10/19/2021

मुसोलिनी की गृह नीति

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मुसोलिनी की गृह नीति

mussolini ki grah niti;इटली के समस्‍त शासन में फांसिस्‍टों का अधिकार अक्‍टुबर 1922 ई. में हो गया और मुसोलिनी को इसके लिए रक्‍त की बूंदें भी नहीं बहानी पड़ी शक्ति प्रदर्शन मात्र से ही उसका कार्य चल गया। वह प्रधानमंत्री बना और उसने मंत्रिमंडल की नियुक्ति की। 

1.सत्ता पर पूर्ण तानाशाही नियंत्रण 

सम्‍पूर्ण सत्ता पर काबिज होने के लियें मुसोलिनी ने प्रथम अधिनियम का निर्माण किया जिसमें बहुमत प्राप्‍त करने वाले को संसद में दो तिहाई स्‍थान मिलेंगे। इसके अनुसार मुसोलिनी को दो तिहाई स्‍थान 1924 ई. के निर्वाचन में मिल गये। दूसरे अधिनियम के अनुसार प्रधानमंत्री को जल, थल, नभ सेना का प्रधान पद और शासन के समस्‍त पदों तथा संसद में सदस्‍यों की नियुक्ति के अधिकार मिल गये। सम्राट का पद बना रहा। परन्‍तु वह एक रबर स्‍टाम्‍प बना दिया गया था। 

विरोधियों का दमन 

मुसोलिनी जैसें ही सत्ता पर काबिज हुआ, वैसे ही उसने अपने विरोधी का दमन करना प्रारंभ कर दिया। मुसोलिनी का प्रमुख विरोधी समाजवादी दल के नेता मेतीओत्ती था। उसने उसकी हत्‍या करवा दी। सन् 1926 ई. में समस्‍त विरोधी दल तथा समाचार पत्रों पर प्रतिबन्‍ध लगा दिया गया।  केबिनेट समाप्‍त कर महापरिषद् स्‍थापित की गई। इसका अध्‍यक्ष स्‍वंय मुसोलिनी था। फासिस्‍ट महापरिषद् के हाथों समस्‍त शक्तियां तथा सत्ता केन्द्रित हो गई। इटली के प्रशासनिक अधिकारियों को मुसोलिनी ‘‘ड्यूस‘‘ के आदेशों का यथावत् पालन करना पड़ता था। 

यहूदियों का दमन 

मुसोलिनी भी हिटलर की तरह यहूदियों से नफरत करता था तथा उनका घोर शत्रु था। मुसोलिनी भी मानता था कि इटली पूर्णरूपेण आर्य-भूमि थी। अतः वह यहूदियों को इटली से निकाल देना चाहता था। इसके लियें उसने दमन, निर्वासन, बन्‍दी बनाने सम्‍पत्ति छीनना और प्रतिबन्‍ध जैसे उपाय अपनाये।  

2. कार्पोरेट राज्‍य की स्‍थापना

सत्ता को प्राप्‍त करने के बाद मुसोलिनी ने राज्‍य एंव प्रशासन का फासीकरण करना प्रारंभ कर दिया। उसने कार्पोरेशन या निगमों की स्‍थापना कर प्रत्‍येक विभाग को संचालित करना आरंभ किया। कृषि, उद्योग, व्‍यापार, परिवहन, समुद्री एंव विमान सेवाएं, बैंक, बीमा और सभी महत्‍वपूर्ण विभागों को राष्‍ट्रीय निगम परिषद के अधीन संगठित किया। कर्मचारी, शासन और श्रमिकों के हितों की देखभाल करने वाले 22 निगम भी स्‍थापित किए गए। उसने सभी विरोधी तत्‍वों को सत्ता से बाहर कर दिया। उसने चुनावों में यह व्‍यवस्‍था कर दी कि जिस दल के पास दो-तिहाई सदस्‍य संसद के निचले सदन में नियुक्‍त किए जाएंगे। हड़तालों को प्रतिबंधित कर दिया गया। प्रेस पर सेंसरशिप लागू कर दी गई। सभी राजनैतिक दलों पर प्रतिबंध लगा दिया गया। स्‍थानीय संस्‍थाओं की स्‍वतंत्रता हर ली गई। फ्रांसियों का दल ग्रैंण्‍ड काउंसिल से संचालित होता था जिसका मुखिया मुसोलिनी था, जिसे ड्यूस कहा जाता था। 

3. पोप के साथ लेटरेन संधि

फासिस्‍ट सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि यह थी, कि उसने इटली एंव पोंप के राज्‍य के मध्‍य विवाद का अंत किया। मुसोलिनी के अनुसार धर्म राज्‍य की सहायता करने वाले तत्‍व है। लेकिन उस समय के ग्‍याहरवां पोप फांसीवाद का समर्थक नहीं था। किन्‍तु वह इस विवाद का अंत करना चाहता था जिससे किसी का भी भला नहीं हो रहा था। दोनों ही पक्षों ने पोप के रोम स्थित महल लेटरन में एक समझौते पर दस्‍तखत किए जिसके अनुसार 11 फरवरी 1929 को पोप ने रोम पर अपने सभी अधिकारों को त्‍याग दिया। उसे इटली के राज्‍य की राजधानी के रूप में मान्‍यता दी। बदले में इटली की सरकार ने वेटिकन सिटी के रूप में एक अलग राज्‍य के गठन की घोषणा की जो पूर्णतः पोप का राज्‍य होगा। इटली के राज्‍य का धर्म कैथोलिक घोषित किया गया। इसके साथ ही कैथोलिक नागरिकों को विवाह एंव नैतिकता के संबंध में वेटिकन के आदेशों को मानने का निर्देश दिया। चर्च के अधिकारियों को तनख्‍वाह चर्च को ही देना थी। बिशप आदि की नियुक्ति पोप द्वारा ही होना थी, किन्‍तु चर्च के इन अधिकारियों को फासी सरकार का समर्थक होना अनिवार्य था। पोप को इटली के प्रदेशों पर से अधिकार त्‍यागने के बदले में 100,000,000 डॉलर क्षतिपूर्ति के रूप में दिए गए। 

