ब्रिटिश मंत्रिमंडल की विशेषताएं
ब्रिटेन मन्त्रिमण्डल शासन-व्यवस्था का उद्गम स्थल हैं, जिसका क्रमशः विकास हुआ हैं। हरमन फाइनर के अनुसार," मंत्रिमंडल संसद के बहुमत दल के नेताओं की एक छोटी संस्था है जो संसद में बहुमत प्राप्त होने तक अपने पद पर बने रहते हैं।" ब्रिटिश मंत्रिमंडल दुनिया का दिशा-निदेशक हैं। अतः ब्रिटिश मन्त्रिमण्डल की मूलभूत विशेषताओं पर प्रकाश डालना उपयुक्त होगा।
ब्रिटिश मंत्रिमंडल की निम्नलिखित विशेषताएं हैं--
1. सम्राट मंत्रिमंडल की बैठकों से बाहर
ब्रिटिश मंत्रिमंडल प्रणाली की प्रथम विशेषता यह हैं राजा मंत्रिमंडल की बैठकों में भाग नहीं लेता। ब्रिटिश मंत्रिमंडल मे राजा मंत्रिमंडल की बैठकों से बाहर रहता है। यह परम्परा हनोवर वंश के काल से चली आ रही हैं जब सम्राट ने अंग्रेजी भाषा की अज्ञानता के कारण पर अपने स्थान पर अन्य सदस्य को मंत्रिमण्डल की बैठकों में भेजना प्रारंभ किया। राजा का यही पतिनिधि कालान्तर में प्रधानमंत्री पद का सृजनकर्ता बना और वह धीरे-धीरे वास्तविक कार्यपालिका शक्ति बन गया और राजा नाम मात्र का मुखिया बनकर रह गया। राजा प्रधानमंत्री को नियुक्त करता हैं। प्रधानमंत्री द्वारा नियुक्त मंत्रिमंडल को राजा अपना मंत्रिमंडल नियुक्त कर देता हैं।
2. दो प्रधान
ब्रिटिश मंत्रिमंडल की मुख्य विशेषता यह है कि ब्रिटेन में दो तरह के प्रधान हैं-- एक कार्यपालिका का औपचारिक शासन जिसे सम्राट कहा जाता है और दूसरा कार्यपालिका का वास्तविक प्रधान जो मंत्रिमंडल सहित प्रधानमंत्री के रूप में कार्य करता हैं।
3. गोपनीयता
ब्रिटिश मंत्रिमंडल शासन-प्रणाली की एक महत्वपूर्ण विशेषता गोपनीयता हैं। सन् 1920 में ब्रिटेन में राजकीय गोपनीयता अधिनियम पारित हुआ, जिसके प्रावधानुसार मंत्रिमंडल के सभी मंत्रियों को पद ग्रहण से अपने 'पद की गोपनीयता' की शपथ लेनी पड़ती हैं। शपथ लेने के बावजूद यदि कोई मंत्री गोपनीयता भंग करता है तो मंत्रिमंडल का मुखिया यानि की प्रधानमंत्री उससे त्याग-पत्र माँग सकता हैं।
हाॅलकि ब्रिटिश मंत्रिमंडल की बैठकों में सभी सदस्य इस बात के लिए स्वतंत्र है कि वे अपने विचारों को पूर्ण स्वतंत्रता के बैठक में प्रस्तुत करें। पर उनके लिए यह जरूरी है कि सार्वजनिक रूप से वे केवल उन्हीं बातों को कहें जो मंत्रिमंडल के निर्णयों के अनुकूल हों।
4. प्रधानमंत्री का नेतृत्व
ब्रिटेन में प्रधानमंत्री मंत्रिमंडल का मुखिया तथा प्रमुख नेता होता हैं।
यद्यपि सभी मंत्री समान पदी तथा उनके अधिकार भी समान हैं, फिर भी प्रधानमंत्री का विशिष्ट स्थान होता हैं। क्योंकि मंत्रिमंडल का नेतृत्व प्रधानमंत्री के हाथों में होता हैं। वही इसका सूत्रधार हैं। चूँकि उसी की इच्छानुसार मंत्रिगण मंत्रिमंडल मे शामिल होते हैं। अतः वही उन्हें पदच्युत भी कर सकता हैं। वह सभी मंत्रियों मे प्रमुख समझा हैं। अन्य मंत्री उसकी बात का सम्मान करते हैं। वह बराबर वालों में प्रथम होता हैं।
