क्रिप्स मिशन क्या था? (cripps mission kya tha)
krips mission 1942, kya tha, karan, sujhav asafhalta;विश्व मे द्वितीय विश्व युद्ध की घटनायें चल रही थी और इसमे इंग्लैंड की दशा बिगड़ती जा रही थी, फिर भी वह भारत को स्वतंत्र नही करना चाहता था। भारत मे भारतीयों के स्वतंत्रता संघर्ष को कम करने के लिये तथा अपनी सत्ता को बनाये रखने के लिए और भविष्य मे स्वतंत्रता संघर्ष को दबाने का अवसर एवं समय पाने के लिये स्टेकाॅर्ड क्रिप्स को 22 मार्च, 1942 को भारत भेजा गया।
भारत मे क्रिप्स मिशन के आगमन के कारण
1. इंग्लैंड के कुछ उदारवादी राजनीतिज्ञ ने सरकार का ध्यान इस ओर आकर्षित किया कि उसको भारत की राजनीतिक समस्या का समाधान करने के लिए निश्चय ही कोई संतोषजनक कदम उठाना चाहिए, किन्तु ब्रिटिश सरकार ने इस ओर कोई ध्यान नही दिया।
2. अमेरिका के राष्ट्रपति रूजवेल्ट ने ब्रिटिश सरकार पर दबाव डाला कि भारत की समस्या का समाधान होना आवश्यक है, क्योंकि अटलांटिक घोषणा समान रूप से सारे विश्व पर लागू होती है।
3. इसी समय आस्ट्रेलिया के विदेश मंत्री ने यह स्पष्ट रूप से कह दिया कि यदि इंग्लैंड भारत से जापान के विरुद्ध युद्ध मे पूर्ण सहायता प्राप्त करना चाहता है तो उसको स्वराज्य प्रदान कर देना चाहिये।
4. इसके अतिरिक्त 24 फरवरी, 1942 ई. को इंग्लैंड की लोकसभा मे भारत की समस्या पर काफी वाद-विवाद हुआ। लोकसभा के अधिकांश सदस्यों ने भारत मे विद्यमान प्रतिरोध को जल्द से जल्द समाप्त कर देने की आवश्यकता पर बल दिया।
5. 8 मार्च, 1942 ई. को जापान ने बर्मा की राजधानी रंगून पर अधिकार कर लिया और यह सम्भावना की जाने लगी कि अब वह भारत पर आक्रमण करेगा।
6. कांग्रेस ने यह प्रतिज्ञा कर ली थी कि जब तक ब्रिटिश सरकार भारत को स्वशासन नही देगी वह युद्ध मे मदद नही करेगी। पंडित नेहरू आदि सक्रिय नेताओं ने भारत की सुरक्षा के लिए सहयोग करने का वायदा किया, बर्शेत ब्रिटिश सरकार उनकी स्वराज्य की मांग को पूरी करे। अतः ब्रिटिश सरकार ने संवैधानिक गतिरोध को दूर करना आवश्यक समझा।
क्रिप्स मिशन का प्रस्ताव
22 मार्च, 1942 को क्रिप्स ने दिल्ली पहुँचकर वाइसराय, उसकी कार्यकारिणी के सदस्यों और भारतीय नेताओं से चर्चा की तथा अपने प्रस्ताव का प्रारूप भारतीयों के सामने रखा," भारत के भविष्य के संबध मे दिये गये वचनो के पूरा होने के विषय मे जो चिंता इस देश मे तथा भारत मे प्रकट की गई है उस पर विचार करते हुए सम्राट की सरकार स्पष्ट तथा निश्चित शब्दों मे उन उपायों को बता देना आवश्यक समझती है जो भारत मे शीघ्रातिशीघ्र स्वायत्त शासन स्थापित करने के लिए वह करना चाहती है। ऐसा करने मे उसका उद्देश्य एक नवीन भारतीय संघ को जन्म देना है जो एक स्वाधीनता प्राप्त उपनिवेश होगा और ब्रिटेन तथा साम्राज्य के अन्य स्वाधीनता प्राप्त उपनिवेशो से उसका संबंध सम्राट के प्रति समान राजभक्ति द्वारा स्थापित रहेगा। यह भारतीय संघ पद की दृष्टि से पूरी तौर पर ब्रिटेन तथा अन्य स्वाधीनता प्राप्त उपनिवेशों के समान होगा और आंतरिक शासन का वैदेशिक समस्याओं के संबंध मे भी वह किसी प्रकार से भी पराधीन न होगा।
