9/08/2023

नियोजन की विशेषताएं, उद्देश्य

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प्रश्न; नियोजन की विशेषताएं लिखिए। 
अथवा", नियोजन के उद्देश्य स्पष्ट कीजिए। 
अथवा", नियोजन के आर्थिक उद्देश्य बताइए। 
अथवा", नियोजन के सामाजिक एवं राजनैतिक उद्देश्यों का वर्णन कीजिए। 
अथवा", नियोजन के लक्ष्य बताइए। 
उत्तर--

नियोजन की विशेषताएं (niyojan ki visheshta)

नियोजन की निम्नलिखित विशेषताएं हैं-- 
1. योजनाबद्ध परिवर्तन 
नियोजन एक योजनाबद्ध परिवर्तन है जिससे सम्बंधित लक्ष्य पहले ही निर्धारित कर लिए जाते हैं। 
2. समयबद्धता 
नियोजन की प्रक्रिया समयबद्ध होती है। इसका आशय है कि परिवर्तन अथवा विकास से संबंधित लक्ष्यों को एक विशेष अवधि मे पूरा करने के प्रयास किये जाते है। 
3. राजकीय सत्ता के अधीन 
नियोजन एक राजकीय सत्ता के अधीन होता है तथा प्रत्येक परिवर्तन के लिए कुछ दीर्घकालीन नीतियाँ बनायी जाती हैं।
4. समाज की प्राथमिकताओं पर आधारित 
नियोजन समाज की प्राथमिकताओं पर आधारित होता है। इसका आशय है कि साधनों के अनुसार पहले वह परिवर्तन लाये जाते है, जो सबसे अधिक आवश्यक होते है। प्राथमिकता के क्रम में दूसरे परिवर्तनों को भविष्य के लिए सुरक्षित रखा जाता हैं। 
5. जनसहयोग पर आधारित 
नियोजन की प्रकृति जनसहयोग और जनसहभाग पर आधारित होती हैं। इसमें दबाव या उत्पीड़न का समावेश नही होता। जनसंचार के साधनों के द्वारा लोगों को इन परिवर्तनों को ग्रहण करने की प्रेरणा दी जाती हैं। 
6. परम्पराओं से हटकर 
नियोजन हमेशा परम्पराओं के अनुरूप नहीं होता, लेकिन इसके बाद भी परम्पराओं में धीरे-धीरे परिवर्तन करके ही इसे प्रभावपूर्ण बनाया जाता हैं। 
7. व्यापक क्षेत्र 
नियोजन का क्षेत्र अत्यन्त व्यापक हैं। इसमें सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक तथा जनसंख्यात्मक जैसे सभी परिवर्तनों का समावेश होता हैं।

नियोजन के उद्देश्य (niyojan ke uddeshy)

भारत में नियोजन का उद्देश्य सामाजिक पुनर्निर्माण के निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त करना था। भारत एक लोक कल्याणकारी राज्य है। अतः लोक कल्याणकारी राज्य होने के नाते नियोजन के उद्देश्य सिर्फ आर्थिक विकास तक सीमित नहीं है बल्कि जिस नियोजन पद्धति को देश में अपनाया गया उससे स्पष्ट होता है कि सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक आधार पर नियोजन के व्यापक लक्ष्य निर्धारित किए गए। 
नियोजन के उद्देश्यों का क्रमबद्ध अध्ययन करने लिए उन्हें तीन वर्गों में विभक्त किया जा सकता हैं--

