9/27/2020

विज्ञानों का वर्गीकरण व संस्तरण

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समाजशास्त्र को विज्ञान के रूप मे स्थापित करने हेतु काम्टे उसे सुदृढ़ आधार देना चाहता थे। इस कारण उन्होंने अन्य विज्ञानों के साथ समाजशास्त्र का सम्बन्ध स्थापित करने का प्रयास किया इसलिए " विज्ञानों का विकासक्रम" नामक सिद्धांत प्रतिपादित किया। इसके द्वारा उन्होंने समाजशास्त्र को जटिल तथा नवीनतम विज्ञान सिद्ध किया। यह सिद्धांत काम्टे की समाजशास्त्र को कोई नई देन नही है। उसके पहले भी विज्ञानों के वर्गीकरण कई विद्वानों ने प्रस्तुत किए थे। परन्तु काम्टे ने उसे और वैज्ञानिक बनाने का प्रयास किया है। काम्टे ने वर्गीकरण हेतु प्रत्यक्षवाद का सहारा लिया। वर्गीकरण के लिए उसने निम्म सिद्धांतों का उपयोग किया--

विज्ञानों के संस्तरण के प्रमुख सिद्धांत या आधार 

काॅम्ट ने विज्ञानों के संस्तरण के लिये दो प्रमुख सिद्धांतों या आधारों का उल्लेख किया है जो इस प्रकार है--

1. बढ़ती हुई निर्भरता का सिद्धांत 

काम्टे ने इस सिद्धांत के द्वारा यह स्पष्ट किया है कि ज्ञान या विज्ञान की प्रत्येक शाखा अपने से पूर्व के विज्ञानों पर आश्रित होती है। अर्थात्  जो विज्ञान सर्वप्रथम विकसित होता है वह स्वतंत्र एवं आत्मनिर्भर प्रकृति का होता है जबकि उसके बाद विकसित होता है वह स्वतंत्र एवं आत्मनिर्भर प्रकृति का होता है जबकि उसके बाद विकसित होने वाला दूसरा विज्ञान पहले विज्ञान के नियमों पर आश्रित होगा, तीसरा विज्ञान पहले और दूसरे विज्ञान पर आश्रित होगा एवं चौथा विज्ञान पहले, दूसरे व तीसरे सभी विज्ञानों पर आश्रित होगा। इसी क्रम मे विज्ञान की प्रत्येक आगामी शाखा की पराश्रयता मे वृद्धि होती जायेगी। इस प्रकार काॅम्ट ने यह बताया है कि ज्ञान की आरम्भिक शाखाएँ अधिक स्वतंत्र व आत्मनिर्भर होती है तथा जो विज्ञान जितने बाद मे विकसित होते है वे अपने से पहले के विज्ञानों पर उतने ही निर्भर होते है। इसे पराश्रयता वृद्धि क्रम सिद्धांत भी कहते है।

2. घटती हुई सामान्यता और बढ़ती हुई जटिलता का सिद्धांत 

यह सिद्धांत पहले सिद्धांत का पूरक है। इसके द्वारा काॅम्ट ने बताया है कि किसी विज्ञान की जटिलता को उसकी विषय-वस्तु के आधार पर ही समझा जा सकता है। 

जैसे-जैसे नवीन विज्ञान का जन्म होता है वैसे-वैसे उसकी विषय सामग्री जटिल होती है और वह दूसरे विज्ञानों पर ज्यादा आश्रित होगा। जिस विज्ञान की विषय वस्तु सरल होगी वह दूसरे विज्ञानों पर कम आश्रित होगा, क्योंकि जो घटनाएं सरल होती है, उनका अध्ययन करना भी आसान होता है। काम्टे के अनुसार सर्वाधिक सरल घटनाएं सामान्य होती है। वे सामान्य इन अर्थों मे है कि, वह सभी जगह मौजूद होती है। बाद मे आने वाली घटनाएं जटिल होती जाती है। सरल घटनाओं का अध्ययन करने वाला विज्ञान भी सामान्य होता है। जो विज्ञान सबसे जटिल होगा वह इस संस्करण सबसे अंतिम स्थान पर होगा।

