सात्मीकरण (आत्मसात) का अर्थ (satmikaran ka arth)
satmikaran meaning in hindi; एक संस्कृति द्वारा अपने से भिन्न दूसरी संस्कृति को अपने मे घुला-मिला देने की प्रक्रिया सात्मीकरण या आत्मसात कहला है। सात्मीकरण या आत्मसात को स्पष्ट करते हुए गिलिन एवं गिलिन लिखते है कि सात्मीकरण या आत्मसात एक प्रगतिशील प्रक्रिया है जिसमे व्यक्तियों और समूहों के बीच मतभेद कम होते है तथा क्रिया, मनोवृत्ति और मानसिक क्रिया मे सामान्य हित के प्रति चादर के साथ समानता मे वृद्धि होती हैं। जब व्यक्तियों एवं समूहों मे आत्मसात हो जाता है तो उनके बीच पाये जाने वाले मतभेद समाप्त हो जाते है और उद्देश्यों और हितों मे समानता आ जाती है। आत्मसात सामाजिक एवं सांस्कृतिक एकीकरण की प्रक्रिया है। संघर्ष से एकीकरण की ओर बढ़ने का प्रथम चरण व्यवस्थापन है और आत्मसमात अन्तिम चरण। लम्बे समय तक व्यवस्थापन करने पर आत्मसात का मार्ग प्रशस्त होता है। आत्मसात धीमी गति से एवं अचेतन रूप से होता है। सात्मीकरण को कभी-कभी पर-संस्कृति ग्रहण के रूप मे भी जाना जाता है। उदाहरण के लिए अंग्रेजों के आने के पश्चात पश्चिमीकरण की प्रक्रिया के कारण भारतीय संस्कृति मे भाषा, वेशभूषा मे आये परिवर्तन, व्यक्तिवादी विचारधार का बढ़ना और उसके परिणामस्वरूप छोटे परिवरों का अस्तित्व मे आना जैसे अनेक मूल्य हमने आत्मसात किए है। इसी प्रकार अंग्रेजों ने भी हमारी कुछ विशेषताओं को अपनाया है।आगे जानेंगे सात्मीकरण की परिभाषा और सात्मीकरण (आत्मसात) की मुख्य विशेषताएं।
सात्मीकरण या आत्मसात की परिभाषा (satmikaran ki paribhasha)
बोगार्डस के अनुसार " सात्मीकरण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा अनेक व्यक्तियों की मनोवृत्तियाँ एकीकृत हो जाती है और इसके फलस्वरूप वे एक संयुक्त समूह के रूप मे विकसित हो जाते है।पार्क और बर्जेस " सात्मीकरण (आत्मसात) सहभागिता एवं पारस्परिक अंतःप्रवेश की एक प्रक्रिया है जिसमे कोई व्यक्ति अथवा समूह किसी दूसरे व्यक्ति अथवा समूह की स्मृतियों, भावनाओं और प्रवृत्तियों को ग्रहण कर लेते है तथा उनके अनुभव और इतिहास को साझा कर सामान्य सांस्कृतिक जीवन मे संयुक्त हो जाते है।
जे.एच. फिक्टर के अनुसार " सात्मीकरण एक ऐसी सामाजिक प्रक्रिया है जिसके द्वारा दो या दो से अधिक व्यक्ति या समूह एक दूसरे के व्यवहार प्रतिमानों को स्वीकार करते है और निष्पादित करते है।
फिचर के अनुसार " आत्मसात एक सामाजिक प्रक्रिया है जिसके द्वारा दो या दो से अधिक व्यक्ति या समूह एक-दूसरे के व्यवहार प्रतिमानों को स्वीकार करते है और उन्हीं के अनुसार आचरण करते है।
ऑगबर्न और निमकाॅक सात्मीकरण को परिभाषित करते हुए लिखते है " आत्मसात वह प्रक्रिया है जिसमे किसी समय असमान व्यक्ति या समूह अपने स्वार्थ और दृष्टिकोण मे समान हो जाते है।
बीसेन्ज और बीसेन्ज " आत्मसात एक सामाजिक प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यक्ति तथा समूह भावनाओं, मूल्यों और उद्देश्यों मे भाग लेते हुए एक-दूसरे के निकट आ जाते है।
सात्मीकरण (आत्मसात) की मुख्य विशेषताएं (satmikaran ki visheshta)
सात्मीकरण या आत्मसात की विशेषताएं निम्नलिखित हैं--
