5/27/2023

कहानी किसे कहते हैं? कहानी के प्रकार

By:   Last Updated: in: ,

प्रश्न; कहानी किसे कहते हैं? कहानी की परिभाषा दिजीए। 
अथवा", कहानी के विविध रूप बताइए। 
अथवा", कहानी के प्रकार बताइए। 
उत्तर--
Kahani arth paribhasha visheshta tatva prakar;कहानी में मानव जीवन के किसी एक पक्ष का मनोहारी चित्रण किया जाता हैं। किसी एक प्रभाव को उत्पन्न करना ही कहानी का उद्देश्य रहता हैं। आज हम कहानी किसे कहते हैं? कहानी का अर्थ, कहानी के तत्व और प्रकार हिन्दी कहानी का विकास जानेंगे।
कहानी

कहानी किसे कहते हैं? (kahani kise kehte hain)

कहानी गद्द साहित्य की सबसे लोकप्रिय मनोरंजक विधा है। कहानी साहित्य की वह गद्द रचना है जिसमें जीवन के किसी एक पक्ष का कल्पना प्रधान ह्रदयस्पर्शी एवं सुरुचिपूर्ण कथात्मक वर्णन होता हैं। रवीन्द्रनाथ टैगोर के अनुसार "नदी जैसे जलस्रोत की धार है, वैसे ही कहानी का प्रवाह हैं"
कहानी मानव-जीवन का वह खण्ड चित्र है जिसकी कोई सीमा रेखा नही और जिसमें किसी एक पक्ष की अनिवार्यता नहीं। 
उपन्यास और कहानी के अंतर को स्पष्ट करते हुए प्रेमचंद का कथन है " कहानी ऐसी रचना है, जिसमें जीवन के किसी एक अंग या किसी एक मनोभाव को प्रदर्शित करना लेखक का उद्देश्य रहता है। उसे उसके चरित्र, उसकी शैली, उसका कथाविन्यास सभी उसी एक भाव को पुष्ट करने होते हैं।" उपन्यास मे मानव जीवन का संपूर्ण वृहत रूप दिखाने का प्रसास किया जाता हैं। कहानी में उपन्यास की तरह सभी रसों का समावेश नही होता हैं। मुंशी प्रेमचंद तथा जयशंकर प्रसाद, जैनेन्द्र, अज्ञेय, यशपाल आदि कहानीकारों मे लोकप्रिय हैं।

कहानी की परिभाषा (kahani ki paribhasha)

डाॅ. श्यामसुन्दर दास के शब्दों में," आख्यायिका एक निश्चित लक्ष्य को ध्यान में रखकर लिखा गया नाटकीय आख्यान हैं।" 
मुंशी प्रेमचंद ने एक स्थान पर कहा था," कहानी एक ऐसी रचना हैं, जिसमें जीवन के किसी एक अंग या किसी एक मनोभाव को प्रदर्शित करना ही लेखक का उद्देश्य रहता हैं। उपन्यास की तरह उसमें मानव-जीवन का संपूर्ण तथा वृहद् रूप दिखाने का प्रयास नहीं किया जाता। न उसमें उपन्यास की तरह सभी तरह रसों का सम्मिश्रण होता है। वह एक रमणीय उद्यान नहीं, जिसमें भाँति-भाँति के फूल-बेल-बूटे सजे हुए हैं बल्कि एक ऐसा गमला हैं, जिसमें एक ही पौधे का माधुर्य समुन्नत रूप से दृष्टिगोचर होता हैं।" 
चार्ल्स वैरेट के अनुसार," कहानी एक लघु वर्णनात्मक रचना हैं, जिसमें वास्तविक जीवन को कलात्मक रूप में प्रस्तुत किया जाता हैं। कहानी का प्रमुख उद्देश्य मनोरंजन करना हैं।" 
बाबू गुलाब राय के अनुसार," छोटी कहानी एक स्वतः पूर्ण रचना हैं, जिसमें एक दिन या प्रभाव को अग्रसर करने वाली व्यक्ति केन्द्रित घटना या घटनाओं का आवश्यक, परन्तु कुछ अप्रत्याशित ढंग से उत्थान-पतन और मोड़ के साथ पात्रों के चरित्र पर प्रकाश डालने वाला कौतूहलपूर्ण वर्णन हो।" 

