प्रश्न, प्रत्यक्ष प्रजातंत्र से आप क्या समझते हैं? स्विट्जरलैंड में उसे किस प्रकार प्रयोग में लाया गया हैं? स्विट्जरलैंड में प्रत्यक्ष प्रजातंत्र की सफलता के क्या कारण हैं?
अथवा " स्विट्जरलैंड प्रत्यक्ष प्रजातंत्र का घर हैं। विवेचन कीजिए।
अथवा " स्विट्जरलैंड में प्रत्यक्ष लोकतंत्र कैसे कार्य करता हैं?
अथवा " स्विट्जरलैंड में प्रत्यक्ष प्रजातंत्र के साधनों की विवेचना कीजिए।
अथवा " स्विट्जरलैंड प्रत्यक्ष प्रजातंत्र का घर है। इस कथन की समीक्षा कीजिए।
अथवा " स्विस संविधान के अंतर्गत प्रत्यक्ष प्रजातंत्र की विवेचना कीजिए।
उत्तर,
स्विट्जरलैंड में प्रत्यक्ष प्रजातंत्र या लोकतंत्र
प्रत्यक्ष प्रजातंत्र क्या हैं?
प्रजातंत्र की परिभाषा करते हुए लिंकन ने कहा था कि," यह वह सरकार है जो जनता की हो, जनता के लिए हो और जनता द्वारा चलाई जाए।" अमेरिका, जापान, फ्रांस, भारत तथा इंग्लैंड आदि देशों मे लोकतंत्र तो पाया जाता हैं, परन्तु वह अप्रत्यक्ष हैं। वहाँ पर जनता की सरकार हैं और जनता के लिए हैं, परन्तु जनता द्वारा नहीं चलाई जाती हैं।
प्रत्यक्ष लोकतंत्र या प्रजातंत्र का आशय यह है कि राज्य-व्यवस्था की नीतियों का निर्माण एवं उसके सचालन के सिद्धांत समस्त नागरिकों की सामूहिक बैठकों अथवा सम्मेलनों में निश्चित हो। इस कार्य के लिए प्रतिनिधियों को मध्यस्थ न बनाया जाए। प्राचीन काल के यूनान और रोम के नगर-राज्यों में यह प्रथा प्रचलित थी। वर्तमान युग में स्विट्जरलैंड के छोटे-छोटे कैण्टनों मे यह व्यवस्था जीवित हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका मे कुछ राज्यों के छोटे-छोटे नगरों के स्वायत्तशासी निकायों में भी कुछ ऐसे ही उदाहरण मिलते हैं।
स्विस शासन पद्धित की एक अनोखी विशेषता यह हैं कि यहाँ पर प्रत्यक्ष प्रजातंत्र आज भी प्रचलित हैं। जनसंख्या की वृद्धि एवं विशाल राज्यों के निर्माण के कारण विश्व के अन्य राज्यों में प्रत्यक्ष प्रजातंत्र को असंभव मानकर त्याग दिया गया हैं। वहीं स्विट्जरलैंड के पूर्ण कैण्टनों एवं चार अर्द्ध कैण्टनों में प्रत्यक्ष लोकतंत्र आज भी प्रचलित हैं।
स्विट्जरलैंड को प्रत्यक्ष प्रजातंत्र या लोकतंत्र का घर इसलिए कहा जाता हैं क्योंकि वहाँ उसका व्यापक प्रयोग होता हैं। वहाँ जनता स्वयं कानूनों का निर्माण एवं नीतियों का निर्धारण करती हैं।
कुबली के अनुसार," स्विस नागरिक की स्थिति यह है कि वह स्वयं अपना स्वामी है और शासन उसके लिए केवल एक सेवक है।"
प्रत्यक्ष प्रजातंत्र प्रत्येक वयस्क नागरिक को राजनीतिक प्रशिक्षण और अनुभव प्रदान करता हैं तथा नागरिकों के राज्य की समस्याओं से प्रत्यक्ष रूप से अवगत कराता हैं। इसमें नागरिकों में उत्तरदायित्व की भावना बढ़ती हैं और वे प्रशासन कला के प्रति चिन्तन करने में सक्षम हो जाते हैं।
