nidarshan arth paribhasha aavyashkta mahatva;वर्तमान में निदर्शन का महत्व या उपयोगिता दिनों-दिन बढ़ती जा रही हैं। इस सिद्धान्त का प्रतिपादन एवं विकास तीव्रगति से हो रहा हैं। संयुक्त राष्ट्रसंघ मे इसकी उपयोगिता को देखते हुए एक उप-आयोग की स्थापना की गई है, जिसका उद्देश्य निदर्शन के माध्यम से अधिकाधिक उपयोगी समंको को संग्रहीत करना हैं।
आज हम इस लेख मे निदर्शन क्या हैं? निदर्शन किसे कहते हैं? निदर्शन पद्धित का अर्थ, निदर्शन की परिभाषा, निदर्शन की पद्धतियाँ, निदर्शन की आवश्यकता अथवा निर्देशन का महत्व जानेंगे।
निदर्शन पद्धित का अर्थ (nirdeshan ka arth)
जब कभी किसी जनसंख्या (इकाई, वस्तु या मनुष्यों का समूह) मे किसी चर का विशिष्ट मान ज्ञान करने के लिए उसकी कुछ प्रतिनिधि इकाईयों का चयन कर लिया जाता है, तो इसे चुनने की क्रिया को निदर्शन कहते हैं तथा चुनी हुई इकाइयों के समूह को निर्देश कहते हैं।
दूसरे शब्दों में, "निदर्शन, अनुसंधान की वह पद्धति है, जिसमे समस्त अनुसंधान क्षेत्र से कुछ का चुनाव इस प्रकार कर लिया जाता है कि वह सम्पूर्ण अनुसंधान का प्रतिनिधित्व करेगा और उसके द्वारा जो निष्कर्ष प्राप्त होंगे, वे सम्पूर्ण क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करेंगे।"
अब हम निदर्शन के अर्थ के बाद निदर्शन की विभिन्न विद्वानों द्धारा दी गई परिभाषा को जानेंगे।
दूसरे शब्दों में, "निदर्शन, अनुसंधान की वह पद्धति है, जिसमे समस्त अनुसंधान क्षेत्र से कुछ का चुनाव इस प्रकार कर लिया जाता है कि वह सम्पूर्ण अनुसंधान का प्रतिनिधित्व करेगा और उसके द्वारा जो निष्कर्ष प्राप्त होंगे, वे सम्पूर्ण क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करेंगे।"
अब हम निदर्शन के अर्थ के बाद निदर्शन की विभिन्न विद्वानों द्धारा दी गई परिभाषा को जानेंगे।
निदर्शन पद्धित की परिभाषा (nirdeshan ki paribhasha)
श्री बोगार्डस के अनुसार, "निदर्शन रीति एक पूर्व-निर्धारित नियोजन के अनुसार इकाइयों के एक वर्ग मे से एक निश्चित प्रतिशत का चुनाव हैं।"
श्री फ्रेंक याटन के अनुसार, "निदर्शन शब्द का उपयोग सिर्फ किसी सम्पूर्ण वस्तु की इकाइयों के एक निश्चित सेट या अंश के लिए किया जाना चाहिए, जिसको इस विश्वास के साथ लिया या चुना गया है कि वह सम्पूर्ण का प्रतिनिधित्व करेगा।"
गुडे एवं हाट के अनुसार,"एक निदर्शन जैसा कि नाम से स्पष्ट है कि विशाल समग्र का छोटा प्रतिनिधि है।"
निदर्शन की परिभाषा के बाद अब हम निदर्शन की पद्धतियां जानेंगे।
गुडे एवं हाट के अनुसार,"एक निदर्शन जैसा कि नाम से स्पष्ट है कि विशाल समग्र का छोटा प्रतिनिधि है।"
निदर्शन की परिभाषा के बाद अब हम निदर्शन की पद्धतियां जानेंगे।
निदर्शन की पद्धतियाँ
1. सविचार या उद्देश्यपूर्ण निदर्शन
2. दैव निदर्शन
3. विस्तृत निदर्शन
4. मिश्रित अथवा स्तरित निदर्शन
5. अन्य पद्धतियां
(A) कोटा निदर्शन
(B) बहु-चरण निदर्शन
(C) बहु स्तरीय निदर्शन
(D) सुविधानुसार निदर्शन
(E) स्वयं निर्वाचित निदर्शन
2. दैव निदर्शन
3. विस्तृत निदर्शन
4. मिश्रित अथवा स्तरित निदर्शन
5. अन्य पद्धतियां
(A) कोटा निदर्शन
(B) बहु-चरण निदर्शन
(C) बहु स्तरीय निदर्शन
(D) सुविधानुसार निदर्शन
(E) स्वयं निर्वाचित निदर्शन
निर्देशन की आवश्यकता अथवा महत्व (nidarshan ki aavshakata)
निदर्शन पद्धित की आवश्यकता या महत्व निम्नलिखित हैं--1. शुद्ध निष्कर्षों की प्राप्ति
निर्देशन प्रणाली से जो निष्कर्ष प्राप्त होते है वे विश्वसनीय होते हैं क्योंकि इस प्रणाली मे अनुसन्धानकर्ता का ध्यान कुछ इकाइयों पर केन्द्रित होता हैं।