कहानी की विशेषताएं (kahani ki visheshta)

उपरोक्त परिभाषाओं के आधार पर कहानी की निम्नलिखित विशेषताएं स्पष्ट होती हैं-- 
1. कहानी एक छोटी रचना हैं। 
2. जीवन के किसी पक्ष पर आधारित होती हैं। 
3. वास्तविकता की कलात्मक अभिव्यक्ति हैं। 
4. लक्ष्याधारित होती हैं। 
5. मानसिक संघर्ष को प्रतिबिंबित करती हैं। 
6. कौतूहल बनाये रखती हैं।

कहानी के प्रकार या भेद (kahani ke prakar)

कहानी में जीवन स्थितियों के प्रतिबिम्ब रहते है तथा जीवन बहुरंगी, बहुरूपी एवं बहुआयामी होता है। अतः कहानी के भी अनेक रूप होते है। कहानियाँ इतने तरह की होती है और हो सकती है कि कई वर्ग-उपवर्ग बना लेने के बाद भी सभी तरह की कहानियाँ उनमें समा जायेंगी, वह संभव नही है। फिर भी मोटे तौर पर कहानियों को तीन आधारों पर विभक्त किया जा सकता हैं-- 

1. कहानी के विषय-वस्तु के आधार पर प्रकार 

पाश्चात्य समीक्षक एच.ई. पेट्स ने कहानी की विषय-वस्तु का क्षेत्र अत्यंत व्यापक बताया है। उनके अनुसार," कहानी एक घोड़े की मृत्यु से लेकर एक जवान लड़की के प्रेम प्रसंग तक किसी भी विषय का निरूपण कर सकती है।" अतः विषय-वस्तु के आधार पर कहानी के अनेक भेद किये जा सकते हैं। इस विभाजन को थोड़ा संयमित करते हुए इसके निम्नवत् उपवर्ग किये जा सकते हैं-- 
(क) ऐतिहासिक कहानियाँ 
जिन कहानियों का कथानक इतिहास के किसी काल-खण्ड की घटना अथवा किसी पात्र से संबंधित हो वे ऐतिहासिक कहानियाँ कही जाएंगी। इनके तीन वर्ग किये जा सकते हैं-- 
१. पूर्ण ऐतिहासिक, 
२. अर्द्ध ऐतिहासिक, 
३. काल्पनिक। 
प्रेमचंद की 'रानी सारन्धा', आचार्य चतुरसेन शास्त्री की 'हल्दी घाटी' में हाँके-बाँके राजपूत, दही की हाँड़ी तथा दुःखवा मैं कासे कहूँ आदि ऐतिहासिक कहानियाँ हैं। 
(ख) सामाजिक कहानियाँ 
जिन कहानियों की कथावस्तु सामाजिक समस्याओं, रूढ़ियों, मूल्य संक्रमण, मानवीय संबंधों आदि को आधार बनाकर चलती है, उन्हें सामाजिक कहानियाँ कहते हैं। परिवारों के बीच पारस्परिक संबंध, टूटते परिवार आदि का चित्रण भी सामाजिक कहानियों में हो सकता है। प्रेमचंद की 'ईदगाह' तथा 'बड़े घर की बेटी', जैनेन्द्र की 'पत्नि', कमलेश्वर की 'राजा निरवंसिया', द्विजेन्द्रनाथ मिश्र निर्गुण की 'छोटा डाॅक्टर' व 'रावण', ऊषा प्रियंवदा की 'वापसी' तथा मन्नू भण्डारी की 'मजदूरी' एवं मृदुला गर्ग की 'कितनी कैढ़े' इसी वर्ग की कहानियाँ हैं। 
