6/21/2020

हित समूह/दबाव समूह का अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं

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हित समूह का अर्थ,  हित समूह किसे कहते है? (samuh kise kahte hai)

हित-समूह शब्द का प्रयोग एक विशेष अर्थ मे लिया जाता हैं। सामान्यतया हित-समूह किसी बड़े समूह का एक छोटा भाग होता है जिसके सदस्य अपने किसी अथवा कतिपय हितों के संवर्धन के लिये प्रभाव या शक्ति का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रयोग करते हैं।
हित समूह और दबाव समूह
हित समूह मे सदस्यों के बीच औपचारिक संबंध होते है जो हित अनुसार अल्पकाल अथवा दीर्घकाल तक चलते है। हित समूह मे व्यक्ति किसी अथवा किन्ही विशिष्ट हित या लाभ, जिसके प्रति वे सचेत होते है और जिसके लिये वे प्रयत्नशील होते है, को लेकर एक दूसरे से संबद्ध होते है। ये हित व्यक्तियों (अथवा सदस्यों) के लिये कूछ महत्व रखते है और इतने अस्थायी नही होते कि उनकी प्राप्ति के लिए लोग उदासीन हो जायें। जिन हितों को लेकर लोग हित समूह में संबद्ध होते हैं, को छोड़कर अन्य बातों मे सदस्यों मे भिन्नता हो सकती है किन्तु यह भिन्नता इतनी अधिक नही होती जिससे कि हित समूह की संबध्दता मे बाधा उपस्थित हो। समान हित की वजह से हित समूह के सदस्यों मे एकता व संगठन का विकास होता है जिसके अभाव मे वे अपना काम नही करा सकते।

दबाव समूह का अर्थ, दबाव समूह किसे कहते है? (dabav samuh kaise kahte hai)

मावन अपने हित के कारण किसी विशेष समूह मे आ जाता है। एक विशेष प्रकार के हित वालों का एक विशेष समूह बनता है उसे हित समूह कहते है। हित समूह अपने हितों को पूर्ण करने के लिए शासन पर दबाव डालते है तो वे दबाव समूह मे बदल जाते हैं।
एच. जैगलर के अनुसार " दबाव गुट ऐसा संगठित गुट है, जो अपने सदस्यों को सत्ता से दूर रखते हुए भी, शासकीय निर्णयों को प्रभावित करना चाहता हैं।
ओडीगार्ड के अनुसार " एक दबाव समहू ऐसे लोगों का औपचारिक संगठन है, जिनके एक अथवा अधिक सामान्य उद्देश्य एवं स्वार्थ हो और जो घटनाक्रम मे विशेष रूप से सार्वजनिक नीति के निर्माण और शासन को इसलिए प्रभावित करने का प्रयत्न करे कि उनके अपने हितों की रक्षा और वृद्धि हो सके।
एल्फ्रेड जी. ग्रेजिया के अनुसार " दबाव समूह एक ऐसा संगठित सामाजिक समूह है जो सरकार पर औपचारिक नियंत्रण किए बिना राजनीति अधिकारियों के व्यवहार को प्रभावित करने की कोशिश करता है।
आयरिश तथा प्राथरो के अनुसार " दबाव समूह चुनावी मुकाबले मे विधिवत प्रवेश के बिना सरकारी नीति-निर्णयों को प्रभावित करने का एक संगठित प्रयास है।
फ्रांसिस केसेल्स के शब्दों मे " दबाव समूह का तात्पर्य व्यक्तियों के ऐसे समूह से है जो शायकीय विधियों के माध्यम से या उनके बिना ही राजनीतिक परिवर्तन लाने का प्रयास करता है। 
जब हित समूह अपने हितों की रक्षा व संवर्धन के लिये दबाव की नीति अपनाते है तो वे दबाव समूह कहे जाते है। दबाव समूह शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम पीटर ओडगार्ड ने दबाव की राजनीति के अध्ययन के संदर्भ मे किया। गुट भी दबाव समूह हो सकता हैं बशर्ते वह गुट के सदस्यों के हितों की पूर्ति के लिए दबाव की राजनीति का सहारा ले। किन्तु यह जरूरी नही है कि हमेशा ऐसा हो ही।
गुट कभी-कभी गुट अस्तित्व का अहसास कराने अथवा विशुद्ध राजनीति की दृष्टि से राजनीति कर सकता है। ऐसी स्थिति मे गुट दबाव समूह नही हैं। कोई समूह दबाव समूह तभी कहा जाता हैं, जबकि वह अपनी शक्ति या प्रभाव का इस्तेमाल दबाव के रूप मे प्रशासनिक नीतियों या राजनैतिक निर्णय को अपने हितों (चाहे वह सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक, राजनैतिक या इनमें कुछ या सभी प्रकार के हों) अनुकूल कराने मे करें।
दबाव समूह का आधार क्षेत्रीय हित, भाषायी हित, धार्मिक या जातीय हित, आर्थिक या वर्ग संबंध हित अथवा राजनैतिक हित हो सकता हैं।

