10/21/2020

उपनिवेशवाद क्या है? उपनिवेशवाद के कारण

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उपनिवेशवाद क्या है? उपनिवेशवाद का अर्थ 

upniveshvad arth karan;उपनिवेशवाद एक नीति है जो शक्तिशाली राष्ट्र द्वारा किसी दूसरे राज्य पर आर्थिक और राजनैतिक प्रभुत्व को प्रतिबिम्बित करती है। यूरोप मे आधुनिक युग के प्रारंभ के साथ इस नीति को भी प्रश्रय मिला। राज्यों का शक्तिशाली राष्ट्रों के रूप मे उभरने से जो नीतिगत परिवर्तन हुए उनके कारण इस तरह की नीति को अपनाया गया। 

आर्गेंन्सी के अनुसार " उन सभी क्षेत्रों को हम उपनिवेश कहेंगे जो एक विदेशी सत्ता द्वारा शासित है तथा जिसके निवासियों को पूरे राजनीतिक अधिकार प्राप्त नही है।" 

1453 ई. मे कुस्तुनतुनिया के पतन और तुर्की के पूर्वी यूरोप मे अग्रसर होने के कारण यूरोपीय व्यापारिक सम्बन्धों मे बाधा पड़ी, उन सम्बन्धों को अन्य मार्गों द्वारा बनाये रखने के लिये भौगोलिक खोजों को बल मिला। इस समय उपनिवेश स्थापना की बात नही थी, लेकिन नवीन मार्गो और उनके द्वारा माल के आयात-निर्यात ने अनेक यूरोपीय देशों के बीच उपनिवेशों की स्थापना और उनके विस्तार की आकांक्षा को जगाया। 1492 ई. मे कोलम्बस ने आटलांटिक महासागर पार करके अमेरिका का पता लगाया। इस कार्य मे कोलम्बस को स्पेनी शासको का सहयोग मिला। इसी प्रकार पुर्तगाली संरक्षण के परिणामस्वरूप वास्कोडिगामा भारत के कालीकट बन्दरगाह पर पहुंचा। इससे भारत पहुंचने के लिये नवीन जलमार्ग का पता चला। स्पेन और पुर्तगाल के इन सफल प्रयासों का प्रभाव यूरोप के दूसरे राष्ट्रों पर भी पड़ा। नई भौगोलिक खोजों के प्रयत्न आरंभ हुए। इन अविष्कारो ने विभिन्न रूप से मानव सभ्यता को प्रभावित किया।

उपनिवेशवाद की शुरुआत या स्थापना के कारण 

उपनिवेशवाद के निम्न कारण थे--

1. व्यापारिक दृष्टिकोण 

टयूडर काल मे इंग्लैंड मे शांति की स्थापना के साथ ही उद्योग एवं व्यापार मे पर्याप्त उन्नति हुई, किन्तु अपना समान बेचने के लिये अंग्रेजों के पास बाजार न थे, अतः स्टुअर्ट काल की स्थापना तक अंग्रेज उपनिवेशों की आवश्यकता अनुभव करने लगे, जिससे स्पेन, पुर्तगाल, फ्रांस आदि देशो के समान वे भी कच्चा माल प्राप्त कर सके तथा अपने निर्मित समान को इन उपनिवेशों मे बेच सके।

2. निरंकुश राजतंत्रों का उदय 

उपनिवेश के प्रारंभ होने का एक कारण निरंकुश राजतंत्रों का उदय भी था। यूरोप मे पुनर्जागरण के दौरान निरंकुश राजतंत्रों को उदित होने का अवसर मिला। इन शक्तिशाली राज्यों ने अपने देश की बढ़ती हुई जनसंख्या को बसाने और उत्पादित माल को खपाने के लिए उपनिवेशवाद नीति अपनानी प्रारंभ कर दी। फ्रांस, स्पेन, पुर्तगाल और इंग्लैंड सबसे प्रमुख राष्ट्रीय राज्यों के रूप मे उभकर सामने आए और ये ही राज्य है जो कि उपनिवेशवाद की दौड़ मे सबसे आगे रहे।

