अमेरिका का स्वतंत्रता संग्राम
विश्व इतिहास मे अमेरिका के स्वतंत्रता संग्राम का विशेष स्थान है। इस स्वतंत्रता युद्ध के द्वारा प्रथम बार यूरोपियन उपनिवेशवाद तथा वाणिज्यिवाद को चुनौती दी गई। न केवल चुनौती दी गई बल्कि उन्हें परास्त भी किया गया।
अमेरिका ब्रिटिश साम्राज्य का एक बहुत लाभदायक उपनिवेश था। जिसका ब्रिटिश सरकार बुरी तरह से शोषण कर रही थी। अतः अमेरिका जनता ने ब्रिटिश सरकार को चुनौती दी तथा स्वतंत्रता युद्ध आरंभ कर 1776 मे स्वतंत्रता प्राप्त की। अमेरिका के स्वतंत्रता संग्राम के करणों, घटनाओं, अंग्रेजों की पराजय तथा अमेरिका की विजय के कारण, और इसके विश्वव्यापी परिणामों का वर्णन और महत्व वर्णन नीचे क्रमानुसार दिया गया है--
अमेरिका के स्वतंत्रता संग्राम के कारण
अमेरिका का स्वतंत्रता संग्राम एक विश्व विख्यात घटना थी। इसमे 18 शताब्दी के सबसे अधिक विस्तृत, अजेय, सर्वशक्तिमान, सर्वाधिक धन-सम्पन्न और सर्वाधिक घमंडी साम्राज्य को ललकारा गया था। अमेरिका के स्वतंत्रता संग्राम के कारण इस प्रकार है--
1. ग्रेनविल की नीतियां
1763 मे ग्रेनविल ने ब्रिटिश प्रधानमंत्री बनने पर अमेरिकी उपनिवेशों से आय बढ़ाने के लिए वहां प्रतिबंध बढ़ाए। द्वितीय ग्रेनविल ने शराब बनाने के लिए गुड़, रस और शर्करा अधिनियम के अंतर्गत फ्रांस से सस्ती आने वाली चीजों पर प्रतिबंध लगा दिया। तृतीय उसने उपनिवेशों की रक्षा के लिए स्थायी छोटी सेना उपनिवेशों के खर्च पर संगठित करने का निश्चय किया।
2. स्टाम्प एक्ट
सप्तवर्षीय युद्ध इंग्लैंड पे अपने व्यय को पूरा करने के लिए स्टाम्प एक्ट पारित किया, जिसके अनुसार अमेरिकी उपनिवेशों के न्यायालयों के कामकाज मे भी ब्रिटिश स्टाम्प लगाना अनिवार्य कर दिया। 13 मे से 9 उपनिवेशों ने इस आदेश को मानने से इंकार कर दिया, जिससे चारो ओर दंगे होना आरंभ हो गये।
3. किसानों की खराब स्थिति
व्यापारिक प्रतिबंधों के कारण किसानों की दशा भी दिन-प्रतिदिन बिगड़ती जा रही थी। उन्हें उनके उत्पादनों का समुचित मूल्य नही मिल रहा था।
4. मध्यवर्ग का उदय
अमेरिका के सचेष्ट मध्यवर्गीय लोग यही बात अच्छी तरह समझते थे की व्यापारिक प्रतिबंध को हटाए बिना अमेरिका का स्वतंत्र आर्थिक विकास संभव नही था। मध्यवर्ग ने अपनी शक्ति संगठित करके अमेरिकी समाज मे महत्वपूर्ण स्थान बना लिया था। सर्वप्रथम मध्यवर्ग ने ही कानूनो की अवहेलना प्रारंभ की और राजनैतिक स्वतंत्रता पाने के लिए प्रयत्नशील हो गए।
5. राष्ट्रीय भावना का विकास
अमेरिका वासी एक तरह का राष्ट्र बनते जा रहे थे और कोई भी राष्ट्र अधिक समय तक यह स्वीकार नही कर सकता कि उस पर दूर बैठे शासक मनमाने ढंग से शासन करे।
6. डाऊंटसेंड के कर
डाऊंटसेंड प्रधानमंत्री और नार्थ वित्तमंत्री बने। इन्होंने अमेरिका जाने वाले कागज, शीरे और चाय पर बढ़ती दर से नया कर लगा दिया। इससे अमेरिकी स्वायत्ता को संकट उत्पन्न हो गया।