विज्ञानों का वर्गीकरण 

काम्टे ने बढ़ती हुई निर्भरता और बढ़ती हुई सामान्यता और बढ़ती हुई जटिलता इन दोनों सिद्धांतों को दृष्टिगत रखते हुये विज्ञानों का वर्गीकरण इस प्रकार प्रस्तुत किया है---

1. गणितशास्त्र 

काम्टे ने अपने विज्ञानों के वर्गीकरण मे "गणित शास्त्र" को सबसे प्रथम स्थान प्रदान किया है, जो मस्तिष्क का सबसे मौलिक उपकरण है। काम्टे के अनुसार गणितशास्त्र सर्वाधिक सामान्य, सर्वाधिक प्राचीन, दोष रहित और आधारभूत विज्ञान है। गणित की सहायता से मनुष्य अपने चिन्तन मे कहीं भी पहुंच सकता है। यह स्वयं एवं आत्मनिर्भर विज्ञान है। अन्य सभी विज्ञान इसी पर आश्रित है। इसके बिना प्राकृतिक नियमों का अन्वेषण असंभव है। काम्टे के अनुसार," गणित शास्त्र प्राचीनतम, प्रथम तथा मौलिक विज्ञान है और अन्य सभी विज्ञानों मे सर्वाधिक पूर्णता का दावा कर सकता है।" 

2. जड़ पदार्थों से सम्बंधित विज्ञान 

जड़ अथवा अचेतन पदार्थों मे सामान्यता अधिक होती है और इनका अध्ययन करने वाला विज्ञान चेतन वस्तुओं का अध्ययन करने वाले विज्ञानों से कम पराश्रित है। काम्टे ने जड़ पदार्थों का अध्ययन करने वाले विज्ञानों को दो भागों मे विभाजित किया है---

(अ) खगोलीय घटनाओं का अध्ययन करने वाले विज्ञान

(ब) पार्थिव घटनाओं का अध्ययन करने वाले विज्ञान।

खगोलीय घटनाएं सामान्य होती है। इनमें ग्रह, नक्षत्र, तारे उल्कायें आदि होते है। खगोलशास्त्र स्वर्गीय वस्तुओं का अध्ययन है। ये घटनाएं सरल होने से केवल गणित की सहायता से इनका अध्ययन संभव है। अतः गणित के बाद खगोलशास्त्र का नम्बर आता है।

पार्थिव घटनाएं पृथ्वी के जड़ पदार्थों से सम्बंधित हैं। ये पदार्थ दो प्रकार के होते है--

(अ) भौतिक 

(ब) रासायनिक।

भौतिक पदार्थों के भौतिक स्वरूप का अध्ययन करने वाले विज्ञान को "भौतिकशास्त्र" कहते है। इसकी विषय वस्तु तत्वों का अध्ययन करने वाले विज्ञान से सरल है, इसलिए खगोलशास्त्र के बाद इसका स्थान आता है। 

पदार्थों के रासायनिक स्वरूप  का अध्ययन करने वाला शास्त्र रसायन शास्त्र होता है। रायनिक तत्वों का अध्ययन भौतिक शास्त्र के नियमों पर आधारित होता है अतः भौतिक शास्त्र के बाद रसायन शास्त्र का स्थान आता है। 

3. चेतन पदार्थों से सम्बंधित विज्ञान 

चेतन घटनायें अधिक जटिल होती है। इन घटनाओं को भी दो भागों मे विभाजित किया गया है--

(अ) व्यक्तिगत 

(ब) सामूहिक।

व्यक्तिगत घटनाओं के अंतर्गत वनस्पति तथा पशु जगत की समस्त शारीरिक स्वरूपों की क्रियायें तथा संरचनायें आती है। इस प्रकार की घटनाओं का अध्ययन जीवशास्त्र या शरीरशास्त्र के अंतर्गत किया जाता है। काम्टे के अनुसार " जीवशास्त्र समस्त जीवन और उससे संबंधित सामान्य नियमों का विज्ञान है।" जीवशास्त्र गणित, खगोलशास्त्र, भौतिकशास्त्र तथा रसायनशास्त्र पर निर्भर करता है। इस विज्ञान की यथार्थता, विविधता तथा विश्वसनीयता गणितीय नियमों पर आधारित होती है। ग्रहों, नक्षत्रों की गति मे परिवर्तन का असर प्राणियों की शारीरिक एवं मानसिक संरचना पर पड़ता है। खगोल संबंधी समस्त घटनायें शरीर संबंधी घटनाओं को प्रभावित करती है। अतः जीवशास्त्र, खगोलशास्त्र पर भी आश्रित होता है। भौतिकशास्त्र के माध्यम से जीवित प्राणियों के भार ताप आदि को ज्ञात किया जाता है। इसी प्रकार रसायनशास्त्र का संबंध भी जीवशास्त्र से है। पोषण तथा ग्रंथी व्यवस्था, अंत:स्त्राव, आदि की विश्वसनीयता स्थितियों का ज्ञान रसायनशास्त्र की सहायता से होता है। इस प्रकार जीवशास्त्र अथवा प्राणीशास्त्र अपने से पूर्ववर्ती सभी विज्ञानों पर आश्रित होता है।

