प्रश्न; पश्चिमीकरण की अवधारणा एवं विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
अथवा", पश्चिमीकरण से आप क्या समझते है?
अथवा", पश्चिमीकरण क्या हैं स्पष्ट कीजिए।
उत्तर--
पश्चिमीकरण की अवधारणा अत्यन्त ही व्यापक होते हुए भी जटिलता लिए हुए है। इसमे भारतीय समाज मे होने वाले उन सभी परिवर्तनों को सम्मिलित किया जाता हैं जो पश्चात सभ्यता से प्रभावित होकर हुए हैं। एम. एन. श्रीनिवास ने अपनी पुस्तक 'आधुनिक भारत में सामाजिक परिवर्तन' में अंग्रेजों के लंबे समय तक शासनकाल के दौरान भारतीय समाज से संपर्क होने के कारण जो परिवर्तन समाज और संस्कृति में उत्पन्न हुए उस प्रक्रिया को पश्चिमीकरण के रूप में समझाया हैं।
आज इस लेख मे हम पश्चिमीकरण का अर्थ, पश्चिमीकरण की परिभाषा और पश्चिमीकरण की विशेषताएं जानेंगे।
पश्चिमीकरण का अर्थ (paschimi karan kya hai)
पाश्चात्य संस्कृति के रंग मे रंगने की प्रक्रिया को पश्चिमीकरण कहा जाता हैं। पश्चिमीकरण अनुकरण की प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया के द्वारा भारतीय व्यक्ति पश्चिमी सभ्यता और संस्कृति का अनुकरण करते हैं।
पश्चिमीकरण की प्रक्रिया के द्वारा भारत मे पश्चिमी संस्कृति का प्रसार किया गया है। यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके कारण किसी गैर-पश्चिमी समाज की संस्थाओं, ज्ञान, विश्वास, तथा मूल्यों मे परिवर्तन स्वाभाविक हो जाता हैं।
एम. एन. श्रीनिवास के शब्दों में," 150 वर्षों के अंग्रेजी राज के कारण भारतीय समाज तथा संस्कृति में होने वाले परिवर्तनों हेतु मैंने पश्चिमीकरण शब्द का प्रयोग किया हैं एवं यह शब्द प्रौद्योगिकी, संस्थाओं, विचारधारा तथा मूल्य आदि विभिन्न स्तरों पर होने वाले परिवर्तन को आत्मसात करता हैं।
पश्चिमीकरण की परिभाषा (paschimi karan ki paribhasha)
प्रो.एम.एन.श्रीनिवास ने पश्चिमीकरण की परिभाषा इस प्रकार से दी हैं, " मैंने पश्चिमीकरण शब्द को अन्य स्थान पर ब्रिटिश राज्य के डेढ़ सौ वर्षों के शासन के परिणामस्वरूप भारतीय समाज और संस्कृति मे उत्पन्न हुए परिवर्तन के लिए योग किया है और शब्द औधोगिक संस्थाओं, विचारधाराओं और मूल्यों-विभिन्न स्तरों पर उत्पन्न होने वाले परिवर्तनों को सम्मिलित करता है।"
लिंच के अनुसार," पश्चिमीकरण में आता है पश्चिमी पोशाक, खान-पान, तौर-तरिके, शिक्षा, विधियों, खेलों और मूल्य की स्वीकृत।"
योगेन्द्र सिंह के अनुसार," मानवतावाद तथा बुद्धिवाद पर जोर पश्चिमीकरण का है, जिसने भारत में संस्थागत तथा सामाजिक सुधारों का सिलसिला प्रारंभ किया। वैज्ञानिक, औद्योगिक तथा शिक्षण संस्थानों की स्थापना, राष्ट्रीयता का उदय, देश में नवीन राजनीतिक संस्कृति और नेतृत्व सब पश्चिमीकरण के प्रतिफल हैं।"
पश्चिमीकरण की विशेषताएं (paschimi karan ki visheshta)
पश्चिमीकरण की निम्नलिखित विशेषताएं हैं--
1. नैतिक तटस्थता
पश्चिमीकरण के परिणाम अच्छे या बूरे दो ही हो सकते है। पश्चिमीकरण की प्रक्रिया नैतिक रूप से तटस्थ होती है। पश्चिमीकरण के विषय मे किसी तरह का मूल्यांकन निर्णय नहीं दिया जा सकता। आधुनिकीकरण का प्रयोग अच्छे परिवर्तन के लिये किया जाता हैं, लेकिन पश्चिमीकरण का प्रयोग अच्छे ता बूरे होने को सूचित नही करता।
