अल्पकालिक स्मृति क्या हैं? (alpkalik smriti ka arth)
alpakalik smriti arth visheshta prakar;अल्पकालिक स्मृति का अर्थ ऐसी स्मृति से हैं जो बहुत कम अवधि के लिये होती हैं। व्यक्ति किसी का मोबाइल नंबर याद करता है लेकिन कुछ समय के बाद जब वह सोचता है कि नंबर डाॅयल किया जाए, परन्तु वह उस नंबर को भूल जाता हैं। इसी प्रकार के अनुभव सभी व्यक्तियों को होते रहते हैं जो कि अल्पकालिक स्मृति को दर्शाता हैं। यह कार्यकारी स्मृति (Working memory), सक्रिय स्मृति (Active memory), तात्कालिक स्मृति (Immediate memory) और प्राथमिक स्मृति (Primary memory) के रूप में जानी जाती हैं। अल्पकालिक स्मृति में सूचना कुछ ही सेकण्ड के लिए रहती हैं। पीटरसन और पीटरसन के अनुसार सूचना अधिक से अधिक 18 सेकण्ड के लिए रहती हैं। यदि इस दौरान सूचना का अभ्यास किया जाए तो यह दीर्घकालिक स्मृति में जा सकती हैं।
चैपलिन के अनुसार," अल्पकालिक स्मृति उस स्मृति को कहते हैं जिसका सत्ताकाल (Duration) छोटा होता हैं तथा जिसकी क्षमता भी सीमित होती हैं।"
ए. एस. रेबर के अनुसार," अल्पकालिक स्मृति की क्षमता अपेक्षाकृत सीमित होती हैं, लगभग सात एकांशों की क्षमता होती हैं।"
अल्पकालिक स्मृति की विशेषताएं (alpakalik smriti ki visheshta)
अल्पकालिक स्मृति के संबंध में जो अध्ययन किये गये, उनके आधार पर इसकी निम्न मुख्य विशेषताओं की जानकारी प्राप्त हुई, जिनका विवरण निम्नलिखित हैं--
1. अति अल्प सत्ति काल
अल्पकालिक स्मृति में सत्ताकाल (Duration) अति अल्प होता हैं। यह स्मृति बहुत ही कम अवधि के लिये होती हैं। अधिकांशतः मनोवैज्ञानिकों के अनुसार, यह स्मृति केवल कुछ ही सेकण्ड के लिये होती है और फिर समाप्त हो जाती हैं।
2. सीमित स्मृति विस्तार
अल्पकालिक स्मृति में सीमित स्मृति विस्तार होता हैं। चैपलिन के अनुसार, अल्पकालिक स्मृति का स्मृति विस्तार 5 से लेकर 9 एकांश तक होता हैं।
3. रिहर्सल का अभाव
अल्पकालिक स्मृति में सूचनाओं के आदान-प्रदान की प्रक्रिया इतनी तीव्र गति से होती हैं कि रिहर्सल असंभव हो जाता हैं अतः अल्पकालिक स्मृति में रिहर्सल का अभाव होता हैं।
4. विघटन की संभावना
अल्पकालिक स्मृति में विघटन की संभावाना अधिक होती हैं क्योंकि इस प्रकार की स्मृति में सूचनायें सरलता से भंग हो जाती हैं।
5. अकूटबद्ध सूचनायें
अल्पकालिक स्मृति की सूचनायें अकूटबद्ध (Uncoded) होती हैं। जब संवेदी सूचनायें अल्पकालिक स्मृति के अंदर आती हैं तो वे असम्बद्ध तथा अकूटबद्ध होती हैं तथा वे वहाँ अधिक समय तक न रूकते हुये कुछ ही सेकण्ड बाद या तो बाहर निकल कर समाप्त हो जाती हैं या दीर्घकालिक स्मृति में चली जाती हैं।
6. धारणा में द्रुत ह्रास
अल्पकालिक स्मृति के विस्मरण की गति अपेक्षाकृत तीव्र होती हैं क्योंकि इनमें संचयन तथा कूट संकेतन की प्रक्रियाएँ सन्निहित नहीं होती हैं। पेटरसन एवं पेटरसन (1959) के प्रयोग से इस कथन को समर्थन मिलता हैं।
7. प्रयासों के बीच अन्तराल
यह भी पाया गया है कि यदि प्रयासों के बीच अन्तराल दीर्घ हो तो अल्पकालिक स्मृति अधिक प्राप्त होती हैं। इससे स्मृति चिन्हों को संगठित होने का अवसर मिलता है और धारणा-प्रतिशत बढ़ता हैं।