क्रिप्स मिशन के सुझाव या उपबन्ध
1. भारत को ब्रिटिश मण्डल के अंर्तगत औपनिवेशिक स्वराज्य दिया जायगा।
2. युद्ध की समाप्ति पर शीघ्रातिशीघ्र एक संविधान सभा का निर्वाचन किया जाएगा जो भारत के लिये नवीन संविधान का निर्माण करेगी जिसे अंग्रेजी सरकार स्वीकार करेगी।
3. भारतीय नेताओं की ओर से यदि अन्य कोई समझौते की योजना नही हुई तो युद्ध के बाद प्रांतीय विधानमण्डल का निर्वाचन होगा। निर्वाचन आनुपातिक प्रतिनिधित्व द्वारा होगा और संविधान सभा के सदस्यों की संख्या प्रांतीय विधानमण्डल के लगभग 1/10 होगी।
4. ब्रिटिश भारत के प्रत्येक प्रांत और देशी राज्यों को संघ मे सम्मिलित होने अथवा न होने तथा पृथक रहकर स्वयं औपनिवेशक स्तर का अधिकार रहेगा।
5. ब्रिटिश भारत के प्रतिनिधियों के समान ही जनसंख्या के अनुपात से देशी राज्य द्वारा विधानसभा के सदस्यों की नियुक्ति की जायेगी।
6. शासन हस्तांतरित होने और जातीय तथा धार्मिक अल्पसंख्यकों के संबंध मे विधान बनाने वाली सभा एक संधि ब्रिटिश सरकार से करेगी।
7. ब्रिटिश सरकार अनिवार्य रूप से भारत की प्रतिरक्षा के लिये उत्तरदायी होगी। विश्वव्यापी युद्ध के प्रयत्नों के अंश के रूप मे वह भारत की प्रतिरक्षा का नियंत्रण व निर्देशन करेगी। ब्रिटिश सरकार भारत के सैन्य, नैतिक और भौतिक साधन संगठित करेगी।
8. यदि भारत चाहेगा तो राष्ट्रमंडल से अपना संबंध विच्छेद कर सकता है। ये प्रस्ताव आधारभूत सिद्धांतों मे अपरिवर्तनशील थे, जिन्हें पूर्ण रूप से स्वीकार अथवा अस्वीकार किया जा सकता था।
क्रिप्स मिशन के दोष
क्रिप्स मिशन की घोषणाओं और धाराओं मे जान-बूझकर अनेक अन्तर्विरोधी बाते रखी गई गई थी, जिससे क्रिप्स मिशन का असफल होना और भारत को इसके लिए दोषी ठहराया जाना निश्चित सा था।
क्रिप्स मिशन के दोष इस प्रकार से है--
1. ब्रिटिश सरकार भारत को तुरन्त कुछ भी देने को तैयार नही थी। स्वशासन भी युद्ध के बाद दिये जाने को कहा गया था। जो चर्चिल एटलांटिक चार्टर और विश्व जनमत को धोखा दे सकता था, वह स्वशासन की बात से भी मुकर सकता था। भारत की राष्ट्रीय सरकार और ब्रिटिश सरकार के संबंध के बारे मे क्रिप्स उसी समय मुकर गया था।
2. वायसराय को अत्यधिक अधिकार होता था, वह कभी भी कौंसिल के निर्णय को बदल सकता था।
3. अप्रत्यक्ष रूप से सांप्रदायिकता को और राज्यों मे अलगाव को खूब बढ़ाया गया था। पाकिस्तान की मांग को भी उत्पन्न किया गया था।
4. ब्रिटिश राज्य के आधीन रियासतों को स्वतंत्रता देना भारत को विभाजित रखने की योजना थी, उसी प्रकार देशी रियासतों को भी अलग रखने की प्रेरणा थी।
क्रिप्स मिशन की असफलता के कारण (cripps mission ki asafhalta ke karan)
