10/03/2021

अभिवृत्ति/मनोवृत्ति के प्रकार, कार्य

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अभिवृत्ति या मनोवृत्ति के प्रकार (abhivritti ke prakar)

अभिवृत्ति के वर्गीकरण को विद्वान अपने विचारों के आधार पर पृथक-पृथक वर्गीकरण करते हैं। अभिवृत्ति को मुख्य रूप से निम्न भागों में विभक्त किया जा सकता हैं-- 

1. सकारात्मक अभिवृत्ति 

जब हम किसी वस्तु, संस्था तथा विचार के प्रति आकर्षित होते हैं तो उससे हमारा लगाव भावात्मक रूप से होता हैं। हम उसके प्रति सकारात्मक व्यवहार रखते हैं तथा अपने आपको उसके अनुसार समायोजित करने का प्रयास करते हैं तो इस तरह की अभिवृत्ति सकारात्मक अथवा धनात्मक अभिवृत्ति कहलाती हैं। 

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2. नकारात्मक अभिवृत्ति 

जब किसी संस्था, जाति तथा व्यक्ति के प्रति हमारा मन अविश्‍वास और घृणा से भर जाता हैं। उसके द्वारा हमारी भावना एवं विश्वास को ठेस पहुँचायी जाती हैं तो हम अपने आपको उससे दूर रखने का प्रयास करते हैं। इस तरह की अभिवृत्ति नकारात्मक अथवा ऋणात्मक अभिवृत्ति कहलाती हैं। 

3. सामान्य अभिवृत्ति 

जब हम किसी वर्ग विशेष के प्रति अपने व्यवहार का प्रदर्शन करते हैं तो वह सामान्य अभिवृत्ति कहलाती हैं। जैसे भारतीय जनता पार्टी के प्रति किया गया व्यवहार एक सामान्य व्यवहार की श्रेणी में आयेगा एवं इस तरह की अभिवृत्ति सामान्य अभिवृत्ति कहलायेगी। 

4. विशिष्ट अभिवृत्ति 

जब हमारी रूचि किसी व्यक्ति विशेष में होती है तथा उसके प्रति हमारा व्यवहार श्रद्धा और सम्मान से परिपूर्ण होता है तो इस प्रकार की अभिवृत्ति विशिष्ट अभिवृत्ति कहलाती है। जैसे भारतीय जनता पार्टी में श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के प्रति हमारी रूचि तथा सम्मान विशिष्ट अभिवृत्ति का उदाहरण होगा।

अभिवृत्ति या मनोवृत्ति के कार्य (abhivritti ke krya)

संगठनात्मक ढाँचे में मनोवृत्ति निम्नलिखित महत्वपूर्ण कार्य करती हैं-- 

1. मनोवृत्ति अर्थ का निर्धारण करती हैं 

मनोवृत्ति वातावरण में दिखने वाली वस्तुओं का अर्थ निर्धारित करती हैं। Favourable मनोवृत्ति से व्यक्ति अच्छा अर्थ तथा Unfavourable मनोवृत्ति से बुरा अर्थ निकालता हैं। 

कार्यस्थल में प्रबन्ध की ओर मनोवृत्ति कर्मचारी के प्रबन्ध संप्रेषण के प्रति प्रतिक्रिया को काफी प्रभावित करती हैं। अधिकतर स्थितियों में घोषणा को पूर्ण संदेह से देखा जाता हैं। 

अंधविश्वास एक मजबूत मनोवृत्ति हैं। ये अन्य व्यक्तियों की मनोवृत्ति होती हैं, जिसे हम नही बाँटते। 

2. मनोवृत्ति परस्पर कथनों का समाधान करती हैं 

अक्सर व्यक्तियों में परस्पर विरोधी विचार होते हैं। सही मनोवृत्ति वाले व्यक्ति ऐसी क्रियाओं का, जो अन्यों के लिए परस्पर विरोधी होती हैं, उनका समाधान करती हैं। 

जैसे, जब एक कर्मचारी थोड़ी देर के लिए विश्राम करता हैं, तो पर्यवेक्षक यह समझता है कि वह व्यर्थ बैठा हैं। इस प्रकार कर्मचारी अक्सर सोचता है कि पर्यवेक्षक उस पर गुप्त नजर रखता है या उसका मूल्यांकन करता हैं। 

