10/27/2019

अगस्त काम्टे का जीवन परिचय, कृतियां या रचनाएं

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august kamte ka jivan parichay;फ्रान्स के प्रतिभाशाली अगस्त काॅम्टे को समाजशास्त्र का पिता कहा जाता हैं। ऑगस्त काॅम्टे के पूर्व अनेक ऐसे विचारक हुए थे जिन्होंने समाज सुधार की योजना का स्वप्नलोक देखा था लेकिन उन्होंने ऐसी योजना बनाई थी जो धरती पर कम और आकाश पर अधिक लागू होती है। काॅम्टे ने समाजशास्त्र  को एक व्यवस्थित विज्ञान के रूप में प्रतिपादित किया हैं।
ऑगस्त काॅम्टे  मानसिक दृष्टि से अत्यन्त ही परिश्रम करते थे। उनकी मृत्यु 5 सितम्बर 1857 को हो गई थी लेकिन उनका मानसिक शरीर और उनके विचार आज भी जीवत है और शदियों तक जीवित रहेगी।
अगस्त काम्टे एक महान सामाजिक विचारक थे। उनके चिंतन की प्रक्रिया अनुभववादी थी। वे वैज्ञानिक पद्धति से प्राप्त ज्ञान को महत्वपूर्ण मानते थे। उनका मानना था कि सामाजिक घटनाओं के अध्ययन मे निरीक्षण, परीक्षण तथा वर्गीकरण की क्रमवद्धता अपरिहार्य है तथा घटनाओं की व्याख्या ऐतिहासिक विधि द्वारा किया जाना आवश्यक है। इस प्रकार से प्राप्त ज्ञान की प्रकृति वैज्ञानिक होती है। वैचारिकी के इस आधार पर उन्होंने मानव ज्ञान के विकास को तीन चरणों यथा-- धर्मशास्त्रीय, आधिभौतिक तथा सकारी परिशुद्धवादी श्रेणियों में विभक्तकर प्रस्तुत किया। ज्ञान के क्रमों का यह आधार विज्ञानों के वर्गीकरण में सहायक हुआ जो समाज के सरलता से जटिलता की स्थिति को दर्शाता है। विज्ञानों का क्रमिक विकास ज्ञान के चिन्तन पर आधारित है जो उद्विकासी प्रक्रिया यथा सरलता से जटिलता-को दर्शाता है जैसे गणितशास्त्र, खगोलशास्त्र, भौतिकशास्त्र, रसायनशास्त्र, प्राणिशास्त्र तथा समाजशास्त्र। इस प्रकार समाजशास्त्र का अभ्युदय ज्ञान के परिशुद्धवादी (वैज्ञानिक) चरण मे हुआ जिसने जीवशास्त्र, अर्थशास्त्र, नीतिशास्त्र तथा मनोविज्ञान पर निर्भर रहते हुए अपना अगल अस्तित्व स्थापित किया। चिन्तन के इसी ज्ञानात्मक विधान के कारण काॅम्ट समाजशास्त्र के जनक या जन्मदाता कहे जाते है।

अगस्त काम्टे का जीवन परिचय

अगस्त काॅम्ट का पूरा नाम इन्सिडोर अगस्त मेरिए फ्रैंकोइस जेवियर काॅम्ट था। काॅम्टे का जन्म 19 जनवरी 1798 ई. मे हुआ था। उनक जन्म मौन्टपीलियर नामक स्थान में पर हुआ था। काॅम्टे के माता-पिता कैथोलिक धर्म के कट्टर समर्थक थे। काॅम्टे बचपन से ही विभिन्न विलक्षणताओं से परिपूर्ण थे। काॅम्टे प्राचीन सत्ता और परम्पराओं के विरोधी थे। काॅम्टे के विचार अपने पिता के विचारों से मेल नही खाते थे। काॅम्टे की गणित मे रूचि थी।  उनका अध्ययन योजना के अनुसार होता था  जैसे कब और कितना और कितने समय तक पढ़ना हैं। उनमे बचपन से ही कुशल नेतृत्व की क्षमता थी। वह विधार्थी जीवन मे मेधावी छात्र हुआ करते थे। 1818 ई. मे सन्त साइमन के सम्पर्क में आये थे जिसका उन पर अत्यधिक प्रभाव पड़ा।
ऑगस्त काॅम्टे जीवन परिचय
लेकिन वह 6  बर्ष तक ही उनके साथ रहे काॅम्टे ने अपने विचारक साइमन पर यह आरोप लगाया की वह ढ़ोगी और पाखण्डी हैं। काॅम्टे का कहना था की वह उनके विचारो का शोषण कर अपने नाम से स्वंय उनका प्रयोग करता था। इस कारण दोनो के सम्बन्ध आपस मे समाप्त हो गए। काॅम्टे का विवाह 1825 मे कोरोलिन मेसिन से हुआ लेकिन दोनो के मध्य गहन मत-भेद होने के कारण 17 बर्ष बाद सन् 1842 मे विवाह-विच्छेद भी हो गया। ऑगस्त काॅम्टे के आर्थिक स्थिति बिल्कुल भी ठीक नही थी उनके पास आजीविका का कोई भी साधन नही था। काॅम्टे के जीवन मे ऐसे भी अनेक दिन आए जब उन्हे भोजन तक नही मिला। वह अपनी परेशानियों के चलते अपना मानसिक सन्तुलन तक खो बैठे थे। जिसके चलते उन्हें एक बार पानी में डूबकर आत्हत्या करने का तक प्रयास किया था। आगे चलकर सन् 1830 मे उनकी पुस्तक 'पाॅजिटिव फिलासफी' का पहला भाग प्रकाशिक हुआ इस पुस्तक मे छः भाग है जिसका अन्तिम भाग 1942 मे प्रकाशिक किया गया था। इस पुस्तक के प्रकाशित होने से उनकी ख्याति चारो ओर फैलने लगी। इस पुस्तक  के कारण उन्हे पालिटेक्निक स्कूल मे विधार्थियों के निरीक्षण का पद प्राप्त हो गया था। इस प्रकार अब उनकी आर्थिक स्थित मे थोड़ा  सुधार आ गया था। काॅम्टे अपनी पुस्तकों की राॅयल्टी नही लिया करते थे उनका मामना था कि लेखन के बदले पैसा लेना उचित नही हैं।