सामूहिक घटनाओं का अध्ययन करने वाले अनेक शास्त्र है। जैसे-- धर्मशास्त्र, राजनीत शास्त्र, नीतिशास्त्र आदि। परन्तु काम्टे ने सामूहित जीवन से सम्बंधित प्रत्येक घटना को एक ही विज्ञान की विषय वस्तु मानने तथा इस प्रकार की घटनाओं का अध्ययन करने वाले विज्ञान को समाजशास्त्र नाम दिया। सामाजिक घटनाओं के अधिक जटिल, असामान्य और अमूर्त होने से समाजशास्त्र अत्यधिक रूप से दूसरे विज्ञानों पर आश्रित है इसलिए इसे सबसे अंतिम विज्ञान माना गया और विज्ञानों के संस्करण मे इसे सर्वोच्च स्थान प्रदान किया गया है।

विज्ञानों का सोपानक्रम 

उपर्युक्त विवेचन के आधार पर यह कहा जा सकता है कि काम्टे के अनुसार किसी विज्ञान की स्थिति निर्भरता के वृद्धि क्रम और के नियमों के आधार पर निर्धारित होती है। अतः जो विज्ञान जितना अधिक विज्ञानों पर निर्भर एवं जटिल होगा वह उतना ही नवीन तथा उन्नतिशील होगा। विज्ञानों के इस संस्तरण को निम्म प्रकार स्पष्ट किया जा सकता है--

1. समाजशास्त्र 

अपने से पूर्व विज्ञानों अर्थात् गणित, खगोलशास्त्र, भौतिकशास्त्र, रसायनशास्त्र एवं जीवशास्त्र पर आधारित।

2. प्राणीशास्त्र 

गणित, खगोलशास्त्र, भौतिकशास्त्र एवं रसायनशास्त्र पर आश्रित।

3. भौतिकशास्त्र 

गणित एवं खगोलशास्त्र पर आश्रित।

5. गणित 

सर्वाधिक प्राचीन, स्वतंत्र एवं मौलिक विज्ञान।

काम्टे ने कहा है कि उक्त संस्तरण मे दिये गये क्रम के अनुसार ही विज्ञानों का अध्ययन किया जाना चाहिए। इस संस्तरण मे समाजशास्त्र शीर्ष स्थान पर है। उसने यह भी स्पष्ट किया है कि समाजशास्त्र का अध्ययन करने या उसको समझने से पहले हमे गणित, खगोलशास्त्र, भौतिकशास्त्र, रसायनशास्त्र तथा जीवशास्त्र का अध्ययन भी करना चाहिए।

इस संस्करण मे समाजशास्त्र को नवीनतम अपने से पूर्व के सभी विज्ञानों पर आश्रित विज्ञान के रूप मे माना गया है। समाजशास्त्र अन्य विज्ञानों से अधिक जटिल तथा विशिष्ट विज्ञान है। इस संबंध मे काम्टे के शब्द उल्लेखनीय है " यह वर्गीकरण यथार्थता के साथ विभिन्न विज्ञानों की सापेक्षिक पूर्णता पर प्रकाश डालता है जो ज्ञान की परिशुद्धता की मात्रा मे तथा विभिन्न शाखाओं के संबंध मे पाई जाती है। घटनायें जितनी अधिक नियबद्ध एवं सामान्य होती है वे उतनी ही अन्यों पर निर्भर होती है तथा उनकी यथार्थता एवं परिशुद्धता उतनी अधिक होती है।

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