चीन
चीनी संविधान की व्यवस्था विश्व में अपने ढंग की अद्वितीय व्यवस्था है। यूनान, रोम, बेबीलोनिया, मिस्त्र, व भारत के इतिहास के भांति चीन का इतिहास भी काफी पुराना रहा है। लगभग 7 हजार वर्षो के इतिहास में चीन में अनके राजवंशों ने यहाँ राज किया है। इस लेख में हम चीन के संविधान की विशेषताएं जानेगे जिससे चीन के संविधान की इन विशेषताओं को जानने के बाद आपको जनवादी चीन की शासन व्यवस्था को समझने में काफी मदद मिलेगी।चीन का संविधान सन् 1982
चीन के संविधान में 138 अनुच्छेद और चार अध्याय है। चीन का संविधान एक लिखित संविधान है जिसे 4 दिसम्बर 1982 को चीन की व्यवस्थापिका द्वारा स्वीकृत किया गया था। चीन में गणराज्य की व्यवस्था की गई इस प्रकार जनवादी चीन की सम्पूर्ण सत्ता जनता में ही निहित है। चीन के संविधान के तृतीय अनुच्छेद मे कहा गया है, "कि जनवादी चीन के सभी शासकीय अंग लोकतान्त्रिक केन्द्रवाद के सिध्दांत को लागू करेंगे। लोकतांत्रिक केन्द्रवाद उस व्यवस्था को कहते हैं जिसमें दल में विचार-विमर्श से पहले लोकतांत्रिक प्रक्रिया अपनाई जाती है।
चीन के संविधान की विशेषताएं (chin ke samvidhan ki visheshta)
चीन संसार का सबसे अधिक जनसंख्या बाला और क्षेत्रफल की दृष्टि से संसार में दूसरे नंबर का देश हैं। चीन के संविधान की निम्नलिखित विशेषताएं हैं--
1. शक्ति जनता में निहितगणराज्य की सारी शक्ति जनता मे निहित है और उसका प्रयोग वह राष्ट्रीय जन-कांग्रेस और स्थानीय जन-कांग्रेसों के माध्यम से करती है। ये और राज्य के अन्य अंग लोकतन्त्रीय केन्द्रीय शासन के सिध्दांत को व्यवहार में लाते है।
2. संक्षिप्त संविधान
जनवादी चीन का संविधान विश्व मे सबसे छोटा संविधान तो नही है लेकिन फिर भी यह अन्य देशो की में एक संक्षिप्त संविधान है।
3. लोकतांत्रिक केन्द्रीकरण
चीन के संविधान के तीसरे अनुच्छेद के अनुसार, " जनवादी चीन के सभी शासकीय अंग लोकतान्त्रिक केन्द्रवाद के सिध्दांत को लागू करेंगे।
4. गणतंत्र
चीन के जनवादी गणतन्त्र में सम्पूर्ण सत्ता जनता मे निहित है। चीन में सम्प्रभुता का वास किसी वंशानुगत शासक या किसी वर्ग विशेष में न होकर सम्पूर्ण जनता मे निहित है। जिसका प्रयोग जनता अपने प्रतिनिधियों के सहयोग से करती है।
5. चीन का संविधान कठोर लेकिन व्यवहार में लचीला
चीन का संविधान सैद्धान्तिक दृष्टि से कठोर है। संविधान मे संशोधन राष्ट्रीय जनवादी कांग्रेस द्वारा किया जाता है जो कि सामान्य कानूनों का निर्माण करती है परन्तु सामान्य विधि निर्माण व संविधान मे संशोधन की पद्धति भिन्न-भिन्न है। राष्ट्रीय जनवादी कांग्रेस सामान्य कानूनों का निर्माण साधारण बहुमत द्वारा करती है। जबकि संविधान में संशोधन की प्रक्रिया का प्रावधान अनुच्छेद 64 मे उल्लेखित है जिसके अनुसार "" संविधान मे संशोधन का प्रस्ताव राष्ट्रीय जनवादी कांग्रेस 1/5 सदस्यों द्वारा प्रस्तावित किये जाना चाहिए जो राष्ट्रीय कांग्रेस के कुल सदस्यों के दो-तिहाई बहुमत से पारित होना चाहिए। व्यवहार में राष्ट्रीय जनवादी कांग्रेस अकेले ही संविधान में संशोधन कर सकती है। और "एक दलीय व्यवस्था" होने के कारण 2/3 बहुमत का समर्थन प्राप्त करना काफी आसान है।
6. श्रम का महत्व
