6/18/2021

सहभागी अवलोकन का अर्थ, परिभाषा, गुण, दोष

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सहभागी अवलोकन का अर्थ (sahbhagi avlokan kya hai)

sahbhagi avlokan arth paribhasha visheshta;सहभागी अवलोकन से आश्य ऐसे अवलोकन से है जिसमे अवलोकनकर्ता अवलोकन किये जाने वाले समूह का अवलोकन उसका एक भाग बनकर करता है। वह उस समूह मे जाकर रहता है, उसकी सामान्य गतिविधियों मे अन्य सदस्यों की भाँती भाग लेता है, किन्तु समूह के लोगों को अपने उद्देश्य का आभास नही होने देता अर्थात् वह उन्हें इस बात की जानकारी नही होने देता कि उनके व्यवहार का उसके द्वारा अवलोकन किया जा रहा है, क्योंकि लोगो को यदि यह पता चल जाये कि उनके व्यवहार का अवलोकन किया जा रहा है तो उनके व्यवहार मे स्वाभाविकता नही रहेगी। 

इन्टरनेशनल इनसाइक्लोपीडिया ऑफ द सोशल साइंसेज मे सहभागी अवलोकन के बारे मे कहा गया है कि ऐसे अवलोकन मे अनुसंधानकर्ता जिस बाहरी समूह का अध्ययन कर रहा है उसका वह सदस्य बनने की कोशिश करता है। इसके लिए उसे पुनर्सामाजीकरण के दौर से गुजरना पड़ता है। वह उस समूह की भाषा, व्यवहार, आचरण और तौर-तरीके आदि सिखता है। सहभागी अवलोकन के उद्देश्य की वास्तविक पूर्ति तभी हो पाती है जबकि अवलोकनकर्ता समूह के लोगों मे इतना घुलमिल जाता है कि लोग उसे अपने समूह का ही सदस्य समझने लगते है।

सहभागी अवलोकन की परिभाषा (sahbhagi avlokan ki paribhasha)

पी. एच. मैन के अनुसार," सहभागी अवलोकन प्रायः उस स्थिति की ओर संकेत करता है जहां कि अवलोकनकर्ता अध्ययन किये जाने वाले समूह के साथ उतना ही घनिष्ठ हो जाता है जितना कि उस समूह का कोई सदस्य होता है और उनकी सामान्य क्रियाओं मे हिस्सा लेता है।" 

गुडे एवं हैट के अनुसार," यह विधि तब प्रयुक्त मानी जाती है जबकि अध्ययनकर्ता अध्ययन किये जाने वाले समूह के सदस्य के रूप मे मान्य होने योग्य होता है।"

सिन पाओ यांग के अनुसार," सहभागी अवलोकनकर्ता एक बाहरी व्यक्ति होता है जो कि तात्कालिक रून से उस समूह का आंतारिक व्यक्ति बन जाता है। फलतः वह जिस परिस्थिति का अध्ययन कर रहा है उसके विषय मे एक उत्तम अन्तर्दृष्टि प्राप्त कर लेता है।" 

मोजर के अनुसार," लोगों से यह पूछने की बजाए की वे क्या करते है? अध्ययनकर्ता स्वयं उनकी क्रियाओं को देख सकता है तथा अतिशयोक्ति के कारण होने वाला मिथ्या झुकाव प्रतिष्ठा संबंधी प्रभावो और याद न रख पाने बाबत त्रुटियों से बच सकता है।" 

पाॅलिन यंग के अनुसार," सामान्य अनियंत्रित अवलोकन का प्रयोग करने वाला सहभागी अवलोकनकर्ता उस समूह के जीवन मे रहता है और भाग लेता है जिसका की वह अध्ययन कर रहा है।"

सहभागी अवलोकन के गुण अथवा लाभ (sahbhagi avlokan ke gun)

सहभागी अवलोकन के गुण इस प्रकार हैं--

1. विस्तृत सूचनायें 

सहभागी अवलोकन पद्धति में अध्ययनकर्ता समूह की सभी गतिविधियों में सक्रिय भाग लेता है।  यह सक्रिय सहभागिता सूचना स्त्रोतों को वास्तविक एवं प्रत्यक्ष बनाने के अतिरिक्त उन्हें अधिक विस्तृत भी बनाती है। फलस्वरूप विस्तृत सूचनाओं की प्राप्ति संभव होती है।

