2/03/2022

संसदीय शासन/सरकार की विशेषताएं

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sansadiy sarkar ki visheshta ;संसदात्मक सरकार मे दोहरी कार्यपालिका होती हैं-- एक औपचारिक तथा दूसरी अनौपचारिक। वास्तविक कार्यपालिका की शक्ति अनौपचारिक अथवा मंत्रिमंडलात्मक कार्यपालिका मे होती है। मंत्रिमंडल विधानसभा के सदस्यों में से चुना जाता हैं और उसी के प्रति उत्तरदायी होता हैं। मंत्रिमंडल का नेता प्रधानमंत्री होता है। उसकी स्थिति "समकक्षों में प्रथम" होती है। वह किसी मंत्री को नियुक्त या पदच्युत कर सकता हैं। मंत्रिमंडल का उत्तरदायित्व संयुक्त रूप से विधान सभा के सामने होता हैं। वे सामूहिक रूप से तैरते रहते हैं और सामूहिक रूप से डूबते रहते हैं। एक मंत्री के विरूद्ध पास हुआ अविश्वास का प्रस्ताव समस्त मंत्रिमंडल के प्रति अविश्वास माना जाता हैं। अतएव सारा मंत्रिमंडल त्यागपत्र दे देता हैं। प्रधानमन्त्री यदि त्यागपत्र दे दे तो भी समस्त मंत्रिमंडल का त्यागपत्र माना जाता हैं। 

संसदात्मक सरकार में औपचारिक कार्यपालिका नाममात्र की होती है अर्थात् राज्य का प्रधान नाम के लिए राज्य का प्रधान होता है, वह किसी के प्रति उत्तरदायी नही होता क्योंकि वह कोई नही करता। उसके नाम से मंत्रिमंडल ही कार्य करता है और उन कार्यों के लिए वही जिम्मेदार होता है। प्रधानमंत्री के हाथ में संवैधानिक मुखिया नाम की मोहर होती हैं, वह जहाँ चाहता है उसे लगा देता हैं।

संसदीय शासन या सरकार की विशेषताएं 

संसदीय शासन प्रणाली की निम्नलिखित विशेषताएं हैं-- 

1. संसदीय व्यवस्था मे औपचारिक एवं वास्तविक दो प्रकार की कार्यपालिका का अस्तित्व होता है। राज्य का अध्यक्ष जो एक वंशानुगत राजा भी हो सकता है। वह नाममात्र का संवैधानिक मुखिया होता है क्योंकि वास्तविक कार्यपालिका शक्तियाँ मंत्रिमंडल (केबिनेट) में निहित होती है। मंत्रिमंडल राज्याध्यक्ष के नाम से शासन का संचालन करता हैं। संवैधानिक मुखिया को केवल तीन अधिकार प्राप्त होते हैं-- परामर्श देने का अधिकार, चेतावनी देने का अधिकार और प्रोत्साहित करने का अधिकार। भारत में राष्ट्रपति, इंग्लैंड में राजा या रानी, कनाडा, आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड में गवर्नर जनरल और वैधानिक प्रमुख हैं। 

2. संसदीय शासन व्यवस्था में कार्यपालिका और व्यवस्थापिका में घनिष्ठ संबंध होता हैं। व्यवस्थापिका मे से सी मंत्रियों का चुनाव होता है। व्यवस्थापिका के बाहर से भी मंत्रीगण लिये जा सकते है परन्तु उन्हें निश्चित अवधि के अंदर संसद का सदस्य चुना जाना आवश्यक होता हैं अन्यथा उन्हें त्यागपत्र देना होता है। भारत और इंग्लैंड में यही व्यवस्था हैं। स्विट्जरलैंड में ऐसी व्यवस्था नही हैं। वहाँ संघीय कार्यपालिका वास्तविक अर्थ में मंत्रिमंडलात्मक नही हैं। 

3. संसदीय शासन-व्यवस्था मे राजनीतिक एकरूपता और संयुक्त उत्तरदायित्व का विशेष महत्व हैं। मंत्रिमंडल के सदस्य एक ही दल के सदस्य होते है जिसका निम्न सदन में बहुमत होता हैं। आपातकालीन अवस्था में इस नियम में शिथिलता आती हैं और संयुक्त दलीय मंत्रिमंडल बन सकता हैं। 

