3/08/2022

समुदाय का अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं/आवश्यक तत्व/लक्षण

By:   Last Updated: in: ,

प्रश्न; समुदाय की परिभाषा एवं विशेषताओं की व्याख्या कीजिए। 

अथवा" समुदाय की परिभाषा दीजिए। समुदाय के आवश्यक तत्वों का उल्लेख कीजिए। 
अथवा" समुदाय से आप क्या समझते हैं? क्या शरणार्थी समुदाय हैं? 
अथवा" समुदाय के आवश्यक लक्षण बताइए। 
उत्तर--

समुदाय का अर्थ (samuday kya hai)

समुदाय का तात्पर्य व्यक्तियों के किसी भी ऐसे बड़े समूह से होता है जो एक निश्चित क्षेत्र के अंदर रहता है तथा जिसमें उसके सदस्यों का सामान्य जीवन व्यतीत होता हैं।
जब किसी समूह के सदस्य एक निश्चित भौगोलिक क्षेत्र से संबंधित हों, एक सामान्य जीवन व्यतीत करते हों और जीवन की किन्हीं एक या दो बातों मे ही नही बल्कि सामान्य जीवन की बहुत कुछ आधारभूत बातों को लेकर सम्बध्द हो तो उस समूह को समुदाय कहा जाता हैं।
दूसरे शब्दों में में, समुदाय का अर्थ, समुदाय वह मानव समूह है जो सामान्य जीवन व्यतीत करने के लिए निश्चित भू-भाग मे सामुदायिक भावना द्वारा संगठित किया गया हैं।
इस लेख मे हम समुदाय किसे कहते है? समुदाय क्या हैं? समुदाय की परिभाषा और समुदाय की विशेषताएं या आवश्यक तत्व जानेंगे।
जब किसी समूह, चाहे छोटा हो या बड़ा, के सदस्य इस प्रकार साथ-साथ रहते हो कि उनका ऐसा रहना किसी विशेष योजना या स्वार्थ को लेकर नही हो बल्कि उनमे सामान्य जीवन की आधारभूत बातें एक हों तो उस समूह को हम समुदाय के नाम से जानते हैं।

समुदाय की परिभाषा (samuday ki paribhasha)

गिन्सबर्ग के अनुसार, " समुदाय से एक सामान्य जीवन व्यतीत करने वाले सामाजिक प्राणियों को एक समूह का बोध होता हैं जिसमे सब प्रकार के असीमित विभिन्न एवं जटिल सम्बन्ध होते हैं, जो उस सामान्य जीवन के फलस्वरूप प्राप्त होते हैं या उसका निर्माण करते हैं।"
बोगार्डस के अनुसार, " समुदाय एक ऐसा सामाजिक समूह है जो एक निश्चित भौगोलिक क्षेत्र मे निवास करता हैं और जिसमें कुछ मात्र तक "हम" की भावना पाई जाती हैं।"
आगबर्न एवं निमकाॅफ के अनुसार, " एक सीमित क्षेत्र के अन्दर रहने वाले सामाजिक जीवन के पूर्ण संगठन को समुदाय कहा जा सकता हैं।"
मैकाइवर और पेज के अनुसार," समुदाय सामान्य जीवन का एक क्षेत्र हैं।" 
ऑगबर्न और निमकाॅफ के अनुसार," किसी सीमित क्षेत्र के अन्तर्गत सामाजिक जीवन के सम्पूर्ण संगठन को ही समुदाय कहा जाता है।" 
किंग्सले डेविस के अनुसार," समुदाय एक ऐसा स्थानीय समूह है जिसके अन्तर्गत सामाजिक जीवन के सभी पहलू आ जाते हैं। 

समुदाय की विशेषताएं/समुदाय के आवश्यक तत्व (samuday ki visheshta)

