2/13/2022

राजनीतिक दल का अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं

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raajnitik dal  arth paribhasha visheshta;प्रजातंत्र मे राजनीतिक दलों का होना बहुत आवश्यक और अनिवार्य हैं। अब प्रश्न यह उठता है कि राजनीतिक दल का अर्थ क्या हैं। आमतौर से एक ही राजनीतिक विचारधारा के समर्थन मिलकर राजसत्ता पाने के उद्देश्य से जो संगठन बनाते हैं, उसे राजनीतिक दल कहा जाता हैं। राजनीतिक दल जनमत के निर्माण और अभिव्यक्ति का अति महत्वपूर्ण साधन है। यदि कोई नागरिकों की संस्था किसी सुधार या कानून विशेष में रूचि रखती है तो उसे राजनीतिक दल नही कहा जा सकता। राजनीतिक दल को परिभाषित करते हुए गिलक्राइस्ट ने लिखा हैं कि," वह नागरिक का एक एच संगठित समूह होता है जो एक ही राजनीतिक दृष्टिकोण रखते है और एक राजनीतिक इकाई के रूप में सरकार पर नियंत्रण स्थापित करने का प्रयत्न करते हैं।"

राजनीतिक दल का अर्थ (raajnitik dal kya hai)

राजनीतिक दल व्यक्तियों का वह संगठित रूप है, जिसके सदस्य राजनीतिक इकाई के रूप मे राजनीतिक उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए एक साथ प्रयत्नशील रहते है। जिस प्रकार सामाजिक या आर्थिक उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए दल संगठित होते है, इसी प्रकार व्यक्ति अपने राजनीतिक उद्देश्यों को भी संगठन के माध्यम से प्राप्त कर सकता है। जब किसी संगठन का उद्देश्य राजनीतिक होता है तो उसे राजनीतिक दल कहा जाता है। 

आधुनिक राजनीति में महत्त्वपूर्ण अभिकर्त्ता आज राजनीतिक दल हैं। आधुनिक शासन व्यवस्था के सभी रूपों में राजनीतिक दल अनिवार्य से हो गए है सिवाय तानाशाही को छोड़कर, परन्तु यहाँ भी राजनीतिक दल पाये जा सकते हैं, जिनके बिना शासन-संचालन व अन्य राजनीतिक गतिविधियाँ करना असंभव सा दिखाई पड़ता है। इसलिए आज भले भारत, संयुक्त राज्य अमरीका, कनाडा, ब्रिटेन, फ्रांस, नॉर्वे, स्वीडन जैसे लोकतांत्रिक देश हो। चीन उत्तर कोरिया जैसे कम्युनिस्ट देश हो या सिंगापुर जैसे अर्द्ध-लोकतान्त्रिक देश हो। सभी में राजनीतिक दल की उपस्थिति एक अनिवार्य शर्त हो गयी हैं। इसी कारण हेरोल्ड जे लास्की राजनीतिक दलों की महत्त्वता पर लिखते है कि," किसी भी आधुनिक राज्य में तानाशाही को छोड़कर, दलीय सरकार के पास कोई विकल्प नहीं है। सरकार को नेता की आवश्यकता होती है नेताओं को उनके पीछे असंगत जनसाधारण को नहीं बल्कि संगठित अनुसरण की आवश्यकता होती है, जो जनसाधारण के लिए मुद्दों का स्वतंत्र चयन करती है।" 

आधुनिक राजनीति के अध्ययन में राजनीतिक दलों इसकी प्रकृति, कार्यों, दलीय व्यवस्था व जुड़े अन्य सम्बंधित मुद्दों का राजनीतिक अध्ययन पिछले कुछ समय से शुरू हो चुका है। इसलिए पश्चिम में यूरोप व उत्तर अमेरिका के लगभग हर राजनीतिक दल पर साहित्य विश्लेषणात्मक टिप्पणियाँ आदि लिखी गयी है। ऐसा ही विकासशील देशों के महत्त्वपूर्ण राजनीतिक दलों के साथ हुआ है (भारत भी इसका अपवाद नहीं रहा है)। ऐसा विभिन्न देशों की राजनीतिक दलीय व्यवस्था व राजनीतिक दलों के साथ लगातार बढ़ता जा रहा है। इसी कारण अब राजनीतिक दल-विज्ञान नामक शब्द काफी प्रसिद्ध हो रहा है।

राजनीतिक दल की परिभाषा (raajnitik dal ki paribhasha)

एडमंड बर्क के अनुसार " राजनीतिक दल मनुष्य के उस संगठन को कहते है जो किसी एक सिद्धांत पर सहमत हों, जिसके द्वारा राष्ट्रीय हित सम्पन्न किया जा सके।"