(ग) राजनैतिक कहानियाँ 
देशभक्ति, राजनैतिक विचारधारा तथा तत्कालीन राजनैतिक समस्याओं पर लिखी गई कहानियाँ राजनैतिक कहानियाँ कहीं जाएंगी। आचार्य चतुरसेन शास्त्री की 'लौहदण्ड' ऐसी ही कहानियाँ हैं। 
(घ) जासूसी कहानियाँ 
घटना प्रधान, कौतूहलवर्द्धक तथा रहस्य रोमांच से परिपूर्ण कहानियाँ जासूसी कहानियाँ कही जाएंगी। हिन्दी के प्राथमिक कथाकार श्री गोपालराम गहमरी ने कई जासूसी कहानियाँ लिखी है। उनकी 'गोदाम में चोरी' ऐसी ही कहानी हैं। 
(ङ) धार्मिक एवं दार्शनिक कहानियाँ 
जिन कहानियों की कथावस्तु किसी धार्मिक सिद्धान्त की विवेचना अथवा किसी दार्शनिक तथ्य की व्याख्या से संबंधित होती है वे धार्मिक तथा दार्शनिक कहानियाँ होती है। आचार्य चतुरसेन शास्त्री की 'अम्बपालिका' को इस वर्ग में रखा जा सकता हैं। 
(च) नीति प्रधान कहानियाँ 
जिन कहानियों का उद्देश्य मानव-जीवन के किसी नैतिक पक्ष को उजागर करना होता है, वे नैतिक कहानियाँ होती है। प्रेमचंद की 'जेबरों का डिब्बा' व 'लागडाट' एवं 'पंच परमेश्वर' आदि इसी वर्ग में आयेंगी। प्रेमचंद युग में ऐसी कहानियों का बोलबाला था। 
(छ) वैज्ञानिक कहानियाँ 
आज का युग वैज्ञानिक युग है। जीवन का कोई क्षेत्र विज्ञान से अप्रभावित नहीं है। वैज्ञानिक सिद्धान्तों तथा समस्याओं पर कई कहानियाँ लिखी जा रही हैं। विज्ञान प्रगति, आविष्कार आदि पत्रिकाओं में ऐसी कहानियाँ प्रकाशित होती रहती हैं। 
(ज) मनोवैज्ञानिक कहानियाँ 
यों तो लगभग हर कहानी में पात्रों के चरित्रिक उत्थान-पतन में मनोवैज्ञानिकता का सहारा लिया ही जाता है, लेकिन जहाँ चरित्र प्रधान कहानियों में पात्रों की सजीवता उनकी मानसिक स्थितियों एवं उनके प्रेरित सारे व्यापारों का चित्रण मनोवैज्ञानिक धरातल पर किया जाता है, उन्हें मनोवैज्ञानिक कहानियाँ कहते है। जैसे- प्रेमचन्द, प्रसाद, जैनेन्द्र, इलाचन्द्र जोशी एवं अज्ञेय की अधिकांश कहानियाँ। 
(झ) आंचलिक कहानियाँ 
किसी क्षेत्र में विशेष की संस्कृति, लोक-जीवन, परम्पराओं तथा रीति-रिवाजों को लेकर लिखी गई कहानियाँ आंचलिक कहानियाँ कही जा सकती है। फणीश्वरनाथ रेणु की 'तीसरी कसम', शिवप्रसाद सिंह की 'भेड़ियें' तथा लक्ष्मीनारायण लाल की 'सुनों दिलजानी' आंचलिक कहानियाँ हैं, नागार्जुन ने भी ऐसी कई कहानियाँ लिखी हैं।
2. शिल्प विधान के आधार पर कहानी के प्रकार 