7. बोस्टन चाय पार्टी
लार्ड नार्थ ने चाय पर कर बढ़ा दिये। चाय भारत से अमेरिका पहुँचाती थी। जब ब्रिटिश जहाज चाय लेकर अमेरिका पहुँचे तो अमेरिका ने इसका विरोध किया। कुछ क्रांतिकारियों ने मजदूरों के वेश मे पहुँचकर 340 पेटियों को समुद्र मे फैंक दिया। इस कारण ब्रिटिश सेनाओं ने अमेरिकी जनता पर अत्याचार किये। एक निर्दयी सेनापति को अमेरिका का राज्यपाल बनाया, जिसने स्वायत्त शासन समाप्त कर दिया। इस घटना को बोस्टन की चाय पार्टी कहा जाता है।
8. उदार अमेरिकी समाज
अमेरिका मे जिस समाज का निर्माण हुआ वह इंग्लैंड या अन्य यूरोपीय समाज से सर्वथा भिन्न था। अमेरिकी समाज नया, सरल और स्वाभाविक था, जबकि अंग्रेजी समाज पुराना, रूढ़ियों से भरा व आडम्बरपूर्ण था। अमेरिका समाज मे मेहनत, साहस व विपदाओं को सहने की आवश्यकता थी। जबकि इंग्लैंड मे सामाजिक स्तर, पैदाइश प्रथाओं, शिक्षा आदि से प्राप्त होता था। दोनो समाजों मे चर्च, राजनीति, कानून आदि सभी विषयों पर परिभाषाओं को लेकर गहरा मतभेद था। उपनिवेश मे रहने वाले लोग अधिकांशतः शिल्पी, व्यापारी व किसान थे। इंग्लैंड से आने के कारण उनमे स्वतंत्रता की भावना अधिक थी।
9. अमेरिका उपनिवेशों पर और कर लगाने का प्रोग्राम
सप्तवर्षीय युद्ध के कारण इंग्लैंड एक विशाल औपनिवेशिक साम्राज्य का स्वामी बनना चाहता था, किन्तु उसकी आर्थिक दशा शोचनीय हो गयी थी। ब्रिटिश राजनीतिज्ञों के विचार मे यह युद्ध फ्रांस से अमेरिकन उपनिवेशों की रक्षा के लिए लड़ा गया था, अतः उन्होंने उपनिवेशों पर नये कर लगाने का प्रोग्राम बनाया, जिसे उपनिवेशों ने देने से इंकार कर दिया, अतः झगड़ा सुनिश्चित हो गया।
10. फिलाडेफिया कांग्रेस
ब्रिटिश सरकार की उक्त कठोरता से अमेरिका उपनिवेश भड़क गए और उन्होंने 1775 मे समस्त उपनिवेशों के प्रतिनिधियों की एक कांग्रेस फिलाडेलफिया मे बुलाकर यह घोषणा कर दी कि ब्रिटिश संसद को उन पर कर लगाने का कोई अधिकार नही है, क्योंकि वहां अमेरिका प्रतिनिधित्व नही है। ब्रिटिश संसद तथा लार्ड नार्थ के भी दृढ़ हो जाने से स्वतंत्रता संग्राम छिड़ गया।
अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम की घटानाएं
ब्रिटिश सरकार ने इंग्लैंड से 3,000 मील दूर अमेरिकी उपनिवेशों मे युद्ध आरंभ किया, जिन्हें फ्रांस से सहायता मिल रही थी। लैक्सिगंटन, बंकरहिल व बोस्टन की विजय के पश्चात 5 जुलाई 1776 ई. को 13 उपनिवेशों के प्रतिनिधियों ने फिलाडेलफिया मे स्वतंत्रता की घोषणा कर अपने देश का नाम संयुक्त राज्य अमेरिका रखा। इस युद्ध मे फ्रांस, स्पेन व हाॅलैंड भी अमेरिका की ओर से शामिल हो गये। सन् 1781 मे यार्कटाउन मे अंग्रेजों की निर्णायक पराजय हुई तथा जनरल कार्नवालिस को जार्ज वाशिंगटन के सामने सेना सहित समर्पण करना पड़ा। अंतिम रूप से 1783 की वर्साय संधि द्वारा युद्ध समाप्त हुआ।
अमेरिका के स्वतंत्रता संग्राम मे इंग्लैंड की पराजय तथा अमेरिका की विजय के कारण