(अ) नियोजन के आर्थिक उद्देश्य 

वर्तमान में विश्व के अधिकांश अर्ध-विकसित एवं विकासशील देशों के समक्ष प्रमुख समस्याएं आर्थिक है। अतः इन देशों ने आर्थिक उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए आर्थिक नियोजन को अपनाया है। नियोजन के प्रमुख आर्थिक उद्देश्य निम्नलिखित हैं-- 
1. राष्ट्रीय उत्पादन एवं आय में वृद्धि करना 
आर्थिक नियोजन के द्वारा देश के आर्थिक विकास में बाधक तत्वों को निष्क्रिय करने एवं विकास में सहायक तत्वों को क्रियाशील बनाने का प्रयास किया जाता है। इससे देश में उत्पादन बढ़ता है और राष्ट्रीय आय में वृद्धि होती हैं।
2. औद्योगीकरण
औद्योगीकरण को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार संरक्षण की नीति अपनाती है। इसके साथ ही नवीन उद्योगों की स्थापना के लिए अनेक प्रकार की रियायतें एवं सुविधाएं दी जाती है। निजी क्षेत्र के साथ-साथ सार्वजनिक क्षेत्र का विस्तार करके औद्योगीकरण को गति दी जाती हैं। 
3. प्राकृतिक संसाधनों का विदोहन 
नियोजन का एक महत्वपूर्ण आर्थिक उद्देश्य प्राकृतिक साधनों का पूर्ण शोषण करना, उनकी बर्बादी को रोकना एवं नए संसाधनों की खोज करना होता है। इस प्रकार साधनों के विवेकपूर्ण उपयोग से उत्पादन एवं आय में वृद्धि होती है और जन-साधारण का जीवन ऊँचा उठता हैं। 
4. तकनीकी सुधार 
राष्ट्रीय उत्पादन एवं आय में वृद्धि का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए सभी क्षेत्रों में उन्नत तकनीकी का प्रयोग किया जाता हैं। इससे जहाँ उद्योगों का आधुनिकीकरण होता है, वही कृषि, खनिज एवं अन्य क्षेत्रों में भी उत्पादन बढ़ता हैं। 
5. सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्रों में विनियोजन में वृद्धि 
बड़ी एवं जोखिमपूर्ण परियोजनाओं में निजी क्षेत्र विनियोग नहीं करता और सार्वजनिक क्षेत्र की भी वित्तीय तथा प्रबन्धकीय क्षमता इतनी नही होती कि वह अकेला ही सभी क्षेत्रों में विनियोग करे। अतः जिन क्षेत्रों में निजी साहसी अधिक विनियोग करने के लिए उत्सुक होते है वहाँ सरकार विनियोग नहीं करती और जहाँ सार्वजनिक विनियोग आवश्यक होता है, वहाँ पर निजी क्षेत्र के विनियोग पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है। इस विधि से दोनों क्षेत्र परस्पर पूरक के रूप में कार्य करते है और परिणामस्वरूप राष्ट्रीय आय एवं उत्पादन में तेजी से वृद्धि होती हैं। 
6. आत्मनिर्भरता की प्राप्ति 
आर्थिक स्वतंत्रता एवं अन्तर्राष्ट्रीय वैमनस्य से रक्षा के लिए नियोजन में आत्मनिर्भरता का लक्ष्य रखा जाता है। देश की आर्थिक एवं सामाजिक एवं रक्षा संबंधी आवश्यकताओं की पूर्ति देश में ही उपलब्ध संसाधनों के द्वारा करने का प्रयास किया जाता है। 
7. पूर्ण-रोजगार की प्राप्ति 
प्रो. कींस ने पूर्ण रोजगार की प्राप्ति को आर्थिक नियोजन का मुख्य उद्देश्य माना है। यहाँ यह उल्लेखनीय है कि विकासशील देशों में अर्ध-बेरोजगारी एवं छुपी हुई बेरोजगारी की जटिल समस्या विद्यमान रहती है, अतः विद्यमान श्रमशक्ति को लाभदायक रोजगार प्रदान करना नियोजन का प्रमुख उद्देश्य होता है। 
8. आर्थिक सुरक्षा 
उत्पादन के प्रत्येक साधन को उचित सुरक्षा प्रदान करके उत्पादकता में वृद्धि करना आर्थिक नियोजन का एक अन्य महत्वपूर्ण उद्देश्य होता है। प्रयास यह रहता है कि आर्थिक क्रियाओं में लगे हुए श्रमिक, भूस्वामी, प्रबन्धक एवं साहसी, प्रत्येक को कुल उत्पादन में से उचित अंश प्राप्त हो। 
9. अधिकतम सामाजिक कल्याण 
आर्थिक नियोजन के अंतर्गत व्यक्तिगत हितों के स्थान पर सामाजिक हितों को सर्वोपरि माना जाता है। सभी क्रियाओं का संचालन एवं वितरण सामाजिक कल्याण में वृद्धि करना होता है। अतः नियोजन के अंतर्गत सभी संसाधनों का प्रयोग इस प्रकार से किया जाता है कि सामाजिक कल्याण अधिकतम हो। 
10. पिछड़े क्षेत्रों का आर्थिक विकास 
आर्थिक नियोजन का एक प्रमुख उद्देश्य क्षेत्रीय असन्तुलन को समाप्त कर सन्तुलित विकास को प्रोत्साहित करना होता है। इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए पिछड़े क्षेत्रों के विकास पर विशेष ध्यान दिया जाता हैं। 
11. आय का समान वितरण 
पूँजीवादी अर्थव्यवस्था से समाज के विभिन्न व्यक्तियों के मध्य एवं आय की बहुत अधिक विषमताएं पाई जाती हैं। अतः आर्थिक नियोजन का उद्देश्य विभिन्न वर्गों एवं व्यक्तियों के मध्य विद्यमान विषमताओं को कम करना होता हैं।

