सामाजिक मूल्य का अर्थ (samajik mulya ka arth)
मूल्य किसी संस्कृति के सारभूत तत्व है जो उसकी अभौतिक विशेषताओं को अभिव्यक्त करते है। मूल्य समाज मे लोगों को यह बताते है कि उनके लिये क्या उचित और महत्वपूर्ण है।प्रत्येक समाज मे मावन व्यवहार के संचालन, नियंत्रण एवं निर्देशन के लिए कुछ आदर्श एवं लक्ष्य होते है, जिनके प्रित समाज के सभी सदस्य श्रध्दा रखते है और उसके अनुकूल अपना व्यक्तिगत एवं सामाजिक जीवन व्यतीत करते है। ये आदर्श या लक्ष्य एक प्रकार के सामाजिक मानदंड होते है जो समाज के सदस्यों को उचित-अनुचित, योग्य-अयोग्य, भला-बूरा नैतिक-अनैतिक, पाप-पुण्य आदि की व्याख्या करने मे सहायक होते है। ये सामाजिक मानदंड सामाजिक जीवन के विभिन्न पक्षों व क्रियाओं जैसे परिवार, विवाह, जाति वर्ग, धर्म, राजनीति आर्थिक जीवन आदि से सम्बंधित होते है। ये मापदंड मनुष्य के ज्ञानात्मक, भावात्मक तथा क्रियात्मक तीनों पक्षों से संबंधित कार्यकलापों को वांछिच दिशा की ओर निर्देशित करते रहते है। इन्हीं सामाजिक मानदंडों को सामाजिक मूल्य कहते हैं।
मूल्य वास्तव मे अमूर्त सामान्य अवधारणायें, विचार अथवा मान्यताये है जिन्हे समाज अच्छा और वांछनीय समझता है। आदर्श-निमय व्यवहार व आचरण के दिशा-निर्देश या नियम है जो सामाजिक मूल्यों पर आधारित होते है। दूसरे शब्दों मे, समाज की इच्छाओं, लक्ष्यों (अर्थात् मूल्यों) जिन्हें समाज उचित, अच्छा और वांछनीय समझता है, के आधार पर विभिन्न क्षेत्रों मे सामाजिक क्रियाकलापों को नियंत्रित करने हेतु आदर्श-नियमों का निर्माण होता हैं।
सामाजिक मूल्यों की परिभाषा (samajik mulya ki paribhasha)
वुडस के अनुसार " मूल्य दैनिक जीवन मे व्यवहार को नियंत्रित करने के सामान्य सिध्दान्त है। मूल्य न केवल मानव व्यवहार को दिशा प्रदान करते है अपितु ये अपने आप मे आदर्श एवं उद्देश्य भी है। जहां मूल्य होते है वहां न केवल यह देखा जाता है कि क्या चीज होनी चाहिए बल्कि यह भी देखा जाता है कि वह सही है या गलत हैं।जाॅनसन के अनुसार " समाजशास्त्र में हमारा संबंध उन मूल्यों से है जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सामाजिक संबंधों से संबध्द हो, विशेषरूप से ऐसे नैतिक व धार्मिक मूल्यों से जिन्होंने किसी अंश तक संस्थात्म स्वरूप धारण किया हो।
राबर्ट बीरस्टीड के अनुसार " जब किसी समाज के स्त्री पुरुष अपने ही तरह के लोगों के साथ मिलते है, काम करते है या बात करते है, तब मूल्य ही उनके क्रमबद्ध सामाजिक संसर्ग को संभव बनाते हैं।
उपरोक्त परिभाषाओं से स्पष्ट हैं कि सामाजिक मूल्य समाज के ऐसे प्रतिमान या अवधारणाएं है जिनके आधार पर हम किसी व्यक्ति या वस्तु के गुणावगुण का मूल्यांकन करते है। सामाजिक मूल्यों को व्यक्ति समाजीकरण की प्रक्रिया के द्वारा सीखता है और उन्हीं के अनुरूप व्यवहार करने का प्रयत्न करता है।
आपको यह जरूर पढ़ना चाहिए; समाजशास्त्र का अर्थ, परिभाषा एवं विशेषताएं
आपको यह जरूर पढ़ना चाहिए; समाजशास्त्र की प्रकृति (samajshastra ki prakriti)
आपको यह जरूर पढ़ना चाहिए; समाज का अर्थ, परिभाषा एवं विशेषताएं
आपको यह जरूर पढ़ना चाहिए; समुदाय का अर्थ, परिभाषा एवं विशेषताएं
आपको यह जरूर पढ़ना चाहिए; समाज और समुदाय में अंतर
आपको यह जरूर पढ़ना चाहिए; समिति किसे कहते है? अर्थ, परिभाषा एवं विशेषताएं
आपको यह जरूर पढ़ना चाहिए; संस्था किसे कहते है? संस्था का अर्थ, परिभाषा, कार्य एवं विशेषताएं
आपको यह जरूर पढ़ना चाहिए; सामाजिक समूह का अर्थ, परिभाषा एवं विशेषताएं
आपको यह जरूर पढ़ना चाहिए; प्राथमिक समूह का अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं एवं महत्व
आपको यह जरूर पढ़ना चाहिए; द्वितीयक समूह किसे कहते है? द्वितीयक समूह की परिभाषा विशेषताएं एवं महत्व
आपको यह जरूर पढ़ना चाहिए; प्राथमिक समूह और द्वितीयक समूह मे अंतर
आपको यह जरूर पढ़ना चाहिए; सामाजिक संरचना अर्थ, परिभाषा एवं विशेषताएं
आपको यह जरूर पढ़ना चाहिए; सामाजिक संरचना के प्रकार (भेद)
आपको यह जरूर पढ़ना चाहिए; हित समूह/दबाव समूह किसे कहते हैं? परिभाषा एवं अर्थ
आपको यह जरूर पढ़ना चाहिए; संस्कृति क्या है, अर्थ परिभाषा एवं विशेषताएं
आपको यह जरूर पढ़ना चाहिए;भूमिका या कार्य का अर्थ एवं विशेषताएं
आपको यह जरूर पढ़ना चाहिए; सामाजिक मूल्य का अर्थ और परिभाषा
आपको यह जरूर पढ़ना चाहिए; प्रस्थिति या स्थिति का अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं एवं प्रकार
आपको यह जरूर पढ़ना चाहिए; समाजीकरण का अर्थ, परिभाषा एवं विशेषताएं
आपको यह जरूर पढ़ना चाहिए; समाजीकरण की प्रक्रिया
आपको यह जरूर पढ़ना चाहिए; समाजीकरण के सिद्धांत
आपको यह जरूर पढ़ना चाहिए;सामाजिक नियंत्रण अर्थ, परिभाषा, प्रकार या स्वरूप, महत्व
आपको यह जरूर पढ़ना चाहिए; सामाजिक स्तरीकरण का अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं एवं आधार
आपको यह जरूर पढ़ना चाहिए; सामाजिक गतिशीलता का अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं एवं प्रकार या स्वरूप
आपको यह जरूर पढ़ना चाहिए;सामाजिक परिवर्तन का अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं एवं कारक
आपको यह जरूर पढ़ना चाहिए; क्रांति का अर्थ, परिभाषा एवं विशेषताएं
समाजिकसास्त्र के मूल्ये
जवाब देंहटाएं