समाचार किसे कहते है? (samachar ka arth)
समाचार पत्रकारिता का प्राण-तत्व है। व्यक्ति की ज्ञान-पिपासा तब शांत होती है जब वह समाचार पढ़ लेता है अथवा सुन लेता है। प्रातःकालीन नित्य-क्रिया का एक विभिन्न अंग नवीन समाचारों की जानकारी पाना है, क्योंकि यह आधुनिक जीवन की एक अनिवार्यता है जिसमें सभी लोगों की रूचि रहती है। पहले जब दो-चार व्यक्ति मिलते थे तब पारिवारिक तथा धार्मिक चर्चा होती थी। अब तो आस-पास, देश तथा विदेश से संबंधित समाचारों पर टीका-टिप्पणी शुरू हो जाती है।
समाचार को अंग्रजी में न्यूज कहा जाता है जो न्यु का बहुवचन है। ये लेटिन के 'नोवा' एवं संस्कृत के 'नव' से बना है। कहने का तात्पर्य यही है कि जो नित्य-नूतन हो, वही समाचार है।
हेडन के कोश के अनुसार," समस्त दिशाओं की घटना को समाचार' की संज्ञा से अभिहित किया जाता है। 'न्यूज' के चार अक्षर चार दिशाओं के आरंभिक अक्षर है-- N-North (उत्तर), E-East (पूर्व), W-West (पश्चिम) तथा S-South (दक्षिण)। उत्तर, पूर्व, पश्चिम तथा दक्षिण की घटनाओं को समाचार समझना ही इसका अभिप्राय है।
समाचार शब्द की व्युत्पत्ति 'सम्-आचार्-यज्' है, जिसका आशय आचरण करना या व्यवहार बतलाना है। सम्यक्आचरण के अनुरूप ही जब निष्पक्ष भाव से तथ्यों की सूचना प्रदान की जाती है तब वह समाचार समझा जाता है।
'सूचना', संवाद', खबर', 'विवरण' तथा 'वृत्तांत' समाचार के पर्याय है। अमरकोश में वृत्ति, उदन्त तथा प्रवृत्ति-ये चार शब्द समाचार हेतु प्रयुक्त हुए है। इस समस्त शब्दों से किसी घटना की संपूर्ण जानकारी देने का भाव स्पष्ट होता है।
समाचार की परिभाषा (samachar ki paribhasha)
श्री. रा. र. खाडिलकर के विचारानुसार," दुनिया में कहीं भी किसी समय कोई छोटी-मोटी घटना अथवा परिवर्तन हो, उसका शब्दों में जो वर्णन होगा, उसे समाचार अथवा खबर कहते है।"
प्रोफेसर विलियम जी. ब्लेयर कहते है," कई व्यक्तियों की अभिरूचि जिस सामयिक बात मे हो, वह समाचार है। सर्वश्रेष्ठ समाचार वह है जिसमें बहुसंख्यकों की अधिकतम रूचि हो।"
प्रोफेसर चिल्टनबरा लिखते है," समाचार प्रायः वह उत्तेजक सूचना है जिससे कोई व्यक्ति संतोष अथवा उत्तेजना प्राप्त करता है।"
जे. जे. सिडलर के मतानुसार," पर्याप्त संख्या में मनुष्य जिसे जानना चाहे वह समाचार है, शर्त यह है कि वह सुरूचि तथा प्रतिष्ठा के नियमों का उल्लंघन न करें।"
ब्रिटेन के 'मानचेस्टर गार्जियन' के विचारनुसार," समाचार किसी अनोखी अथवा असाधारण घटना की अविलंब सूचना को कहते है जिसके बारे में लोग प्रायः पहले कुछ न जानते हों, लेकिन जिसे तुरंत ही जानने की अधिक से अधिक लोगों में रूचि हो।"
वस्तुतः उपर्युक्त विचारों से यह निष्कर्ष निकलता है कि सरस, रूचिपूर्ण, सामयिक तथा सत्य सूचना ही समाचार है।
समाचार की परिधि
समाचार की परिधि में विविधता मौजूद है। समाचार की परिधि छोटी नही बल्कि विस्तृत है, क्योंकि समाचारों में बहुत कुछ होता है। हम यहाँ पर उनकी चर्चा कर रहे है--
1. नवीनता
समाचार का प्रधान तत्व नवीनता है। प्रकृति के यौवन का श्रृंगार करेंगे कभी न बासी फूल'- जयशंकर प्रसाद की इस उक्ति के अनुसार बासी समाचार समाचार-पत्रों को गौरवान्वित करने में असमर्थ रहते है। दैनिक समाचार-पत्रों में एक दिन तथा साप्ताहिक समाचार-पत्रों में एक सप्ताह के बाद समाचार मुद्रित करने पर समाचारत्व नही रह जाता। यहां तात्पर्य यही है कि नया से नया समाचार पाठकों को अपनी ओर आकर्षित करता है, जबकि देर होने पर वह निस्तेज हो जाता है।
2. सत्यता
समाचार को किसी घटना का सत्य-सत्य, परिशुद्घ तथा संतुलित विवरण मूल्यवान और प्रभावशाली बनाता है। वास्तव में सत्य से विमुख होकर समाचार-पत्र में समाचार प्रकाशित करना समाचार की आत्मा को नष्ट करना है। उसका मूल मंत्र 'सर्व सत्ये प्रतिष्ठितम्' है।
3. सामीप्य
दूरस्थ की बड़ी दुर्घटना से निकटस्थ घटित कोई लघु घटना बहुत महत्वपूर्ण होती है।
4. सुरुचिपूर्णता
समाचार-पत्र में पाठकों की रूचि को आकर्षित तथा प्रभावित करने वाले समाचार ज्यादा पठनीय होते है, क्योंकि 'यदेव रोचते यस्मै भवेत्ततस्य सुन्दरम्' की ही जगत में मान्यता तथा प्रधानता है।
5. वैयक्तिकता
उच्च पदों पर कार्य करने वाले व्यक्तियों का भाषण समाचार बन जाता है। यदि साधारण व्यक्ति की अप्रत्याशित उपलब्धि हो तो वह भी समाचार है, जैसे कि एक निर्धन व्यक्ति की दो लाख की लाटरी निकल आये।
6. संख्या एवं आकार
किसी वायुयान-दुर्घटना में ज्यादा संख्या में मरने वाले तथा घायल यात्रियों का समाचार महत्वपूर्ण है, जबकि साधारण-सी किसी घटना को समाचार की दृष्टि से महत्व प्रदान नही किया जाता, वरन् साधारण घटना समाचार की दृष्टि से गौण है।
6. संशय एवं रहस्य
संशय एवं रहस्य से भरे हुए समाचारों के विषय में पाठकों की अत्यधिक जिज्ञासा तथा रूचि होती है।
समाचार की परिधि के अंतर्गत उपर्युक्त विशेषताओं के अलावा रोमांस, संघर्ष, उत्तेजना, स्पर्धा, वैशिष्ट्य-परिणाम, नाटकीयता, आर्थिक-सामाजिक परिवर्तन, मानवीय गुणों का उद्रेक, असाधारण तथा उद्भावना भी मौजूद रहती है, जिनके कारण पाठक का समाचार-पत्र के समाचारों के प्रति सहज ही आकर्षण पैदा होता है।
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