7/27/2021

सारणीयन का महत्व, नियम/सावधानियां

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सारणीयन का महत्व 

संकलित सामग्री को संक्षिप्त एवं सरल स्वरूप प्रदान करने की दृष्टि से अनुसंधान में यह निम्नलिखित रूपों मे विशेष महत्वपूर्ण है-- 

1. संदर्भ मे सहायक 

संकलित सामग्री को सारणीबद्ब करने के बाद उसका उपयोग आवश्यकता पड़ने पर संदर्भ के रूप में किया जा सकता है।

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2. सांख्यिकीय गणना में सहायक 

सांख्यिकीय गणनाओं व विश्लेषण में सारणीयन सहायक होता है।

3. वर्गीकरण में सहायक 

सारणीयन वर्गीकरण में भी सहायक होता है। सामग्री को वर्गीकृत कर देने से विभिन्न वर्गों की विशेषताएं उस समय तक स्पष्ट नही होतीं जब तक उनको सारणीबद्ध न किया जाए।

4. समझने में सरलता 

ऐसी सामग्री जिसका सारणीयन किया जा चुका है सरलता से समझ में आ जाती है। इसका अध्ययन व्यक्ति पर असारणीयन सामग्री की अपेक्षा गहरा प्रभाव छोड़ता है।

5. समय व श्रम की बचत 

सारणीयन से न्यूनतम स्थान पर सामग्री को प्रस्तुत किया जा सकता है। इससे न केवल समय, श्रम व कागज की बचत होती है बल्कि समंको में स्पष्टता भी आ जाती है। समस्त सामग्री को एक दृष्टि से देखकर समझा जा सकता है। इससे मस्तिष्क पर अधिक भार नही पड़ता।

6. तुलना करने में सहायक 

सारणीयन से तुलना करना सरल हो जाता है। तुलना योग्य तथ्यों को परस्पर निकटवर्ती खानों में रखा जाता है, इससे उनका तुलनात्मक अध्ययन सरल हो जाता है।

सारणी निर्माण के आवश्यक नियम एवं सावधानियां 

एक विद्वान ने लिखा है," एक सुनियोजित सारणी एक समंक समूह की विशेषता की एकीकृत, अनुरूप एवं पूर्ण कहानी है।" इस कहानी को प्रस्तुत करने के लिए एक विशेष ज्ञान एवं कौशल की आवश्यकता होती है। वास्तव में एक उत्तम सारणी बनाना एक कला है जिसके लिए व्यावहारिक ज्ञान की आवश्यकता होती है। एक उत्तम सारणी का निर्माण करते समय निम्नलिखित नियमों को ध्यान में रखना आवश्यक है-- 

1. प्रत्येक सारणी का शीर्षक दिया जाना चाहिए। सारणी में किस प्रकार की सामग्री है, इसकी स्पष्ट एवं पूर्ण कल्पना शीर्षक देखते ही आ जानी चाहिए। सारणी के प्रत्येक स्तम्भ को भी शीर्षक देना चाहिए। 

2. सारणी "संक्षिप्त और समझने में सरल" होनी चाहिए।

3. यदि सामग्री अधिक हो तो उसे एक सारणी में न देकर "अलग-अलग सारणियों में देना चाहिए।" 

4. सारणी के "स्तम्भों का आकार" निर्धारित करते समय उस कागज के आकार का ख्याल रखना चाहिए जिस पर कि सारणी बनाना है।

5. रेखांकन करते समय यह ध्यान में रखना चाहिए कि एक वर्ग को दूसरे वर्ग से मोटी रेखाओं द्वार अलग किया जाए और प्रत्येक वर्ग के उप-विभाग को दूसरे उपविभाग से बारीक रेखाओं द्वार अलग-अलग किया जाये।

6. "प्रत्येक स्तम्भ को भी शीर्षक दिया जाना चाहिए।" ऐसा करते समय यह ध्यान मे रहे कि महत्वपूर्ण स्तम्भ गौण शीर्षकों से अलग और स्पष्ट दिखाई दें।

7. "शीर्षक और उपशीर्षक इस प्रकार के होने चाहिए कि उनका अर्थ स्पष्ट हो और उनकी अन्यत्र व्याख्या देने की आवश्यकता न हो।" 

8. "तुलनात्मक स्तम्भ पास-पास होने चाहिए। 

9. प्रत्येक शीर्षक के नीचे यह बतलाना चाहिए की माप की इकाई क्या है।

10. स्तम्भों का शीर्षक सारणी के बाई ओर से ऊपर ही दिया जाना चाहिए।

11. विभिन्न कतारों की जोड़ सारणी के दाईं ओर नीचे दी जानी चाहिए।

12. विभिन्न पदों को क्रमानुसार लेना चाहिए।

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