गैटिल के अनुसार " राजनीतिक दल उन नागरिकों का कम या अधिक संगठित समूह है जो एक राजनीतिक इकाई के रूप मे कार्य करता है और अपनी राजनीतिक शक्तियों के प्रयोग के द्वारा शासन को हस्तगत करने और अपनी नीतियों को कार्यरूप देने का प्रयत्न करता है।

गिलक्राइस्ट के अनुसार " राजनीतिक दल संगठित नागरिकों को उस समुदाय को कहते है जो एक ही राजनीतिक सिद्धांत को मानते है व एक राजनीतिक इकाई के रूप मे कार्य करते है और सरकार पर अपना अधिकार जमाने का प्रयत्न करते है।

लीकाॅक के शब्दों में " राजनीतिक दल से हमारा तात्पर्य नागरिकों के उस न्यूनाधिक संगठित समूह से है जो संगठित इकाई मे कार्य करता हो। 

लार्ड ब्राइस " राजनीतिक दल वह संगठित समूह है, जो ऐच्छिक रूप से अपनी शक्ति को राजनीतिक सत्ता की प्राप्ति मे लगाते है। 

जे. ए. शुम्पीटर अनुसार " राजनीतिक दल एक ऐसा गुण या समूह है जिसके सदस्य "सत्ता" प्राप्त करने के लिए संघर्ष व होड़ मे लगे हुए है।" 

मैरिस दुर्वजर के अनुसार " राजनीतिक दल केवल "सत्ता प्राप्ति" का मंत्र है, "नीति" और सिद्धांत उनके लिए प्रमुख बातें नही है।" 

राजनीतिक दलों की विशेषताएं या लक्षण (rajnitik dalo ki visheshta)

उपरोक्त परिभाषाओं के विवेचन से राजनीतिक दलों के निम्नलिखित लक्षण प्रकट होते है-- 

1. लम्बी अवधि के लिए संगठन।

2. कतिपय सिद्धांतों अथवा नीतियों के बारे मे सहमति।

3. अपने उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए शान्तिपूर्ण और संवैधानिक साधनों का प्रयोग।

4. राष्ट्रीय हित की दृष्टि से अपनी नीतियों को कार्यरूप देने की लालसा। 

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संक्षेप मे; किसी भी राजनीतिक दल के निर्माण के लिए निम्न तत्वों का होना आवश्यक है--

(अ) संगठन 

दल को मजबूत एवं स्थायी बनाने के लिए उसमे संगठन का होना अत्यंत आवश्यक है। संगठन से तात्पर्य है कि दल के कुछ अपने लिखित एवं अलिखित नियम, उपनियम, कार्यलय, पदाधिकारी होने चाहिए। ये दल के सदस्यों को अनुशासित रखते है। संगठन के अभाव मे दलीय अनुयायी एक बिखरी हुई भीड़ मात्र होंगे और वे अपने उद्देश्यों को पूरा नही कर पाएंगे। वस्तुतः संगठन ही राजनीतिक दल की शक्ति का रहस्य है।

(ब) मूलभूत सिद्धांतों की एकता 

दल व्यक्तियों का एक ऐसा समूह होता है जिसके सदस्य सार्वजनिक प्रश्नों पर एक से विचार रखते है। इन प्रश्नों की बारीकियों पर उनमे मतभेद हो सकता है, लेकिन वे सब मौलिक सिद्धांतों पर एकमत होते है। सिद्धांतों की एकता ही दल को ठोस आधार प्रदान करती है। सैद्धांतिक एकता के अभाव मे दल की जड़ें हिल जाएंगी और उसका विघटन हो जाएगा। 

3. संवैधानिक उपायों का प्रयोग 

राजनीतिक दलों को अपने लक्ष्य (सत्ता प्राप्ति) की प्राप्ति के लिए सदा संवैधानिक उपायों का सहारा लेना चाहिए। जो असंवैधानिक उपायों का अनुसरण करते है अथवा हिंसात्मक साधनों को अपनाते है, उन्हें राजनीतिक दल नही कहा जा सकता।

4. राष्ट्रीय हित की वृद्धि 

राजनीतिक दल एक ऐसा समुदाय है जो उच्च आदर्शों से अनुप्राणित होता है और जिसके कार्यक्रमों और नीतियों का देशव्यापी आधार होता है क्षेत्रीय अथवा साम्प्रदायिक नही। उसे किसी विशेष जाति, धर्म, सम्प्रदाय या वर्ग के हित की अपेक्षा राष्ट्रीय हित की अभिवृद्धि हेतु चेष्टा करनी चाहिए। यदि कोई संगठन वर्ग, जाति या सम्प्रदाय विशेष का हित साधन करते है तो यथार्थ मे उन्हें राजनीतिक दल नही कहा जा सकता।

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