2. अधिक विश्वसनीय 

सहभागी अवलोकन पद्धति में चूंकि  अध्ययनकर्ता समस्त घटनाक्रम को अपनी आंखों से देख कर उन्हें लिखता है एवं प्रत्यक्ष रूप से वहां उपस्थित देखी सूचनाओं का संकलन करता है। अतः वे अधिक विश्वसनीय होती है।

3. वास्तविक व्यवहार का अध्ययन 

सहभागी अवलोकन के द्वारा अनुसंधानकर्ता समुदायों के व्यवहारों और जीवन का वास्तविक अध्ययन करता है।  इसका कारण यह है की अनुसंधानकर्ता और सूचनादाता के बीच घनिष्ठ, प्राथमिक और प्रत्यक्ष संबंध स्थापित हो जाते हैं।

4. सरल अध्ययन 

सहभागी अवलोकन आंकड़े संकलन करने की एक सरल विधि है। इसमें सबसे कठिन कार्य समूह की सदस्यता ग्रहण करना होता है और अगर यह कार्य सफलतापूर्वक कर लिया जाए तो वास्तविक व्यवहार का अध्ययन करना सफल हो जाता है। क्योंकि अध्ययनकर्ता को बार-बार अध्ययन क्षेत्र में नहीं जाना पड़ता इसलिए यह एक सुविधा पूर्ण अध्ययन विधि है।

5. अध्ययनकर्ता की कुशलता मे वृद्धि 

साथ-साथ रहने के कारण अवलोकनकर्ता  समूह के व्यवहारों तथा क्रियाओं से परिचित हो जाता है।  वह प्रत्येक परिवर्तन को तुरंत भाग लेता है और इस प्रकार अवलोकनकर्ता की दृष्टि अत्यंत पैंनी हो जाती है। दूसरे शब्दों में कहें तो उसमें अवलोकन शक्ति का विकास हो जाता है, व मानव संबंधों को समझने की क्षमता बढ़ जाती है।

6. प्रत्यक्ष अध्ययन 

इस पद्धति में सामाजिक परिस्थितियों का प्रत्यक्ष अध्ययन संभव होता है। क्योंकि अध्ययनकर्ता अध्ययन के अंतर्गत सम्मिलित किए गए समूह में एक अस्थाई सदस्य के रूप में रहता है और समूह के सदस्यों के साथ घनिष्ठ व अनौपचारिक संबंध स्थापित करता है। इसीलिए वह समूह के सदस्यों के व्यवहारों क्रियाकलापों घटना आदि का प्रत्यक्ष अध्ययन सफलतापूर्वक कर सकता है।

7. सुविधाजनक विधि 

सहभागी अवलोकन सुविधाजनक होता है। अध्ययनकर्ता चूंकि समूह का सदस्य बन जाता है। अतः उसे एक सदस्य की हैसियत से सभी मामलों में बिना किसी प्रतिबंध के देखने-सुनने या हिस्सा लेने और सभी आयोजनों अवसरों, कार्यों में सम्मिलित होने का अवसर मिलता है। इसलिए सहभागी  अवलोकन सुविधाजनक होता है।

8. सूक्ष्म एवं गहन अध्ययन 

इस अध्ययन पद्धति में चूंकि अध्ययनकर्ता को सहभागी होना पड़ता है। अतः उसके लिए यह संभव हो जाता है कि वह घटनाओं का सूक्ष्म एवं गहन अध्ययन कर सकें। इस प्रविधि के अंतर्गत अवलोकनकर्ता अवलोकित समूह का सदस्य बनकर समूह के लोगों के बीच रहता है।  उसके प्रत्येक दिन के क्रियाकलापों में भाग लेता है। समूह के उत्सवों, त्योहारों, पारिवारिक-कार्यक्रमों, विवाह की रस्में आदि में भाग लेता है। इस प्रकार अध्ययनकर्ता को समूह के संबंध में गहन व सूक्ष्म जानकारी प्राप्त हो सकती है।

सहभागी अवलोकन की सीमाएं या दोष (sahbhagi avlokan dosh)

