2/20/2020

साक्षात्कार का अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं, प्रकार

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साक्षात्कार का अर्थ (sakshatkar kya hai)

Sakshatkar arth paribhasha visheshta prakar;साक्षात्कार एक निश्चित उद्देश्य की पूर्ति के लिए आयोजित विचारों का आदान-प्रदान है। साक्षात्कार चयन का प्रमुख साधन है। साक्षात्कार की तकनीक मे साक्षात्कार लेने वाला तथा आवेदक आमने-सामने बैठकर मौखिक विचार-विमर्श करते है। 

साक्षात्कार के सम्बन्ध मे आलपोर्ट ने लिखा हैं। "यदि हम यह जानना चाहते है कि लोग किस प्रकार अनुभव करते हैं, वे क्या याद रखते हैं, उनके संवेग एवं मनोवृत्तियाँ किस प्रकार की है तथा उस प्रकार के कार्य करने के कारक क्या हैं। जिस प्रकार वे कार्य करते है तो उनसे पूछ ही क्यों न लिया जायें।" साक्षात्कार अनुसंधानकर्ता (शोधकर्ता) और सूचनादाता के बीच अध्ययन की एक पद्धति का नाम हैं।

साक्षात्कार की परिभाषा (sakshatkar ki paribhasha)

पौलिन यंग के अनुसार, " साक्षात्कार एक व्यवस्थित विधि मानी जा सकती है जिसके द्वारा एक व्यक्ति एक ' अपेक्षाकृत अजनबी के आन्तरिक जीवन से न्यूनाधिक कल्पनात्मक रूप से प्रवेश करता है।"
सी. ए. मोजर, " एक सर्वेक्षण साक्षात्कार, साक्षात्कारकर्त्ता तथा उत्तरदाता के मध्य एक वार्तालाप है, जिसका उद्देश्य उत्तरदाता से निश्चित सूचना प्राप्त करना होता हैं।"
परमार, "साक्षात्कार दो व्यक्तियों मे एक सामाजिक स्थिति बनाता है, जिनमे निहित मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया के लिए यह आवश्यक है कि दोनों व्यक्ति परस्पर प्रतिउत्तर करते रहें, यद्यपि साक्षात्कार के सामाजिक खोज के उद्देश्य मे सम्बंधित दलों से बहुत भिन्न उत्तर प्राप्त होते है।"
सिन पाओ येंग, "साक्षात्कार क्षेत्रीय कार्य की एक ऐसी प्रविधि है जो कि एक व्यक्ति या व्यक्तियों के व्यवहार की निगरानी करने, कथनों को अंकित करने व सामाजिक या सामूहिक अन्तः क्रिया के वास्तविक परिणामों का निरीक्षण करने के लिए प्रयोग मे ली जाती हैं।"
एम. एन. बसु, " एक साक्षात्कार को कुछ विषयों को लेकर व्यक्तियों के आमने-सामने का मिलन कहा जा सकता है।
गुडे और हाट के अनुसार, "साक्षात्कार मौलिक रूप से सामाजिक अन्तः क्रिया की एक प्रक्रिया है।"
मानेन्द्रनाथ बसु के अनुसार," साक्षात्कार की परिभाषा कुछ मद्दों पर व्यक्तियों की आमने-सामने की मुलाकात वार्तालाप के रूप मे की जा सकती है।"
एस. दण्डपाणी के अनुसार," साक्षात्कार उत्तरदाता के साथ संचार स्थापित करने का एक साधन है जिसमें वार्तालाप, हावभाव एवं अभिव्यक्ति सम्मिलित रहती है। यह वस्तुपरक एवं विचारात्मक तत्वों को सम्मालित करते हुए अर्थपूर्ण आदान-प्रदान के द्विपक्षीय संचार है।"

साक्षात्कार की विशेषताएं (sakshatkar ki visheshta)

साक्षात्कार की निम्नलिखित विशेषताएं हैं-- 
1. साक्षात्कार मे अनुसंधानकर्ता और सूचनादाता के बीच आमने-सामने के संबंध प्रत्यक्ष रूप से स्थापित होते है।
2. इस पद्धति के द्वारा अनुसंधान के लिए अनुसंधानकर्ता और सूचनादाता के बीच व्यक्तिगत सम्पर्क का होना अनिवार्य हैं।
3. साक्षात्कार सामाजिक अनुसंधान की एक पद्धति है।
4. साक्षात्कार पद्धति द्वारा सामाजिक जीवन और सामाजिक घटनाओं के बारे मे जानकारी प्राप्त की जाती है।
5. यह जानकारी व्यक्तिगत सम्पर्क और वार्तालाप के द्वारा प्राप्त की जाती है।
6. इस वार्तालाप के लिए दो या दो से अधिक व्यक्तियों का होना जरूरी हैं।
7. साक्षात्कार मे इस वार्तालाप का एक विशेष उद्देश्य होता है।

साक्षात्कार के प्रकार (sakshatkar ke prakar) 

