3/11/2022

व्यवस्थापन अर्थ, परिभाषा एवं विशेषताएं

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व्यवस्थापन किसे कहते है? व्यवस्थापन का अर्थ (vyvasthapan ka arth)

व्यवस्थापन एक सहयोगी सामाजिक प्रक्रिया है। मानव के मन मे प्रेम और द्धेष जैसे भावनाएं सदैव रहती है जहाँ  प्रेम की भावना सहयोग को विकसित करती है वही ध्देष की भावना समूह मे संघर्ष को जन्म देती है क्योंकि व्यक्ति जैसा विचार करता है वैसी अंतःक्रिया भी होती है। लेकिन सदैव एक जैसी स्थिति नही होती। यदि संघर्ष की स्थिति निर्मित भी होती है तो उसे टालने का प्रयास किया जाता है क्योंकि सामाजिक जीवन संघर्ष से नही सहयोग के माध्यम से चलता है। संघर्ष की परिस्थितियों को टालकर सहयोग की दिशा मे आगे बढ़ना व्यवस्थापन प्रक्रिया का अभिलक्षण है। व्यवस्थापन मे संघर्ष के बीच मौजूद रहते है। इस प्रकार व्यवस्थापन संघर्ष को कुछ समय के लिए लिए टालने की स्थिति भी है। यहि कारण है कि समनर ने इसे विरोधी सहयोग कहा है।
किन्तु व्यवस्थापन का उद्देश्य नकारात्मक ही नही होता है वरन् यह इस बात का भी सूचक है कि संघर्षकारी समूह अब शान्ति से रहना चाहते है। इनमे दोनों पक्षों मे लेन-देन होता है और प्रत्येक पक्ष अपने व्यवहार मे परिवर्तन लाता है। व्यवस्थापन का उद्देश्य संबंधों मे सहिष्णुता बढ़ाना है ताकि विपरीत परिणामों को रोका जा सके। उदाहरण के लिये भारतीय समाज मे संपत्ति मे उत्तराधिकार पर एक परिवार मे पुत्री का पैतृक संपत्ति मे बराबर का हक है किन्तु विवाह के पश्चात भाइओं के मन मे द्वेष की भावना न पनपे और संबंधों मे भावनात्मक निकटता बनी रहे इसलिए इस कानून का व्यावहारिक अमल स्वेच्छा से औसत महिलाएं नही करती।
व्यवस्थापन संघर्षकारी समूहों मे सन्तुलन कामय करने की एक व्यवस्था भी है। व्यवस्थापन मे दोनों पक्षों मे सहिष्णुता पैदा हो जाती है और वे अपनी सच्ची और न्यायपूर्ण माँगों का प्रतिनिधित्व करने लगते है। व्यवस्थापन संघर्षकारियों को सहयोग एवं निर्माण की ओर अग्रसर करता है तथा उन्हें पूर्ण विनाश से भी रोकता है। प्रजातंत्र मे कई विरोधी दल कभी-कभी साझे की सरकार बनाते है जो व्यवस्थापन का ही एक उदाहरण है।
व्यवस्थापन
आगे जानेंगे व्यवस्थापन की परिभाषा एवं विशेषताएं।

व्यवस्थापन की परिभाषा (vyvasthapan ki paribhasha)