(ब) नियोजन के सामाजिक उद्देश्य 

नियोजन के प्रमुख सामाजिक उद्देश्य निम्नलिखित हैं-- 
1. समाज कल्याण 
नियोजन का सामाजिक उद्देश्य समाज कल्याण के लक्ष्य को प्राप्त करना है। समाज-कल्याण का महिलाओं, बच्चों और श्रमिकों की दशा में इस प्रकार से सुधार करना है जिससे उन्हें सामाजिक शोषण से बचाकर समुचित सुविधाएँ दी जा सकें। समाज के कमजोर तथा विछड़े वर्गों का विकास भी समाज कल्याण का प्रमुख अंग है। असमर्थ तथा विकलांग लोगों को आवश्यक सुविधाएँ देना भी नियोजन के उद्देश्य हैं। 
2. सामाजिक सुरक्षा 
सामाजिक सुरक्षा के बिना सामाजिक पुनर्निर्माण और समाज-कल्याण को प्राप्त नहीं किया जा सकता। सामाजिक सुरक्षा से आशय समाज में फैली हुई विभिन्न कुरीतियों और समस्याओं को दूर करना है। विभिन्न वर्गो को शोषण से बचाना, गंदी बस्तियों का सुधार करना, सभी को सामाजिक न्याय देना, स्वास्थ्य की सुविधाएँ प्रदान करना तथा लोगों के अधिकारों का संरक्षण करना। सामाजिक सुरक्षा से ही जनता में यह भावना पैदा होती है कि राज्य द्वारा लाये जाने वाले परिवर्तन उनके हित में हैं। 
3. समाजवादी समाज
नियोजन का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य होता है समाज में व्याप्त आर्थिक एवं सामाजिक विषमताओं को समाप्त कर समाजवादी समाज की स्थापना करना। 

(स) नियोजन के राजनैतिक उद्देश्य 

आर्थिक नियोजन का उद्भव राजनैतिक उद्देश्यों से हुआ है। वर्तमान में भी राजनैतिक उद्देश्य महत्वपूर्ण होते है। नियोजन के प्रमुख राजनैतिक उद्देश्य निम्नलिखित है-- 
1. सुरक्षा एवं शांति 
देश की सुरक्षा एवं शांति व्यवस्था बनाये रखना प्रत्येक देश का सर्वप्रमुख दायित्व हैं। इनके अभाव में आर्थिक विकास संभव नही है। अतः नियोजन का मुख्य उद्देश्य देश को बाहरी आक्रमण से सुरक्षित रखना एवं देश के अंदर शान्ति व्यवस्था बनाये रखना होता हैं। 
2. आक्रमण से बचाव 
आर्थिक नियोजन को आक्रमण से बचाव के उद्देश्य से भी अपनाया जाता है। इसके अंतर्गत सैन्य शक्ति का विस्तार, आधुनिक युद्ध-सामग्री का उत्पादन आदि को नियोजन में महत्वपूर्ण स्थान दिया जाता हैं। 
3. घोषित नीतियों का पालन 
प्रत्येक देश की सरकार की कुछ बुनियादी नीतियाँ होती है और इन्हीं नीतियों का पालन करने के प्रति सरकार वचनबद्ध होती है। ये नीतियाँ कई प्रकार की हो सकती है, जैसे समाजवादी समाज का निर्माण या बाजार आधारित पूँजीवादी व्यवस्था की स्थापना अथवा साम्यवादी समाज की स्थापना आदि। देश की सरकार निर्धारित या घोषित नीति को अपनाने के लिये सभी प्रकार के कदम उठाती है। 
भारत में मिश्रित आर्थिक प्रणाली को अपनाया है। फलतः यहाँ एक ओर आर्थिक नियोजन को अपनाया गया है, वहीं दूसरी ओर बाजार आधारित व्यवस्था को भी मूर्त रूप दिया हैं। 
4. अहितकर कार्यों पर नियंत्रण 
आर्थिक नियोजन का एक उद्देश्य यह भी होता है कि ऐसे कार्यों पर कठोर नियंत्रण लगाया जाये जो जन-साधारण के लिए अहितकर हैं, जैसे-- आतंकवाद, तस्करी आदि। सरकार नियोजित तरीके से इन गतिविधियों को नियंत्रित करती हैं।
5. अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग में वृद्धि 
अन्तर्राष्ट्रीय जगत में सम्मानजनक स्थान पाने के लिये अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग आवश्यक होता है। आर्थिक नियोजन के द्वारा इस दिशा में आवश्यक कदम उठाते जा सकते हैं।
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