11/21/2021

ब्रिटिश न्याय व्यवस्था की विशेषताएं

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ब्रिटिश न्यायालय का संगठन

ऐसा माना जाता है कि ब्रिटेन में विधि का शासन है क्योंकि वहां पर शासन किसी व्यक्ति की इच्छा पर नही बल्कि कानून के अनुसार चलता हैं। इंग्लैंड में विधि (कानून) सर्वोच्च है तथा कोई भी व्यक्ति कानून से ऊपर नही हैं। यद्यपि इंग्लैंड में विधि का शासन है पर व्यवहार में कुछ अंतर दृष्टिगोचर होता हैं।
एक शाब्दी पूर्व ब्रिटेन मे न्यायालयों का कोई व्यवस्थित स्वरूप नहीं था पर 1873 से 1876 के बीच अनेक अधिनियम बने जिससे एक सुसंगठित न्याय व्यवस्था का गठन संभव हो सका। इस प्रकार देश के समस्त प्रचलित न्यायालयों का संगठन कर उन्हें एक निश्चित स्वरूप प्रदान किया गया हैं। वर्तमान में इंग्लैंड में तीन प्रकार के न्यायालय कार्यरत हैं--
1. दीवानी न्यायालय
इन न्यायालयों में नागरिकों के पारस्परिक विवादों को सुलझाया जाता है जिनमें प्रमुख विवाद सम्पत्ति, मानहानि एवं अनाधिकृत प्रवेश से संबंधित होते हैं। इनमें लेन-देन, समझौता भंग करना तथा किसी व्यक्ति को धोखा देना आदि विषयों का निराकरण भी किया जाता हैं।
2. फौजदारी न्यायालय
ऐसे मुकदमे सार्वजनिक कानूनों के उल्लंघन से संबंधित होते हैं। ऐसी अदालतों मे हत्या, चोरी, डकैती, जालसाजी आदि के प्रकरण निपटाये जाते हैं।
3. प्रिवी. कौन्सिल की न्यायिक समिति
यह एक प्रकार से इंग्लैंड का सर्वोच्च न्यायालय हैं। इसमें पहले उपनिवेषों के प्रकरणों की अपीलें भी सुनी जाती थीं। अब इनमें धार्मिक मामलों का निर्णय भी किया जाता हैं। यह प्रिवी कौन्सिल की एक छोटी, समिति होती हैं जिसमें न्याय विद् ही बैठते हैं तथा कानून के अनुसार निर्णय करते हैं।