ब्राइस के अनुसार," प्रत्यक्ष प्रजातंत्र का अध्ययन करने वाले विद्यार्थियों हेतु स्विस व्यवस्था में इससे अधिक शिक्षाप्रद कुछ नहीं हैं क्योंकि इसके द्वारा हम सर्वसाधारण ह्रदयों के दर्शन करते हैं। सर्वसाधारण के विचार तथा उनकी भावनाएँ इसमें स्पष्ट दिखती हैं न कि निर्वाचन संस्थाओं के माध्यम से।"
मुनरों का विचार हैं कि," स्विस कैण्टनों में बहुत काल से प्रत्यक्ष प्रजातंत्र की ये संस्थाएं किसी न किसी रूप मे प्रचलित रही हैं तथा स्विट्जरलैंड से ही प्रजातंत्र के दीर्घ मार्गों द्वारा चलकर ये अन्य देशों में पहुँची।"
स्विट्जरलैंड में प्रत्यक्ष प्रजातंत्र के साधन
स्विट्जरलैंड में प्रत्यक्ष प्रजातंत्र के उपकरणों, लोकनिर्णय एवं आरंभक का प्रयोग निम्न तरीकों से किया जाता हैं--
1. लोक निर्णय
स्विट्जरलैंड में लोक निर्णय के अधिकार का प्रयोग दो रूपों में किया जाता हैं--
(अ) अनिवार्य जनमत संग्रह
स्विट्जरलैंड में कोई भी संविधान संशोधन तब तक लागू नहीं हो सकता जब तक कि जनमत संग्रह द्वारा उसका समर्थन प्राप्त न कर लिया जाए। संविधान के अनुच्छेद 123 में कहा गया हैं," संघ का संशोधित संविधान अथवा उसका कोई संशोधित अंश तभी क्रियान्वित हो सकेगा जब मतदान में भाग लेने वाले नागरिकों का बहुमत उसे स्वीकार कर ले। इस व्यवस्था के अनुसार संविधान में तब तक कोई संशोधन नहीं हो सकता जब तक कि जनमत संग्रह द्वारा उसका समर्थन नहीं हो जाता।"
(ब) वैकल्पिक जनमत संग्रह
वैकल्पिक जनमत संग्रह के अंतर्गत जनता अगर चाहे तो संघीय सभा द्वारा बनाए गए कानूनों पर जनमत संग्रह की मांग कर सकती हैं। इस संबंध में व्यवस्था यह है कि अगर तीस हजार मतदाता तीन माह की अविधि में यह माँग करें की संबंधित कानूनों के विषय में जनमत संग्रह हो तो उस पर जनमत संग्रह होता हैं। जनमत संग्रह में अगर जनता का बहुमत कानून को अस्वीकार कर दे तो वह कानून रद्द हो जाता हैं।
इस संबंध में एक व्यवस्था यह हैं कि अगर संघीय सभा किसी अध्यादेश को जरूरी अथवा सब पर लागू होने वाला घोषित कर दे तो उस पर जनमत संग्रह की माँग नहीं की जा सकती। वैकल्पिक जनमत संग्रह की माँग उन संधियों पर भी की जा सकती हैं जो संघीय सरकार द्वारा अन्य देशों के साथ अनिश्चितकाल के लिए या 15 वर्ष से ज्यादा समय के लिए की जाती हैं। जब किसी विधेयक पर वैकल्पिक जनमत संग्रह की माँग की जाती है तो वह विधेयक तब तक लागू नहीं होता जब तक कि उस पर जनमत संग्रह न कर लिया गया हैं।
2. आरंभक
स्विट्जरलैंड में आरंभक का प्रयोग सिर्फ संविधान में संशोधन के लिए किया जाता हैं। इसलिए इसे संवैधानिक प्रारम्भक कहा जाता हैं। यह प्रस्ताव पूर्ण संशोधन के रूप में हो सकता हैं। दोनों के संबंध प्रक्रिया निम्नलिखित हैं--
(अ) पूर्ण संशोधन
पूर्ण संशोधन की माँग 50 हजार मतदाताओं की माँग पर की जा सकती हैं। इस प्रस्ताव पर व्यवस्थापिका विचार करती हैं। अगर दोनों सदन प्रस्ताव से सहमत हों तो जनमत संग्रह होता हैं। अगर संशोधन प्रस्ताव के पक्ष में एक सदन होता हैं तथा उसका विरोध दूसरा सदन करता है तो उसे जनमत संग्रह के लिए प्रस्तुत किया जाता हैं। यदि जनमत संग्रह में उसे उनका समर्थन प्राप्त हो जाता है तो संघीय सभा के फिर से चुनाव होते हैं। नव निर्वाचित संघीय सभा अपनी सिफारिश सहित इन विधेयकों को जनमत संग्रह के लिए प्रस्तुत करती हैं। जनमत संग्रह में स्वीकार होने पर संशोधन पारित माना जाता हैं।
