क्रांति किसे कहते है? क्रांति का अर्थ (kranti ka arth)
क्रांति से आश्य मौलिक, अकस्मात एवं तेज गति से होने वाले परिवर्तनों से है जो वस्तु मे आमूल बदलाव को जन्म देता हैं। विकास जहाँ लम्बे समय तक धीरे-धीरे वस्तु मे रूपांतरण लाता है, क्रांति अकस्मात तेजी से सब कुछ बदल देती है। सामाजिक क्रांति सामाजिक ढांचे मे, राजनैतिक क्रांति राजनैतिक ढांचे मे और आर्थिक क्रांति आर्थिक ढांचे मे मौलिक एवं आमूल बदलाव लाती है। बुध्द की सामाजिक-सांस्कृतिक क्रांति फ्रांस की राज्य क्रांति और सोवियत रूस की समाजवादी क्रांति ने क्रमशः सामाजिक, राजनैतिक व आर्थिक ढांचे मे आमूल बदलाव लाया।क्रांति की परिभाषा (kranti ki paribhasha)
आगबर्न एवं निमकाॅक " क्रांति संस्कृति मे द्रुतगामी परिवर्तन है जो कुछ विस्तार के लिए होता हैं।किम्बाल यंग " क्रांति एक ऐसा आकस्मिक सामाजिक परिवर्तन है जो साधारणतः वर्तमान राजनीतिक व्यवस्था के बलपूर्वक उलट जाने से उत्पन्न होता है और जिसके फलस्वरूप सामाजिक तथा कानून नियंत्रण के नये स्वरूपों की स्थापना होती है।
क्रांति की विशेषताएं (kranti ki visheshta)
1. क्रांति का उद्देश्य मनुष्यों की मनोवृत्तियो को तीव्र गति से परिवर्तन करना है।2. क्रांति तभी सम्भव है जबकि सामाजिक व्यवस्था और सांस्कृतिक व्यवस्था के बीच अंतर उत्पन्न हो जाये।
3. क्रांति वह परिवर्तन है जिसके द्वारा समाज मे पाये जाने वाले विभिन्न वर्गों और समूहों की सामाजिक स्थितियों मे परिवर्तन हो जाता है।
4. क्रांति चेतन प्रयत्नों के द्वारा किया गया परिवर्तन है।
5. क्रांति वर्तमान के प्रति असंतोष का फल नही है। प्रचलित समाज व्यवस्था और मूल्य व्यवस्था के स्थान पर नवीन समाज रचना का कार्यक्रम लोगों के सामने होना जरूरी है।
6. सामाजिक जीवन को निर्धारित और संचालित करने मे संस्थाओं, सामाजिक मूल्यों और सामाजिक मनोवृत्तियो का प्रमुख हाथ होता हैं। मूल्य और मनोवृत्तियाँ भी सामाजिक संस्थाओं के माध्यम से विकसित होती है। अतः सामाजिक क्रांति का अभिप्राय सामाजिक संस्थाओं के वर्तमान स्वरूप को समाप्त करना ही है।
7. क्रांति के लिए आवश्यक है कि समाज के अधिकांश व्यक्ति वर्तमान सामाजिक दशाओं को पूर्ण रूप मे बदलने के लिए जागरूक होकर सक्रिय प्रयत्न करे।
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