ब्रिटिश न्याय व्यवस्था की विशेषताएं

ब्रिटेन अपनी उत्तम न्याय व्यवस्था के लिए प्रसिद्ध रहा हैं। ब्रिटिश कानूनी व्यवस्था तथा न्याय प्रणाली निरन्तर विकास का परिणाम हैं।
ब्रिटिश न्याय व्यवस्था की विशेषताएं निम्नलिखित हैं--
1. न्यायिक पुनर्विलोकन का अभाव
ब्रिटेन में संसद की संप्रभुता का सिद्धांत प्रचलित है। न्यायपालिका को यह अधिकार नहीं है कि वह संसद द्वारा निर्मित कानूनों को अवैध घोषित कर सके।
2. न्यायाधीशों की स्वतन्त्रता तथा निष्पक्षता
ब्रिटेन में न्यायाधीशों की स्वतन्त्रता तथा निष्पक्षता के ऊपर विशेष ध्यान दिया गया है। वहाँ के न्यायाधीशों की नियुक्ति, उनके वेतन तथा सेवा शर्त इस प्रकार की है कि उनकी निष्पक्षता को किसी प्रकार की आँच न आए। जेनिंग्स के शब्दों में," ब्रिटिश न्यायाधीशों के विरूद्ध कभी भी पक्षपात, भ्रष्टाचार या राजनीतिक प्रभाव का आरोप नहीं लगाया जाता।"
3. नागरिक स्वतंत्रता की रक्षा
ब्रिटेन का संविधान अलिखित हैं। उसमें नागरिक अधिकारों का उल्लेख न होने के कारण उनके अधिकारों तथा स्वतन्त्रता की रक्षा विधि के शासन के अधीन साधारण न्यायालयों द्वारा की जाती हैं।
4. न्याय कार्य में प्रवीणता तथा शीघ्र न्याय
ब्रिटेन में न्याय कार्य के विधि नियमों का निर्माण कानून तथा न्याय के विशेषज्ञों की समिति द्वारा किया जाता हैं जिसे 'रूल कमेटी' कहा जाता हैं। इन नियमों के निर्माण का उद्देश्य ही यही होता है कि न्यायिक कार्यवाही तथा निर्णय शीघ्रतापूर्वक किए जाएँ।
5. वकील प्रथा तथा खुला न्याय
ब्रिटेन में मुकदमों की कार्यवाही खुली अदालत में होती है तथा निर्णय भी इसी प्रकार दिए जाते हैं। न्याथ व्यवस्था में वकीलों का महत्वपूर्ण स्थान हैं। वादी तथा प्रतिवादी दोनों को अधिकार है कि वे वकील रख सकें। वकीलों की ब्रिटेन में दोहरी प्रणाली हैं--
(अ) साॅलीसीटर या एटार्नी जो कानूनी सलाह देते हैं और मुकदमे तैयार करते हैं।
(ब) बेरिस्टर जो मुकदमे अदालत में पेश करते हैं तथा अपनी युक्तियाँ प्रस्तुत करते हैं।
6. निःशुल्क कानूनी सहायता
ब्रिटेन की न्याय व्यवस्था की एक महत्वपूर्ण विशेषता आर्थिक दृष्टि से निर्बल व्यक्तियों के लिए निःशुल्क कानूनी सहायता की व्यवस्था हैं।
7. न्यायदान पद्धित में एकरूपता का अभाव
ब्रिटेन मे विभिन्न न्यायालयों में न्याय पद्धित एक जैसी नहीं हैं। इंग्लैंड तथा वेल्स की न्याय व्यवस्था अलग प्रकार की हैं, जबकि स्काटलैंड तथा उत्तरी आयरलैंड में दूसरे प्रकार की न्याय व्यवस्था प्रचलित हैं। इस दृष्टि से न्याय व्यवस्था में सादृश्यता का अभाव हैं तथापि बहुत दिनों से चले आ रहे निकट संपर्क के कारण सभी प्रदेशों की न्याय व्यवस्था में पर्याप्त समानता आ गई हैं।
8. विधि का असंहिताबद्ध रूप
ब्रिटेन में अधिकांश कानून संहिताबद्ध नहीं हैं। ये सामान्य कानून के रूप में हैं जिसे हम न्यायालयों के निर्णयों के रूप में देख सकते हैं। औचित्यपूर्ण निर्णयों के रूप में भी अनेक कानूनों का अस्तित्व है तथापि यह नही समझना चाहिए कि ब्रिटेन में संहिताबद्ध कानूनों का अस्तित्व ही नहीं हैं। वर्तमान में संसद के अधिकार क्षेत्र में वृद्धि के कारण संसदीय कानूनों का निर्माण तथा प्रदत्त व्यवस्थापन द्वारा जिस कानून का विकास हुआ हैं, उसका स्वरूप संहिताबद्ध कानून का हैं।
9. प्रशासनिक न्यायालयों का अभाव
ब्रिटेन में विधि का शासन प्रचलित हैं, जिसके अंतर्गत सामान्य नागरिक तथा सरकारी कर्मचारी दोनों ही एक ही प्रकार के न्यायालयों के अधीन हैं, जबकि इसके विपरीत फ्रांस आदि देशों में सरकारी कर्मचारियों के लिए अलग से प्रशासनिक कानून तथा प्रशासकीय न्यायालयों की व्यवस्था हैं।
10. न्यायालयों की एकसूत्रता
ब्रिटेन में न्यायालय एक सूत्र में बँधे हुए हैं। प्रारंभ में देश में अनेक प्रकार के न्याय क्षेत्र तथा न्यायालय थे। उस समय यह जानना अत्यधिक कठिन था कि किस वाद को किस न्यायालय में प्रस्तुत किया जाना चाहिए। परन्तु अब न्यायालयों का पुनर्गठन कर दिया गया हैं।
यह जानकारी आपके के लिए बहुत ही उपयोगी सिद्ध होगी

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