11/09/2021

सूक्ष्म शिक्षण की प्रक्रिया/सोपान

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सूक्ष्म शिक्षण की प्रक्रिया एवं सोपान 

सूक्ष्म शिक्षण प्रक्रिया सामान्यतः निम्न सोपानों में की जाती है-- 

1. प्रथम सोपान- पाठ-योजना निर्माण (Construction of Lesson Plan) 

छात्राध्यापक को एक शिक्षण कौशल, जैसे- वर्णन करना (Narration), व्याख्या करना (Exposition), प्रश्न पूछना (Question asking) आदि में से किसी एक जिसे कि छात्राध्यापक को सीखना है का ज्ञान उसे प्रशिक्षण की परिस्थिति में करा दिया जाता है और उस पर आधारित सूक्ष्म शिक्षण की पाठ योजना तैयार की जाती है। 

2. द्वितीय सोपान-कक्षा शिक्षण (Class Teaching) 

छात्राध्यापक छोटे से पाठ को अपने सहयोगी छात्रों द्वारा 5-10 मिनट तक पढ़ाता है यह सोपान सूक्ष्म शिक्षण का शिक्षण सत्र (eaching session) कहलाता है। 

3. तृतीय सोपान- प्रतिपुष्टि (Feedback) 

छात्राध्यापक द्वारा पढाए गए पाठ की प्रभाविता के विषय में पर्यवेक्षक द्वारा एक विशेष रूप से विकसित मूल्यांकन प्रपत्र (Evaluation Proforma) की सहायता से जानकारी दी जाती है या सम्पूर्ण पाठ को ऑडियो टेप के माध्यम से रिकार्ड कर लिया जाता है तथा पर्यवेक्षक, प्रशिक्षणार्थी को आडियो टेप सुना कर उसकी कमियों को इंगित करता है। शिक्षण की समाप्ति के पश्चात् छात्राध्यापकों के साथ पर्यवेक्षक मूल्यांकन प्रपत्र की सहायता से पाठ की प्रभाविता पर विचार-विमर्श (Discussion) करता है इस प्रकार पर्यवेक्षक छात्राध्यापक को तुरन्त प्रतिपुष्टि प्रदान करता है।

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4  चतुर्थ सोपान-पुन: पाठ-योजना (Re-Lesson Planning) 

प्रतिपुष्टि के तुरन्त बाद छात्राध्यापक सुझाए गए विचारों के आधार पर फिर पाठ को पुनः नियोजित करता है सूक्ष्म शिक्षण का यह सोपान पुनर्योजना सत्र (Re-plan session) कहलाता है। 

5. पंचम सोपान- पुनर्शिक्षण (Re-Teaching) 

पुनर्योजना के पश्चात् पुनर्योजित पाठ को उसी के समान स्तर के दूसरे समूह पर पुनर्शिक्षण कराया जाता है। यह सोपान पुनर्शिक्षण सत्र (Re-teaching session) कहलाता है। 

6. षष्ठ्म सोपान- पुनः प्रतिपुष्टि (Re-Feedback) 

पुनर्योजित पुनर्शिक्षण पाठ को पुन पर्यवेक्षित कर पर्यवेक्षक छात्राध्यापक से फिर पाठ सम्बन्धित विचार-विमर्श करता है व पुन : प्रतिपुष्टि प्रदान करता है।

सूक्ष्म शिक्षण चक्र 

उपर्युक्त क्रमानुसार फिर से नियोजित पाठ को छात्राध्यापक समान स्तर के नवीन छात्रों के समूह को पढ़ाता हैं। पर्यवेक्षक पुनः पर्यवेक्षक करता हैं अर्थात् यह क्रम तब तक चलता है जब तक कि छात्र उस विशेष कौशल में दक्षता प्राप्त न कर ले। सूक्ष्म-शिक्षण के पूर्व सोपान एक-दूसरे से घनिष्ठ रूप में संबंधित हैं तथा सूक्ष्म-शिक्षण के एक पूर्ण चक्र को प्रदर्शित कर लेते हैं। यह चक्र तब तक चलता रहता है जब तक छात्राध्यापक निर्धारित कौशल के विकास में सफलता प्राप्त न कर ले इस प्रकार एक चक्र में लगभग 36 मिनट लग सकते हैं उपर्युक्त संपूर्ण चक्र को निम्नलिखित प्रदर्शित किया जा सकता हैं-- 

1. पाठयोजना (Lesson-Plan) 6. मिनट 

2. शिक्षण (Teaching) 6. मिनट 

3. प्रतिपुष्टि (Feedback) 6. मिनट 

4. पुनर्योजना (Re-lesson Planning) 6. मिनट

5. पुनर्शिक्षण (Re-teaching) 6. मिनट

6. पुनः प्रतिपुष्टि (Re-feedback) 6. मिनट

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