8. अवरोध का प्रभाव
अल्पकालिक स्मृति पर अग्रोन्मुख एवं पृष्ठोन्मुख अवरोध का भी प्रभाव पड़ता हैं। मरडाॅक (1961) ने इसी आधार पर पिटरसन एवं पिटरसन (1959) के प्रयोग पर आपत्ति की थी। अण्डरवुड (1962) के भी अध्ययन से इसकी पुष्टि होती हैं।
9. अल्पकालिक स्मृति में अभ्यास से वृद्धि
अल्पकालिक स्मृति की मात्रा में अभ्यास के अवसर बढ़ने से वृद्धि होती हैं। इसमें प्रत्यक्ष अभ्यास एवं अव्यक्त अभ्यास (Mental rehearsal) दोनों सहायक माने गये हैं। पिटरसन एवं पिटरसन के प्रारंभिक प्रयोग, एबिंगहास (1913), पोस्पमैन (1962) तथा हेयलर (1962), के परिणाम इसकी पुष्टि करते हैं।
अल्पकालिक स्मृति के प्रकार (alpakalik smriti ke prakar)
अल्पकालिक स्मृति (STM) को दो प्रकार का माना गया हैं। इन्हें तात्कालिक स्मृति एवं क्रियात्मक स्मृति कहते हैं। अल्पकालिक स्मृति के इन दो प्रकारों का विवरण निम्नलिखित हैं--
1. तात्कालिक स्मृति
अधिगम की किसी परिस्थिति में कोई व्यक्ति एक बार में जितने अंकों या अक्षरों को सही-सही दुहरा लेता हैं, उसे तात्कालिक स्मृति कहते हैं। अवधान विस्तार (Span of attention) के प्रयोगों द्वारा इसका मापन सरलता से कर सकते हैं। इसमें अंक या अक्षर समुच्चय (Set) प्रस्तुत किये जाते हैं। इनमें संख्या अलग-अलग होती हैं। प्रयोज्य उन्हें सुनने के बाद तुरंत दुहराता हैं। सामान्यतः लोग 7+2 (सात धन या ऋण दो) अंक तक दुहरा पाते हैं। इसीलिए इसे 'जादुई अंक सात' (Magical number seven) भी कहा जाता हैं।
2. क्रियात्मक स्मृति
यह वह स्मृति है जो सूचनाओं की छानबीन इस प्रकार करती हैं कि उसका स्वरूप परिवर्तित हो जाता हैं। बैड्डले (Baddley, 1950) का मत है कि अल्पकालिक स्मृति में कुछ विशेष प्रकार की प्रक्रियाएँ सक्रिय होती हैं। यह केवल एक अस्थाई संचयन प्रणाली नहीं हैं। इसमें सूचनाओं का संप्रेषण (Maintenance) होता रहता है और इस कार्य में 'सक्रिय अवधान नियंत्रक' (Active attention controller) सहायता करता हैं। चाक्षुष (Visual) एवं श्रवणात्मक (Auditory) सूचनाओं के लिए अलग-अलग तंत्र (Systems) होते हैं। इनमें श्रवणात्मक सूचनाओं का संप्रेषण करने वाले तंत्र को ध्वनिग्रामीय लूप (Phonological loop) कहते हैं।
चित्रात्मक स्मृति
स्मृति संबंधी यह विशिष्ट योग्यता हैं। यह योग्यता लगभग 5% बच्चों में ही पाई जाती हैं। आयु बढ़ने के साथ इसमें कमी आती हैं। ऐसी योग्यता के बच्चे नौ या उससे अधिक अंकों को भण्डारित कर सकते हैं। रैथस (1984) के अनुसार, किसी सूचना या दृश्य को अधिकतम स्पष्टता तथा विस्तार के साथ याद कर सकना चित्रात्मक स्मृति हैं। हैबर (Haber, 1980) ने इसका सफल मापन करने हेतु कुछ चित्रों का निर्माण भी किया हैं। चित्रों को 20-30 से 0 तक दिखाते हैं। इसके बाद उसे हटा देते हैं। बाद में चित्र का मध्य भाग दिखाते हैं एवं प्रश्न करते हैं, " क्या दिखाई पड़ रहा हैं?"
बच्चे चित्र का सही विवरण दे देते हैं।
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