ब्रिटिश लार्ड सभा एक परिचय
यह ब्रिटेन में द्वितीय और उच्च सदन है। इसका निर्माण एवं धीमे विकास हुआ। 1295 के पूर्व ब्रिटेन में एक ही सदन था। पहले ब्रिटेन में प्रतिनिधित्व का अधिकार केवल जमीदारों, जागीरदारों व सामन्तों व महलों को ही था। धीरे-धीरे कददाता व्यापारी वर्ग को प्रतिनिधित्व देना पड़ा। अपने आप को उच्च मानने वाले अभिमानी सामन्त वर्ग ने इन सामान्य लोगों के साथ एक सदन में बैठना उचित नही समझा तो ब्रिटेन में दो सदन क्रमशः उच्च सदन सामन्त सदन (लार्ड सभा) तथा दूसरा सामान्य सभा (हाऊस ऑफ कामन्स) बन गए। अतः यह सामन्त सदन कुलीन तंत्र के मध्ययुगीन सिद्धांत पर संगठित एक रूढ़िवादी पुराना सदन है जो धीरे-धीरे अपना महत्व और वैभव खोता चला गया हैं, मात्र इसका अस्तित्व आज भी ब्रिटिश राजनीति में मौजूद हैं। यद्यपि इसकी अब कोई उपादेयता नहीं रह गई हैं, परन्तु पुरातन पंथी रूढ़िवादी अंग्रेज जाति आज भी इसे मरी हुई बंदरिया के बच्चे की तरह चिपकाये हुए हैं।
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ब्रिटिस लार्ड सभा की शक्तियाँ एवं कार्य
लार्डसभा के कार्यों एवं शक्तियों मे सदैव परिवर्तन होता रहता है। उसकी शक्तियाँ हमेशा एक जैसी नहीं रही हैं। एक समय था जब लार्ड सभा को भी काॅमन सभा के समान ही शक्तियाँ प्राप्त थीं परन्तु वर्तमान में लार्ड सभा की शक्तियाँ इतनी कम हो गई है कि ऑग तथा जिंक का विचार है कि," लार्ड सभा न केवल द्वितीय अपितु द्वितीय श्रेणी का सदन भी हैं। फिर भी लार्ड सभा को कुछ शक्तियाँ प्राप्त हैं।
लार्ड सभा की शक्तियां एवं कार्य निम्नलिखित हैं--
1. व्यवस्थापन संबंधी शक्तियाँ तथा कार्य
व्यवस्थापन की दृष्टि से लार्ड सभा कामन सभा की सहयोगी संस्था हैं। वर्तमान समय में उसकी व्यवस्थापन संबंधी शक्तियाँ प्रभावशील नही हैं। वह केवल अब एक देरी लगाने वाला सदन रह गया हैं।
(अ) साधारण विधेयक
साधारण विधेयक लार्ड सभा में प्रस्तुत किए जा सकते हैं। अनेक अवसरों पर लार्ड सभा में 'साधारण विधेयक' प्रारंभ में प्रस्तावित किये गये हैं तथा लार्ड सभा ने इन पर बड़ा उपयोगी कार्य भी किया है। लोक सदन में यदि विधेयक प्रस्तावित किया जाता हैं तो वहाँ पारित होने के बाद लार्ड सभा में भेजा जाता है लार्ड सभा इन विधेयकों पर उपयोगी सुझाव दे सकती है। तथापि अन्तिम निर्णय शक्ति लोक सदन के पास ही है। 1911 तथा 1949 का एक्ट पारित होने के बाद यह व्यवस्था कर दी गई हैं कि कामन सभा द्वारा स्वीकृत विधेयक को यदि लार्ड सभा पारित न करे तथा काॅमन सभा यदि उसे पुनः पारित कर दे तथा इस बीच एक वर्ष का समय व्यतीत हो गया हो तो वह विधेयक राजा की स्वीकृत के बाद कानून का रूप धारणा कर लेता है। इस प्रकार लार्ड सभा केवल साधारण विधेयकों के पारित होने में एक वर्ष तक की देर लगा सकती हैं।
(ब) वित्त विधेयक
वित्त विधेयक केवल काॅमन सभा मे ही प्रस्तुत किये जा सकते है। कामन सभा में पारित होने के बाद वित्त विधेयक लार्ड सभा में भेजे जाते हैं। लार्ड सभा इन विधेयकों को केवल एक माह तक रोक कर रख सकती है। वित्त विधेयकों के संबंध में लार्ड सभा सुझाव दे सकती हैं, लेकिन इन्हें मानना अथवा न मानना काॅमन सभा की इच्छा पर निर्भर करता हैं। अतः वित्त विधेयकों पर निर्णायक शक्ति काॅमन सभा के पास ही हैं। लार्ड सभा केवल एक माह की देरी लगा सकती हैं।
2. कार्यपालिका संबंधी शक्तियाँ