(ब) आंशिक संशोधन
संविधान के किसी एक अंश में संशोधन का प्रस्ताव आंशिक संशोधन कहलाता हैं। इस आरंभक का प्रयोग दो तरह से हो सकता हैं--
(क) संशोधन प्रस्ताव का पूरा प्रारूप तैयार करके।
(ख) संशोधन की मोटी रूपरेखा निर्धारित करके।
अगर 50 हजार मतदाता संशोधन प्रस्ताव का पूरा प्रारूप तैयार करके दें एवं उस पर दोनों सदन सहमत हों तो प्रस्ताव पर जनमत संग्रह किया जाता हैं तथा अगर वह तैयार न हों तो जनमत संग्रह द्वारा संशोधन पर स्वीकृति लेने से पहले जनता की सहमति ली जाती हैं। यदि संशोधन प्रस्ताव की केवल मोटी रूपरेखा निर्धारित कर दी जाती है और अगर संघीय सभा के दोनों सदन उससे सहमत होते है, तो वे स्वयं संविधान संशोधन का प्रारूप बनाते हैं। अगर वे सहमत नहीं हैं तो जनमत संग्रह द्वारा उन पर जनता की सहमति ली जाती हैं। जनता की सहमति मिलने पर संघीय सभा उसका प्रारूप बनाकर जनमत संग्रह के लिए प्रस्तुत करती हैं।
स्विट्जरलैंड में प्रत्यक्ष प्रजातंत्र की सफलता के कारण
स्विट्जरलैंड में प्रत्यक्ष प्रजातंत्र की सफलता के निम्नलिखित कारण हैं--
1. स्विट्जरलैंड की जनता का निर्मल चरित्र
स्विट्जरलैंड के लोग काफी सीधे सादे और राजनीति के दांव-पेचों व अहंकार से दूर रहने वाले व्यक्ति हैं। वहां के लोगों की राजनीतिक महत्वकांक्षा अधिक नहीं हैं। वहाँ संघीय अथवा राष्ट्रीय राजनीति के प्रति उदासीनता हैं। जनता सिर्फ अपने को प्रभावित करने वाले हितों के प्रति सचेत रहती हैं, अतः स्विट्जरलैंड में प्रत्यक्ष प्रजातंत्र सफल हैं क्योंकि कोई महत्वाकांक्षी सर्वोच्च पद नहीं चाहता।
2. जन इच्छा पर आधारित राजनीति
स्विट्जरलैंड में लोकतंत्र का आधार जन इच्छा रहा हैं। असल मे स्विट्जरलैंड में प्रत्यक्ष लोकतंत्र शुद्ध जन इच्छा पर आधारित हैं। वहाँ जन इच्छा की अवहेलना की संभावना काफी कम हैं।
3. स्विस नागरिकों का स्वाभिमान
इसके संबंध में विद्वान कुवली ने कहा हैं कि," प्रत्येक स्विस नागरिक यह अनुभव करता है कि वह तथा उसके अन्य देशवासी ही वास्तव में राज्य हैं। यह साम्प्रदायिक भावना ही प्रत्यक्ष प्रजातंत्र की वहाँ की सफलता का आधार हैं।"
4. स्विट्जरलैंड का इतिहास तथा परम्पराएं
स्विट्जरलैंड यूरोप का एक पुराना देश हैं। प्रत्येक देश की जड़े उसके इतिहास में होती हैं। स्विट्जरलैंड को भी गत सात सौ वर्षों से चली आ रहीं वहाँ की प्रत्यक्ष प्रजातान्त्रिक परम्पराओं पर मान हैं। अतः वहाँ यह प्रणाली आज भी सफल हैं। वहाँ के लोग इस परम्परा को बनाये रखने हेतु कृत संकल्प हैं।
5. छोटा पहाड़ी देश
स्विट्जरलैंड एक छोटा सा पहाड़ी राज्य हैं। यहाँ प्रत्यक्ष प्रजातंत्र की व्यवस्था आसान हैं।
6. स्थानीय शासन संस्थाएं
