8/07/2021

गद्य शिक्षण के उद्देश्य, महत्व

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विद्यालय में हिन्दी भाषा पढ़ने वाले विद्यार्थियों को पद्य तथा गद्य दोनों की ही शिक्षा दी जाती है। गद्य का क्षेत्र बहुत ही विशाल है-- नाटक, उपन्यास, आलोचना, निबंध एवं कहानी आदि सभी इसके अंतर्गत आते है। 

गद्य शिक्षण के सामान्य उद्देश्य 

गद्य शिक्षण के सामान्य उद्देश्य इस प्रकार है-- 

1. विद्यार्थियों के सुक्ति भण्डार एवं शब्द भण्डार का विकास करना।

विद्यालय में हिन्दी भाषा पढ़ने वाले विद्यार्थियों को पद्य तथा गद्य दोनों की ही शिक्षा दी जाती है। गद्य का क्षेत्र बहुत ही विशाल है-- नाटक, उपन्यास, आलोचना, निबंध एवं कहानी आदि सभी इसके अंतर्गत आते है। 

गद्य शिक्षण के सामान्य उद्देश्य 

गद्य शिक्षण के सामान्य उद्देश्य इस प्रकार है-- 

1. विद्यार्थियों के सुक्ति भण्डार एवं शब्द भण्डार का विकास करना।

2. विद्यार्थियों मे गति-यति-लय, आरोह-अवरोह एवं विराम चिन्हों के साथ-साथ वाचन की क्षमता का विकास करना। 

3. विद्यार्थियों में गद्य शिक्षा के माध्यम से सांस्कृतिक विचारों का ज्ञान प्रदान करना। 

4. विद्यार्थियों में स्पष्टता, क्रमबद्धता एवं संगमता का विकास करना। 

5. विद्यर्थियों के शब्द उच्चारण को शुद्ध करना।

6. विद्यर्थियों में प्राप्त ज्ञान को प्रकाशित करने की योग्यता को विकसित करना। 

7. विद्यार्थियों में इतनी क्षमता पैदा करना कि वे शब्दों एवं मुहावरों का उचित प्रयोग कर सके।

8. विद्यार्थी स्वयं पाठ को ठीक तरह समझ सकें एवं दूसरों को भी ठीक तरह से समझा सकें।

9. विद्यार्थियों की रचनात्मक शक्ति को विकसित करना, जिससे कि उनके व्यक्तित्व का पूर्ण विकास हो सके। 

10. विद्यर्थियों में स्पष्ट अर्थ समझने की शक्ति को विकसित करना।

11. विद्यार्थियों में कलापूर्ण ढंग से वाचन करने की क्षमता विकसित करना।

12. विद्यार्थियों को गद्य की विभिन्न शैलियों का ज्ञान कराना।

13. विद्यार्थियों की तार्किक एवं मनन करने की शक्ति को विकसित करना।

14. विद्यार्थियों में तर्क, विचार एवं कल्पना शक्ति का विकास करना।

15. विद्यार्थियों को गद्य के माध्यम से वैज्ञानिक, मनोवैज्ञानिक एवं अन्य विविध विषयों का ज्ञान कराना।

16. विद्यार्थियों मे भौगोलिक, ऐतिहासिक एवं सामाजिक गुणों का विकास करना।

17. विद्यार्थियों में भाषा के द्वारा नैतिक एवं चारित्रिक विकास करना।

18. विद्यार्थियों में भाषा से संबंधित ज्ञान की वृद्धि करना। 

गद्य शिक्षण के मुख्य उद्देश्य 

मुख्य उद्देश्य पाठ के अनुसार परिवर्तित होते रहते है। उदाहरण के लिए अगर पाठ विज्ञान से संबंधित है, तब ऐसी दशा में गद्य-शिक्षण का मुख्य उद्देश्य छात्रों में विज्ञान के प्रति रूचि पैदा करना होगा। जो पाठ वर्णन अथवा यात्रा से संबंधित होगा, उसका प्रमुख उद्देश्य छात्रों में प्राकृतिक प्रेम पैदा करना एवं वर्णन तथा भाषा-शैली का ज्ञान करना होगा। मुख्य उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए एक विद्वान सुझाव देते है," किसि पाठ का मुख्य उद्देश्य जानने हेतु अध्यापक को संपूर्ण पाठ को ध्यानपूर्वक पढ़ना चाहिए तथा जानना चाहिये कि यथा पाठ की विषय सामग्री बच्चों के किन संवेगों को जागृत कर सकती है, वह मानव-जीवन के किस पहलू पर प्रकाश डालती है तथा उससे बच्चों के चरित्र के किस अंग को प्रभावित किया जा सकता है।" 

गद्य शिक्षण का महत्व

गद्य शिक्षण भाषा शिक्षण मे सबसे महत्वपूर्ण है। गद्य कवियों की कसौटी है। इसलिए गद्य का पद्य से ज्यादा महत्व हो जाता है। पद्य में कवि की त्रुटि को लय-ताल-यति के कारण एक बार नजर-अंदाज किया जा सकता है पर गद्य में गद्यकार द्वारा अपने गद्य को सुव्यवस्थित रूप से पेश करना पड़ता है। गद्य रचना में लेखक स्वतंत्र होता है। इतिहास, भूगोल, विज्ञान, समाजशास्त्र, उपन्यास, निबंध एवं कहानी आदि विषय गद्य में ही पेश किये जा रहे हैं। 

हिन्दी भाषा शिक्षण में गद्य-शिक्षण का महत्व निम्न है-- 

1. विद्यार्थियों को गद्य शिक्षण की विभिन्न शैलियों का ज्ञान कराना।

2. विद्यार्थियों की प्रतिभा को विकसित किया जाता है।

3. विद्यार्थियों में शब्द कोष की वृद्धि की जाती है।

4. विद्यार्थी गद्य शिक्षण में क्रियाशील बनते है।

5. गद्य शिक्षण को सुनकर विद्यार्थियों को अर्थ ग्रहण करने के योग्य बनाया जाता है।

6. गद्य शिक्षण द्वारा विद्यार्थियों को पठन कला के योग्य बनाया जाता है।

7. गद्य शिक्षण द्वारा विद्यार्थियों की भावात्मक एवं सृजनात्मक शक्ति का विकास किया जाता है।

8. गद्य शिक्षण से विद्यार्थियों में स्वस्थ प्रवृत्ति का विकास होता है।

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