5/09/2020

कहानी किसे कहते हैं? तत्व विविध रूप प्रकार या भेद

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Kahani arth paribhasha visheshta tatva prakar;कहानी में मानव जीवन के किसी एक पक्ष का मनोहारी चित्रण किया जाता हैं। किसी एक प्रभाव को उत्पन्न करना ही कहानी का उद्देश्य रहता हैं। आज हम कहानी किसे कहते हैं? कहानी का अर्थ, कहानी के तत्व और प्रकार हिन्दी कहानी का विकास जानेंगे।
कहानी

कहानी किसे कहते हैं? (kahani kise kehte hain)

कहानी गद्द साहित्य की सबसे लोकप्रिय मनोरंजक विधा है। कहानी साहित्य की वह गद्द रचना है जिसमें जीवन के किसी एक पक्ष का कल्पना प्रधान ह्रदयस्पर्शी एवं सुरुचिपूर्ण कथात्मक वर्णन होता हैं। रवीन्द्रनाथ टैगोर के अनुसार "नदी जैसे जलस्रोत की धार है, वैसे ही कहानी का प्रवाह हैं"
कहानी मानव-जीवन का वह खण्ड चित्र है जिसकी कोई सीमा रेखा नही और जिसमें किसी एक पक्ष की अनिवार्यता नहीं। 
उपन्यास और कहानी के अंतर को स्पष्ट करते हुए प्रेमचंद का कथन है " कहानी ऐसी रचना है, जिसमें जीवन के किसी एक अंग या किसी एक मनोभाव को प्रदर्शित करना लेखक का उद्देश्य रहता है। उसे उसके चरित्र, उसकी शैली, उसका कथाविन्यास सभी उसी एक भाव को पुष्ट करने होते हैं।" उपन्यास मे मानव जीवन का संपूर्ण वृहत रूप दिखाने का प्रसास किया जाता हैं। कहानी में उपन्यास की तरह सभी रसों का समावेश नही होता हैं। मुंशी प्रेमचंद तथा जयशंकर प्रसाद, जैनेन्द्र, अज्ञेय, यशपाल आदि कहानीकारों मे लोकप्रिय हैं।

कहानी की परिभाषा (kahani ki paribhasha)

डाॅ. श्यामसुन्दर दास के शब्दों में," आख्यायिका एक निश्चित लक्ष्य को ध्यान में रखकर लिखा गया नाटकीय आख्यान हैं।" 
मुंशी प्रेमचंद ने एक स्थान पर कहा था," कहानी एक ऐसी रचना हैं, जिसमें जीवन के किसी एक अंग या किसी एक मनोभाव को प्रदर्शित करना ही लेखक का उद्देश्य रहता हैं। उपन्यास की तरह उसमें मानव-जीवन का संपूर्ण तथा वृहद् रूप दिखाने का प्रयास नहीं किया जाता। न उसमें उपन्यास की तरह सभी तरह रसों का सम्मिश्रण होता है। वह एक रमणीय उद्यान नहीं, जिसमें भाँति-भाँति के फूल-बेल-बूटे सजे हुए हैं बल्कि एक ऐसा गमला हैं, जिसमें एक ही पौधे का माधुर्य समुन्नत रूप से दृष्टिगोचर होता हैं।" 
चार्ल्स वैरेट के अनुसार," कहानी एक लघु वर्णनात्मक रचना हैं, जिसमें वास्तविक जीवन को कलात्मक रूप में प्रस्तुत किया जाता हैं। कहानी का प्रमुख उद्देश्य मनोरंजन करना हैं।" 
बाबू गुलाब राय के अनुसार," छोटी कहानी एक स्वतः पूर्ण रचना हैं, जिसमें एक दिन या प्रभाव को अग्रसर करने वाली व्यक्ति केन्द्रित घटना या घटनाओं का आवश्यक, परन्तु कुछ अप्रत्याशित ढंग से उत्थान-पतन और मोड़ के साथ पात्रों के चरित्र पर प्रकाश डालने वाला कौतूहलपूर्ण वर्णन हो।" 

कहानी की विशेषताएं (kahani ki visheshta)