स्विट्जरलैंड में स्थानीय शासन की प्राचीन परम्परा भी लोकतंत्र की सफलता में सहायक हैं। केन्टनों के कम्पून यहाँ लोकतंत्र की प्रयोगशालाएं हैं।
प्रत्यक्ष प्रजातंत्र का मूल्यांकन
स्विट्जरलैंड में प्रत्यक्ष प्रजातंत्र के पक्ष तथा विपक्ष में अनेक तर्क दिये जाते हैं।
प्रत्यक्ष प्रजातंत्र के समर्थन में तर्क अथवा गुण
प्रत्यक्ष प्रजातंत्र के पक्ष में निम्नलिखित तर्क दिए जाते हैं--
1. लोकतंत्र का विशुद्धतम रूप
लोकतंत्र का सबसे शद्ध और श्रेष्ठ रूप प्रत्यक्ष प्रजातंत्र ही हैं। किसी भी देश मे प्रत्यक्ष लोकतंत्र होना एक वरदान ही हैं। अप्रत्यक्ष लोकतन्त्र इसलिए अपनाया जाता है कि वर्तमान में प्रत्यक्ष लोकतंत्र संभव नहीं हैं।
2. जनता में स्वाभिमान की भावना का विकास
प्रत्यक्ष प्रजातंत्र के कारण जनता में स्वाभिमान की भावना जागृत होती हैं। उसे इस बात का अहसास होता है कि शासन में उसका महत्वपूर्ण स्थान हैं।
हरबर्ट कुबली के शब्दों में," प्रत्येक स्विस नागरिक यह अनुभव करता है कि यह और उसके देशवासी ही वास्तव में राज्य है और यह सामुदायिक भावना ही संघ की वास्तविक शक्ति हैं।"
2. लोकप्रिय सम्प्रभुता के अनुकूल
यह एक राजनीतिक सत्य हैं कि सम्प्रभुता का निवास जनता मे होता हैं। प्रत्यक्ष प्रजातंत्र इस भावना के अनुकूल हैं। स्विट्जरलैंड में जनता संसद द्वारा पारित कानूनों पर वीटो के अधिकार का प्रयोग कर सकती हैं।
3. कानूनों को नैतिक शक्ति प्राप्त होना
प्रत्यक्ष प्रजातंत्र की व्यवस्था के कारण संसद द्वारा पारित कानूनों को जनता की सहमति भी प्राप्त हो जाती हैं।
ब्राइस के शब्दों में," लोगों की स्वीकृत के कारण कानून अधिक शक्ति और सम्मान प्राप्त कर लेता है और जनता इनका पालन करवाना तथा करना अपना परम कर्तव्य समझती हैं।"
4. कानूनी प्रभुसत्ता पर प्रतिबंध
प्रजातंत्र में व्यवस्थापिका से यह आशा की जाती हैं कि वह जन इच्छाओं के अनुकूल कानूनों का निर्माण करेगी, परन्तु ऐसा नही हैं। अतः लोक निर्णय तथा आरम्भक जनता को अपनी इच्छाओं को लागू करने की शक्ति प्रदान करते हैं। बोन्जर ने जनमत संग्रह को राजनीतिक स्थिति जानने का सर्वश्रेष्ठ बैरोमीटर कहा हैं।
5. शासन की त्रुटियों को दूर करना
अनेक बार व्यवस्थापिका जनता के हितों के अनुकूल कानूनों का निर्माण नहीं करती, लेकिन यदि लोक निर्माण की व्यवस्था हो तो जनता कानूनों की इन त्रुटियों को दूर कर सकती हैं।
6. जनहित के अनुकूल कानूनों का निर्माण
कई बार जनप्रतिनिधि जनता के हितों के अनुकूल कानूनों का निर्माण नहीं करते। जनता आरम्भक की व्यवस्था के कारण इन जनहितकारी कानूनों के निर्माण के लिए विधायिका को बाध्य कर सकती हैं।
7. जनता को राजनीतिक शिक्षा
प्रत्यक्ष प्रजातंत्र राजनीतिक शिक्षा का महत्वपूर्ण केन्द्र हैं। सभी को शासन कार्यों में भाग लेने व वाद-विवाद में भाग लेने के अवसर मिलते हैं।
प्रत्यक्ष प्रजातंत्र का विरोध अथवा दोष
प्रत्यक्ष प्रजातंत्र के विपक्ष में निम्नलिखित तर्क दिए जाते हैं--
