11/25/2021

अमेरिकी प्रतिनिधि सभा के अध्यक्ष/स्पीकर की शक्तियाँ एवं कार्य

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अमेरिकी प्रतिनिधि सभा के अध्यक्ष या स्पीकर की शक्तियाँ एवं कार्य 

अमेरिका की प्रतिनिधि सभा के अध्यक्ष को स्पीकर कहा जाता हैं। अमेरिकी संविधान में प्रतिनिधि सभा के स्पीकर की शक्तियाँ के बारें में उल्लेख नही किया गया हैं। प्रारंभ में प्रतिनिधि सभा का आकार बहुत छोटा था और अध्यक्ष की शक्तियां बहुत कम थीं, लेकिन धीरे-धीरे प्रतिनिधि सभा के अध्यक्ष की शक्तियों में वृद्धि गई और वर्तमान में प्रतिनिधि सभा में बहुमत दल के नेतृत्व का दायित्व स्पीकर पर ही आ गया हैं। अमेरिकी प्रतिनिधि सभा के अध्यक्ष या स्पीकर की शक्तियाँ व कार्य निम्नलिखित हैं--

1. प्रतिनिधि सभा की अध्यक्षता 

स्पीकर प्रतिनिधि सभा की बैठकों की अध्यक्षता करता हैं। बैठक की गणपूर्ति हैं या नहीं यह निश्चित करना भी उसी का कार्य हैं। इसके आलावा अध्यक्ष का कार्य पिछली बैठकों का ब्यौरा तथा उस दिन विशेष की कार्यवाही की घोषणा करना, प्रस्तावों और विधेयकों को सदन के सामने रखने की अनुमति देना, वाद-विवाद के बाद किसी प्रस्ताव या विधेयक पर मत लेना व निर्णय की घोषणा करने का अधिकार भी अध्यक्ष का ही हैं। 

प्रतिनिधि सभा का अध्यक्ष जब कहीं बाहर जाता हैं, तो अपनी अनुपस्थित में सदन की कार्यवाही चलाने के लिए तीन दिन तक किसी भी व्यक्ति को अस्थायी रूप से अध्यक्ष नियुक्त कर सकता हैं। 

2. सदन के नियमों की व्याख्या और उन्हें लागू करना 

अध्यक्ष के द्वारा सदन के नियमों की व्याख्या की जाती हैं तथा उन्हें उन नियमों को लागू भी वही करता हैं। नियमों की व्याख्या करने का उसका अधिकार यद्यपि पूर्ण हैं, लेकिन अपने इस अधिकार के प्रयोग में वह अपनी इच्छा से बहुत-कुछ नहीं कर सकता, क्योंकि उसे उन नियमों के अंतर्गत ही कार्य करना पड़ता हैं जिन्हें 'नियम निर्माण समिति' बनाती हैं। 

3. अनुशासन बनाये रखना 

प्रतिनिधि सभा में अनुशासन को बनाये रखने का कार्य स्पीकर का ही हैं। सदन में शांति और व्यवस्था को बनाए करना उसकी ही जिम्मेदारी हैं। इसके लिए वह सारजेंट की सहायता ले सकता है और जिन दीर्घाओं से शोथ हो रहा हैं, उनको वह खाली करवा सकता हैं। वह सदस्‍यों को चेतावनी दे सकता हैं कि सदस्‍य शिष्ट भाषा का प्रयोग करें। अव्यवस्था की स्थिति होने पर वह सदन की बैठक को स्थगित भी कर सकता हैं। 

4. विधेयकों व प्रस्तावों पर हस्ताक्षर 

प्रतिनिधि सभा के अध्यक्ष द्वारा सदन में पारित सभी विधेयकों, प्रस्तावों, आदशों, प्रलेखों व वारण्टों पर हस्ताक्षर किये जाते हैं। इसके पश्चात ही इन प्रस्तावों और आदेशों को वैधता की स्थिति प्राप्त होती हैं। इसके अलावा अध्यक्ष द्वारा सदन के निर्णयों की सूचना संबंधित अधिकारियों तक पहुँचायी जाती हैं। ताकि वे उन्हें लागू कर सके। वह अधिकारियों को यह आदेश भी दे सकता हैं कि वे सदन या उसकी किसी समिति विशेष की आवश्यक जानकारी या सूचना एकत्रित करें। 