4. आर्थिक व्‍यवस्‍था में सुधार 

जब मुसोलिनी सत्ता पर काबिज हुआ तो उस समय इटली की आर्थिक दशा अत्‍यन्‍त ही सोचनीय थी। वहां का बजट करोड़ों के घाटे में चल रहा। मुद्रा का मूल्‍य गिरता जा रहा था। अतः उसने व्‍यय में कमी कर तथा कुछ नवीन कर लगा कर बजट को संतुलित किया। देश की आर्थिक नीति का आधार मजदूर, मालिक और उपभोक्‍ता इन तीनों का समान हित था। मुसोलिनी का कहना था कि इन तीनों के हित एक दूसरे से बंधे हैं। फासीवादी आर्थिक नीति का मुख्‍य लक्ष्‍य उत्‍पादन और सार्वजनिक कल्‍याण में वृद्धि करना था।

1. मुसोलिनी आर्थिक क्षेत्र में पूंजीपतियों की मानमानी नहीं चाहता था। 

2. उसने श्रेणी संघर्ष का अंत करना चाहा। उसने मिल मालिकों और श्रमिकों को अलग-अलग यूनियन बनाने का अधिकार प्रदान किया।

3. मजदूरों की व्‍यवस्‍था को सुधारने हेतु इसने नियम बनायें। 

4. उसने न्‍यायागिक व्‍यवस्‍था को सुचारू रूप से चलने के लियें न्‍यायालयों की स्‍थापना की।  

5­.‍ सिन्‍डेकेलिज्‍म को प्रोत्‍साहन 

सिन्‍डेकेलिज्‍म का शाब्दिक अर्थ है कि सरकार को भी व्‍यावसायिक बनाया जाये। इस विचारधारा का प्रसार समाजवादियों, श्रमिकों और फासिस्‍टों में हो रहा था। इसी के अनुसार यह भी विचार पैदा हुआ कि इटली की आर्थिक दशा को सुधारने के लिये भी को मिलकर कार्य करना चाहिये। अतः पूंजीपति, श्रमिक और सरकार को सिन्‍डीकेट बनाना चाहिये। 

6. कृषि सुधार 

किसी भी देश के आर्थिक विकास के लियें कृषि-उत्‍पादन मूलभूत आवश्‍यकता होती है। इसी को देखते हुए, मुसोलिनी ने भी युद्ध स्‍तर पर अनेक दल-दली क्षेत्रों को सुखा कर कृषि योग्‍य बनाया। कृषकों को आधुनिक खाद, औजार और आधुनिक उपकरण एंव आर्थिक सहायता दी गई। स्‍वदेशी कृषि उत्‍पादन को बढ़ाने के लियें और सस्‍ता तथा अच्‍छा उत्‍पादन करने के लिये विदेशी आयात पर प्रतिबन्‍ध लगाये गये। चलचित्रों, शिक्षा,प्रदर्शन तथा कृषि कार्यक्रमों के द्वारा कृषि की शिक्षा दी गई। इससे शीघ्र ही इटली कृषि में आत्‍म-निर्भर बनने लगा। 

7.बेरोजगारी दूर करना

प्रथम विश्‍व युद्ध और पूंजीवादी व्‍यवस्‍था के कारण इटली में बेकारी और गरीबी अपने चरम सीमा पर थी। तथा देश में यहूदी की संख्‍या बड़ी मात्रा में थी। अतः मुसोलिनी ने बड़े पैमाने पर यहूदियों को देश से निष्‍कासित किया उनके उद्योग, व्‍यापार इटालियनों को दिये। औद्योगिक, कृषि, यातायात का विकास करके इटली की जनता को विशाल पैमाने पर काम दिया जिससे उनमें स्‍वाभिमान भावना जागृत हुई, गरीबी दूर हुई तथा जीवन स्‍तर उठा। इससे इटलीवासी मुसोलिनी के भक्‍त हो गये। 

निष्‍कर्ष 

मुसोलिनी की विचारधारा सिद्धांतिक अपेक्षा प्रायोगिक थी। अतः जिन परिस्थितियों से इटली गुजर रहा था उनमें प्रजातंत्र असफल रहा और इटली अपमानित हुआ अतः जर्मनी के समान इटली में मुसोलिनी ने फासिस्‍ट दल का निर्माण कर सत्ता पर अधिकार कर लिया तथा पूर्ण निरंकुश या सर्वाधिकारी  नीति अपनाई परन्‍तु उसने इटली की सामान्‍य जनता और उसके सम्‍मान का ध्‍यान रखा।

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