3. मनोवृत्ति तथ्यों को संगठित करती हैं 

तथ्यों की व्याख्या, तथा शब्दों, विचारों तथा भावों के अर्थ निकालना, मूल रूप से उनके संगठन के ढंग पर निर्भर करता हैं। इस प्रकार सोच मनोवृत्ति काफी प्रभावित होती हैं। भिन्न मनोवृत्ति वाले व्यक्ति, घटनाओं को पृथक-पृथक तरीके से समझते हैं।

4. मनोवृत्ति तथ्यों का चयन करती हैं

मनोवृत्ति तथ्यों के चुनाव में सहायक होती हैं। संक्षिप्त जानकारी के इकट्ठा करने में से व्यक्ति केवल अपनी मनोवृत्ति के अनुकूल तथ्यों का चयन करता हैं। मनोवृत्ति एक filter screen की तरह हैं, जिसमें कुछ वस्तुओं को स्वीकार और कुछ को अस्वीकार किया जाता हैं। 

5. समायोजन कार्य 

मनोवृत्ति द्वारा व्यक्ति अपने कार्य वातावरण के अनुसार समायोजित होता हैं। जब मालिक कर्मचारियों के साथ उचित व्यवहार करेगा तो उनकी पर्यवेक्षक तथा संगठन के प्रति सकारात्मक मनोवृत्ति होगी। परन्तु जब उनके साथ अनुचित व्यवहार किया जाएगा तो उन्हें न्यूनतम वेतन दिया जाएगा तो कर्मचारियों की मनोवृत्ति नकारात्मक होगी। ये मनोवृत्ति कर्मचारी को वातावरण के अनुकूल समायोजित होने मे सहायता करती है तथा भविष्‍य के व्यवहार का आधार होती हैं।

6. Ego-प्रतिरक्षात्मक कार्य 

यक्ति अपनी Self-image ही रक्षा के लिए कुछ मनोवृत्तियों का निर्माण करते हैं। जैसे, कर्मचारी अल्प-संख्यकों तथा स्त्री कर्मचारियों की भर्ती या उन्नति के डर ने नए कर्मचारियों के प्रति गलत धारणा विकसित कर सकते हैं। वे यह मनोवृत्ति बना सकते हैं कि नए कर्मचारी कम शिक्षित हैं या वे उनसे अनुचित व्यवहार कर सकते हैं। 

इस प्रकार की मैं स्थिति प्रतिरक्षात्मक मनोवृत्ति की रचना डर या दोष की भावना से निपटने के लिए की जाती हैं। जब तक इससे भावना को मिटाया नहीं जाएगा, तब तक मनोवृत्ति को बदला नही जा सकता। 

7. मूल्य-व्यंजक कार्य 

मनोवृत्ति मूल्यों को व्यक्त करने का आधार प्रदान करती हैं। जैसे, एक प्रबन्धक जो कार्य में विश्वास रखता हैं, वह इस मूल्य को प्रकट करने के लिए विशिष्ट व्यक्तियों या कार्य Practices की ओर मनोवृत्ति बनाएगा। 

एक पर्यवेक्षक जो, अधीनस्थ को मेहनत से कार्य करते देखना चाहता हैं, वह इस प्रकार अपनी मनोवृत्ति प्रकट करेगा," तुम्हें मेहनत से कार्य करना होगा।" जब से हमारी कम्पनी बनी हैं, यही हमारी परम्परा हैं, और उसी की वजह से हम आज यहां तक पहुँचे हैं तथा सभी से इस आचार के पालन की अपेक्षा की जाती हैं। 

8. ज्ञान कार्य 

मनोवृत्ति को अक्सर ज्ञान की जगह समझा जाता हैं। ज्ञान के अभाव में, हम अपनी मनोवृत्ति द्वारा किसी वस्तु या व्यक्ति को समझते हैं या उसे संगठित करते हैं। जैसे, जो व्यक्ति परमाणु शक्ति के बारे में नहीं जानते वे इसे खतरनाक समझते हैं तथा इसका प्रयोग ऊर्जा स्त्रोत के रूप में करने का विरोध करते हैं। Stereotyping अन्य उदाहरण हैं। व्यक्ति के बारे में ज्ञान के बिना हम उसके बारे में निर्णय लेने में मनोवृत्ति का प्रयोग करते हैं।

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