चीन के संविधान में श्रम को पवित्र स्थान दिया गया है। संविधान में यह निर्धारित किया गया है कि श्रम प्रत्येक समर्थक नागरिक के लिए सम्मान की वस्तु है और वह इस बात की गारंटी देता है कि आर्थिक विकास के द्वारा धीरे-धीरे लोगों को अधिक रोजगार दिया जाएगा, काम की दशाओं में सुधार किया जायेगा तथा मजदूरी बढ़ाई जाएगी जिससे सब काम करने के अधिकार का लाभ उठा सकें।
7. मूलभूत अधिकार और कर्त्तव्य का वर्णन
चीनी संविधान में राजनैतिक और नागरिक अधिकारों को प्राथमिकता दी गई है। काम करने, विश्राम करने और अवकाश पाने तथा वृध्दावस्था और बीमारी या असमर्थता की अवस्था में आर्थिक सहायता प्राप्त करने के अधिकार उसमें हैं तो किन्तु उन्हे प्रमुख स्थान नहीं दिया गया है। संविधान में निर्धारित नागरिकों के कर्त्तव्य न्यूनाधिक हैं। सैनिक सेवा करना और अपने देश की रक्षा करना, संविधान का पालन करना, सार्वजनिक सम्पत्ति का आदर करना तथा उसकी सुरक्षा करना, काम के समय अनुशासन रखना, शान्ति और व्यवस्था रखना चीन के नागरिको के कर्त्तव्य है।
8. लिखित तथा निर्मित संविधान
चीन का संविधान लिखित संविधानों की श्रेणी मे आता है। इस संविधान के कुल अध्यायों मे चीनी गणराज्य के विभिन्न अंगो अर्थात व्यवस्थापिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका की शक्तियों का विस्तृत विवरण है।
9. बहुराष्ट्रीय राज्य
एकात्मक शासन होते हुए भी चीन मे यह तथ्य स्वीकार किया गया है कि उनका समाज एक बहुराष्ट्रीय राज्य है। वहा लगभग 60 जातियाँ है, जिनके रीति-रिवाज व संस्कृति को सुरक्षित रखने का आश्वासन दिया गया है। चीन में विभिन्न जाति के लोगों को राष्ट्रीय अल्पसंख्यक कहा गया है। चीन के संविधान की प्रस्तावना में भी लिखा है कि "चीन का जन गणतंत्र एक एकात्मक बहु-राष्ट्रीय राज्य है।
10. व्यक्तिगत स्वतन्त्रताए
चीनी संविधान द्वारा नागरिकों को भाषण, अभिव्यक्ति व्यक्त करने करने की, सभा प्रदर्शन स्वतंत्रता, हड़ताल का अधिकार और धर्मिक स्वतंत्रता आदि दी गयी है।
11. राजनैतिक शरण
चीन के जनवादी गणराज्य में प्रत्येक ऐसे विदेशी राष्ट्रीयजन को शरण पाने का अधिकार है जिसे उचित कार्य समर्थन करने, शान्ति आन्दोलन में भाग लेने अथवा वैज्ञानिक कार्य करने से रोका जाए। इसका अर्थ है कि चीन भी रूस की भाँती प्रख्यात क्रांतिकारियों का शरण-स्थल है।
12. साम्यवादी दल
जनवादी चीन का साम्यवादी दल, वहाँ के तीनों प्रमुख केन्द्र, राज्य सरकार, तथा सेना मे एक लेकिन इन सबसे ज्यादा शक्तिशाली है। जनवादी चीन का साम्यवादी दल दुनिया का सबसे विशाल साम्यवादी दल है। इस समय इसकी संख्या 9 करोंड़ है।
13. संक्रमण-काल के लिए निर्मित शासन विधान
यह संक्रमण-काल के लिए निर्मित शासन-विधान है। इसलिए इसकी कुछ धाराओं का स्वरूप कार्यक्रम जैसी और इसके सामान्य सिध्दांतों का स्वरूप राज्य के उद्देश्य-निर्दशक तत्वो जैसा है।
14. एकात्मक शासन
चीन में प्रारम्भ से ही एकात्मक शासन प्रणाली विद्यमान रही है। चीन मे सम्पूर्ण शासन व्यवस्था का संचालन केन्द्र से ही होता है।
15. संविधान में विदेश नीति का उल्लेख
संविधान की प्रस्तावना में चीन की विदेश नीति के मुख्य मुद्दों का उल्लेख किया गया है।
16. लोकतांत्रिक केन्द्रवाद
