11/23/2021

अमेरिकी दलीय प्रणाली की विशेषताएं

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अमेरिकी दलीय प्रणाली

संयुक्त राज्य अमेरिका मे दो प्रमुख दल है। दोनों ही राजनीतिक दल राष्ट्रीय स्तर के हैं, परन्तु इनके संगठन का गुरूतत्व केन्द्र राज्यों,  नगरों तथा काउण्टियों मे निहित है। इन दलों का संगठन अत्यन्त शिथिल है। वर्गीय या वैचारिक एकरूपता का इनमे अभाव पाया जाता है इसलिए लास्की ने इन्हें स्वार्थीं के संघ कहा है। कठोर दलीय अनुशासन के अभाव के कालण ही प्रायः यह पाया जाता है कि कांग्रेस तथा राज्य विधानमंडलों के मतदान के समय एक दल के सदस्य अपने विरोध दल के पक्ष मे मतदान करते है।
संयुक्त राज्य अमेरिका के वर्तमान दलों का संक्षिप्त परिचय 
संयुक्त राज्य अमेरिका में सत्ता में अगल-बदल कर भागीदारी करने वाले दो प्रमुख दल निम्नलिखित हैं-- 
(अ) रिपब्लिकन पार्टी 
इसे हिन्दी में गणतंत्रीय दल कह सकते हैं। यह पूर्ववर्ती व्हिग पार्टी के खण्डहरों पर निर्मित एक पूँजीवादी दल हैं। यह अपेक्षाकृत अनुदार दल हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका की राजनीति पर 1928 तक इसका ही वर्चस्व बना रहा। लिंकन, आईजन हाॅवर, निक्सन, फोर्ड,
 इसी दल के थे। डोनाल्ड ट्रम्प भी इस दल के नेता हैं।
(ब) डेमोक्रेटिक दल 
यह अपेक्षाकृत उदार दल हैं परन्तु अधिकांश युद्धवादी राष्ट्रपति इसी काल में हुये। यह दल प्रथम बार 1928 में सत्ता में आया और जैक्सन इसके प्रथम राष्ट्रपति बने। बाद में रूजवेल्ट, जिमी कार्टर, कैनेडी तथा बुश इसी दल के राष्ट्रपति बने। वर्तमान मे जो बिडेन इसी दल के राष्ट्रपति है।
अमेरिकी दलीय प्रणाली
अमरीका मे दोनो प्रमुख राजनीतिक दल का संगठन लगभग एक समान है। दोनों ने विकेन्द्रीकरण का सिद्धांत अपनाया है। दोनों दल संगठन राष्ट्रीय, राज्यीय और स्थानीय स्तरों पर है।

अमेरिकी दल प्रणाली की विशेषताएं (american daily pranali ki visheshta)