काॅम्टे जितने अच्छे और महान दार्शनिक थे उतने ही वह भावुक भी थें। काॅम्टे  ने जीवन भर संघर्ष किया और आर्थिक कठिनाइयों से हमेशा जूझते रहें। उनके अपने विवाहिक जीवन मे कोई भी सुख नही मिला। वह हमेशा आर्थिक तंगी से भी जूझते रहे वह निन्तर साम्यवाद और परम्परात्मक धर्म का विरोध भी करते रहें। उनका पूरा जीवन दुःखो और यातनाओं से भरा हुआ बिता अन्त मे उन्हे कैंसर ने भी घेर लिया जिसके कारण केवल 59 वर्ष की आयु मे ही 1857 को उनकी मृत्यु हो गई।

अगस्त काम्टे की कृतियाँ या रचनाएँ 

काम्टे ने अनेक मौलिक ग्रंथो की रचना की। काॅम्ट की रचनाओं मे से निम्नलिखित रचनाएँ अधिक महत्वपूर्ण जो इस प्रकार है--
1. A Prosctus of the scientific work required for the reorganization of society, 1822
यह काम्टे की पहली रचना है। इसमे काॅम्ट ने सामाजिक पुनर्निर्माण की योजना प्रस्तुत की तथा उसे व्यावहारिक रूप देने के लिए महत्वपूर्ण विचार प्रस्तुत किये। सेंट साइमन ने इस पुस्तक की भूमिका लिखी थी।
2. The course of positive philosophy, 1830-42
यह पुस्तक छह खण्डों मे प्रकाशित हुई। इसमे काॅम्ट ने प्रत्यक्षवाद की व्याख्या की। इसका उद्देश्य सामाजिक अध्ययन को वैज्ञानिक रूप प्रदान करना था। इसी पुस्तक मे आपने चिन्तन के तीन स्तर, विज्ञानों का वर्गीकरण, समाजशास्त्र की प्रकृति, आवश्यकता आदि का उल्लेख किया है। काॅम्ट की रचनाओं मे इसे सर्वाधिक उपयोगी और महत्वपूर्ण समझा जाता है।
3. System of positive polity, 1851-54
यह पुस्तक चार खण्डों मे प्रकाशित हुई। इसमे काॅम्ट ने अपने सिद्धांतिक विचारों को व्यावहारिक रूप देने का प्रयत्न किया। इस पुस्तक की रचना का उद्देश्य मानवता के नवीन धर्म का प्रतिपादन कर सामाजिक पुनर्निर्माण की एक व्यावहारिक योजना प्रस्तुत करना था, लेकिन इसी पुस्तक के कारण काॅम्ट के विचारों की वैज्ञानिकता मे संदेह भी किया जाने लगा। जाॅन स्टुअर्ट मिल ने लिखा है कि," इस पुस्तक मे काॅम्ट ने अपने वैज्ञानिक चिंतन की स्वयं ही निर्ममता से हत्या कर दी।" ऐसा प्रतीत होता है कि काॅम्ट ने अपनी महिला मित्र श्रीमती डी. वाॅक्स से प्रभावित होकर मानवता के धर्म को सामाजिक पुनर्निर्माण का मुख्य आधार मानना आरंभ कर दिया। इस पुस्तक मे उन्होने स्त्रियों की प्रशंसा की है तथा उनके दैवीय एवं नैतिक गुणों का वर्णन किया है।
4. Catechism of positivism, 1852
यह काम्टे की अंतिम रचना मानी जाती है जिसका प्रकाशन सन् 1852 मे हुआ। इस कृति मे काॅम्ट ने जनतंत्र का समर्थन किया एवं प्रेस तथा वैयक्तिक स्वतंत्रता को सामाजिक प्रगति के लिए आवश्यक बताया।

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