अमेरिका के स्वतंत्रता संग्राम मे अंग्रेजों की पराजय के निम्न कारण थे--
1. अमेरिका को शक्तिहीन समझना
अमेरिका की शक्ति का अंग्रेज सही अनुमान न कर सके। वे अपनी शक्ति पर जरूरत से ज्यादा गर्व करते थे। जनरल गेज का अनुमान था कि चार रेजीमेंट अमेरिका पर विजय पाने के लिए काफी है। अंग्रेज अमेरिका के स्वतंत्रता संग्राम को एक विद्रोह मात्र समझते थे तथा साधारण विद्रोह के समान उस पर विजय पाना आसान समझते थे।
2. अमेरिका की इंग्लैंड से दूरी
अमेरिका, इंग्लैंड से बहुत दूर था। इसके कारण युद्ध सामग्री एवं सैनिक भेजने मे बड़ी कठिनाई होती थी। अमरीकावासी अपने ही देश मे लड़ रहे थे इसलिए उन्हे सहायता लेने के लिए दूर जाने की आवश्यकता न थी।
3. यातायात की असुविधा
युद्ध का घेरा एक हजार मील लम्बा चौड़ा था। बस्तियों के मध्य कोई सड़क न थी। बीच मे अनेक जंगल थे। बस्ती वाले इन जंगलों से परिचित थे, लेकिन अंग्रेज उनमे रास्ता भूल जाते थे। एक स्थान पर अगर अंग्रेज घिर जाते तो उसकी सूचना उनके साथियों को शीघ्र नही मिल पाती थी।
4. अंग्रेज सेना के अयोग्य सेनापति
अंग्रेज युद्धमंत्री जर्मेन एक अयोग्य मन्त्री था। उसने इस बात की कभी चिन्ता न की कि अंग्रेजों की अमेरिका मे क्या स्थिति है? वह अमेरिका से आई डाक खोलने का तक कष्ट नही करता था। उसने " पिट दि एल्डर " की योजना पर कार्य न किया, परिणामस्वरूप फ्रांस का बेड़ा अमेरिका पहुंच गया और अमेरिका को उचित समय पर सहायता मिल गयी एवं काॅर्नवालिस को हथियार डालने पड़े।
5. जार्ज तृतीय की अयोग्यता
जार्ज तृतीय अत्यंत हठी शासक था। वह किसी के परामर्श को स्वीकार नही करता था। उसने मन्त्रियों को भी अपने हाथ की कठपुतली बना रखा था। मन्त्रियों मे द्वेष भाव था तथा अपने स्वार्थवश वे देश की चिन्ता न करते थे। योग्य सेनापति क्लेरटाउन को हटाकर बरगोयने को रखना उचित न था। राजा का व्यक्तिगत शासन युद्ध मे पराजित होने का मुख्य कारण था।
6. वांशिंगटन का कुशल नेतृत्व
अमेरिका उपनिवेशों को जार्ज वाशिंगटन जैसा साहसी, दूरदर्शी तथा योग्य सेनापति मिलने के कारण ही अमेरिका की विजय सम्भव हो सकी। उसने अपने देशवासियों तथा सेना मे स्वतंत्रता प्राप्ति के लिये अदम्य उत्साह तथा बलिदान की भावना प्रज्वलित की।
7. विदेशी शक्तियों का विरोध
इंग्लैंड जब अमेरिका से युद्ध मे व्यस्त था तो उसके विदेशी शत्रु (फ्रांस एवं स्पेन) पुरानी हार का बदला लेने के लिए युद्ध मे कूद पड़े। यूरोप के अन्य राष्ट्रों ने भी जन-धन से अमेरिका की सहायता की। एक तरह से सारा यूरोप इंग्लैंड के विरूद्ध था। यह भी एक अंग्रेजों की पराजय का प्रमुख कारण था।
8. इंग्लैंड की शक्ति का विभाजित होना
इस समय इंग्लैंड की शक्ति आयरलैंड, भारत एवं यूरोप आदि देशों मे बंटी हुई थी। इस कारण वे अपनी पूरी शक्ति का प्रयोग नही कर सकते थे।
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