11/20/2021

ब्रिटिश संविधान के स्त्रोत

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ब्रिटिश संविधान के स्त्रोत 

british samvidhan ke srot;लिखित संविधान, संविधान सभा के द्वारा निर्मित किया जाता हैं। उसे उप देश के संविधान का स्त्रोत माना जा सकता हैं, लेकिन इंग्लैंड में संविधान बनाने लिए कभी कोई संविधान सभा बुलायी ही नही गई। अतः ब्रिटिश संविधान का कोई एक स्त्रोत नहीं हैं। इंग्लैंड के संविधान के अनेक स्त्रोत हैं। 
मुनरों के शब्दों में," ब्रिटिश संविधान एक प्रलेख नहीं हैं, सैकड़ों प्रलेख हैं, वह एक स्त्रोत से नही, बल्कि अनेक स्त्रोतों निकाला गया हैं।" 
ब्रिटिश संविधान के प्रमुख स्त्रोत निम्नलिखित हैं-- 
1. महान अधिकार-पत्र या ऐतिहासिक प्रलेख 
ब्रिटिश संविधान एक लम्बे समय के ऐतिहासिक विकास का परिणाम है और संविधान विकास के इस लम्बे इतिहास में कुछ युग-प्रवर्तक हुए हैं, जिन्होंने महान अधिकार-पत्र या ऐतिहासिक प्रलेखों को जन्म दिया। इस प्रकार ऐतिहासिक प्रलेखों में 1215 का मैग्नाकार्टा, 1628 का अधिकार याचिका-प्रत्र और 1689 का अधिकार-पत्र सबसे अधिक प्रमुख हैं। 
2. न्यायालयों के निर्णय 
विश्व के प्रत्येक संविधान के विकास में न्यायिक निर्णयों का विशेष महत्व होता हैं। ब्रिटेन में यद्यपि अमेरिका के समान न्यायपालिका शक्तिशील नहीं हैं, तथापि डायसी ने ब्रिटिश संविधान को न्यायाधीशों द्वारा निर्मित संविधान कहा हैं और ब्रिटिश संविधान के विकास में न्यायालयों के निर्णयों का महत्वपूर्ण योगदान रहा हैं। इन्हीं निर्णयों के द्वारा नागरिक स्वतंत्रता वहाँ संभव हो सकी हैं। 
डायसी ने कहा हैं," ब्रिटिश संविधान कानून का परिणाम नही हैं, वरन् व्यक्तियों द्वारा अपने अधिकारों की रक्षा के लिए लाए गए अभियोगों का परिणाम हैं।" 
3. प्रथाएँ और परम्पराएँ 
विश्व के प्रत्येक संविधान में कुछ न कुछ परम्पराएँ अवश्य विकसित होती हैं। ब्रिटिश संविधान चूँकि अलिखित संविधान हैं इसलिए उसमें इन परम्पराओं का विशेष महत्व हैं। 
ब्रिटेन के संविधान की अनेक परम्पराएँ उसका स्त्रोत हैं तथा संसद का अधिवेशन वर्ष में कम से कम एक बार अवश्य होना चाहिए, राजा सदैव अपने मंत्रियों के परामर्श के अनुसार ही कार्य करता हैं, मंत्रिमंडल संसद के प्रति उत्तयदायी होता हैं। प्रधानमंत्री काॅमन्स सभा के बहुमत दल का नेता होता हैं, स्पीकर दलगत राजनीति से अलग होता हैं। संसद द्वारा स्वीकृत विधेयकों पर राजा अवश्य हस्ताक्षर कर देता है। बहुमत का विश्वास खो देने पर मंत्रिमंडल को पद त्याग करना चाहिए। इस प्रकार की अनेक ऐसी परम्पराएँ हैं जिन पर ब्रिटिश संविधान आधारित हैं। स्पष्ट है कि ब्रिटिश संविधान विभिन्न स्त्रोतों से अपने वर्तमान स्वरूप को प्राप्त किए हुए हैं। 
4. सामान्य विधि 
न्यायालय द्वारा स्वीकृत रीति-रिवाज और परम्पराएं ही सामान्य विधि हैं। ब्रिटिश नागरिकों के मूल अधिकार व स्वतंत्रताएं सामान्य विधि पर ही आधारित हैं। 
मुनरो के शब्दों में," सामान्य कानून संसदीय अधिनियमों की भाँति न्यायिक फौजदारी अभियोगों में जूरी व्यवस्था, ब्रिटिश जनता के विचार व्यक्त करने और भाषण स्वतंत्रता के अधिकार आदि सामान्य कानूनों पर ही आधारित हैं।
5. विद्वानों की टीकाएँ 
ब्रिटेन के संविधान के विषय में विभिन्न विद्वानों ने कुछ टीकाएँ लिखी हैं। ये टीकाएँ तथा ग्रंथ ब्रिटिश संविधान के सर्वाधिक महत्वपूर्ण स्त्रोत हैं। जब कभी भी कोई संवैधानिक समस्या उठ खड़ी होती हैं, संसद, न्यायालय तथा विवाद से सम्बद्ध सभी व्यक्ति इन टीकाओं का सहारा लेते हैं। इन टीकाओं तथा ग्रंथों में प्रमुख हैं-- डायसी का का ग्रंथ लाॅ ऑफ दी कांस्टीट्यूशन, बैजहाट का ब्रिटिश संविधान, जैनिंग्ज का विधि और संविधान, सर अर्स्की की पुस्तक संसदीय कार्यपद्धति और चलन, एनसन का लाॅ एण्ड कस्टम्स ऑफ दी कांस्टीट्यूशन, हरबर्ट मारीसन की सरकार तथा संसद, ब्राउन की प्रधानमंत्री की शक्ति आदि पुस्तकें संविधान का अंग बन गई हैं। 
6. संसदीय अधिनियम 
ब्रिटिश संविधान यद्यपि एक अलिखित संविधान हैं, लेकिन अलिखित संविधानों में भी कानूनों का अंश होता है और संसदीय अधिनियम ब्रिटिश संविधान का एक महत्वपूर्ण स्त्रोत हैं। मताधिकार, निर्वाचन पद्धतियों, संसद के दोनों सदनों के पारस्परिक संबंधों और सार्वजनिक अधिकारियों के अधिकारों तथा कर्त्तव्यों आदि के संबंध में संसद के द्वारा समय-समय पर महत्वपूर्ण अधिनियम पारित किये गये हैं और ये संसदीय अधिनियम भी संविधान के स्त्रोत हैं। संसदीय अधिनियमों और परिनियमों में निम्नलिखित प्रमुख हैं- बंदी प्रत्यक्षीकरण कानून, 1679, व्यवस्था अधिनियम, 1701, 1832, 1867 और 1884 के सुधार अधिनियम, 1911 और 1949 के संसदीय अधिनियम, जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1918, वेस्ट-मिनिस्टर अधिनियम, 1931 और राजमुकुट के मंत्रियों का अधिनियम, 1937, आदि।
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