5. मंत्रिमंडल को लोकसदन के विघटन का अधिकार
मंत्रिमंडल का यह अधिकार है कि मतभेद के समय वह लोकसदन को विघटित करा सकता हैं। अपने किसी कार्य के लिए यदि मंत्रिमंडल संसद् का विश्वास प्राप्त न सके या मंत्रिमंडल द्वारा प्रस्तुत किसी विधेयक को संसद् पारित न कर सके और यदि मंत्रिमंडल यह समझे कि उसे राष्ट्र का समर्थन प्राप्त हैं तो वह लोकसदन को भंग कराके पुनः निर्वाचन करा सकता हैं।
6. सामूहिक उत्तरदायित्व
ब्रिटिश मंत्रिमंडल के सभी मंत्रिगण अपने कार्यों के लिए व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से लोक सदन के प्रति उत्तरदायी होते हैं। सम्राट के प्रति भी जवाबदेह हैं। सैद्धान्तिक तौर पर सम्राट ही मंत्रियों को नियुक्त करता है इसलिए सम्राट के विश्वास-पात्र बने रहने तक ही वे अपने पद बने रह सकते हैं।
ब्रिटेन में एक कहावत प्रचलित हैं," मंत्रिमंडल के सभी सदस्य एक साथ तैरते हैं तथा एक साथ डूबते हैं-- "क्योंकि वे एक-दूसरे के प्रति भी पारस्परिक रूप से जिम्मेदार हैं। एक मंत्री की त्रुटी सबकी त्रुटी मानी जाती हैं। इसलिए मंत्रिमंडल में सामूहिक निर्णय लिए जाते हैं।
7. व्यवस्थापिका व कार्यपालिका में घनिष्ठता
ब्रिटेन में संसदीय या मंत्रिमंडल शासन-पद्धति हैं। यहाँ व्यवस्थापिका, कार्यपालिका व न्यायापालिका का अलग-अलग अस्तित्व होने पर भी व्यवस्थापिका व कार्यपालिका में घनिष्ठ संबंध हैं। व्यवस्थापिका के निचले सदन हेतु निर्वाचित संसद सदस्यों में से मंत्री बनते हैं, जो कि लोकसदन के प्रति उत्तरदायी होते हैं।
ब्रिटिश मंत्रिमंडल का प्रत्येक मंत्री संदद् के किसी न किसी सदन का सदस्य अवश्य होता हैं। अपने प्रत्येक कार्य के लिए वह संसद् के प्रति उत्तरदायी होता हैं। मंत्रिमंडल केवल तभी तक अपने पद पर रह सकता हैं, जब तक उसे लोकसदन का विश्वास प्राप्त रहे।
लास्की के अनुसार," ब्रिटेन का मंत्रिमंडल संसद से पृथक नहीं हैं वरन् उसका एक अभिन्न अंग हैं।"
8. टोली की भावना
ब्रिटिश मंत्रिमंडल 'टीम' के समान कार्य करता हैं। ब्रिटिश मंत्रिमंडल में प्रत्येक लिए सब और सबके के लिए प्रत्येक होता हैं।
यदि शासन को अपने कार्यों में सफलता मिलती हैं, तो पूरी कैबिनेट को उसका श्रेय मिलता है और उसकी प्रशंसा की जाती हैं। इसके विपरीत यदि सरकार की नीतियाँ गलत साबित होती हैं या सरकार से कोई त्रुटी हो जाती है, तो पूरे मंत्रिमंडल की निन्दा की जाती हैं। काॅमन सभा में 'अविश्वास प्रस्ताव' पारित होने पर मंत्रिमंडल के सभी सदस्यों को एक साथ त्याग-पत्र देना पड़ता हैं। इस प्रकार मंत्रिपरिषद् एक राजनीतिक इकाई के रूप में कार्य करती हैं। इसलिए ऐसा कहा जाता हैं कि मंत्रिगण एक साथ तैरते अथवा डूबते हैं।
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