11/28/2021

भूटान के संविधान की विशेषताएं

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भूटान

प्राकृतिक सुन्दरता से परिपूर्ण भूटान एक छोटा सा देश है। उत्तर मे भूटान की सीमाएं तिब्बत से लगी है तथा दक्षिण में इसकी सीमाएं भारतीय राज्यों असम तथा पश्चिम बंगाल से मिलती है। इसके पूर्व में भारत का अरूणाचल प्रदेश राज्य है तथा पश्चिम मे इसकी भारत के सिक्किम से मिलती है। इस प्रकार भूटान की तीनों सीमाएं भारत से मिलती है। उत्तर मे इसकी सीमाएं चीन-तिब्बत से भी जुड़ी हुई है। भूटान का लगभग 70% हिस्सा वनों से आच्छादित है। देश की ज्यादातर आबादी देश के मध्यवर्ती हिस्सों मे रहती है।

भूटान की पृष्ठभूमि 

17 वीं शताब्दी से पहले भूटान छोटी-छोटी रियासतों का एक समूह था, जिसमें ये रियासतें अपने वर्चस्व के लिए एक-दूसरे से लड़ती रहती थी। 17 वीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध में तिब्बत के एक निर्वासित लामा तथा सैनिक कमाण्डर नगवांग नामग्याल ने वर्तमान भूटान का राजनीतिक एकीकरण किया। उसने तिब्बत से भूटान की सुरक्षा के लिए किलों का निर्माण किया तथा एक केंद्रीय विधि संहिता लागू की, जिससे स्थानीय रियासतों को एक प्रशासन के अधीन एकीकृत किया जा सका। 18वीं शताब्दी में भूटान व भारत की ब्रिटिश सरकार के बीच तनाव बना रहा, लेकिन 1865 के दुआर युद्ध में भूटान की पराजय हुई तथा ब्रिटेन व भूटान के बीच सिन्चुला की संधि हुई, लेकिन भूटान अपने इतिहास में कभी भी परतंत्र देश नहीं रहा। 1870 के दशक में भूटान में आंतरिक सिविल युद्ध हुआ। वांगचुक वंश का प्रभाव बढ़ गया। 1907 में उग्वेन वांगचुक को भूटान के बौद्ध समुदाय द्वारा भूटान का राजा चुना गया, तभी से वांगचुक देश का शासन भूटान पर चला आ रहा हैं। 1910 में भूटान ने ब्रिटेन के साथ पुनाखा की संधि पर हस्ताक्षर किए तथा उसके बाद भूटान अपनी विदेश नीति में ब्रिटिश प्रभाव में आ गया, जब 1947 में भारत आजाद हुआ, तो भूटान ने भारत के साथ भी 1949 में इसी तरह की संधि पर हस्ताक्षर किए, लेकिन आन्तरिक सुधारों के चलते 2007 में भारत-भूटान मित्रता संधि में संशोधन कर दिया गया है तथा अब भूटान औपचारिक रूप से अपने विदेशी मामलों में भारत से स्वतंत्र हैं।

भूटान का संविधान

भूटान सांस्कृतिक और धार्मिक रूप से तिब्बत से जुड़ा है लेकिन भौगोलिक और राजनीतिक परिस्थितियों के मद्देनजर भारत के करीब है। दुनिया के मानचित्र मे भूटान राज्य की अपनी पृथक पहचान है। राजतंत्र पर अटूट आस्था व पाकृतिक परिस्थियों मे जीवन दर्शन का अनुकरण करने इस राज्य का औपचारिक संविधान अभी शिशु अवस्था में है। वर्ष 2008 में लागू भूटान के नए संविधान में केवल 35 अनुच्छेद व चार अनुसूचितयाँ है। इस संविधान द्वारा भूटान में ब्रिटेन की तर्ज पर निरंकुश जनतंत्र के स्थान पर संवैधानिक राजतंत्र को अपनाया है।

