5/12/2020

कविता किसे कहते है? कविता का क्या अर्थ हैं

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कविता किसे कहते है? कविता का क्या अर्थ हैं

कविता साहित्य का एक अंग है। कविता की एक निश्चित परिभाषा देना कठिन है लेकिन इतना कहा जा सकता है कि कविता आत्मा द्वारा अनुभूत भावों एवं विचारों का प्रस्फुटन है जो छन्द और नियमित गति से बंधी होने के कारण ताल तथा लय को अपने में समाविष्ट करती हैं। हिन्दी के कई विद्वानों ने अपने विचारासार कविता को परिभाषित करने का प्रयास किया हैं।

कविता की परिभाषा (kavita ki paribhasha)

पं. जगन्नाथ के अनुसार," रमणीयार्थ प्रतिपादकः शब्द: काव्यम्,' सुन्दर अर्थ प्रतिपादित करने वाला शब्द ही काव्य कहलाता हैं।"
प्रो. रमन बिहारी के अनुसार," मानव सौन्दर्यात्मक प्राणी है। वह समाज में रहकर कुछ अनुभूति करता है एवं उसे प्रकट करता है, भिन्न-भिन्न माध्यमों से। जब वह अपनी अनुभूति को भाषा के माध्यम से इस प्रकार अभिव्यक्त करता है कि उसमें सरलता एवं सरसता हो, माधुर्य तथा ओज हो और ह्रदय को स्पन्दित करने की शक्ति हो, तो हम उसे कविता कहते हैं।"
श्री जयशंकर प्रसाद के अनुसार," पद्य (कविता) आत्मा की संकल्पनात्मक अनुभूति हैं।"
आन्नर्धनाचार्य के अनुसार," काव्यास्यात्मा ध्वनिः", काव्य की आत्मा ध्वनि हैं।"
सुप्रसिद्ध समालोचक एवं चिन्तक आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने कविता को परिभाषित करते हुए लिखा है कि " कविता वह साधन है जिसके द्वारा सृष्टि के साथ मनुष्य के रागात्मक संबंध की रक्षा और निर्वाह होता है।"
रामचन्द्र शुक्ल के अनुसार दी गई परिभाषा के अनुसार कविता की तीन विशेषताएं स्पष्ट होती है---
1. कविता मानव एकता की प्रतिष्ठा करने का एक साधन है और यहि उसकी उपयोगिता है।
2. कविता में भावों एवं कल्पना की प्रधानता रहती है। 
3. कविता मे कवि की अनुभूति की अभिव्यक्ति रहती हैं।
महादेवी वर्मा के अनुसार; कविता कवि विशेष की भाषाओं का चित्रण हैं।

कविता के दो स्वरूप है--

(अ) कविता का बाहरी स्वरूप 
कविता के दो पक्ष है--- अनुभूति और अभिव्यक्ति। अनुभूति पक्ष का संबंध कविता के आंतरिक स्वरूप से है, जबकि अभिव्यक्ति पक्ष का संबंध बाहरी रूप से से है।
कविता के बाहरी रूप के निर्धारण मे निम्नलिखित कारकों की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है----
1. लय 2. तुक 3. छन्द 4. शब्द योजना 5. काव्य भाषा 6. अलंकार 7. काव्य गुण
(ब) कविता का आन्तरिक स्वरूप 
कविता का आन्तरिक पक्ष काव्य की आत्मा होती है। रसात्मकता, अनुभूति की तीव्रता, भाव और विचारों का समावेश तथा कल्पना की सृजनात्मकता से उत्पन्न सौन्दर्यबोध का सम्बन्ध कविता के आन्तरिक पक्ष से है। इसके अन्तर्गत भाव सौन्दर्य, विचार सौन्दर्य, नाद सौन्दर्य और अप्रस्तुत योजना का सौन्दर्य शामिल किया जाता है।
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