2. सीमित अवधारणा
पश्चिमीकरण की सीमाएं निश्चित होती है। अर्थात् कि पश्चिम से जो कुछ भी अनुकरण करते है उसके बारे मे यह कहना गलत होगा की इसकी उत्पत्ति पश्चिम मे हुई है।
उदाहरण--
1. ईसाई धर्म की उत्पत्ति एशिया मे हुई थी।
2. दशमलव की पद्धति का अविष्कार सबसे पहले भारत के वैज्ञानिकों ने किया था।
3. छापाखाना तथा प्रेस का आविष्कार सबसे पहले चीन में हुआ था।
पश्चिमीकरण इसलिए भी एक सीमित अवधारणा है कि पश्चिम में जितने भी देश आते हैं, इन सभी में मौलिक रूप से सांस्कृतिक भिन्नताएँ विद्यमान हैं।
3. चेतन-अचेतन प्रक्रिया
पश्चिमीकरण चेतन एवं अचेतन दोनो प्रकार की प्रक्रिया हैं। कई पश्चिमी सांस्कृतिक तत्वों को हमने अचेतन रूप मे हमारे जीवन मे सम्मिलित किया है और सामाजिक परिवर्तन चेतन रूप से देखने को मिलता हैं।
4. भौतिकवाद
भौतिकवाद पश्चिमीकरण की मुख्य विशेषता हैं। पश्चिमीकरण की प्रवृत्ति में अध्यात्मवाद का विशेष महत्व नहीं हैं। इस अवधारणा के अनुसार व्यक्ति को इस लोक के जीवन को सुखी बनाने का भरसक प्रयास करना चाहिए। परलोक की चिंता नहीं करनी चाहिए।
5. एक प्रक्रिया
पश्चिमीकरण एक प्रक्रिया है जिसके माध्यम से पाश्चात्य रहन-सहन, विचार और संस्कृति को अपनाया जाता है। कभी-कभी व्यक्ति जान-बूझकर करता हुए पश्चिमी विचार और संस्कृति को अनपना लेता है।
6.पश्चिमी संस्कृति अंग्रेजों द्वारा लायी गई
इस प्रक्रिया के अंतर्गत उन समस्त सांस्कृतिक तत्वों के प्रभाव को सम्मिलित किया गया है जिन्हें अंग्रेज शासक अपने साथ लाये थे। ईसाई धर्म की उत्पत्ति एशिया मे हुई हुई थी लेकिन इसे भारत में अंग्रेज लाये थे।
7. एक वैज्ञानिक अवधारणा
पश्चिमीकरण की अवधारणा एक वैज्ञानिक अवधारणा है क्योंकि मूल्य की दृष्टि से यह एक तटस्थ धारणा हैं। इसके द्वारा हम समाज में घटित होने वाले किसी भी परिवर्तन का विश्लेषण कर सकते हैं।
8. अनेक प्रारूप
पश्चिमीकरण के प्रारूप हमें रूस, अमेरिका तथा विभिन्न यूरोपीय राष्ट्रों में देखने को मिलते हैं। अंग्रेजों ने भारतीयों को पश्चिमी संस्कृति के विभिन्न धार्मिक, आर्थिक, राजनीतिक तथा भौतिक पक्षों से परिचित कराया। सभी प्रारूपों में कुछ तत्व समान रूप से पाये जाते है। भारत में अंग्रेजी आदर्श ही विद्यमान है, परन्तु वर्तमान में अमेरिकी और रूसी प्रारूप काफी प्रभावशाली हो रहे हैं।
9. जटिल प्रक्रिया
पश्चिमीकरण एक जटिल प्रक्रिया है। इसमे भारतीय समाज मे होने वाले उन सभी परिवर्तनों को सम्मिलित किया जाता है जो पाश्चात्य औधोगिक और आधुनिक विज्ञान के परिणामस्वरूप होते है। पश्चिमीकरण की प्रक्रिया जटिल होने के साथ ही बहुस्तरीय भी है। पश्चिमीकरण की अवधारणा से भारतीय समाज एवं संस्कृति मे होने वाले बहुस्तरीय परिवर्तनों का बोध होता हैं।
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Good job koi shikayt nhi
जवाब देंहटाएंPashchimi Karan ka arth bataiye
जवाब देंहटाएंपश्चिमीकरण का अर्थ बताइए अ पश्चिमीकरण का अर्थ अच्छे से बताइए लिखा हुआ इसका मतलब पश्चिमीकरण का मतलब क्या होता है
च्छे से समझ में नहीं आ रहा है
वैश्वीकरण का अर्थ कब लेकर आएगा
जवाब देंहटाएंजो क्वेश्चन पूछा है उस क्वेश्चन का आंसर बताइए
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