1. जनता मे उदासीनता
स्विस जनता का स्वभाव यह हैं कि वह मनमौजी है तथा आमोद-प्रमोद पूर्वक अपना जीवन यापन करने के पक्ष में रहती हैं। बार-बार मतदान में भाग लेना निर्वाचकीय थकावट उत्पन्न कर देता है तथा मतदान उदासीन हो जाते हैं।
2. रूढ़िवादिता को प्रोत्साहन
प्रायः अधिकांश जनता रूढ़िवादी होती है तथा प्रगतिशील कानूनों को पसंद नहीं करती।
ब्राइस के शब्दों में," जनमत संग्रह के विरूद्ध सबसे सरल किन्तु सबसे शक्तिशाली तर्क यह हैं कि उससे राजनीतिक, सामाजिक तथा आर्थिक उन्नति को आघात पहुँचता हैं।
3. संघीय परिषद् का अत्यधिक शक्तिशाली होना
जनमत संग्रह की व्यवस्था के कारण कार्यपालिका अत्यधिक शक्तिशाली बन गई हैं। आलोचना से बचने के लिए सभा विधि निर्माण कार्य संघीय परिषद् को सौंप देती हैं। संघीय परिषद् के समादेशों पर जनमत संग्रह की माँग नहीं की जा सकती तथा संकटकाल में कार्यकारिणी की शक्ति और अधिक बढ़ जाती हैं।
4. व्यवस्थापिका के सम्मान में कमी
जनमत संग्रह के कारण व्यवस्थापिका के सम्मान में कमी आ जाती हैं। विधायकों में अपने कार्यों के प्रति अरूचि और उदासीनता के भाव जागृत हो जाते हैं। यदि वे पूर्ण लगन तथा ईमानदारी के साथ कानूनों का निर्माण करें और जनता उन्हें रद्दी की टोकरी में फेंक दे तो विधायकों के मन पर क्या गुजरेगी?
5. साधारण जनता में कानून निर्माण की योग्यता का अभाव
वर्तमान में विधि निर्माण एक जटिल तथा तकनीकीपूर्ण कार्य हो गया हैं। सामान्य जनता में इतनी योग्यता नहीं होती कि वह कानूनों का निर्माण ठीक ढंग से कर सके।
डाॅ. फाइनर का मत हैं," बुद्धिहीन व अशिक्षित लोगों ने प्रगतिशील कानूनों को प्रायः नष्ट ही किया हैं।"
6. समय तथा धन का अपव्यय
प्रत्यक्ष प्रजातंत्र एक अत्यंत विलम्बकारी प्रक्रिया हैं। कई बार तो कानून उस समय पारित हो पाते हैं जबकि उनकी उपयोगिता ही समाप्त हो जाती हैं। बार-बार मतदान करवाने से धन का भी अपव्यय होता हैं।
निष्कर्ष
स्विट्जरलैंड में प्रत्यक्ष प्रजातंत्र के गुण-दोषों का अध्ययन करने के बाद हम इस निष्कर्ष पर पहुँचते हैं कि प्रत्यक्ष प्रजातंत्र के उपकरणों का सफलतम प्रयोग स्विट्जरलैंड में किया जा रहा हैं।
हरबर्ट कुबली के शब्दों में," स्विस नागरिक की स्थिति यह हैं कि वह स्वयं अपना स्वामी है और शासन उसके लिए केवल एक सेवक हैं।"
रेपार्क ने लिखा हैं," जब कोई व्यक्ति स्विट्जरलैंड के साधारण नागरिक से यह पूछता है कि क्या उसका देश प्रत्यक्ष लोकतंत्र के प्रयोग और उसके परिणाम से संतुष्ट हैं, तो वह निश्चित रूप से हाँ में उत्तर देगा। संभव हैं कि इस संबंध में परीक्षण शब्द को वे अच्छा न समझें क्योंकि उसके विचार में इस संबंध में अब परीक्षा का समय व्यतीत हो चुका हैं। इसके साथ ही आरम्भक के और लोक-निर्णय का विरोध करने वालों के संदेश समाप्त हो चुके हैं जिस तरह कि इन विधियों में अनुयायियों का अंधविश्वास समाप्त हो चुका हैं।"
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