3. अतिरिक्त उत्पादन 

1870 के बाद औद्योगिक क्रांति के परिणामस्वरूप औद्योगिक उत्पादन मे वृद्धि हुई। इंग्लैंड तथा फ्रांस के साथ ही जर्मनी, इटली तथा संयुक्त राज्य अमेरिका मे भी औद्योगिक उत्पादन बढ़ा। इंग्लैंड को अपने तैयार माल को बेचने की चिंता होने लगी। यूरोप के अन्य देश इस समय संरक्षणवादी नीति का पालन कर रहे थे। अतः विदेशी वस्तुओं पर भारी कर लगाये जाते थे इस कारण औद्योगिक देशो को अपना अतिरिक्त माल बेचने के लिए नये बाजार ढ़ूँढ़ने की जरूरत पड़ी। यही नवीन साम्राज्यवाद या उपनिवेशवाद का आधार था।

4. अतिरिक्त पूंजी 

औद्योगिक क्रांति के कारण यूरोप के देशो मे धन का संचय आरंभ हुआ। बड़े पैमाने पर उत्पादन होने से लागत कम आयी तथा वस्तुओं का उत्पादन अधिक हुआ। देश मे पूंजीपतियों का एक ऐसा वर्ग तैयार हो गया जो चाहता था कि अतिरिक्त पूंजी को ऐसे स्थान पर लगाया जाय ताकि लाभ ज्यादा हो। यूरोप के राज्यों मे पूंजी की मांग कम थी अतः उस पर बहुत कम ब्याज मिलने की संभावना थी। इसी कारण पूंजी को उपनिवेशों मे लगाने की प्रवृत्ति उत्पन्न हुई। इस तरह यूरोपीय देशों के अतिरिक्त पूंजी वाले लोगों ने अपनी सरकार को उपनिवेश स्थापना के लिए प्रेरित किया।

5. कच्चे माल की आवश्यकता 

उपनिवेशवाद के उदय का एक कारण कच्चे माल की आवश्यकता भी थी। औद्योगिक उत्पादन के लिए रबर, टिन, कपास,वनस्पति, तेल आदि कई तरह के कच्चे माल की मांग बढ़ती जा रही थी, इस मांग की पूर्ति भी उपनिवेशों द्वारा ही संभव थी।

 6. भौगोलिक खोजें 

उपनिवेशवाद को बढ़ाने मे सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई भौगोलिक खोजों ने। 15 वीं शताब्दी मे कई साहसिक नाविकों ने कई नए देशों को खोजा और कई देशों को जाने के लिए नए समुद्री रास्ते खोजे गए। जब ये नाविक नए देशों से वापस गए तो पता चला कि नए देशों मे आर्थिक विकास की अनन्त सम्भावनायें है। व्यापार के विकास का एक असीमित क्षेत्र हाथ लग गया था। इन खोजों ने राज्यों को नए देशों को अपना उपनिवेश बनाने के लिए लालयित किया। 

7. राष्ट्रीयता 

उपनिवेशवाद की वृद्धि का एक अन्य कारण राष्ट्रीयता थी। राष्ट्रीयता की भावना से प्रेरित होकर यूरोप के विविध राज्य विश्व मे अपनी शक्ति का विस्तार करने के लिए आतुर थे। जर्मनी और इटली अपना एकीकरण पूरा हो जाने पर तथा औद्योगीकरण का श्रीगणेश करके यह स्वप्न देख रहे थे कि वे भी अपेक्षाकृत पूराने राष्ट्रों के साम्राज्यों की तरह अपने साम्राज्यों का निर्माण करके अपनी शक्ति बढ़ा लेंगे। फ्रांस-प्रशिया युद्ध पराजित फ्रांस को यह आशा थी कि उपनिवेशों की वृद्धि करके अपनी गत गौरव को पुनः प्राप्त कर सकेगा। संसार के मानचित्र को अपने देश के उपनिवेशों से रंगा देखकर सामान्य नागरिक तक प्रायः राष्ट्रीय गौरव से खिल उठता था।

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