उपरोक्त परिभाषाओं के आधार पर कहानी की निम्नलिखित विशेषताएं स्पष्ट होती हैं-- 
1. कहानी एक छोटी रचना हैं। 
2. जीवन के किसी पक्ष पर आधारित होती हैं। 
3. वास्तविकता की कलात्मक अभिव्यक्ति हैं। 
4. लक्ष्याधारित होती हैं। 
5. मानसिक संघर्ष को प्रतिबिंबित करती हैं। 
6. कौतूहल बनाये रखती हैं।

कहानी के तत्व (kahani ke tatva)

कहानी के 6 तत्व होते है जो इस प्रकार से है---
1. कथावस्तु अथवा कथानक
2. कथोपकथन अथवा संवाद 
3. चरित्र चित्रण अथवा पात्र
4. देशकाल-वातावरण
5. भाषा-शैली और शिल्प 
6. उद्देश्य 

कहानी के विविध रूप, प्रकार या भेद (kahani ke prakar)

1. घटना प्रधान कहानी 
घटना प्रधान कहानियों मे क्रमशः अनेक घटनाओं को एकसूत्र में पिरोते हुए कथानक का विकास जाता है अथवा किसी दैवी घटना या संयोग पर ही कहानी आधारित होती हैं। आदर्श कहानियाँ, जासूसी और तिलस्मी कहानियाँ इसी प्रकार की होती हैं।

2. चरित्र प्रधान कहानी 
चरित्र प्रधान कहानियों मे विभिन्नता के कारण चरित्र चित्रण पर ध्यान दिया जाता है। साथ ही मनोवैज्ञानिक, पृष्ठभूमियों की सूक्ष्म चारित्रिक विशेषताओं का उद्घघाटन किया जाता है। अपने समय मे प्रेमचंद सामाजिक धरातल की और प्रसाद ऐतिहासिक धरातल की चरित्र प्रधान कहानियों के सर्वश्रेष्ठ लेखक थें।


3. वातावरण प्रधान कहानी 
इस प्रकार की कहानियों मे वातावरण का चित्रण विशेष रूप से होता है और उसी के माध्यम से युग विशेष की अभिव्यक्ति किया जाता हैं। ऐतिहासिक कहानियों मे इसका महत्वपूर्ण स्थान है।

4. भाव प्रधान कहानी
ये कहानियाँ किसी भाव या विचार के आधार पर आधारित होती हैं और तदनुरूप प्रतीकात्मक चरित्रों एवं वातावरण पर आधारित होती है।


हिन्दी कहानी का विकास 

कहानी के विकास को जानने के लिये पौराणिक आख्यानों, जातक कथाओं, पंचतंत्र और हितोपदेश को जानना होगा। इसके अतिरिक्त कथा सरित्सागर, वृहत्कथा, और बैतालपंचविशति में भी शिक्षाप्रद मनोरंजक कथाएँ मिलती हैं। 
संस्कृत कथा साहित्य की यह परम्परा प्राकृत और अपभ्रंश में भी विकासमान रही। गद्य की अन्य विधाओं की भांति हिन्दी कहानी भी आधुनिक युग की देन है। कुछ आलोचक हिन्दी कहानी का आरम्भ सदल मिश्र के " नासिकेतोपाख्यान " तथा इंशाअल्ला खां की " रानी केतकी की कहानी " से मानते हैं। अधिकांश विद्वानों ने किशोरीलाल गोस्वामी की " इन्दुमती " को जिसका प्रकाशन सन् 1900 ई. मे हुआ था, हिन्दी की प्रथम कहानी माना हैं। उत्क कहानी को आधार मानकर कहानी के विकास को तीन भागों में विभक्त किया जा सकता है। आरंभिक काल 1900 से 1910 विकास काल 1911 से 1946 उत्कर्षकाल 1947 से अब तक।
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5 टिप्‍पणियां:
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  1. उत्तर
    1. अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए धन्यवाद।

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  2. कहानी के प्रकार किसके आधार पर चार भागो में विभाजित किए।
    कहानी तीन प्रकार के होते है -
    1) उद्देश्य के आधार पर पर
    2)विषय वस्तु के आधार पर
    3)तत्व के आधार पर

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  3. नमस्कार
    अपने अच्छा प्रयास किया है I लेकिन बहुत अशुद्धियाँ हैं I गद्द शब्द नहीं होता है बल्कि ' गद्य ' होता है , 'कल्पना' शब्द स्त्रीलिंग होता है आदि आदि .......

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