निर्देशन प्रणाली से जो निष्कर्ष प्राप्त होते है वे विश्वसनीय होते हैं क्योंकि इस प्रणाली मे अनुसन्धानकर्ता का ध्यान कुछ इकाइयों पर केन्द्रित होता हैं।
2. व्यय की बचत
निदर्शन अपव्यय को रोकता है। समग्र पद्धति मे प्रत्येक व्यक्ति से सम्पर्क स्थापित किया जाता है, अतः अधिक की बर्बादी होती है। लेकिन निदर्शन मे कुछ चुने हुए प्रतिनिधियों को आधार मानकर किया जाता है, अतः निदर्शन अत्यधिक व्यय की बचत होती हैं।
3. समय की बचत
निदर्शन मे समग्र का अध्ययन न करके केवल कुल प्रतिनिधि इकाईयों का ही अध्ययन किया जाता है। अतः समय कम लगता हैं।
4. विश्वसनीयता
प्रो. नी स्वैंगर ने लिखा है कि " निदर्शन के लिए चुनी हुई कुछ इकाइयां अपेक्षाकृत अधिक शुद्धता से संग्रहीत की जा सकती है और अनुसंधान की संगणना विधि की अपेक्षा अधिक शुद्ध निष्कर्ष प्रदान कर सकती है। इस प्रकार निदर्शन द्वारा किये गये निष्कर्ष विश्वसनीय कहे जा सकते है।
5. प्रशासनिक सुविधा
निदर्शन पद्धति की संख्या कम रहती है। इस कारण अनुसंधान संगठन भी सरल हो जाता है। कार्यकर्ताओं की नियुक्ति उन पर नियंत्रण, संवाददाताओं से सम्पर्क तथा सम्पूर्ण सर्वेक्षण की प्रशासनिक व्यवस्था मे सुविधा होती हैं।
6. एक वैज्ञानिक पद्धति
निदर्शन एक वैज्ञानिक पद्धति है। इस पद्धति द्वारा निष्कर्षों की जांच अन्य निष्कर्ष से की जा सकती है।
7. अधिक गहन अध्ययन
निदर्शन मे इकाईयों की संख्या अपेक्षाकृत कम होती है, इसलिए अधिक समय तक अधिक गहन अध्ययन किया जाता है। सामाजिक अनुसन्धान मे अधिक गहन अध्ययन की आवश्यकता पड़ती हैं।
यह भी पढ़ें; निदर्शन के प्रकार
निदर्शन अपव्यय को रोकता है। समग्र पद्धति मे प्रत्येक व्यक्ति से सम्पर्क स्थापित किया जाता है, अतः अधिक की बर्बादी होती है। लेकिन निदर्शन मे कुछ चुने हुए प्रतिनिधियों को आधार मानकर किया जाता है, अतः निदर्शन अत्यधिक व्यय की बचत होती हैं।
3. समय की बचत
निदर्शन मे समग्र का अध्ययन न करके केवल कुल प्रतिनिधि इकाईयों का ही अध्ययन किया जाता है। अतः समय कम लगता हैं।
4. विश्वसनीयता
प्रो. नी स्वैंगर ने लिखा है कि " निदर्शन के लिए चुनी हुई कुछ इकाइयां अपेक्षाकृत अधिक शुद्धता से संग्रहीत की जा सकती है और अनुसंधान की संगणना विधि की अपेक्षा अधिक शुद्ध निष्कर्ष प्रदान कर सकती है। इस प्रकार निदर्शन द्वारा किये गये निष्कर्ष विश्वसनीय कहे जा सकते है।
5. प्रशासनिक सुविधा
निदर्शन पद्धति की संख्या कम रहती है। इस कारण अनुसंधान संगठन भी सरल हो जाता है। कार्यकर्ताओं की नियुक्ति उन पर नियंत्रण, संवाददाताओं से सम्पर्क तथा सम्पूर्ण सर्वेक्षण की प्रशासनिक व्यवस्था मे सुविधा होती हैं।
6. एक वैज्ञानिक पद्धति
निदर्शन एक वैज्ञानिक पद्धति है। इस पद्धति द्वारा निष्कर्षों की जांच अन्य निष्कर्ष से की जा सकती है।
7. अधिक गहन अध्ययन
निदर्शन मे इकाईयों की संख्या अपेक्षाकृत कम होती है, इसलिए अधिक समय तक अधिक गहन अध्ययन किया जाता है। सामाजिक अनुसन्धान मे अधिक गहन अध्ययन की आवश्यकता पड़ती हैं।
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Shakhiki anushada me nirdharshan kyu aaoseka hai
जवाब देंहटाएंTypes of sampling ni h 😐
जवाब देंहटाएंHai to 4 typs
हटाएंIsme to prakaar hi ni diye h
जवाब देंहटाएंJi ha iti last year ke exam ki chuchana de ki pepar kab se he
जवाब देंहटाएंEska pura answers kun Nhi nikal raha hai
जवाब देंहटाएंPura anbswer nhi nikal rha h
हटाएंVidhiyo ni diye h
जवाब देंहटाएंAapke Sbhi post bhut hi achhe hai 🙏thank you
जवाब देंहटाएंNirdeshan ke upyog
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