8/09/2020

रेडक्लिफ ब्राउन के सामाजिक संरचना संबंधी विचार

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रेडक्लिफ ब्राउन के सामाजिक संरचना संबंधी विचार 

रेडक्लिफ ब्राउन के अनुसार सामाजिक संरचना सामाजिक संबंधों का जाल है। सामाजिक संरचना को तभी समझा जा सकता है जब समूह मे व्यक्तियों के बीच परस्पर संबंधों को देखा जाए। समूह मे व्यक्ति से व्यक्ति के बीच संबंध अन्त: क्रिया की बारंबारता से विकसित होते है। जो कि वैयक्तिक हितों की पूर्ति मे सहायक होते है। रेडक्लिफ ब्राउन के अनुसार वैयक्तिक हितों की पूर्ति से साहचर्य के संबंध विकसित होते है जिनका निर्धारण संस्थागत नियमों से होता है। तात्पर्य यह है कि संस्था व्यक्तियों के बीच संबंधों को नियमों के आधार पर व्यवस्थित करती है। उदाहरण के लिये भारत मे जाति व्यवस्था द्वारा सामाजिक संबंधों के निर्धारण को भारतीय समाज की सामाजिक संरचना मे देखा जा सकता है। रेडक्लिफ ब्राउन का ऐसा मानना था कि समूह मे व्यक्ति अपनी प्रस्थिति आधारित भूमिका का निर्वाह करते है। भूमिका अपेक्षा नियमों से निर्देशित होती है। रेडक्लिफ ब्राउन सामाजिक संरचना को समझाने मे दो बातों को स्पष्ट करते है-- पहला, समाज की संरचना एवं दूसरा संरचनात्मक स्वरूप। तात्पर्य यह है कि समाज की संरचना वास्तविक संबंधों पर आधारित होती है और संरचनात्मक स्वरूप इन संबंधों को प्रतिमानित आधार पर बनाये रखते है। संरचनात्मक स्वरूप समाज के मानक है एवं संस्थाओं द्वारा निर्दिष्ट होते है। संस्थाएं व्यक्ति के परस्पर अपेक्षित व्यवहार को परिभाषित करती है। जिससे नियमबध्दता पनपती है। किन्तु सदैव ऐसा ही हो यह आवश्यक नही। कभी-कभी कुछ व्यक्ति इन परिभाषित नियमों का उल्लंघन भी करते है। किन्तु प्रतिबंधों की व्यवस्था व्यक्तियों के व्यवहार का नियमन करती है। रेडक्लिफ ब्राउन ने स्पष्ट किया कि समाज की संरचना मे व्यक्तियों के आने-जाने (जन्म और मृत्यु) से वास्तविक संबंध प्रभावित होते है। किन्तु संरचनात्मक स्वरूप बने रहने से सामाजिक संरचना की निरंतरता बनी रहती है। उदाहरण के लिये परंपरागत हिन्दू समाज व्यवस्था मे पिता की मृत्यु के बाद पिता की निर्धारित भूमिका का निर्वाह परिवार मे बड़ा पुत्र करने लगता है।
रेडक्लिफ ब्राउन के अनुसार सामाजिक संरचना स्थानीय विशेषताओं से प्रभावित होती है। ब्राउन के अनुसार दो समाजों की संरचना का तुलनात्मक अध्ययन करे तो यह आवश्यक होगा कि उनकी स्थानीय विशेषताओं को भी जाने। स्थानीय विशेषताएं हमारे सांस्कृतिक तरीकों को प्रभावित करती है। संस्कृति समाज मे जीने का ढंग होती है। चूंकि स्थानीय विशेषताएं भिन्न-भिन्न होती है, अतः संस्कृति की भिन्नता भी तुलनात्मक रूप से स्पष्ट हो जाती है। इस तरह अलग-अलग समाजों की संरचना को समझा जा सकता है।
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