साक्षात्कार के प्रकार निम्नलिखित हैं--
1. व्यक्तिगत साक्षात्कार
इस प्रकार के साक्षात्कार मे केवल दो ही व्यक्ति होते हैं। एक साक्षात्कारकर्त्ता तथा दूसरा साक्षात्कारदाता। इसमे साक्षात्कारकर्त्ता प्रश्न पूछता जाता है तथा साक्षात्कारदाता प्रश्न का उत्तर देता जाता हैं।
2. सामूहिक साक्षात्कार
इस प्रकार के साक्षात्कार मे दो या दो से अधिक साक्षात्कारकर्त्ता और अनेक साक्षात्कारदाताओं से समस्या से सम्बंधित सूचना एकत्रित करने का प्रयास करता है। कभी-कभी यह साक्षात्कार वाद-विवाद की सभा का रूप लेता है।
3. औपरारिक साक्षात्कार
इस साक्षात्कार मे अनुसंधानकर्ता सूचनादाता से मात्र औपचारिक संबंध स्थापित करके सिर्फ वे ही प्रश्न पूछता है, जो अनुसूची मे उल्लिखित रहते हैं। अनुसूची से बाहर वह किसी भी प्रकार के प्रश्न नही पूछता है। इसमें अनुसंधानकर्ता अनुसूची से नियंत्रण रहता है। उसको अनुसूची के प्रश्न, भाषा आदि के परिवर्तन मे किसी प्रकार की स्वतंत्रता नही रहती हैं।
4. अनौपचारिक साक्षात्कार
यह साक्षात्कार मात्र अनौपचारिक से निर्वाह के लिए ही नही किया जाता हैं। इसमे अनुसन्धानकर्ता पर किसी भी प्रकार का नियंत्रण नही रहता हैं। वह अपनी इच्छा के अनुसार अनुसंधान के प्रश्नों के क्रमों मे संशोधन और परिवर्तन कर सकता हैं। इसके साथ ही वह सूचनादाताओं से नए प्रश्न पूछ सकता है।
5. पुनरावृत्ति साक्षात्कार
इस प्रकार के साक्षात्कार मे अनुसंधानकर्ता एक से अधिक बार साक्षात्कार करके सूचनादाता से सूचना संकलित करता है। इसका प्रयोग परिवर्तन का अध्ययन करने तथा सामाजिक तथा मनोवैज्ञानिक प्रक्रियाओं के प्रभाव जानने हेतु होता हैं।
6. केन्द्रीय साक्षात्कार
इस प्रकार के साक्षात्कार का प्रयोग प्रायः किसी सामाजिक घटना, परिस्थितियों, फिल्म, रेडियो या दूरदर्शन कार्यक्रम का सूचनादाताओं पर पड़ने वाले प्रभाव का अध्ययन करने हेतु किया जाता हैं।
7. अनिर्देशित साक्षात्कार
यह अनौपचारिक, अनियन्त्रित तथा संचालित साक्षात्कार के समान होता हैं। इसमें साक्षात्कारकर्त्ता किसी पूर्व-निर्मित अनुसूची के अनुसार प्रश्न न करके अपनी इच्छा से प्रश्न करता है और साक्षात्कारदाता के समक्ष किसी समस्या को रख देता है। साक्षात्कारदाता जो विवरण, कहानी या वृत्तान्त प्रस्तुत करता है उसी के तथ्य संकलित होते हैं।
8. अनुसंधान साक्षात्कार
इस प्रकार के साक्षात्कार का उद्देश्य नवीन ज्ञान की खोज से संबंधित है। यह नवीन ज्ञान सामाजिक समस्याओं और सामाजिक घटनाओं से सम्बंधित होता है।
9. कारक-परीक्षक साक्षात्कार
समाज मे विविध प्रकार की घटनाएं घटित होती रहती हैं। इन घटनाओं के घटित होने के कुछ विशेष कारक या तत्व हैं। इस प्रकार के साक्षात्कार मे इन्हीं कारकों की खोज की जाती है।
10. प्रत्यक्ष साक्षात्कार
सामान्यतः साक्षात्कार प्रत्यक्ष ही होता है। इसे अनुसंधानकर्ता को काल्पनिक रूप से सूचनादाता के आन्तरिक जीवन मे प्रवेश के रूप मे देखा गया है।
11. अप्रत्यक्ष साक्षात्कार
आमने-सामने न बैठकर अप्रत्यक्ष रूप से टेलीफोन या फिर किसी और माध्यम से साक्षात्कारकर्त्ता साक्षात्कारदाता से अध्ययन विषय से सम्बंधित तथ्यों के बारे मे वार्तालाप करके सूचना प्राप्त करना अप्रत्यक्ष साक्षात्कार कहलाता है।
 निष्कर्ष
साक्षात्कार प्रणाली की उपादेयता सीमित होते हुए भी यह सामाजिक अनुसंधान की एक महत्वपूर्ण उपयोगी पद्धति है। इस पद्धति के द्वारा हम व्यक्तिगत अमूर्त घटनाओं का अध्ययन कर सकते है। उक्त अध्ययन से आलपोर्ट का यह कथन सत्य प्रतीत होता है," यदि हम जानना चाहते है कि लोग क्या सोचते करते है? क्या अनुभव करते है? तथा क्या याद रखते है? तथा उनकी भावनाएं और प्रेरणायें क्या है? तो उनसे क्यों नही पूछते!! इस प्रकार हम देखते है कि साक्षात्कार पद्धति सर्वाधिक प्राकृतिक प्रणाली है। इसमे सूचनादाता से अनुसंधानकर्ता का आमने-सामने का संबध रहता है तथा सूचनायें अधिकतम रूप में सर्वश्रेष्ठ प्राप्त होती है। इसके द्वारा व्यक्तिगत तथ्यों का भी संकलन सरलता से किया जा सकता।
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