की असामान्य स्थिति को रोकना। 

3. पर्याप्त अभ्यास द्वारा। 

4. सीखने की उत्तम विधि द्वारा स्मरण करके। 

5. नशों का सेवन बंद करके। 

6. शारीरिक स्वास्थ्य को ठीक रखकर। 

7. विषय याद करके विश्राम करना। 

8. लम्बा विश्राम करना। 

9. याद किये विषय को एक साथ लम्बे समय तक अभ्यास मुक्त न करके, भूलने की समस्या से बचा जा सकता हैं।

यह भी पढ़े; विस्मरण के सिद्धान्त 

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