5/19/2020

रहस्यवाद किसे कहते हैं? रहस्यवाद की विशेषताएं

By:   Last Updated: in: ,

हिन्दी कविता  मे रहस्यवाद का काल निर्धारण करना कठिन हैं क्योंकि रहस्यवाद सृष्टि के आरम्भ से ही कवितायों को प्रिय रहा है। वेदों मे ऊषा, मेघ सरिता आदि के वर्णन मे अव्यक्त परमात्मा के स्परूप को लक्ष्य किया गया है। यह प्रकृति और जगत ही रहस्यमय है। कण-कण मे परमात्मा मे होने का आभास ही रहस्यवाद हैं।
आज हम रहस्यवाद किसे कहते हैं? रहस्यवाद क्या हैं? रहस्यवाद की विशेषताएं तथा छायावाद और रहस्यवाद मे अतंर को जानेंगे।

रहस्यवाद किसे कहते हैं? एवं रहस्यवाद की परिभाषा (rahasyavad kise kahte hai)

आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने रहस्यवाद की परिभाषा इस प्रकार की हैं " चिंतन के क्षेत्र मे जो अद्वैतवाद है, भावना के क्षेत्र मे वही रहस्यवाद हैं।"
महादेवी वर्मा के शब्दों मे " अपनी सीमा को असीम तत्व में खोजना ही रहस्यवाद है।"
जहाँ कवि इस अनन्त परमतत्व और अज्ञात प्रियतम को आलम्बन बनाकर अत्यंत चित्रमयी भाषा मे प्रेम की अनेक प्रकार से व्यंजना करता हैं, वहाँ रहस्यवाद है। रामचंद्र शुक्ल ने रहस्यवाद को भारतीय साहित्य की विशिष्ट उपलब्धि माना हैं।
बाबू  गुलाबराय ने " प्रकृति मे मानवीय भावों का आरोप कर जड़ चेतन के एकीकरण की प्रवृत्ति के लाक्षणिक प्रयोग को रहस्यवाद कहा हैं।"
मुकुटधर पांडेय के अनुसार रहस्यवाद " प्रकृति मे सूक्ष्म सत्ता का दर्शन ही रहस्यवाद हैं।"
हिन्दी काव्य मे छायावाद प्रवृत्ति के जन्म के बहुत पहले कबीर, जायसी, मीरा आदि मे रहस्यवाद अपनी पूर्ण गरिमा के साथ विद्यमान है।
आधुनिक हिन्दी कविता मे रहस्यवाद का उद्भव और विकास छायावाद युग मे हुआ। छायावाद कविता के समापन के साथ ही रहस्यवादी कविताओं का सृजन बंद हो गया। सन् 1928 से 30 के आस-पास रहस्यवाद अपनी चरम अवस्था मे था। आधुनिक युग की विशेषकर, छायावादी कविताएँ पढ़कर रहस्यवादी प्रवृत्तियों को समझना सरल हो जाता हैं।

रहस्यवाद की चार विशेषताएं (rahasyavad ki visheshta)

1. अलौकिक सत्ता के प्रति प्रेम
इस युग की कविताओं मे अलौकिक सत्ता के प्रति जिज्ञासा, प्रेम व आकर्षण के भाव व्यक्त हुए हैं।
2. परमात्मा मे विरह-मिलन का भाव
आत्मा को परमात्मा की विरहिणी मानते हुए उससे विरह व मिलन के भाव व्यक्त किए गए हैं।
3. जिज्ञासा की भावना
सृष्टि के समस्त क्रिया तथा अदृश्य ईश्वरीय सत्ता के प्रति जिज्ञासा के भाव प्रकट गए है।
4. प्रतीकों का प्रयोग
प्रतीकों के माध्यम मे भावाभिव्यक्ति की गई है।

रहस्यवाद और छायावाद मे अंतर 

1. रहस्यवाद मे चिंतन की प्रधानता हैं, छायावाद मे कल्पना की प्रधानता हैं।
2. रहस्यवाद में ज्ञान व बुद्धितत्व की प्रधानता हैं, छायावाद मे भावना की प्रधानता हैं।
3. रहस्यवाद की प्रकृति दार्शनिक है, इसके मूल मे प्रकृति है।
आपको यह जरूर पढ़ना चाहिए सरल एवं स्पष्ट भाषा में रस किसे कहते हैं? दसों रस की परिभाषा भेद उदाहरण सहित
आपको यह जरूर पढ़ना चाहिए अलंकार किसे कहते हैं, भेद तथा प्रकार
आपको यह जरूर पढ़ना चाहिए डायरी किसे कहते है?
आपको यह जरूर पढ़ना चाहिए नई कविता किसे कहते हैं? नई कविता की विशेषताएं
आपको यह जरूर पढ़ना चाहिए रहस्यवाद किसे कहते हैं? रहस्यवाद की विशेषताएं
आपको यह जरूर पढ़ना चाहिए प्रयोगवाद किसे कहते हैं? प्रयोगवाद की विशेषताएं
आपको यह जरूर पढ़ना चाहिए प्रगतिवाद किसे कहते हैं? प्रगतिवाद की विशेषताएं
आपको यह जरूर पढ़ना चाहिए छायावाद किसे कहते हैं? छायावादी काव्य की मुख्य विशेषताएं
आपको यह जरूर पढ़ना चाहिए नाटक किसे कहते है? परिभाषा, विकास क्रम और तत्व
आपको यह जरूर पढ़ना चाहिए उपन्यास किसे कहते है? उपन्यास का विकास क्रम
आपको यह जरूर पढ़ना चाहिए कविता किसे कहते है? कविता का क्या अर्थ हैं
आपको यह जरूर पढ़ना चाहिए  काव्य किसे कहते है? काव्य का अर्थ भेद और प्रकार
आपको यह जरूर पढ़ना चाहिए रेखाचित्र किसे कहते है? रेखाचित्र का क्या अर्थ हैं
आपको यह जरूर पढ़ना चाहिए संस्मरण किसे कहते है? संस्मरण का क्या अर्थ हैं
आपको यह जरूर पढ़ना चाहिए रिपोर्ताज किसे कहते है? riportaj kya hai
आपको यह जरूर पढ़ना चाहिए आलोचना किसे कहते है? आलोचना का क्या अर्थ हैं जानिए
आपको यह जरूर पढ़ना चाहिए जीवनी किसे कहते हैं?
आपको यह जरूर पढ़ना चाहिए आत्मकथा किसे कहते हैं? जानिए
आपको यह जरूर पढ़ना चाहिए एकांकी किसे कहते है? तत्व और प्रकार
आपको यह जरूर पढ़ना चाहिए कहानी किसे कहते हैं? तत्व विविध रूप प्रकार या भेद

कोई टिप्पणी नहीं:
Write comment

आपके के सुझाव, सवाल, और शिकायत पर अमल करने के लिए हम आपके लिए हमेशा तत्पर है। कृपया नीचे comment कर हमें बिना किसी संकोच के अपने विचार बताए हम शीघ्र ही जबाव देंगे।