लार्ड सभा को कार्यपालिका संबंधी अधिकार प्राप्त हैं। ब्रिटिश मन्त्रिमण्डल में कम से कम चार सदस्य अवश्य ही लार्ड सभा से लिये जाते हैं। लार्ड सभा का अध्यक्ष लार्ड चांसलर तो अवश्य ही ब्रिटिश मन्त्रिमण्डल का सदस्य होता है। लार्ड सभा भी कार्यपालिका पर नियंत्रण स्थापित करने का कार्य करती है। लार्ड सभा के सदस्यों को मन्त्रियों से प्रश्न पूछने तथा उनकी नीतियों पर विचार-विमर्श करने का अधिकार प्राप्त होता हैं। लार्ड सभा प्रशासनिक विभागों द्वारा निर्मित कानूनों, जिन्हें "प्रदत्त विधान" कहा जाता है, की जाँच कर सकती है। इस प्रकार मन्त्रिमण्डल के कार्यों की आलोचना करने का अधिकार तो लार्ड सभा के पास है लेकिन अविश्वास का प्रस्ताव पारित कर मन्त्रिमण्डल को पदच्युत करने का अधिकार लार्ड सभा को नही हैं। यह अधिकार केवल काॅमन सभा को हैं।
3. न्यायिक शक्तियाँ
लार्ड सभा की न्यायिक शक्तियाँ अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं। लार्ड सभा ग्रेट ब्रिटेन तथा उत्तरी आयरलैंड के लिए अपील का सर्वोच्च न्यायालय हैं। लार्ड सभा जब अपीलीय न्यायालय के रूप मे कार्य करती है तो उसके सभी सदस्य उसकी बैठकों में भाग नहीं लेते वरन् केवल विधिज्ञ लार्डस ही, जो कि संख्या में 10 होते हैं, भाग लेते हैं जिनकी अध्यक्षता लार्ड चांसलर द्वारा की जाती है। लार्ड सभा का निर्णय अन्तिम होता है तथा उसमें केवल संसद ही कानून द्वारा परिवर्तन कर सकती हैं। उसमें न्यायालय काई परिवर्तन नहीं कर सकते।
लार्ड सभा की आलोचना
ग्रेट ब्रिटेन में किसी अन्य संस्था की इतनी आलोचना नहीं की गई जितनी लार्ड सभा की। मजदूर दल 1907 ई. से लगातार यही कह रहा है कि लार्डसभा की आवश्यकता नही हैं और इसे समाप्त कर देना चाहिए। लार्ड सभा की निम्नलिखित आधार पर आलोचना की जाती हैं--
1. पूंजीपतियों का रक्षक दुर्ग
रेम्जेम्योर के कथानुसार," लार्ड सभा पूंजीपतियों का एक रक्षक दुर्ग हैं।"
सार्वजनिक कंपनियों के संचालकों को जितने स्थान लार्ड सभा में प्राप्त हैं उतने काॅमन सभा में प्राप्त नही हैं। कोई ऐसा राष्ट्रीय उद्योग नहीं है, जिनके नेताओं की लार्ड सभा में सर्वथा अनुपस्थित दिखाई देती हैं।
2. रूढ़वादिता
इस सदन की इस आधार पर आलोचना की गई है कि इसका दृष्टिकोण रूढ़िवादी हैं। लास्की के अनुसार," लाॅर्ड सभा निष्पक्ष नहीं है जो कि अपने समय के लोकमत से स्वतंत्र दृष्टिकोण अपनाती हो। इसकी रचना दक्षिण-पंथी कार्य नीति के आधारभूत भाग हैं और इसी आशय से इसे रखा गया हैं।" इसके उद्देश्य को स्पष्ट करते हुये एक बार बालफोर ने कहा था," सरकारी दल अथवा विरोधी कंजरवेटिव पार्टी स्थायी रूप से सत्ताधारी रहती हैं।"
3. पैतृक आधार पर बनी हुई लाॅर्ड सभा लोकतंत्र में असंगत हैं
लोकतंत्र में पैतृक आधार पर बनी हुई लाॅर्ड सभा असंगत है क्योंकि लोकतंत्र में चुनाव के सिद्धांत को प्रमुखता दी जाती है। लार्ड सभा में लगभग 90% सदस्य अब भी पैतृक आधार पर या सम्राट द्वारा नामजद किये हुए हैं।
4. शक्तिहीन
1911 और 1949 ई. के संसदीय अधिनियमों के पास होने के बाद लाॅर्ड सभा अशक्त हो गई हैं। अब इसके पास धन विधेयकों को रोकने की केवल एक मास तक और साधारण विधेयकों को रोकने की शक्ति एक वर्ष तक रह गई हैं। इसलिए यह काॅमन सभा की निरंकुशता को रोकने में असमर्थ हैं।
5. कुलीनता का प्रतीक
लाॅर्ड सभा कुलीनता का प्रतीक है और यह आश्चर्यजनक बात है कि इंग्लैंड जैसे प्रगतिशील और लोकतंत्रात्मक देश में अभी तक लाॅर्ड सभा जीवित है। आज लोकतंत्र के युग मे लाॅर्ड सभा का कोई लाभ नहीं है और यह काॅमन सभा के काम की पुनरावृत्ति करती हैं।
