12/06/2019

रामकृष्ण मिशन के उद्देश्य, सिद्धांत और योगदान

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 रामकृष्ण मिशन की स्थापना

स्वामी विवेकानन्द ने (1863-1902) अपने गुरु रामकृष्ण परमहंस के नाम  पर 5 मई सन् 1897 को रामकृष्ण मिशन की स्थापना की थी। इसका मुख्य उद्देश्य था-हिन्दू महर्षियों द्वारा सैकड़ों शताब्दियों मे स्थापित आदर्शों तथा विशाल एवं गौरवपूर्ण परंपरा की महत्ता को जनसाधारण तक पहुँचाना। आज के इस लेख मे हम रामकृष्ण मिशन के उद्देश्य, सिद्धांत एवं योगदान जानेंगे।
रामकृष्ण मिशन
रामकृष्ण मिशन 

स्वामी विवेकानन्द एक ऐसी संस्था स्थापित करना चाहते थे जिसके सदस्य सेवाभाव से देश के लोगों का नैतिक उत्थान कर उन्हे आत्मसम्मान तथा देशसेवा का पाठ पढ़ा सकें। इसी उद्देश्य की पूर्ति हेतु उन्होंने रामकृष्ण मिशन नामक संस्था स्थापित की।

रामकृष्ण मिशन के उद्देश्य 

स्वामी विवेकानंद ने रामकृष्ण मिशन के तीन उद्देश्य निश्चय किये थे जो निम्नानुसार है---
1. वेदान्त का प्रचार।
2. विभिन्न धर्मों के मध्य सौहार्द बढ़ाना।
3. गरीबों की सेवा ईश्वर की सेवा।
वेदान्त का प्रचार तो स्वामी जी ने भारत ही नही विदेशों मे भी किया। आज भी रामकृष्ण मिशन की लगभग 130 शाखाएं भारत सहित विश्व के अन्य देशों मे स्थापित हैं।

रामकृष्ण मिशन के उद्देश्य के बाद अब हम रामकृष्ण मिशन के सिद्धांतों के बारें मे जानेंगे।

रामकृष्ण मिशन के सिद्धांत 

1. ईश्वर एक है और आध्यात्मवाद का  अनुसरण कर ब्रह्म मे लीन हो जाना ही मनुष्य का परम धर्म हैं।
2. प्रेत्यक व्यक्ति को अपने धर्म मे रहना चाहिए और उसी से प्रेम करना चाहिए।
3. हिन्दू धर्म के समस्त अंग सच्चे तथा रक्षणीय है तथा हिन्दू सभ्यता अति प्राचीन, सुन्दर एवं आध्यात्मिकता से परिपूर्ण है।
4. आत्मा अजर अमर हैं।
5. ज्ञान और भक्ति एक ही लक्ष्य की ओर ले जाने वाले दो मार्ग है।

6. हिन्दू धर्म का आधार वेदान्त धर्म है। वेदान्त के आधार पर ही धर्म के स्वरूप को समझा जा सकता है।
7. पाश्चिमी सभ्यता भौतिकवा और छल से युक्त हैं। अतः हिन्दूओं को अपने धर्म जाति समाज को पाश्चिमी सभ्यता से दूर रखना चाहिए।
8. मनुष्य की आत्मा ईश्वर है तथा उसे परमात्मा के दर्शन किसी भी स्थान मे हो सकते हैं। मूर्ति पूजा उपासना का अति शुद्ध तथा उच्च रूप हैं।
सन् 1899 ई. मे विकेकानन्द अमेरिका गये वहाँ के नगरों मे भी संस्था की शाखाएं स्थापित की। न्यायार्क की वेदान्त सोसाइटी को उन्होंने नवजीवन दिया एवं उसे आध्यात्मिक शिक्षा देने वाले केन्द्र मे परिणित कर दिया। स्वामी विवेकानन्द ने लाॅस, एन्जिल्स, केलीफोर्निया एवं सेन फ्रासिस्को मे भी वेदांत का प्रचार करने वाली समितियों का गठन किया।

रामकृष्ण मिशन का योगदान

रामकृष्ण मिशन की संस्थाएं भारत सहित अनेक देशो मै फैली हुई है, ये संस्थाएं हिन्दू धर्म की श्रेष्ठता के प्रचार तथा अंधविश्वास एवं छूआछूत को दूर करने के प्रयत्नों के अतिरिक्त और भी कई कल्याणकारी कार्यों मे लगी हुई हैं। अकाल, महामारी, बाढ़ तथा अन्य आपदाओं के समय रामकृष्ण मिशन के सदस्य सदैव आगे रहते है।
रामकृष्ण मिशन कई प्राइमरी, हाईस्कूल एवं कालेज चला रही हैं। रामकृष्ण मिशन के कई पुस्तकालय भी हैं। रामकृष्ण मिशन की तरफ से कई अनाथालय, औषधालयों, शिशु पालन गृह स्त्री कल्याण आदि मे महत्वपूर्ण योगदान हैं।

भारत में नवजागृति पैदा करने मे रामकृष्ण मिशन का अपना विशेष योगदान रहा हैं। रामकृष्ण मिशन ने अपने स्थापना काल से आज तक की अवधि में भाषणों, कार्यकलापों, लेखो, कविताओं तथा सम्मेलनो द्वारा हिन्दू धर्म के स्तर को सारे यूरोप मै फैला दिया। धार्मिक क्षेत्र मे रामकृष्ण मिशन के सदस्यों ने हिन्दू धर्म के गौरव को विश्व भर मे प्रसारित कर दिया। हिन्दू धर्म नवजागरण को अपनी उच्चतम सीकर तक पहुँचाने की श्रेय रामकृष्ण मिशन को ही हैं। 11 सितम्बर 1893 को विश्व धर्म संसद शिकागो मे स्वामी विवेकानन्द सभा को सम्बोधिति करते हुये कहा कि " अमेरिका निवासी बहिनों एवं भाइयों!" जिस सौहार्द एवं स्नेह के साथ आपने हम लोगों का स्वागत किया है उससे मेरा ह्रदय अत्यन्त प्रफुल्लित हैं। विश्व के प्राचीन महर्षियों के नाम पर मैं आपका धन्यवाद देता हूं तथा सभी धर्मों की मातास्वरूप हिन्दू धर्म एवं भिन्न-भिन्न सम्प्रदाय के लाखो-करोड़ों हिन्दुओं की ओर से धन्यवाद प्रकट करता हूं। स्वामी विवेकानन्द ने अपने प्रवचों और भाषणों से पूरे विश्व को प्रभावित कर दिया था।
इस लेख मे हमने रामकृष्ण मिशन के सिद्धांतों, रामकृष्ण मिशन के उद्देश्यों और रामकृष्ण मिशन का योगदान को विस्तार से जाना हैं अगर आपका रामकृष्ण मिशन को लेकर कोई सवाल या प्रश्न है तो नीचे comment कर पुहंचे।

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