8/08/2021

रचना शिक्षण की प्रणालियां/विधियां

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रचना शिक्षण की प्रणालियां या विधियाँ 

रचना शिक्षण की प्रणालियां अथवा विधियां निम्नलिखित है-- 

1. खेल प्रणाली 

मनोवैज्ञानिकों के अनुसार विद्यार्थी खेलों मे प्रमुख रूप से आनंद लेते है। अतएव जो शिक्षा खेलों द्वारा प्रदान की जाती है वह शिक्षा सबसे उत्तम होती है। उस प्रणाली को खेल प्रणाली कहा जा सकता है जिसके माध्यम से विद्यार्थी सीखने के साथ ही साथ रूचि एवं आनंद का भी अनुभव करते है।

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2. उद् बोधन प्रणाली 

ज्ञात तथ्यों हेतु विद्यर्थियों को प्रेरित कर कल्पना एवं विचार शक्ति को उद् बोधित करके रचना के निमित्त सुसुप्त भावनाओं को पैदा किया जाता है। इस प्रणाली के द्वारा आत्मकथा, जीवन चरित्र, ऐतिहासिक, भौगोलिक तथा सांस्कृतिक धार्मिक स्थानों का वर्णन कराया जाता है। 

3. प्रवचन प्रणाली 

इस प्रणाली को व्याख्यान प्रणाली भी कहा जाता है। शिक्षक अपने व्याख्यान के द्वारा विद्यार्थियों को उद् बोधित कर देता है। इसके बाद शिक्षक विद्यार्थियों को रचना का रूप देने का आदेश देता है। इस प्रणाली में प्रायः वैज्ञानिक, विवेचनात्मक एवं अज्ञात नियमों को महत्व प्रदान किया जाता है।

4. प्रबोधन प्रणाली 

इस प्रणाली को पथ प्रदर्शन प्रणाली एवं निर्देशन प्रमाली भी कहा जाता है। विद्यार्थियों को सामान्य रूप से एक दिशा का ज्ञान कराया जाता है। सूत्र रूप में एवं संक्षिप्त रूप में विषय को प्रतिपादित करके विद्यार्थी को रचना हेतु प्रेरित किया जाता है।

5. प्रश्ननोत्तर प्रणाली 

प्रश्ननोत्तर प्रणाली के द्वारा ही विषय को पूर्णरूप से आत्मसात कर लिया जाता है। प्रश्नोत्तर पहले मौखिक कार्य मे, फिर बाद में लिखित कार्य में सम्पादित किया जाता है। इस प्रणाली में 'सामान्य से विशेष की ओर' के सिद्धांत का पालन किया जाता है।

6. चित्र वर्णन प्रणाली 

इस प्रणाली मे रचना से संबंधित चित्र को दीवार पर टांग दिया जाता है। शिक्षक विद्यार्थियों से चित्र की तरफ संकेत करके क्रमबद्ध प्रश्न पूछता है। उसके बाद चित्र को उल्टा करके रचना करने का आदेश देता है। इस प्रणाली में कक्षा में रोचकता पैदा होती है तथा विद्यार्थियों की निरीक्षण शक्ति विकसित होती है। यह प्रणाली छोटे विद्यार्थियों के लिये रोचक एवं उत्साहवर्धक है।

7. अनुकरण प्रणाली 

अनुकरण प्रणाली महत्वपूर्ण प्रणाली है। इस प्रणाली में विद्यार्थियों के सामने कोई आदर्श रचना पेश की जाती है। पेश रचना भाषा एवं शैली की दृष्टि से अत्यन्त उत्तम और अनुकरणीय होती है। विद्यार्थियों को रचना को ध्यानपूर्वक अध्ययन करने को कहा जाता है जिससे कि वे उसकी भाषा एवं शैली को उचित तरह से समझ सकें। उसके बाद विद्यार्थियों को पढ़ी गयी रचना से मिलती-जुलती अन्य रचना लिखने को दी जाती है।

8. तर्क प्रणाली 

इस प्रणाली को विमर्श प्रणाली भी कहा जाता है। इस प्रणाली में कोई भी धार्मिक, राजनैतिक एवं सामाजिक विषय ले लिया जाता है जिस पर विद्यार्थी दो दलों में बंट जाते है और तर्क या विचार-विमर्श करते है। वाद-विवाद हो जाने के बाद विद्यार्थियों को रचना करने का आदेश दिया जाता है।

9. स्वाध्याय प्रणाली 

स्वाध्याय प्रणाली का प्रयोग बड़ी कक्षाओं में ठीक रहता है। इस प्रणाली में शिक्षक रचना से संबंधित पुस्तकें विद्यार्थियों को बता देता है। विद्यार्थी स्वयं विवेकपूर्ण रचना का चुनाव करके उसका प्रयोग करते है।

10. रूपरेखा प्रणाली 

इस प्रणाली में शिक्षक प्रश्न पूछकर विद्यार्थियों में रचना का विकास करता है एवं उसे सूत्र रूप में श्यामपट पर लिख देता है। विद्यार्थियों को इन सूत्रों की सहायता से रचना करने के लिये कहा जाता है। इस प्रणाली का प्रयोग हर स्तर पर किया जा सकता है।

11. आदर्श प्रणाली 

इस प्रणाली में विद्यर्थियों के सामने मौखिक रूप से निबंध पेश किया जाता है। उसके बाद विद्यार्थी आदर्श रचना के अनुसार रचना करते है। इस प्रणाली का उपयोग उच्च कक्षा के लिये किया जाता है।

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