समाज और समुदाय (samaj or samuday)
samaj or samuday me antar;व्यक्ति की सामाजिक प्रवृत्ति एवं सामाजिक संबंधों के परिणामस्वरूप विकसित होने वाले दो प्रमुख "समाज" तथा "समुदाय" हैं। मानव समाज मे ही समुदायों का विकास होता है। सामाजिक संबंधों की व्यवस्था को समाज कहा जाता है। समाज एक व्यापक अवधारणा है इससे भिन्न "समुदाय" एक सुंकुचित संगठन हैं। व्यक्तियों के एक विशिष्ट समूह को समुदाय कहते है। समुदाय का एक निश्चित भौगोलिक क्षेत्र होता हैं। समुदाय के सभी सदस्यों के आपसी संबंध घनिष्ठ होते हैं तथा उनके रीति-रिवाज, रूचियों आदि समान होते हैं। समुदाय का एक विशिष्ट नाम होता हैं। समाज और समुदाय मे कुछ समानताएं होते हुए भी कुछ मौलिक अन्तर भी हैं-----समाज और समुदाय में अंतर (samaj or samuday me antar)
1. समुदाय मूर्त अवधारणा हैं, जबिकि समाज का स्वरूप अमूर्त हैं।2. समुदाय व्यक्तियों का समूह होता हैं, जबकि समाज सामाजिक सम्बन्धों के जाल को कहते हैं।
3. समुदाय का क्षेत्र सीमित होता हैं, जबिकि समाज का क्षेत्र विस्तृत होता हैं। इसी विशालता के कारण समाज मे अनेक समुदाय होते हैं।
4. स्थानीयता समुदाय की अनिवार्य आवश्यकता है, समाज के लिए स्थानीयता अनिवार्य नही हैं।
5. समुदाय का आधार "सामुदायिक भावना" होती है, जबकि तर्क और बुद्धि पर आधारित होता हैं।
6. समुदाय सामान्य जीवन और असमानताओं पर आधारित होता हैं; जबकि समाज मे समानताएं और विभिन्नाएं दोनों पाई जाती हैं।
7. समुदाय का विशिष्ट नाम होता है, जबकि समाज का कोई विशिष्ट ना नही होता हैं।
8. सहयोग समुदाय की अनिवार्य आवश्यकता हैं। समाज मे सहयोग की प्रधानता के साथ ही साथ संघर्ष भी पाया जाता हैं।
9. समुदाय विशिष्ट संस्कृति और सामाजिक विरासत पर आधारित होते है, किन्तु समाज मे अनेक संस्कृतियां और विविधताएं पाई जाती हैं।
10. समुदाय सीमित उद्देश्यों की पूर्ति करते हैं, जबकि समाज विस्तृत उद्देश्यों पर आधारित होते हैं।
11. समाज औपचारिक सम्बन्धों पर आधारित होते है, जबकि समुदाय का आधार व्यक्तियों के बीच पाये जाने वाले अनौपचारिक सम्बन्ध होते हैं।
12. समाज मे व्यक्ति अपने विस्तृत उद्देश्यों की पूर्ति करता हैं, जबकि समुदाय मे व्यक्ति के उद्देश्य सीमित होते हैं।
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