अवलोकन पद्धति
avlokan arth paribhasha or visheshta;अवलोकन पद्धति का प्रयोग अति प्राचीन काल से होने के कारण मोजर ने इसे वैज्ञानिक शोध की शास्त्रीय पद्धति कहा है। जहोडा एवं कुक ने लिखा है- "अवलोकन केवल दैनिक जीवन की ही अत्यधिक व्यापक क्रिया मात्र नही है, यह वैज्ञानिक जाँच का भी एक प्राथमिक यंत्र है।
इस लेख मे हम अवलोकन का अर्थ, अवलोकन की परिभाषा और अवलोकन पद्धति की विशेषताएं जानेगें।
अवलोकन का अर्थ (avlokan ka arth)
अवलोकन से आशय है-आँखों से देखना। इस प्रकार अवलोकन वह प्रणाली है जहाँ अवलोकनकर्ता स्वंय घटना स्थल पर जाकर अपनी आँखों से उन घटनाओं को देखता है और जानकारी प्राप्त करता हैं।सामाजिक विज्ञानों के क्षेत्र में अवलोकन पद्धति का प्रयोग कई विद्वानों ने किया है। जाॅन हाॅवर्ड ने कैदियों के जीवन तथा जेल की दशओं का, फ्रेडरिक लीप्ले ने श्रमिक परिवारों पर औधोगिकरण के प्रभावों का तथा चार्ल्स बूथ ने लन्दन के श्रमिकों का अध्ययन सहभागी अवलोकन पद्धति द्वारा किया। चार्ल्स बूथ ने श्रमिकों का अध्ययन सहभागी अवलोकन पद्धति द्वारा कर 'दि लाइफ एण्ड लेबर ऑफ दि पीपुल ऑप लन्दन' नामक पुस्तक 17 खण्डों मे प्रकाशित की।
अवलोकन की परिभाषा (avlokan ki paribhasha)
सी.ए.मोसर के शब्दों में, "अवलोकन को स्पष्ट रूप से वैज्ञानिक अन्वेषण की एक शास्त्रीय विधि कह कहते हैं।मोजर के शब्दों में, "अवलोकन को सुन्दर ढंग के वैज्ञानिक जाँच-पड़ताल की पद्धति कहा जा सकता है। ठोस अर्थों मे अवलोकन मे कानों तथा वाणी की अपेक्षा आँखों का प्रयोग स्वतंत्र हैं।
पी. व्ही. यंग के अनुसार," अवलोकन आँखो द्वारा विचारपूर्वक अध्ययन की प्रणाली के रूप मे काम मे लाया जाता है जिससे कि सामूहिक व्यवहार और जटिल सामाजिक संस्थाओं के साथ ही साथ सम्पूर्णता की रचना करने वाली पृथक् इकाइयों का अध्ययन किया जा सके।"
कुर्ट लेविस के अनुसार, "सभी प्रकार के अवलोकन, अन्ततः विशेष घटनाओं के विशेष समूहों मे वर्गीकरण होते हैं। वैज्ञानिक विश्वसनीयता सही प्रत्यक्षीकरण और वर्गीकरण पर आधारित है।"स्पष्ट है की अवलोकन एक ऐसी अनुसंधान प्रविधि है जो विषय-वस्तु के प्रत्यक्ष दर्शन पर आधारित है।
अवलोकन पद्धति की विशेषताएं (avlokan ki visheshtaye)
अवलोकन पद्धति की विशेषताएं इस प्रकार है--
1. प्रत्यक्ष पद्धतिसामाजिक शोध की दो पद्धतियां हैं- प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष। अवलोकन सामाजिक शोध की प्रत्यक्ष पद्धति है, जिसमें शोधकर्ता सीधे अध्ययन वस्तु को देखता है और निष्कर्ष निकलता है।
2. सूक्ष्म, गहन एवं उद्देश्यपूर्ण अध्ययन
अवलोकन अध्ययन की वह विधि है जिसमें अध्ययन विषय एवं घटना का अति सूक्ष्म तथा गहन अध्ययन किया जाता है। इसमे घटनाओं की वास्तविक प्रकृति, उनकी गम्भीरता, विस्तार एवं परस्पर सम्बन्धों का सूक्ष्म अवलोकन करके ही वास्तविक तथ्यों का संकलन किया जाता है।
3. वैज्ञानिक पद्धति
अन्य पद्धतियों की तुलना मे अवलोकन पद्धति अधिक वैज्ञानिक है, क्योंकि इस पद्धति के द्वारा अपनी आँखों से देखकर सामग्री का संग्रहण किया जाता है। इसलिए इसमे वैज्ञानिकता पाई जाती हैं।
4. विश्वसनीय सामग्री
इसमे अनुसन्धानकर्ता सूचनाओं एवं तथ्यों को उसके स्वाभाविक रूप मे घटित होते देखकर संकलित करता हैं। फलस्वरूप संग्रहीत सामग्री सत्य एवं विश्वसनीय होती हैं।
5. सामूहिक व्यवहार का अध्ययन
अवलोकन प्रणाली का प्रयोग सामूहिक व्यवहार के अध्ययन के लिए किया जाता है।
6. कार्य-कारण सम्बन्ध का पता लगाना
वैज्ञानिक दृष्टि से अवलोकन द्वारा अनुसन्धानकर्ता विभिन्न घटनाओं मे पायी जाने वाली समस्याओं एवं असमानताओं तथा इसके विभिन्न कारकों अर्थात् किसी घटना के कारण एवं परिणाम मे पारस्परिक सम्बन्ध को ज्ञात करने का प्रयास करता हैं।
7. मानव इन्द्रियों का प्रयोग
अवलोकन पद्धति में मानव की इन्द्रियों का पूर्ण रूप से प्रयोग होता हैं क्योंकि शोधकर्ता सामाजिक घटना की आँखों देखी जांच पड़ताल करता हैं।
8. प्रयोगपूर्ण अध्ययन