समुदाय की विशेषताएं एवं आवश्यक तत्व निम्नलिखित हैं--
1. निश्चित भू-भाग
समुदाय के लिए एक निश्चित भू-भाग या क्षेत्र का होना अति आवश्यक हैं। ज्यादतर समुदाय एक निश्चित स्थान पर ही बसे होते हैं एक निश्चित भू-भाग पर रहने से उनमे एकता व संगठन काफी दृढ होता हैं। आज संचार व यातायात के साधनों के विकास के साथ किसी व्यक्ति का एक निश्चित स्थान से पूर्णतः बंधे रहना संभव नही हैं। सभ्यता व ब्राह्रा निर्भरता के साथ छोटे-छोटे समुदाय बहुत कुछ टूटते जा रहे है और स्थानीयता पर आधारित एकता-सूत्र बहुत कुछ शिथिल हो रहे हैं फिर भी स्थानीयता एक आधारभूत तत्व आज भी हैं। वास्तव मे समुदाय की अवधारणा मे एक निश्चित भू-भाग के संघात से भले ही क्षेत्रीय सीमायें टूट रही हो, छोटे समुदाय बड़े समुदायों मे बदलते जा रहे हो किन्तु यह तो एक प्रकार से क्षेत्रीय विस्तार है न कि स्थानीयता का अभाव।
2. समुदाय व्यक्तियों का समूह हैं

समुदाय व्यक्तियों का एक समूह हैं। व्यक्तियों के बिना समुदाय का निर्माण नही हो सकता।
3. आत्मनिर्भरता
प्राचीन काल मे आत्मनिर्भरता समुदाय का एक एक आवश्यक तत्व माना जाता था। एक समुदाय मे निवास करने वालों की समस्त आवश्यकताएं वही पुरी हो जाती थी, लेकिन आज के इस युग मे ऐसा नही रहा हैं। आज समुदाय पूर्ण रूप से पराश्रति हैं।
4. सामुदायिक भावना
समुदाय मे सामुदायिक भावना पाई जाती हैं। एक भू-भाग से संबंधित होने, बहुत कुछ समान आवश्यकता और अनुभव रखने, एक से तीज त्यौहार, संस्कार व उत्सव मे भाग लेने तथा एक से जीवन मूल्यों से संबद्ध होने की वजह से एक समुदाय के व्यक्तियों मे जो एकता की भावना, अपनेपन की भावना उत्पन्न होती है उसे सामुदायिक भावना कहते हैं। जो इनमे "हम" संबंधों को निश्चित करती हैं। छोटे समुदायों जैसे किसी एक गाव मे लोग एक स्थान पर बसे होते है, एक-दूसरे के सुख-दु:ख मे भाग लेते हैं, बहुत कुछ एक से रीतिरिवाज, संस्कार और त्यौहार आदि से बंधे होते है, बहुत कुछ एक-सा जीवन व्यतीत करते है, इसलिए उनमें सामुदायिक भावना अत्यधिक दृढ़ होती हैं।
5. समान्य जीवन
समुदाय किसी विशेष उद्देश्य या कार्य की पूर्ति का साधन नही होता। इसमे तो सदस्यों का सामान्य जीवन व्यतीत होता है। समुदाय का एकमात्र लक्ष्य सदस्यों की सामान्य आवश्यकताओं की पूर्ति करना होता है। इसी फलस्वरूप हम समुदाय मे रहते हैं, जैसे, राष्ट्र, नगर, गाँव आदि।
6. व्यापक उद्देश्य एवं बहुत कुछ सामान्य जीवन
जीवन के अनेक पक्षों को लेकर समुदाय मे व्यक्ति एक-दूसरे से भागीदारी बनते हैं। एक स्थान पर साथ-साथ रहने से उनका जीवन बहुत एक-सा रहता है। बहुत कुछ समान उद्देश्य एवं समान हितों को लेकर लोग संबद्ध होते हैं। एक से रीति-रिवाज, एक से नियम, उपनियम, एक भाषा तथा एक से उत्सव व संस्कार साधारणतः एक समुदाय मे देखने को मिलते हैं।
7. नियमों की एक सामान्य व्यवस्था
गिन्सबर्ग ने नियमों की सामान्य व्यवस्था को भी समुदाय का एक आवश्यक तत्व माना है। समुदाय मे नियमों की प्रचलित एक समान्य व्यवस्था होती है, जिससे उनके सदस्य प्रभावित व नियन्त्रित होते हैं।
8. विशिष्ट नाम
प्रत्येक समुदाय का अपना एक विशिष्ट नाम होता हैं, जिसके द्वारा उसे पृथक जाना जाता हैं। समुदायों का नाम अधिकतर उनके स्थानीय भू-भाग के नाम पर रखा गया होता हैं।
9. समानताओं का क्षेत्र
प्रत्येक समुदाय मे अनेक प्रकार की समानताएं पाई जाती हैं। ये समानताएं प्रथाओं, रूढ़िवादी विचारों, रीति-रिवाज और उत्सव मनाने के अनोखे ढंगों मे पाई जाती हैं। सब समानताओं मे प्रधान होती हैं, भाषा की समानता। प्रत्येक समुदाय की अलग-अलग भाषा होती हैं।
10. स्थायित्व
समुदाय एक स्थायी संगठन है। एक बार बन जाने के बाद किन्ही असाधारण घटनाओं जैसे--- बाढ़, भूकम्प या तुफान आदि जिससे कि वह पूर्णतः नष्ट न हो जाये, को छोड़कर समुदाय साधारणतः बना रहता हैं।
11. मूर्तता
समुदाय की एक विशेषता इसकी मूर्तता हैं, क्योंकि यह एक जनसमूह की और संकेत करता है जिसके अवलोकन और निरीक्षण किया जा सकता हैं।
12. स्वतः जन्म 
समुदाय का जन्म एवं विकास स्वतः ही होता हैं। 
13. अन्तर्समुदाय 
समुदाय की एक विशेषता अन्तर्समुदाय का होना भी है। इसका यह तात्पर्य है कि एक बड़े समुदाय के अन्तर्गत अनेक छोटे-छोटे समुदाय भी पाए जाते हैं।