4. संसदीय प्रणाली में सामूहिक उत्तरदायित्व के साथ-साथ प्रत्येक मंत्री का व्यक्तिगत उत्तरदायित्व होता है। इसका अर्थ यह हुआ कि प्रत्येक मंत्री अपने विभागीय कार्यों के लिए संबंधित मंत्री को त्याग-पत्र देना पड़ता हैं। स्वर्गीय श्री लालबहादुय शास्त्री केंद्र में रेलवे मंत्री थे। दक्षिण भारत में भयानक रेल दुर्घटना हो गयी। श्री शास्त्री ने इस दुर्घटना की जिम्मेदारी स्वयं लेते हुए मंत्रिपद से त्यागपत्र दे दिया। चीन-भारत युद्ध के समय स्वर्गीय कृष्णामेनन रक्षामंत्री थे। युद्ध में हार का कारण उनके जिम्मे डाला गया और उन्होंने त्यागपत्र दे दिया। इंग्लैंड में भी प्रधानमंत्री श्री चैम्बरलेन के मंत्रिमंडल में श्री एनथोनी ईडन ने विदेश-नीति से असहमति प्रकट करते हुए त्यागपत्र दिया था। 

5. संसदीय शासन व्यवस्था से कार्यपालिका का कार्यकाल निश्चित नही होता हैं। लोकसभा भी मंत्रिमंडल के विरूद्ध अविश्वास प्रस्ताव पास करके उसे त्यागपत्र देने को विवश कर सकती है। भारत तथा इंग्लैंड में संसद (लोकसभा) का कार्यकाल 5 वर्ष होता है और आमतौर से यही मंत्रिमंडल का कार्यकाल होता है। लोकसभा चाहे तो मंत्रिमंडल को इस अवधि से पहले भी भंग कर सकती हैं। फ्रांस मे तो बहुदलीय व्यवस्था होने से कभी-कभी मंत्रिमंडल का कार्यकाल 24 घण्टे ही रहा है। लोकसभा और मंत्रिमंडल में मनमुटाल होने पर प्रधानमंत्री राज्याध्यक्ष को परामर्श देकर लोकसभा को भंग करा सकता है तथा नवीन चुनाव करा सकता हैं। 

6. संसदीय शासन प्रणाली की एक विशेषता यह है कि इसमें सिद्धांत और व्यवहार में अंतर रहता हैं। उदाहरण के लिए इसमें कानून तथा राजनीतिक सम्प्रभुओं में भेद किया जाता हैं। सिद्धांततः इंग्लैंड में राजा या रानी तथा भारत में राष्ट्रपति शासन का सर्वोच्च अधिकारी होते है परन्तु इनकी शक्तियाँ नाममात्र की होती है। उनके समस्त अधिकारों और शक्ति का उपयोग मंत्रिमंडल करता हैं। संसद के प्रति मंत्रिमंडल उत्तरदायी होता है अर्थात लोकसभा के प्रसादपर्यन्त मंत्रिमंडल जीवित रहता है परन्तु व्यवहार में मंत्रिमंडल लोकसभा के बहुमत दल का प्रतिनिधित्व करता है। बहुमत के आधार पर संसद मंत्रिमंडल के इशारे पर नाचती हैं। 

7. संसदीय शासन-व्यवस्था में मंत्रिमंडल में गोपनीयता का सिद्धांत अपनाया जाता हैं। मंत्रिमंडल की कार्यवाही पूर्ण रूप से गुप्त रखी जाती हैं। इंग्लैंड में कई बार गोपनीयता को भंग करने के अपराध पर मंत्रियों को त्यागपत्र देना पड़ा है। मंत्रिमंडल की बैठक  की कार्यवाही लिखी नही जाती केवल उसके निर्णय ही लेखबद्ध होते हैं। भारत मे भी एक-दो ऐसे मामले हुए कि मंत्रिगण गोपनीयता न रख सके और उन्हें त्याग-पत्र देना पड़ा।

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