भूटान का संविधान

नेपाल के संविधान की निम्नलिखित विशेषताएं हैं--
1. लिखित व निर्मित संविधान
2008 से पहले भूटान मे कोई औपचारिक संविधान नही था। राजतंत्र पर जन सामान्य की आस्था थी। विश्व के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने के उद्देश्य से राजा ने अपनी इच्छा व्यक्त की कि भूटान राज्य के लिए अब एक औपचारिक संविधान निर्मित किया जाए। भूटान के 2008 के संविधान मे भूटान की सरकार के बुनियादी प्रावधान का उल्लेख किया है।
2. लोकतांत्रिक संवैधानिक राजतंत्र
भूटान के 2008 के संविधान के अनुच्छेद 1 मे ही कहा गया है कि भूटान एक लोकतांत्रिक संवैधानिक राजतंत्र होगा तथा सम्प्रभु किंगडम है, जिसकी सम्प्रभुता भूटान की जनता मे निहित होगी। ब्रिटेन मे इसी तरह की शासन व्यवस्था है। जिसमें राजा का पद तो है तथा वंश परम्परा से ही शक्तियों का वास्तविक प्रयोग एक सरकार अथवा कार्यपालिका द्वारा किया जाता है।
3. कानून के समक्ष समानता
कानून के समक्ष सभी नागरिकों को समानता है। भूटान मे नस्ल, लिंग, भाषा, धर्म, या किसी अन्य आधार पर किसी के साथ भेदभाव नही किया जाता।
4. बौध्द धर्म आध्यात्मिक विरासत
भूटान के संविधान के अनुच्छेद 3 के अनुसार बौध्द धर्म भूटान की आध्यात्मिक विरासत है जो शान्ति, अहिंसा, तथा सहिष्णुता की इस आध्यात्मिक विरासत की रक्षा करे। भूटान मे बौध्द धर्म को राज्य का पूरा संरक्षण प्राप्त है। बौध्द धर्म के धार्मिक प्रमुख अर्थात जे. खेनपो की नियुक्ति सम्राट द्वारा की जाती है। बौध्द मठों तथा बौध्द संस्थाओं को राज्य से आर्थिक सहायता पाने का अधिकार है।
5. संसदीय व्यवस्था
भूटान में राजा राज्य का प्रधान तो होता है लेकिन राज्य की कार्यपालिका शक्ति मंत्रिपरिषद् मे निहित होती है। जिसका अध्यक्ष प्रधानमंत्री होता है।
6. सामाजिक न्याय
भूटान का संविधान उत्पीड़न भेदभाव और हिंसा से मुक्त समाज निमार्ण करने का प्रयास करता है। कानून के समक्ष मानव अधिकारों और गरिमा की सुरक्षा के आधार पर सामाजिक न्याय कायम रखने की कोशिश करता है।
7. आर्थिक नीति का प्रावधान
भूटान का संविधान राज्य के आर्थिक प्रयासों की घोषणा करता है। राज्य के विभिन्न भागों में रहने वाले व्यक्तियों के बीच की असमानताओं धन के संग्रह को कम करने और सार्वजनिक सुविधाओं के न्यायसंगत वितरण को बढ़ावा देने के लिए आर्थिक नीतियों को विकसित और निष्पादित करने का प्रयास किया गया है।
8. स्वतंत्र एकीकृत न्यायपालिका
भूटान में लोकतांत्रिक सुधारों के साथ ही नागरिकों के अधिकारों की रक्षा तथा विधि के शासन को सुरक्षित करने के लिए एक एकीकृत तथा स्वतन्त्र न्यायपालिका की व्यवस्था की गई है। न्यायधीशों को हटाने की प्रक्रिया कठिन है, जिससे वे सरकार के दबाव के बिना अपने दायित्वों का निर्वहन कर सकते है।
9. आपातकाल की व्यवस्था
भूटान के संविधान के अनुच्छेद 33 के अन्तर्गत भारत की ही तरह आपातकाल की व्यवस्था की गई है। यदि किसी भी समय भूटान की सम्प्रभुता अखण्डता तथा सुरक्षा को खतरा हो तो प्रधानमंत्री को लिखित सलाह पर सम्राट द्वारा राष्ट्रीय आपात कि घोषणा की जा सकती है।
10. राजनीतिक दलीय व्यवस्था 
भूटान के इस संविधान में राजनीतिक सुधार कर दलीय व्यवस्था का प्रावधान किया गया हैं। 2008 के पहले वहाँ राजनीतिक दलों का अस्तित्व नहीं था। संविधान के अनुच्छेद 15 मे राजनीतिक दलों की मान्यताएँ, पंजीकरण तथा उनके कार्यचलन के मापदण्डों का उल्लेख किया गया हैं। उपधारा 1 में कहा गया हैं कि राजनीतिक दल यह सुनिश्चित करेंगे कि अन्य हितों की तुलना में राष्ट्रीय हित को प्राथमिकता प्राप्त हो। सभी राजनीतिक दल राष्ट्रीय एकता तथा आर्थिक विकास का संवर्द्धन करेंगे ताकि भूटान की जनता कल्याण हो सके। राजनीतिक दल अपने हितों की पूर्ति के लिए क्षेत्रवाद, प्रजातिवाद तथा धर्म का सहारा नहीं लेंगे। प्रत्येक राजनीतिक दल को चुनाव आयोग में अपना पंजीकरण करवाना अनिवार्य हैं। यदि कोई पार्टी संविधान का उल्लंघन करती हैं, अथवा विदेशों से वित्तीय सहायता प्राप्त करती हैं, अथवा चुनाव कानूनों का उल्लंघन करती हैं, तो सर्वोच्च न्यायालय द्वारा ऐसी पार्टी को भंग भी किया जा सकता हैं। 
11. शासन के अंग
भूटान का संविधान मोटे रूप से कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका के पृथक्करण का प्रावधान करता हैं। भूटान की संसद द्विसदनात्मक विधानमंडल हैं। भूटान की कार्यपालिका शक्ति मंत्रिमंडल में निहित हैं जिसका मुखिया प्रधानमंत्री होता हैं। भूटान में न्यायापालिका का मुख्य कार्य संविधान का संरक्षण एवं बिना किसी भय एवं पक्षपात के न्याय व्यवस्था का प्रशासन करना हैं।
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