1. सामाजिक, सांस्कृतिक प्रक्रिया आत्मसात एक सामाजिक एवं सांस्कृतिक प्रक्रिया है। सामाजिक प्रक्रिया के रूप मे आत्मसात मे दो व्यक्तियों या समूहों के विचारों, उद्देश्यों, दृष्टिकोणों मनोवृत्तियों में समानता आ जाती है। सांस्कृतिक प्रक्रिया के रूप मे आत्मसात मे दो भिन्न सांस्कृतिक समूह परस्पर घुल-मिल जाते है। वे एक-दूसरे के रीति-रिवाजों, प्रथाओं, मूल्यों, आदर्शों, एवं सांस्कृतिक प्रतिमानों को अपना लेते है।
2. सात्मीकरण एक सहयोगी सामाजिक प्रक्रिया है
सात्मीकरण की एक विशेषता यह है कि यह एक सहयोगी सामाजिक प्रक्रिया है यह प्रक्रिया सहयोग और व्यवस्थापन पर आधारित होती है। व्यक्ति एवं समूह मे परस्पर संबद्धता, घनिष्ठता के अनेक अवसर प्राप्त होते है जिनसे सात्मीकरण घटित होता है।
3. सात्मीकरण एक दीर्घकालिक प्रक्रिया है
सात्मीकरण की प्रक्रिया एक या दो दिन अथवा कुछ समय मे घटित नही होती बल्कि यह एक दीर्घकालिक प्रक्रिया है।
4. सात्मीकरण एक प्रक्रिया एवं अवथा
सात्मीकरण या आत्मसात की एक विशेषता यह है कि यह एक प्रक्रिया और अवथा दोनों ही है। प्रक्रिया के रूप मे आत्मसात मे दो व्यक्ति या समूह परस्पर समान हो जाते है। अवस्था के रूप मे एक व्यक्ति जिस संस्कृति के मध्य जन्म लेता है। धीरे-धीरे उसे अपना लेता है।
5. सात्मीकरण क्रमिक परिवर्तन की एक प्रक्रिया है
सात्मीकरण दो सांस्कृतिक समूहों के पास आने, लंबे समय तक साथ रहने के फलस्वरूप पैदा होती है। सबसे पहले सांस्कृतिक हस्तांतरण होता है फिर समायोजन और अंत मे सात्मीकरण। इस तरह स्पष्ट है कि सात्मीकरण एकाएक घटित होने वाली प्रक्रिया नही बल्कि क्रमिक विकास की प्रक्रिया है।
6. सात्मीकरण एक असमान प्रक्रिया है
सात्मीकरण की प्रक्रिया सभी व्यक्तियों के जीवन मे समान रूप से घटित नही होती। पुरानी पीढ़ी के लोग रूढ़िवादी होते है। अतः उनमे परिवर्तन की ग्रह्राता तुलनात्मक रूप से कम होती है जब की नई पीढ़ी के लोग परिवर्तन के लिए इच्छुक व तत्पर होते है।
7. वैयक्तिक एवं सामाजिक प्रक्रिया
आत्मसात (सात्मीकरण) एक वैयक्तिक एवं सामाजिक प्रक्रिया है। वैयक्तिक प्रक्रिया के रूप मे दो भिन्न एवं असमान व्यक्ति और सामाजिक प्रक्रिया के रूप मे दो भिन्न एवं असमान समूह समान हो जाते है।
सात्मीकरण के सहायक तत्व (satmikaran ke sahayak tatva
सात्मीकरण की प्रक्रिया अनुकूल परिस्थितियों मे संभव हो पाती है अतः वे कौन से सहायक तत्व है जो सात्मीकरण की प्रक्रिया के लिए आवश्यक है, यह जानना भी जरूरी है। सात्मीकरण के सहायक तत्व इस प्रकार है---1. सहिष्णुता
2. समीपता एवं सामाजिक संपर्क
3. समान आर्थिक अवसर
4. परस्पर संपर्क मे आये समूह मे सांस्कृतिक समानता
5. आवगमन व संचार साधनों की सुविधा
6. अंतर्विवाही व सम्मिश्रण
7. समान समस्याएं
8. समान भाषा
सात्मीकरण के प्रतिकूल परिस्थितियां (निरुत्साहित करने वाले कारक)
जिस प्रकार से कुछ कारक आत्मसात को बढ़ावा देते है, उसी प्रकार से कुछ कारक उसमे बाधा भी पैदा करते है। आत्मसात मे बाधक कारक इस प्रकार है---1. पृथक्करण
2. उच्चता की भावना
3. प्रजातीय भावना
4. शारीरिक, सांस्कृतिक एवं वर्गगत भिन्नता
5. सामाजिक संपर्क की घनिष्ठता का अभाव
6. संपीड़न।
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SathmeKaren me
जवाब देंहटाएंtippani
Good 😊
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