5. दल के नेता के रूप में कार्य 

प्रतिनिधि सभा का अध्यक्ष होने के साथ-साथ वह अपने दल का भी नेता होता हैं। दल का नेता होने के नाते वह स्वयं दल के नेता के रूप में भाषण दे सकता हैं, सदस्यों का दिशार्निर्देशन भी कर सकता हैं। जब सदन संपूर्ण सदन समिति के रूप में एकत्रित होता हैं, उस समय स्पीकर 'अध्यक्ष' नही होता। वह भी सदन में अपने दल का नेता होता हैं और इस रूप में वाद-विवाद में सक्रिय रूप से भाग लेता हैं। 

6. सदस्यों को बोलने की अनुमति  देना 

सदन में वहीं सदस्य बोल सकता है जिसे अध्यक्ष बोलने की अनुमति देता हैं। वह भाषणों का क्रम भी निर्धारित करता हैं। 

7. निर्णायक मत देने का अधिकार 

स्पीकर को निर्णायक मत देने का अधिकार होता हैं। वह हमेशा इस अधिकार का प्रयोग अपने दल के हित में करता हैं। 

8. परिणामों की घोषणा 

विधेयकों पर बहस के बाद वह सदन में मतदान करवाता हैं, मतों को गिनता हैं तथा उनके परिणामों की घोषणा करता हैं।

अमेरिकी स्पीकर की वास्तविक स्थिति 

अमेरिका में प्रतिनिधि सदन के अध्यक्ष का पद बहुत ही महत्वपूर्ण एवं प्रतिष्ठा का पद हैं। राष्ट्रपति के बाद उसका दूसरा सम्मानित स्थान हैं। यदि राष्ट्रपति का पद किसी तरह रिक्त हो जाये तो उपराष्ट्रपति के बाद उसका नम्बर आता हैं। 

लंकास्टर के मतानुसार," निश्चित ही उसके परामर्श किये बिना देश में कोई महत्वपूर्ण निर्णय नही लिया जायगा।" 

सामान्य परिस्थितियों में वह अपने देश के उच्च राजनैतिक नेताओं में 6 में से एक स्थान रखता है। उसका पद प्रतिष्ठा एवं गौरव का ही पद नही है बल्कि सत्ता और शक्ति का प्रतीक है। संसदात्मक शासन में लोकसत्ता का नेता प्रधानमंत्री होता है पर अध्यक्षात्मक शासन में चूँकि मंत्री प्रतिनिधि सभा में नही बैंठक सकता अतः स्पीकर ही प्रतिनिधि सदन का नेता माना जाता है। प्रारंभ में स्पीकर के पास इतनी महत्वपूर्ण शक्तियाँ थी कि आगे लिखता है कि," एक साधारण-सी चैयरमैनशिप विकसित होकर एक तानाशाह बन गयी, जिसके हाथों मे सदन द्वारा किये जाने वाले कार्य के जीवन का अधिकार आ गया।" उसकी सत्ता के विषय में ब्रोगन ने लिखा है कि," स्पीकर जिसकी अनुमति देता था, वही चीज पास हो जाती थी। स्पीकर जिस पर नही कर देता था वह चीज शान के साथ समितियों में समाप्त कर दी जाती थी।" पर 1911 मे स्पीकर की सत्ता के विरूद्ध क्रांति हो गयी। इस क्रांति ने स्पीकर की तानाशाही को समाप्त कर दिया। पहले उसे 'नियम समिति' से हटाया गया और फिर उसके हाथ से स्थायी समितियों के नाम निर्देशन की शक्ति ले ली गयी। अब यह शक्ति स्वयं सदन के हाथों में हैं। निष्कर्ष यह निकलता हैं कि स्पीकर का पद फिर भी 'प्राचीन और सम्माननीय' दोनों हैं।

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यह जानकारी आपके के लिए बहुत ही उपयोगी सिद्ध होगी

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