अमेरिकी दलीय प्रणाली की निम्नलिखित विशेषताएं हैं--
1. दलों का संविधानेतर विकास
अमेरिकी दलीय व्यवस्था का जन्म किसी संवैधानिक प्रावधानों के तहत नही हुआ है। अमेरिकी संविधान निर्माता राजनीतिक दलों के विरुद्ध थे लेकिन कालान्तर मे यह जनतन्त्रात्क व्यवस्था के अंग बनते गये और जार्ज वाशिंगटन के शासन काल मे ही इनका बीजारोपण हो गया। तब से लेकर आज तक यह अमरीकी राजनीति के सफल संचालन मे महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहें है।
2. द्दिदलीय प्रणाली
प्रारंभ से ही अमेरिका राजनीतिक क्षितिज पर दो दलों की ही प्रधानता रही हैं। यद्यपि समय-समय पर इनके नामों मे बदलाव आते रहे है लेकिन उनका अस्तित्व सदैव बरकरार रहा। अमरीका मे अन्य दलों का भी जन्म हुआ  है परन्तु दल कभी भी इतनी शक्ति अर्जित नही कर पाये कि वे दो दलों की प्रधानता वाली राजनीतिक व्यवस्था को टक्कर दे सकें।
3. विचारधारा सम्बंधित आधारभूत अन्तरों का अभाव
अमरीकी दल पद्धति की यह महत्वपूर्ण विशेषता है कि दोनो प्रमुख दलों के बीच कोई मौलिक मतभेद नही है। विदेश नीति के क्षेत्र मे दोनों दलों मे दोनों दलों के बीच एकमतता की प्रवृत्ति पायी जाती है। आन्तरिक श्रेत्र मे दोनों दलों द्वारा पूँजीवादी व्यवस्था का सर्मथन किया जाता है। संघात्मक पद्धति के विषय मे भी दोनों एकमत है। इस प्रकार दोनों दलों ने अतिवादिता से दूर रहकर मध्ययमार्गी नीति का अनुगमन किया है। इसलिए वियर्ड ने कहा है-- वहाँ के मतदाताओं की दशा उन निर्जीव प्राणियों जैसी होती है जो खाली शब्दों के लिए मतदान करते है।
4. दलों का शिथिल संगठन
अमेरिका के राजनीतिक दल सदस्यता तथा दलीय अनुशासन की दृष्टि से शिथिल संगठन है। इन दलों मे सदस्यों की भर्ती के लिए न तो कोई निश्चित प्रक्रिया है और न ही अनुशासन के कोई नियम है। अमरीकी राजनीतिक दल विभिन्न राजनीतिक विचारधारा वाले व्यक्तियों के ढीले-ढाले संगठन है जिनमे कठोर दलीय अनुशासन और वैचारिक एकमतता की कमी है।
5. दबाव गुट
अमेरिकी राजनीतिक व्यवस्था मे राजनीतिक दल प्रमुख तौर पर दो ही है लेकिन यहाँ दबाव समूह अनन्त है। ये छोटे-छोटे दबाव गुट अपने हितों की पूर्ति हेतु प्रमुख राजनीतिक दलों पर दबाव डालते है। उनकी नीतियों को प्रभावित करते है।
6. ढीला संगठन 
अमेरिकी दलों का संगठन ढ़ीला-ढाला हैं। ब्रिटिश दलों की भाँति कठोर दलीय संगठन एवं अनुशासन का अभाव हैं। दल के केंद्रीय संगठन और स्थानीय इकाइयों में भारत जैसा लिंक नहीं हैं। वे राष्ट्रपति निर्वाचन के समय ही सक्रिय दिखाई पड़ते हैं, शेष समय वे प्रायः निष्क्रिय रहते हैं। लास्की के शब्दों में," केवल निर्वाचन के समय वे राष्ट्रीय दल हैं, अन्यथा प्रभावशाली स्थानीय संस्थाएं हैं जो विचारों के इर्द-गिर्द नहीं बल्कि व्यक्तियों के इर्द-गिर्द संगठित होती हैं।"
7. लूट की प्रणाली
अमरीका की दलीय राजनीति की एक अन्य महत्वपूर्ण विशेषता लूट प्रथा है। इस प्रथा का मतलब है कि जब कोई राजनीतिक दल निर्वाचन मे विजय प्राप्त करके सत्ता पर आसीन होता है तब वह विभिन्न शायकीय पदों पर अपने सहयोगी कार्यकर्ता तथा समर्थकों की नियुक्ति करके उन्हें पुरुस्कृत करता है। अन्य शब्दों मे कहे तो इस प्रणाली के तहत राजनीतिक दलों द्वारा अपने मददगारों या समर्थकों को खुश करने के लिए सरकारी नौकरियों का वितरण अनुग्रह के आधार पर दिया जाता है न कि योग्यता के आधार पर।
8. मध्यमार्गी नीति 
अमेरिका में दोनों राजनीतिक दल पतिद्वन्द्वी होते हैं। उन्हें हमेशा जनमत को अपने पक्ष में करने की चिन्ता रहती हैं। जनमत हमेशा मध्यमार्गी होता हैं। अतः स्वाभाविक रूप से दोनों दल मध्यमार्गी नीतियों को अपनाते हैं। वे सिद्धान्तों की अपेक्षा समस्याओं पर अधिक ध्यान देते हैं।

अमेरिकी दल प्रणाली की आलोचना 

अमेरिकी दल प्रणाली की कुछ लोग बड़ी आलोचना करते हैं। आलोचना के कुछ प्रमुख आधार निम्नलिखित हैं-- 
1. अमेरिकी राजनीतिक दलों का कोई सैद्धांतिक आधार नही हैं। विचारधारा संबंधी भेद के अभाव में यह दल सत्ता प्राप्ति मात्र के लिए संघर्ष करने वाले गुट बनकर रह गए हैं। 
2. अमेरिकी राजनीतिक दलों के सदस्य अपने दल के प्रति निष्ठावान नहीं होते और उनके द्वारा दलीय अनुशासन की अवहेलना की जाती हैं। 
3. अमेरिकी राजनीतिक दलों में 'लूट प्रथा' की दूषित प्रथा पाई जाती हैं। इस प्रथा में विजयी दल सरकारी पदों का वितरण अपने ही दल के लोगों में करता हैं। राष्ट्रपति का निर्वाचन होते ही नवनिर्वाचित राष्ट्रपति विरोधी दल के सभी पदाधिकारियों को निकालकर अपने समर्थकों को उन पर नियुक्त कर देता हैं। पहले तो यह प्रथा बड़े उग्र रूप में थी, पर अब धीरे-धीरे पदों का चयन योग्यता के आधार पर होने लगा हैं। फिर भी कुछ विशेष पद अब भी राष्ट्रपति की इच्छा से भरे जाते हैं। 
4. अमेरिका में राजनीतिक दलों द्वारा राष्ट्रपति और अन्य चुनावों में बहुत अधिक धनराशि खर्च की जाती हैं। इससे राजनीतिक भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता हैं। 
5. अमेरिकी दल व्यवस्था के संगठन का आधार विकेन्द्रीकरण हैं। दलों के राष्ट्रीय और स्थानीय संगठनों में सामंजस्य का अभाव हैं। सुदृढ़ दलीय संगठन के अभाव में वहाँ उत्तरदायी दल प्रणाली का विकास नहीं हो पाया हैं।
यह जानकारी आपके के लिए बहुत ही उपयोगी सिद्ध होगी

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