क्या आश्रम, बन्दीगृह समुदाय हैं?  

क्या आश्रम एवं बंदीगृह समुदाय हैं? ये समुदाय हैं या नहीं, इसका निश्चय करने के लिए हमें इन्हें समुदाय के आवश्यक तत्वों की कसौटी पर कसना होगा। समुदाय के तीन आवश्यक तत्व हैं- एक निश्चित भू-भाग, मानव समूह एवं 'हम की भावना'। सामान्य जीवन भी समुदाय का एक आवश्यक तत्व है। एक आश्रम या एक बन्दीगृह में समुदाय के ये आवश्यक तत्व पाये जाते हैं। बन्दीगृह या आश्रम एक निश्चित भू-भाग पर बसा होता है, मानव समूह होता है और वे सामान्य जीवन भी व्यतीत करते हैं उनके अन्दर 'हम' की भावना भी पाई जाती है। इस प्रकार हम उन्हें समुदाय मान सकते हैं। कुछ लोगों को इसमें आपत्ति है। उनका कहना है कि आश्रम या बन्दीगृह में सामान्य जीवन सीमित एवं प्रतिबंधित है, इसलिए उन्हें समुदाय नहीं कहना चाहिए। पर यह आपत्ति उचित नहीं है, क्योंकि प्रत्येक समुदाय में सामान्य जीवन समुदाय के नियमों के अनुसार सीमित होता है। हम आश्रम एवं बन्दीगृह को समुदाय कह सकते हैं। 

क्या जाति एक समुदाय है? 

जाति में 'हम की भावना' तो पाई  जाती है, लेकिन निश्चित भू-भाग और सामान्य जीवन नहीं पाया जाता। जाति के सदस्य अनेक भागों में बिखरे हुए रहते हैं। सामान्य जीवन भी नहीं होता। एक बंगाली ब्राह्मण का रहन-सहन एवं रीति-रिवाज कश्मीरी ब्राह्मण से बिल्कुल पृथक होता है। 'हम की भावना' भी उतनी मजबूत नहीं होती। एक पंजाबी ब्राह्मण बंगाली ब्राह्मण की अपेक्षा वैश्य के प्रति अधिक अपनत्व की भावना प्रदर्शित करता है। अतः जाति को समुदाय कहना उचित न होगा। 

क्या शरणार्थी समूह समुदाय है? 

शरणार्थी समूह या आवासी को भी हम समुदाय कह सकते हैं। ये लोग एक विशिष्ट भाषा बोलते हैं समान रीति रिवाजों का पालन करते हैं और एक-दूसरे के साथ सुख-दुख में हाथ बँटाते हैं। जहाँ कहीं भी ये एक निश्चित भू-भाग पर बस गए हैं, वहीं पर इनका समुदाय भी बन जाता है।
शायद यह जानकारी आपके के लिए बहुत ही उपयोगी सिद्ध होगी

7 टिप्‍पणियां:
Write comment

आपके के सुझाव, सवाल, और शिकायत पर अमल करने के लिए हम आपके लिए हमेशा तत्पर है। कृपया नीचे comment कर हमें बिना किसी संकोच के अपने विचार बताए हम शीघ्र ही जबाव देंगे।