दबाव समूह की विशेषताएं (dabav samuh ki visheshta)

1. विशिष्ट हितों की प्राप्ति के लिए निर्माण 
दबाव समूहों के व्यापक अथवा सामान्य हित नही होते। इनके हित सीमित और वर्गीय होते है। ये वर्गीय हित आर्थिक, सामाजिक अथवा सांस्कृतिक होते है। दबाव समूह अपने ही हितों के लिए काम करते है। इसके लिए वे संबंधित लोगों को अपने साथ जोड़ते है।
2. अनौपचारिक रूप से संगठित 
दबाव समूहों की प्रकृति प्रायः अनौपचारिक होती है। मायनर वीनर दबाव समूहों को " सरकारी ढांचे के बाहर ऐच्छिक रूप से संगठित समूह" कहते है। कुछ दबाव समूह औपचारिक रूप से भी गठित होते है जैसे " अखिल भारतीय ट्रेंड यूनियन " मजदूर संघ, अखिल भारतीय कृषक संघ, आदि। 
3. दबाव समूह गैर राजनीतिक होते है
फाइनर ने दबाव समूहों के इस पक्ष पर ज्यादा जोर दिया है। उनके अनुसार, दबाव समूह गैर राजनीतिक, तटस्थ तथा स्वायत्त संगठन होते है। दबाव समूहों की सत्ता संघर्ष मे प्रत्यक्ष भागीदारी नही होती पर हाँ दबाव समूह राजनीतिक दलों पर अपनी संख्या बल के आधार पर यह तो दबाव डालते है कि सत्ता मे आने के बाद उनके हितों के अनुरूप कार्य करे। इस रूप मे वे राजनीतिक परिणामों को प्रभावित करने का प्रयत्न करते है। राजनीति मे नही पर राजनीति से लाभ लेने की मानसिकता उनमे रहती है।
4. संवैधानिक और संवैधानिक साधनों का प्रयोग 
दबाव समूह के सामने मुख्य लक्ष्य अपने हितों की प्राप्ति है इसके लिए दबाव समूह संवैधानिक और संवैधानिक दोनों प्रकार के साधनों का प्रयोग करते है।
5. सीमित सदस्यता 
दबाव समूह की सदस्यता सीमित होती है इसका कारण यह है कि इनके हित भी सीमित होते है, इसलिए इनकी सदस्यता सीमित होती है।
6. अलोकतांत्रिक देशों मे भी दबाव समूह होते है
अलोकतांत्रिक देशों की शासन व्यवस्था को प्रभावित करने के लिए वहाँ भी दबाव समूह होते है। यद्यपि अलोकतांत्रिक देशों मे उनकी कार्यविधि लोकतांत्रिक देशों की तुलना मे भिन्न होती है।
7. शासन सत्ता पर अधिकार उद्देश्य नही 
दबाव समूहों का उद्देश्य शासन सत्ता पर अधिकार करना नही है पर शासन सत्ता से अपने हितों की रक्षा करना और उन्हें प्राप्त करना अवश्य है। वे बाहर से ही शासन सत्ता को प्रभावित करते है। समय आने पर दबाव भी बनाते है और समर्थन भी करते है।
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