सहभागी अवलोकन की सीमाएं या दोष इस प्रकार है--

1. पूर्ण सहभागिता संभव नही

स्तरित समुदाय में सहभागी अवलोकन लाभप्रद नहीं होता। क्योंकि यदि वह एक वर्ग के जीवन में सहभागी बन जाता है तो दूसरा वर्ग अवलोकनकर्ता को सहभागी बनने से रोक देता है। उदाहरण के लिए यदि अवलोकनकर्ता समुदाय के एक वर्ग हरिजनों के सामाजिक जीवन में भाग लेता है। तो स्वर्ण जाति के लोग उसे अपने सामाजिक जीवन में भाग लेने की अनुमति नहीं देंगे और ना ही किसी प्रकार की सूचना देना पसंद करेंगे।

2. समयसाध्य

सहभागी अवलोकन पद्धति जिन कारणों से व्ययसाध्य है। उन्ही कारणों से यह समयसाध्य भी है। कभी-कभी तो सहभागी अवलोकन पद्धति से तथ्यों के संकलन मे अनेक वर्ष लग जाते है।

3. अपरिचित गुण का लाभ संभव नही

सामाजिक जीवन में अपरिचित से संपर्क कभी-कभी  सूक्ष्म अध्ययन या निरीक्षण में बाधक होता है। जबकि समूह में अपरिचित होने पर प्रत्येक क्रिया में नवीनता व आकर्षण दिखाई पड़ता है। अतः स्पष्ट है कि सहभागी अवलोकन में अपरिचित गुण का लाभ प्राप्त नहीं हो पाता।

4.खर्चीली पद्धति 

सहभागी अवलोकन विधि अत्यंत खर्चीली है। क्योंकि इस विधि द्वारा अध्ययन करने में बहुत समय लगता है खर्च भी अधिक होता है।

5. सीमित क्षेत्र मे अध्ययन 

सहभागी अवलोकन के द्वारा सीमित क्षेत्र का ही अध्ययन किया जा सकता है। क्योंकि जीवन व्यापार की क्रियाओं में भाग लेना पड़ता है ऐसा करने से सीमित क्षेत्र में ही अध्ययन संभव हो पाता है।

6. विस्तृत ज्ञान मे बाधक

सहभागिता अवलोकन के अंतर्गत अवलोकनकर्ता के समस्त प्रयास किसी क्षेत्र अथवा समुदाय विशेष तक ही सीमित रहते हैं। इस कारण विस्तृत क्षेत्र के बारे में उसके ज्ञान का विकास अवरुद्ध हो जाता है। इसका मूल कारण अवलोकन का सीमित क्षेत्र के अंतर्गत केंद्रीयकरण है। जो अवलोकनकर्ता के ज्ञान के विस्तार में बाधक है।

7. अवलोकनकर्ता का प्रभाव 

अवलोकनकर्ता चूंकि विशेषज्ञ होता है और समाजशास्त्री तो विशेष रूप से इस दृष्टि से महत्व रखता है। समूह के लोग उसे उच्च स्तर देते हैं। धीरे-धीरे स्वयं अपने विचारों और क्रियाओं से समूह को प्रभावित करने लगता है। इस प्रकार समूह का व्यवहार ही उसकी इच्छाओं के अनुरूप बदलने लगता है। अतः स्वभाविक व्यवहार का अध्ययन करने का प्रयोजन ही नष्ट हो जाता है।

8.भूमिका सामंजस्य की समस्या 

सहभागी अवलोकन में अनुसंधानकर्ता को दो अलग भूमिका निभाने पड़ती है। प्रथम अवलोकनकर्ता की तथा दूसरी समूह के सक्रिय सदस्य की। यह जरूरी नहीं है कि अनुसंधानकर्ता इन दो विपरीत भूमिकाओं में सामंजस्य रख सके। अगर सामंजस्य नहीं रखा जा सकता है तो अध्ययन में अनेक कठिनाइयां आ सकती हैं।

9. सीमित उपयोग 

सहभागी अध्ययन सभी प्रकार के समूहों में उपयोग में नहीं लाया जा सकता। उदाहरण के लिए अपराधियों का अध्ययन सहभागी अवलोकन के द्वारा नहीं किया जा सकता। स्वयं अपराधी बनकर अवलोकन करना खतरे से खाली नहीं होता।

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