जनवादी चीन की न्यायपालिका
जनवादी चीन में न्याय व्यवस्था का आधार कार्ल मार्क्स, लेनिन व माओ का दर्शन हैं। यहाँ शक्ति-पृथक्करण के सिद्धांत का अभाव हैं। इसलिए न्यायपालिका प्रशासन के ही एक अंख के रूप में कार्य करती हैं। इस व्यवस्था का उद्देश्य देश में साम्यवादी व्यवस्था को बनाये रखना हैं और उसकी जड़ों को अधिकाधिक मजबूत करना हैं।
जनवादी चीन की न्याय प्रणाली या व्यवस्था की विशेषताएं (chini nyay vyavastha ki visheshta)
चीन की न्याय व्यवस्था पश्चिमी देशों की न्याय व्यवस्था से पूर्णतया पृथक हैं। पश्चिमी देशों में न्यायपालिका को कार्यपालिका तथा विधानमंडल के हस्तक्षेप से मुक्त रखा गया हैं। इस तरह न्यायपालिका की निष्क्षता को बनाये रखने का प्रयास हुआ हैं। इसके विरूद्ध साम्यवादी देशों में न्यायपालिका 'शासन के अंग' के रूप में कार्य करती हैं। न्यायपालिका राजनीतिक प्रक्रिया में पूर्णरूप से उलझी रहती हैं।
चीनी न्याय व्यवस्था का वर्णन संविधान के सातवें अनुभाग में मिलता हैं। संक्षेप में जनवादी चीन की न्याय व्यवस्था की निम्नलिखित विशेषताएं हैं--
1. समाजवादी कानून पद्धित
कानून के विषय में मार्क्सवादियों की धारणा हैं कि कानून और न्याय-व्यवस्था ऐसी होनी चाहिए जिससे समाजवादी लक्ष्यों की पूर्ति हो सके। साम्यवादी चीन में इस विचार को मान्यता दी गयी हैं, जिससे साम्यवाद की जड़े अधिक मज़बूत हो सकें। चाहे उसके लिए व्यक्ति को पूर्णतया राज्य के अधीन क्यों न बना दिया जाये।
2. न्यायाधीशों का चुनाव
उच्चतम न्यायालय एवं स्थानीय न्यायालय के न्यायाधीश, विधानमंडल द्वारा निर्वाचित होते हैं। मुख्य न्यायाधीश का चुनाव राष्ट्रीय जनवादी-क्रांगेस करती हैं अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति काँग्रेस की स्थायी समिति करती हैं। सभी न्यायाधीश एक निश्चित अवधि के लिए निर्वाचित किये जाते हैं।
3. समझौते और मध्यस्थता की प्रणाली
चीन की न्याय-प्रणाली की एक प्रमुख विशेषता समझौते और मध्यस्थता की प्रणाली हैं। कुछ विवादों को समझाने के लिए प्राथमिक न्यायालय के निरीक्षण में समझौता समितियाँ बनाई जाती हैं। इन समितियों में जनता के निर्वाचित प्रतिनिधि होते हैं। ये समितियाँ वादी-प्रतिवादी की सहमति से छोटे विवादों को निबटा देती हैं। इससे न्यायालयों का कार्यभार कम हो जाता हैं।
4. कानूनी व्यवसाय का समाजवादीकरण
साम्यवाद की स्थापना के बाद चीन में कानूनी व्यवस्था का समाजवादीकरण कर दिया गया था। इस व्यवसाय को सहकारी आधार पर गठित करते हुये अधिवक्ता संघों का निर्माण किया गया। इन संघों द्वारा कानूनी परामर्शदात्री कार्यालयों की स्थापना की गयी। इन कार्यालयों की आय को संबोधित वकीलों में उनके कार्य की मात्रा और योग्यतानुसार बाँट दिया जाता हैं।
5. एकीकृत न्याय व्यवस्था
चीन की न्याय व्यवस्था का संगठन एकीकृत आधार पर किया गया हैं और जनवादी केन्द्रवाद का सिद्धांत न्यायपालिका पर भी लागू होता हैं। संविधान द्वारा सर्वोच्च जन न्यायालय, स्थानीय जन-न्यायालय और विशेष न्यायालय इस त्रिस्तरीय ढाँचे को एक ही सूत्र में पिरोया गया हैं।
6. खुली न्यायिक कार्यवाही
जनवादी चीन में न्यायिक कार्यवाही सब लोगों के सामने होती हैं। जिन मुकदमों में देश की रक्षा खतरे में पड़ती हो, केवल उनकी सुनवाई गुप्त रूप से की जाती हैं। जनता के किसी भी व्यक्ति को न्यायाधीश के समक्ष अपने विचार प्रस्तुत करने का अधिकार हैं।
7. लोक उत्तरदायित्व
चीन में न्यायाधीशों के संबंध में लोक उत्तरदायित्व के सिद्धांत को अपनाया गया हैं। जन न्यायालय विधानमंडल के प्रति उत्तरदायी रहता हैं। जनवादी कांग्रेस न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति करती हैं और उन्हें पद से हटाती हैं विधान-मंडलों के प्रति न्यायाधीशों का उत्तरदायित्व समाजवादी व्यवस्था वाले राष्ट्रों का विशिष्ट सिद्धांत हैं।
8. स्थानीय भाषा में न्यायिक कार्य का संचालन
सामान्यता न्यायालयों में एक या दो भाषायें वैधानिक रूप से मान्य होती हैं। लेकिन चीन में सभी नागरिकों को अपनी भाषाओं में अपना पक्ष प्रस्तुत करने की स्वतंत्रता हैं। यदि कोई व्यक्ति स्थानीय न्यायालय में प्रयुक्त होने वाली भाषा नहीं समझता है तो न्यायालय उसके लिये द्विभाषिये का प्रबन्ध करता हैं। स्थानीय न्यायालयों में कार्यवाही वहाँ की स्थानीय भाषा में चलायी जाती हैं।
9. कानून के समक्ष समानता का सिद्धांत
चीन में सभी नागरिकों को कानून के समक्ष बराबर समझा जाता हैं। लिंग, जाति और भाषा के आधार पर व्यक्तियों के साथ पक्षपात नहीं किया जायेगा। किसी व्यक्ति पर मुकदमा तब तक नहीं चलाया जायेगा जब तक कि यह विश्वास न हो जाये कि उसने कानून भंग करने का कार्य किया हैं।
Chin ki naya ki ghatna AVN karyon ki vivechan kijiye
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