आगबर्न एवं निमकाॅक के अनुसार " व्यवस्थापन वह शब्द है जिसका प्रयोग समाजशास्त्री आक्रामक व्यक्तियों या समूह द्वारा किये जाने वाले सामंजस्य के लिए करते है।
पार्क और बर्जेस के अनुसार " व्यवस्थापन संघर्षों का स्वाभाविक समाधान है। व्यवस्थापन मे विरोधी तत्व का विरोध कुछ समय के लिये शान्त हो जाता है और संघर्ष खुले रूप मे समाप्त हो जाता है। यद्यपि शक्ति के रूप मे यह सुप्त बना रहता है।
मैकाइवर और पेज " व्यवस्थापन शब्द विशेष रूप से उस प्रक्रिया की ओर इशारा करता है जिससे मनुष्य अपने पर्यावरण से सामंजस्य की भावना उत्पन्न कर लेता है।
गिलन और गिलिन के अनुसार " व्यवस्थापन वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा प्रतियोगी एवं संघर्षरत व्यक्ति और समूह प्रतिस्पर्धा, विरोध या संघर्ष के कारण उत्पन्न कठिनाइयों को दूर करने के लिए एक-दूसरे के साथ अपने संबंधों का सामंजस्य कर लेते है।
फिचर के अनुसार " व्यवस्थापन सामाजिक प्रक्रिया के उस स्वरूप के रूप मे परिभाषित किया जा सकता है जिसमे दो या अधिक व्यक्ति या समूह संघर्ष को रोकने कम करने या समाप्त करने के लिए अन्तःक्रिया करते है।
र् यूटर एवं हार्ट के अनुसार " एक प्रक्रिया के रूप मे व्यवस्थापन प्रयासों का वह क्रम है जिसके द्वारा मनुष्य स्वयं अपनी आदतों एवं दृष्टिकोणों का इस प्रकार निर्माण करते है कि परिवर्तित परिस्थितियों के साथ सामंजस्य किया जा सके।
व्यवस्थापन की उपर्युक्त परिभाषाओं से स्पष्ट है कि व्यवस्थापन संघर्ष से सहयोग की ओर अग्रसर होने का प्रयत्न है। इसमे संघर्षरत व्यक्ति या समूह एक-दूसरे के प्रति अपने विचारों एवं दृष्टिकोण मे परिवर्तन लाने और परस्पर सहयोग करने लगते है। व्यवस्थापन एक प्रक्रिया तथा अवस्था दोनों ही है। एक प्रक्रिया के रूप मे व्यवस्थापन मे व्यक्ति या समूह परस्पर सामंजस्य स्थापित करने के लिए निरन्तर प्रयत्न करते है। उदाहरण के लिए, एक नवविवाहित वधू ससुराल मे आकर वहां के वातावरण मे धीरे-धीरे सामंजस्य करती है। इसी प्रकार गाँव आकर शहर मे पढ़ने वाले छात्र भी शहरी वातावरण के साथ अपना सामंजस्य करके व्यवस्थापन करते है।

व्यवस्थापन की विशेषताएं (vyvasthapan ki visheshta)

व्यवस्थापन की निम्नलिखित विशेषताएं हैं--
1. व्यवस्थापन मे पूर्णतः सहयोग की भावना का अभाव होता है। चूंकि व्यवस्थापन संघर्ष को टालकर किया गया सामंजस्य है, अतः स्वाभाविक है कि व्यवस्थापन मे पूर्ण रूप से सहयोग की भावना हो यह संभव नही। पूर्ण रूप से सहयोग प्रेम और सद्भाव की स्थिति मे ही पनप सकता है। चूँकि यह प्रक्रिया संघर्ष के बाद की स्थिति से प्रारंभ होती है अतः पूर्ण सहयोग की भावना संभव नही है।
2. यह एक मनो-सामाजिक सहयोग प्रक्रिया है। प्रेम और घृणा के बीच सामंजस्य करने की मानसिक स्थिति जब सामाजिक अंतःक्रिया का आधार बन जाती है तब उसे व्यवस्थापन करते है। दरअसल प्रेम और द्वेष परस्पर विरोधी भावनाएँ है अतः जब इनके बीच सामंजस्य करना पड़ता है तब दो स्थितियां बनती है एक असहमति और दूसरा समझौता। यही कारण कि जौन्स ने व्यवस्थापन को असहमत रहने के साथ समझौता कहा।
3. व्यवस्थापन परिवर्तित सामाजिक परिस्थितियों मे सामन्जस्य करने की एक प्रक्रिया है।
4. व्यवस्थापन निरंतर और सार्वभौमिक प्रक्रिया है।
5. व्यवस्थापन की प्रक्रिया मे चेतन एवं अचेतन प्रयास सम्मिलित होते है। दो समूहों तथा राष्ट्रो के बीच संघर्ष की स्थिति को टालकर सहयोग की दिशा मे आगे बढ़ना चेतन प्रयास है। जैसा कि बोगार्डस ने उल्लेख किया है। लेकिन दूसरी ओर यह भी सच है कि समाजीकरण प्रक्रिया के दौरान व्यक्तियों के लिये संघर्ष को टालकर सामंजस्य करने की शिक्षा बचपन से ही दी जाती है और यह शिक्षा जब व्यक्तित्व का हिस्सा बन जाती है तब व्यवस्थापन की प्रक्रिया व्यक्तियों के जीवन मे अचेतन रूप से चलती रहती है।
यह भी पढ़ें व्यवस्थापन के प्रकार व व्यवस्थापन की पद्धतियाँ
शायद यह जानकारी आपके के लिए बहुत ही उपयोगी सिद्ध होगी

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