कहानी का शिल्प संक्षिप्तता तथा कसावट की माँग करता है। कहानीकार कहानी के शिल्प में घटना, चरित्र, वातावरण, भाव-चित्रण, प्रचार-निरूपण आदि किसी भी तत्व को प्रधानता दे सकता है। इसलिए शिल्प की दृष्टि से भी कहानी के कई भेद हो सकते हैं-- 
(क) घटना-प्रधान कहानियाँ 
वस्तुतः कहानी का प्रारम्भ घटना प्रधान कहानी से ही हुआ था। यह अलग बात है कि आधुनिक युग में आकर कहानी में घटना उतनी महत्वपूर्ण नहीं रही। अब घटना के मनोवैज्ञानिक कारणों तथा उससे पैदा होने वाले प्रभावों के आंकलन पर विशेष रहता है। प्रेमचंद, चतुरसेन शास्त्री, विश्वम्भरनाथ शर्मा, कौशिक, द्विजेन्द्रनाथ मिश्र, 'निर्गुण' तथा यादवेन्द्र शर्मा 'चन्द्र' आदि अनेक लेखकों ने असंख्य घटना प्रधान कहानियाँ हिन्दी को दी हैं।
(ख) चरित्र-प्रधान कहानियाँ
जिन कहानियों में किसी पात्र के चरित्रीकरण को कहानी की कथावस्तु का आधार बनाया जाता है, वे चरित्र कहानियाँ होती हैं, इन कहानियों में मनोवैज्ञानिकता का पुट ज्यादा रहता हैं। चन्द्रधर शर्मा गुलेरी को 'उसने कहा था', प्रेमचंद की 'कफन', प्रसाद की 'व्रत भंग' तथा 'गुण्डा' आदि ऐसी ही कहानियाँ है। 
(ग) वातावरण-प्रधान कहानियाँ 
जिन कहानियों में परिवेश के चित्रण का ज्यादा महत्व दिया जाता है। जहाँ घटना एवं पात्रों को भी परिवेश के परिप्रेक्ष्य में ही देखा जाता हैं, वह घटना वातावरण प्रधान होती है। ऐतिहासिक कहानियों में वातावरण चित्रण की प्रधानता रहती है। आचार्य चतुरसेन शास्त्री ने कई वातावरण कहानियाँ लिखी हैं। 
(घ) भाव-प्रधान कहानियाँ 
कुछ कहानियों में भाव-चित्रण को प्रधानता मिल जाती है। प्रेम, दया, घृणा, क्रोध, आक्रोश आदि को ही प्रमुख आधार बनाकर चलती है। इस कोटि की कहानियों में प्रसाद की 'आकाशदीप', मालती जोशी की 'गुड मार्निंग', 'मिस मेथ्यूज' शिवप्रसाद सिंह की 'बिन्दा महाराज' आदि का नाम लिया जा सकता हैं। 
(ड़) विचार-प्रधान कहानियाँ 
कुछ कहानियाँ विचार प्रधान होती है। उनमें विचारों के निरूपण को ज्यादा महत्व दिया जाता है। 
(च) हास्य-व्यंग्य प्रधान कहानियाँ 
जिन कहानियों में समाज की किसी रूढ़ि, व्यक्ति की किसी सनक अथवा दुर्गुण आदि पर व्यंग्यात्मक दृष्टि डालकर-हास्य की सृष्टि की जाती है, उन्हे हास्य-व्यंग्य प्रधान कहानियाँ कहते है। जी. पी. श्रीवास्तव, अमृतलाल नागर, हरिशंकर परसाई तथा भगवतीचरण वर्मा ने हास्य-व्यंग्य प्रधान कहानियों का सृजन किया हैं।
यह भी पढ़े; कहानी के तत्व 