लोकतांत्रिक केन्द्रवाद का आशय यह है कि लोकतंत्र तथा केन्द्रवाद की परस्पर विरोधी प्रवृत्तियों के बीच समन्वय स्थापित किया गया हैं। इसमें लोकतांत्रिक तथ्य यह है कि समस्त सत्ता जनता में निहित हैं और नागरिकों को शासन कार्य में भाग लेने का समुचित अवसर प्रदान किया जाता हैं। केन्द्रवादी तथ्य यह हैं कि शासन या दल का प्रत्येक अंग अपने उच्च अंग के अधीन हैं। निम्न अंग को उसी सीमा तक स्वतंत्रता हैं, जिस सीमा तक उच्च अंग उस पर प्रतिबंध नहीं लगाता। प्रत्येक निम्न अंग के लिए अपने उच्च अंग की आज्ञा का पालन करना अनिवार्य हैं। अतः अन्ततोगत्वा समस्त राजशक्ति एक केन्द्रबिन्दु में निहित हो जाती हैं। लोकतांत्रिक केन्द्रवाद का यह सिद्धांत साम्यवादी व्यवस्था के मूल सिद्धांतों तथा माओ के दर्शन पर आधारित हैं। साम्यवादी नेता इस लोकतांत्रिक केन्द्रवाद के बहुत अधिक प्रशंसक हैं, लेकिन अलोचकों का मानना हैं कि," इस लोकतांत्रिक केन्द्रवाद में लोकतंत्र का केवल नाम ही है तथा व्यवहार में केन्द्रवाद को ही प्राथमिक महत्ता हैं।
17. आधुनिकीकरण की चाह
संविधान निर्माता अर्थव्यवस्था को आधुनिक बनाना चाहते थे। सांस्कृतिक क्रांति के दौरान रोजमर्रा के जुलूसों, प्रदर्शनों तथा हड़तालों से चीन की आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो गई थी। चीन के वर्तमान नेता यह स्वीकार करते हैं कि सांस्कृतिक क्रांति एक भयंकर भूल थी। इसलिए कृषि, उद्योग और विज्ञान इन सभी के विकास के लिए नवीन तकनीकी की एवं भाषा की आवश्यकता महसूस करने लगे। संविधान में स्थान-स्थान पर उन्नत विज्ञान तकनीकी, समाजवादी आधुनिकीकरण, वैज्ञानिक अनुसंधान तथा औद्योगिक खोज और अविष्कार वाक्यांशों का प्रयोग किया गया हैं।
18. केन्द्रीय सैनिक आयोग
नये संविधान में एक केंद्रीय सैनिक आयोग की व्यवस्था की गयी। यह सबसे नयी और अनुपम संस्था हैं। चीन के पूर्ववर्ती संविधानों में इस प्रकार की कोई संस्था नहीं थी। सेना को निर्दश यही आयोग देता हैं। इस आयोग में सभापति उप-सभापति तथा सदस्य होते हैं। आयोग के समस्त दायित्वों की जिम्मेदारी सभापति पर होती हैं। सैनिक आयोग के सभापति राष्ट्रीय जन कांग्रेस तथा उसकी समिति के प्रति उत्तरदायी हैं।
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19. राष्ट्रपति के पद की पुनर्स्थापना
सन् 156 और 1975 के चीनी संविधान मे राष्ट्रपति के पद की व्यवस्था थी लेकिन सन् 1978 के संविधान मे राष्ट्रपति का पद समाप्त कर दिया गया है। वर्तमान चीनी संविधान 1982 में राष्ट्रपति के पद की पुन: स्थापना की गयी है।
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सन् 156 और 1975 के चीनी संविधान मे राष्ट्रपति के पद की व्यवस्था थी लेकिन सन् 1978 के संविधान मे राष्ट्रपति का पद समाप्त कर दिया गया है। वर्तमान चीनी संविधान 1982 में राष्ट्रपति के पद की पुन: स्थापना की गयी है।
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जनवाद कांग्रेस की शक्तियों का वर्णन कीजिए
जवाब देंहटाएंकृपया धैर्य रखे हम इस पर जल्द ही एक लेख प्रकाशित करेंगे।
हटाएंनए चीनी सविंधान की प्रमुख विशेषताएं लिखिये?
जवाब देंहटाएंइस लेख में चीन के नवीन संविधान यानि की 1982 की ही विशेषताएं दी गई हैं।
हटाएंChiniyo k nagriko ke kolik adhikaro ka vrnan kijiye
जवाब देंहटाएंचीन के संविधान मे दोनो सदनो के नाम बताओ
जवाब देंहटाएं(1) प्रतीनिधसभा (2) सीनेट
हटाएंPardhna mantri ki saktiya
जवाब देंहटाएंsir please you tube chnle bnaye
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