ब्रिटिश सरकार ने समझा था कि भारतीय और विश्व जनमत उसकी कूटनीति को नही समझ पायेंगे और वह उन्हें सरलता से मूर्ख बना सकेगी परन्तु यह नही हुआ क्योंकि भारत के सभी राष्ट्रवादी पक्षों ने इसे अस्वीकृत कर दिया। क्रिप्स मिशन का उद्देश्य भारत को जातियों के छोटे-छोटे टुकड़ों मे बाँटना था। इस मिशन ने भारत को कुछ भी देने का निश्चय नही किया था। कांग्रेस ने, हिन्दू महासभा और सिक्खों ने भी इस अस्वीकार कर दिया था। क्रिप्स मिशन की असफलता के कारण इस प्रकार से है--
1. भारतीय आकांक्षाओं के संदर्भ मे सुझावों की अपर्याप्तता
क्रिप्स मिशन मे भारत की समस्याओं को हल करने का कोई प्रयास नही किया गया था। क्रिप्स योजना की असफलता का एक यह भी प्रमुख कारण था।
2. ब्रिटिश सरकार की फिरंगी नीति
ब्रिटिश सरकार की फिरंगी नीति भी क्रिप्स मिशन की असफलता का कारण रही। वास्तव मे ब्रिटिश सरकार भारत को स्वतंत्रता तो देना ही नही चाहती थी, वह तो अन्य विदेशी शासको का चर्चिल पर दबाव था इसलिये उसने क्रिप्स को भूल-भुलैया का प्रस्ताव लेकर भारत भेजा था।
3. अंग्रेजों के प्रति अविश्वास
अंग्रेजों की प्रथम विश्वयुद्ध के समय से ही यह नीति रही थी कि वे परिस्थितिवश आश्वासन तो दे देते थे, लेकिन जब संकट टल जाता था तो वह अपने वचनों से मुकर जाते थे। इसलिए भारतीयों को अंग्रेजों पर विश्वस नही था।
4. कांग्रेस की दृढ़ता
कांग्रेस स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए कटिबद्ध थी। वह यह सोच रही थी कि अगर यह मौका भारतीयों के हाथ से निकल गया तो फिर कोई और दूसरा मौका नही मिलेगा। इसलिए कांग्रेस ने क्रिप्स योजना को अस्वीकार कर दिया। क्रिप्स के प्रस्तावों की असफलता का एक कारण यह भी था।
5. क्रिप्स की गलतियां
क्रिप्स के मन मे कई गलत धारणाएं थी। वह अपने आपको बहुत चतुर राजनीतिज्ञ समझता था। उसका मानना था कि उसके प्रस्ताव ही भारतीयों की समस्याओं का समाधान कर सकते है। लेकिन वास्तविकता मे वह ना तो भारतीयों की समस्या को ना तो ठीक समझ पाया और ना ही कोई हल निकाल पाया। फिर, पहले वह केन्द्र मे राष्ट्रीय सरकार की स्थापना की बात के चलते एवं बाद मे ब्रिटिश प्रधानमंत्री एवं वाइसराय के दबाव के चलते वचनों से मुकर गया। क्रिप्स की अदक्षता भी क्रिप्स योजना की विफलता का एक कारण माना जाता है।
6. हेलीफैक्स का भाषण
क्रिप्स के आगमन के समय भारत का सारा वातावरण आशाओं से भरा था। कांग्रेस कार्यसमिति उसके सुझावों पर विचार कर रही थी। लेकिन उसी समय अमेरिका के ब्रिटिश राजदूत हेलीफैक्स ने अपने एक भाषण मे कांग्रेस की कटू आलोचना की तथा कुछ धमकियां भी दी। इससे गांधी जी समेत कांग्रेस क्षुब्ध हो गई एवं क्रिप्स का रवैया भी बदल गया। अब वह भी भारतीयों की आलोचना करने लगा। इससे कांग्रेस का रूख और भी कठोर हो गया। इसलिए क्रिप्स मिशन की असफलता का एक कारण संयुक्त राज्य अमेरिका के ब्रिटिश राजदूत हेलीफैक्स का भाषण भी एक कारण रहा।
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क्रिप्स मिशन योजना क्या थी?
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जवाब देंहटाएंKis Book se Dekh ke Article likhi gyi
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