कहानी का विकास 

कहानी के विकास को जानने के लिये पौराणिक आख्यानों, जातक कथाओं, पंचतंत्र और हितोपदेश को जानना होगा। इसके अतिरिक्त कथा सरित्सागर, वृहत्कथा, और बैतालपंचविशति में भी शिक्षाप्रद मनोरंजक कथाएँ मिलती हैं। 
संस्कृत कथा साहित्य की यह परम्परा प्राकृत और अपभ्रंश में भी विकासमान रही। गद्य की अन्य विधाओं की भांति हिन्दी कहानी भी आधुनिक युग की देन है। कुछ आलोचक हिन्दी कहानी का आरम्भ सदल मिश्र के " नासिकेतोपाख्यान " तथा इंशाअल्ला खां की " रानी केतकी की कहानी " से मानते हैं। अधिकांश विद्वानों ने किशोरीलाल गोस्वामी की " इन्दुमती " को जिसका प्रकाशन सन् 1900 ई. मे हुआ था, हिन्दी की प्रथम कहानी माना हैं। उत्क कहानी को आधार मानकर कहानी के विकास को तीन भागों में विभक्त किया जा सकता है। आरंभिक काल 1900 से 1910 विकास काल 1911 से 1946 उत्कर्षकाल 1947 से अब तक।
आपको यह जरूर पढ़ना चाहिए सरल एवं स्पष्ट भाषा में रस किसे कहते हैं? दसों रस की परिभाषा भेद उदाहरण सहित
आपको यह जरूर पढ़ना चाहिए अलंकार किसे कहते हैं, भेद तथा प्रकार
आपको यह जरूर पढ़ना चाहिए डायरी किसे कहते है?
आपको यह जरूर पढ़ना चाहिए नई कविता किसे कहते हैं? नई कविता की विशेषताएं
आपको यह जरूर पढ़ना चाहिए रहस्यवाद किसे कहते हैं? रहस्यवाद की विशेषताएं
आपको यह जरूर पढ़ना चाहिए प्रयोगवाद किसे कहते हैं? प्रयोगवाद की विशेषताएं
आपको यह जरूर पढ़ना चाहिए प्रगतिवाद किसे कहते हैं? प्रगतिवाद की विशेषताएं
आपको यह जरूर पढ़ना चाहिए छायावाद किसे कहते हैं? छायावादी काव्य की मुख्य विशेषताएं
आपको यह जरूर पढ़ना चाहिए नाटक किसे कहते है? परिभाषा, विकास क्रम और तत्व
आपको यह जरूर पढ़ना चाहिए उपन्यास किसे कहते है? उपन्यास का विकास क्रम
आपको यह जरूर पढ़ना चाहिए कविता किसे कहते है? कविता का क्या अर्थ हैं
आपको यह जरूर पढ़ना चाहिए  काव्य किसे कहते है? काव्य का अर्थ भेद और प्रकार
आपको यह जरूर पढ़ना चाहिए रेखाचित्र किसे कहते है? रेखाचित्र का क्या अर्थ हैं
आपको यह जरूर पढ़ना चाहिए संस्मरण किसे कहते है? संस्मरण का क्या अर्थ हैं
आपको यह जरूर पढ़ना चाहिए रिपोर्ताज किसे कहते है? riportaj kya hai
आपको यह जरूर पढ़ना चाहिए आलोचना किसे कहते है? आलोचना का क्या अर्थ हैं जानिए
आपको यह जरूर पढ़ना चाहिए जीवनी किसे कहते हैं?
आपको यह जरूर पढ़ना चाहिए आत्मकथा किसे कहते हैं? जानिए
आपको यह जरूर पढ़ना चाहिए एकांकी किसे कहते है? तत्व और प्रकार

आपको यह जरूर पढ़ना चाहिए कहानी किसे कहते हैं? तत्व विविध रूप प्रकार या भेद

5 टिप्‍पणियां:
Write comment
  1. उत्तर
    1. अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए धन्यवाद।

      हटाएं
  2. कहानी के प्रकार किसके आधार पर चार भागो में विभाजित किए।
    कहानी तीन प्रकार के होते है -
    1) उद्देश्य के आधार पर पर
    2)विषय वस्तु के आधार पर
    3)तत्व के आधार पर

    जवाब देंहटाएं
  3. नमस्कार
    अपने अच्छा प्रयास किया है I लेकिन बहुत अशुद्धियाँ हैं I गद्द शब्द नहीं होता है बल्कि ' गद्य ' होता है , 'कल्पना' शब्द स्त्रीलिंग होता है आदि आदि .......

    जवाब देंहटाएं

आपके के सुझाव, सवाल, और शिकायत पर अमल करने के लिए हम आपके लिए हमेशा तत्पर है। कृपया नीचे comment कर हमें बिना किसी संकोच के अपने विचार बताए हम शीघ्र ही जबाव देंगे।