सी. ए. मोजर ने अवलोकन को अनुभव या प्रयोग पर आधारित अध्ययन माना है, चाहे इसे सामूहिक व्यवहार जैसे- एक समुदाय के जीवन अथवा किसी विशेष क्रिया जैसे- समाचार पत्र पत्रिका पढ़ना आदि अध्ययन के लिए प्रयोग किया गया।
9. विचारपूर्वक किया जाने वाला अध्ययन
प्रसिद्ध विद्वान मेरी जहोदा एवं कुक का विचार है कि अवलोकन एक ऐसी विधि है जिसमें अवलोकनकर्ता स्वंय घटनाओं का विचारपूर्वक अध्ययन कर तथ्यों का संकलन करता हैं।
10. प्राथमिक सामग्री का संकलन
सामाजिक शोध मे जो सामग्री संग्रहीत की जाती है, उसे दो भागों मे विभाजित किया जा सकता है- प्राथमिक और द्धैतीयक। अवलोकन के द्वारा प्रत्यक्ष: सीधे सम्पर्क और सामाजिक तथ्यों का संग्रहण किया जाता है।
अवलोकन प्रणाली का प्रयोग सामूहिक व्यवहार के अध्ययन के लिए किया जाता है।
6. कार्य-कारण सम्बन्ध का पता लगाना
वैज्ञानिक दृष्टि से अवलोकन द्वारा अनुसन्धानकर्ता विभिन्न घटनाओं मे पायी जाने वाली समस्याओं एवं असमानताओं तथा इसके विभिन्न कारकों अर्थात् किसी घटना के कारण एवं परिणाम मे पारस्परिक सम्बन्ध को ज्ञात करने का प्रयास करता हैं।
7. मानव इन्द्रियों का प्रयोग
अवलोकन पद्धति में मानव की इन्द्रियों का पूर्ण रूप से प्रयोग होता हैं क्योंकि शोधकर्ता सामाजिक घटना की आँखों देखी जांच पड़ताल करता हैं।
8. प्रयोगपूर्ण अध्ययन
सी. ए. मोजर ने अवलोकन को अनुभव या प्रयोग पर आधारित अध्ययन माना है, चाहे इसे सामूहिक व्यवहार जैसे- एक समुदाय के जीवन अथवा किसी विशेष क्रिया जैसे- समाचार पत्र पत्रिका पढ़ना आदि अध्ययन के लिए प्रयोग किया गया।
9. विचारपूर्वक किया जाने वाला अध्ययन
प्रसिद्ध विद्वान मेरी जहोदा एवं कुक का विचार है कि अवलोकन एक ऐसी विधि है जिसमें अवलोकनकर्ता स्वंय घटनाओं का विचारपूर्वक अध्ययन कर तथ्यों का संकलन करता हैं।
10. प्राथमिक सामग्री का संकलन
सामाजिक शोध मे जो सामग्री संग्रहीत की जाती है, उसे दो भागों मे विभाजित किया जा सकता है- प्राथमिक और द्धैतीयक। अवलोकन के द्वारा प्रत्यक्ष: सीधे सम्पर्क और सामाजिक तथ्यों का संग्रहण किया जाता है।
11. सरल अध्ययन
वस्तुओं, व्यक्तियों और उनके आचरणों को देखकर उन्हें समझने का अभ्यास सामान्यतः सबको रहता है। अतः जिस उद्देश्य से हमे अवलोकन करना है या घटना का स्वरूप क्या? इसकी हमें जानकारी हो तो अवलोकन सहज हो जाता है। एक अनुसंधानकर्ता थोड़े प्रशिक्षण, थोड़ी सावधानी और जागरूकता रखकर सरलता से अवलोकन कर सकता है। अन्य विधियों की तुलना मे यह तकनीक की दृष्टि से कम जटिल है। इसीलिये इसे अन्य विधियों की तुलना मे सरल माना जाता है।
12. अधिक शुद्धता
अनेक अध्ययनों मे अवलोकन पद्धति से प्राप्त होने वाले निष्कर्ष अधिक शुद्ध और यथार्थ होते है। सामग्री संकलन की अन्य विधियों मे जानकारी अन्यों के द्वारा दी जाती है और उस जानकारी पर विश्वास करने के अलावा हमारे पास और कोई चारा नही रह जाता है। अवलोकन विधि से अध्ययनकर्ता अन्यों के द्वारा दी जाने वाली जानकारी पर निर्भर नही रहता है। वह स्वयं ही प्रत्यक्ष: देखकर तथ्यों को संकलित करता है। इसीलिये अन्य विधियों से संकलित तथ्यों की तुलना मे अवलोकन के माध्यम से संकलित तथ्य अधिक वास्तविक एवं विश्वसनीय होते है। यह इसलिए संभव होता है क्योंकि वैज्ञानिक विधि से किये गये अवलोकन मे अध्ययन गहराई से एवं सूक्ष्म रूप से किया जाता है।
13. निष्पक्षता
अवलोकन मे अनुसंधानकर्ता स्वयं अपनी आँखों से घटना का निरीक्षण और उसकी भली-भाँती जांच करता है। अतः उसका निर्णय दूसरों के निर्णय अथवा कहने-सुनने पर आधारित नही होता है। इसलिए अवलोकन पद्धति मे निष्पक्षता की अधिक संभावना रहती है।
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bahut khub....kafi detail mae information btayi...thank you
जवाब देंहटाएंशोध के लिए साहित्य अवलोकन का क्या महत्त्व है ? इस मुद्दे के बारे में में थोड़ी जानकारी दीजिये|
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