6. सदस्यों की कम उपस्थित
लाॅर्ड सभा में उपस्थित प्रायः बहुत कम रहती है। इसलिए इसकी गणपूर्ति 3 रखी गयी हैं। लार्ड सभा के सदस्य काफी संख्या में केवल उस समय उपस्थित होते है जब उन्हें किसी प्रगतिशील कानून का विरोध करना हो जैसे 1947 ई. मे जब संसदीय अधिनियम, 1911 का संशोधन करने के लिए द्वितीय वाचन चल रहा था, तो सदन उस बिल को अस्वीकार करने के लिए 205 तथा स्वीकार करने के लिये 34 मत पड़े। इतनी उपस्थित लाॅर्ड सभा मे असाधारण थी। इसलिए बहुत से व्यक्ति कहते है कि लाॅर्ड सभा की कोई उपयोगिता नही है और इसे समाप्त कर देना चाहिए।
7. दोषपूर्ण रचना
लाॅर्ड सभा की रचना दोषपूर्ण है क्योंकि इसमे केवल पूंजीपति होते है और मजदूरों तथा अन्य वर्गों को प्रतिनिधित्व नही मिलता हैं।
8. प्रगतिशील कानूनों में बाधा
ए.एल. राऊज के अनुसार," इसके कार्यों के अध्ययन से पता चलता है कि लाॅर्ड सभा ने केवल अपनी रचना के कारण उन सरकारों के विधायी कार्यक्रम में रोड़ा अटकाया है जो कि उदार अथवा प्रगतिशील थीं, अनेक अवसरों पर उसने कंजरवेटिव सरकारों के उन कानूनों को मान्यता दी है जिनको उदारों की ओर आने पर रद्द कर दिया गया था और उसके एक सदस्य के अनुसार," वह एक स्वतंत्र सदन होने की अपेक्षा कंजरवेटिव अंग के नाते कार्य करता है और उस समय पार्टी के हितों की रक्षा करता हैं जबकि उसके पास सत्ता नहीं होती।"
ब्रिटिश लाॅर्ड सभा का महत्व औचित्य
1. लाॅर्ड सभा ने बड़े-बड़े वक्ता, दार्शनिक एवं राजनीतिज्ञ पैदा किये हैं। बर्क जैसे प्रथम श्रेणी के वक्ता, डीन एवं स्मिथ रीड़िंग, बर्किन हेड टेनीसन, ब्राइस जैसे भिन्न-भिन्न विषयों के प्रकाण्ड पंडीतों के सुझावों से लाॅर्डसभा ने समय-समय पर देश को लाभान्वित किया हैं।
2. लाॅर्ड सभा से भी कुछ मंत्रियों का चयन होता हैं, जैसे विदेश मंत्री।
3. बेजहाट के अनुसार," लाॅर्डसभा देश में क्रांति रोकने में सहायता करती है तथा असंतोष एवं राजनीतिक उथल-पुथल रोकने में मदद देती है। विशेषकर उस समय जबकि कामन्स सभा अन्य विशेष अथवा महत्वपूर्ण कार्यों में लगी हो।"
4. लाॅर्ड सभा इंग्लैंड के शासन का सबसे प्राचीन अंग है, इसे हटाना बड़ा कठिन है क्योंकि वहाँ के शासन का यह एक प्रकार से अविभाज्य अंग हो गयी हैं।
5. इसमें अयोग्य व्यक्ति कठिनाई से ही पहुंच पाते है, जबकि कामन्स सभा में अयोग्य व्यक्ति भी कभी-कभी जनमत के आधार पर चुन जाते हैं, उसका कारण यह है कि काॅमन सभा के चुनाव दल के आधार पर होते है और दल जिस भी व्यक्ति को खड़ा कर देता है जनता उसी को वोट दे देती हैं। दल किसी व्यक्ति को टिकिट उसकी योग्यता के आधार पर न देकर उसके प्रभाव और चुनाव जीतने की संभावना के आधार पर देता हैं।
6. लाॅर्डसभा में ऐसे व्यक्ति होते है जो अपनी योग्यता, बुद्धिमता एवं अनुभव के लिए प्रसिद्ध होते हैं। इसीलिए तो डिजरायली ने एक बार कहा था कि," राजा पीयर्स तो बना सकता हैं परन्तु लाॅर्ड नही।
निष्कर्ष
इस प्रकार यह स्पष्ट है कि समय के प्रभाव से इसकी कुछ उपयोगिता कम अवश्य हो गई है परन्तु इसे इंग्लैंड के वैधानिक एवं प्रशासनिक ढांचे से निकालना बड़ी भूल होगी क्योंकि वह वहाँ के राष्ट्रीय जीवन से सम्बद्ध हैं। समय के अनुसार इसमें सुधार आवश्यक हैं।
वास्तव में ब्रिटेन की लाॅर्डसभा का आधुनिक युग में इस बीसवीं शताब्दी के अंत में कोई महत्व नहीं रह गया हैं अतः यदि ब्रिटेन में द्वितीय सदन की आवश्यकता ही है तो इसका पुर्नगठन किया जाना चाहिए।
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