सामुदायिक विकास का अर्थ (samudayik vikas kya hai)
samudayik vikas arth paribhasha uddeshya;यह योजना ग्रामीण समुदाय की आर्थिक उन्नति के लिये बनाई गई है। इसमें योजना का प्रारूप सरकार द्वारा प्रस्तुत किया जाता है। सरकार योजना को साकार करने के लिए कुछ धनराशि का भी अनुदान करती है, किन्तु योजना को कार्यात्मक रूप देने का उत्तरदायित्व ग्रामीण समुदाय के लोगों को सौंपा जाता है। सरकार केवल मार्गदर्शन के लिये अपने अधिकारियों की नियुक्ति करती है।
सामुदायिक विकास योजना की परिभाषा (samudayik vikas ki paribhasha)
टेलर के अनुसार," सामुदायिक योजना वह रीति है, जिसके द्वारा लोग जो स्थानीय गाँव मे रहते है, अपनी आर्थिक एवं सामाजिक दशाओं को उन्नत करने मे सहायता देने के लिये प्रवृत्त होते है और भौतिक उन्नति के विकास मे प्रभावशाली कार्यकारी समूह बनाते है।"
डाॅ. बैजनाथसिंह के अनुसार," सामुदायिक विकास योजना समुदाय मे विस्तृत संगठनों एवं संस्थाओं के विकास तथा उन्नति, सामान्य समस्याओं के समाधान मे सदस्यों की सक्रिय भागीदारी के द्वारा अपने साधन स्त्रोतों के अधिकतम उपयोगीकरण के द्वारा उनके विकास की प्रक्रिया है।"
श्री ए. आर. देसाई के अनुसार," सामुदायिक विकास योजना एक प्रणाली के रूप मे है, जिसके द्वारा पंचवर्षीय आयोजन ग्रामों के सामाजिक व आर्थिक जीवन मे परिवर्तन के लिये एक प्रक्रिया का निर्माण करते है।"
बलवन्तराय कमेटी के अनुसार," सामुदायिक शब्द एक धार्मिक अथवा जातीय समूह को कई शताब्दियों से प्रदर्शित करता आया है अथवा कुछ अवस्थाओं समूह को ही। यह जरूरी नहीं कि ये एक क्षेत्र मे रहते हो लेकिन इस देश मे सामुदायिक विकास कार्यक्रम के उद्घाटन से यह आकांक्षा है कि इसका प्रयोग ग्रामीण समुदाय की एक इकाई के रूप मे परिभाषित किया जाये और जाति, धर्म, आर्थिक असमानताओं का नाश हो।"
सामुदायिक विकास योजनाओं के प्रारम्भिक उद्देश्य
सामुदायिक विकास योजनाएं 1953 ई. मे अखिल भारतीय स्तर पर लागु गई थी। उस समय इनके प्रारम्भिक उद्देश्य निम्नलिखित थे--
1. सरकारी कार्यों को स्पष्ट व निश्चित किया जाना चाहिए।
2. सरकार व जनता के बीच सीधा संपर्क स्थापित किया जाना चाहिए।
3. जनता के प्रतिनिधियों को जनता के साथ आना चाहिए, ताकि प्रतिनिधि व जनता दोनों मिलकर देश की समस्याओं को ठीक प्रकार से सुलझा सकें।
4. सामुदायिक विकास योजना का मुख्य उद्देश्य जन-प्रतिनिधि संस्थाओं को विकसित करना है।
5. इस योजना का उद्देश्य जन-प्रतिनिधियों व सरकारी तंत्र के समस्त जनसेवकों मे मेलजोल स्थापित करना है, जिससे नये भारत के निर्माण मे सामूहिक प्रयास किया जा सके।
सामुदायिक विकास योजनाओं के वर्तमान उद्देश्य
सामुदायिक विकास योजनाओं के वर्तमान उद्देश्य निम्नलिखित है--
1. जनता के परम्परागत दृष्टिकोण मे परिवर्तन करना सामुदायिक योजनाओं का मुख्य उद्देश्य है।
2. सामुदायिक विकास योजनाओं का उद्देश्य ग्रामीण निवासियों को इस प्रकार की शिक्षा देना है कि ग्रामीण स्तर पर ऐसे नेता मिल सकें जो अपने उत्तरदायित्व को समझ सकें।
3. सामुदायिक विकास योजनाओं का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण समुदायों को आत्मनिर्भर बनाना है।
4. इस योजना का उद्देश्य ग्रामीण समुदाय के लोगों के जीवन-स्तर को ऊँचा उठाना है, ताकि वे अपनी आवश्यकताओं को तुरंत समझ सकें और अपनी समस्याओं का समाधान स्वयं कर सकें।
5. सामुदायिक विकास योजना का उद्देश्य परिवार कल्याण के उद्देश्य से प्रेरित है। इस योजना के अंतर्गत ऐसे सुधारों की माँग की गई है, जिनसे परिवार व स्त्रियों का कल्याण हो सके।
6. इस योजना का उद्देश्य ऐसी परिस्थिति का निर्माण करना है, जिससे आदर्श नागरिकों का निर्माण हो सके तथा स्वस्थ दृष्टिकोण विकसित हो सके।
7. इस योजना का उद्देश्य शिक्षकों के हितों की रक्षा करना है। इस योजना के समर्थकों का कहना है कि शिक्षकों की सुरक्षा हो जाने से देश की अनेक समस्याओं का समाधान हो जायेंगा।
8. ग्रामीण जनता के स्वास्थ्य के स्तर को ऊँचा उठाना भी विकास योजनाओं का उद्देश्य हैं।
सामुदायिक विकास योजना की कार्यप्रणाली
सामुदायिक विकास योजना की कार्यप्रणाली के संबंध मे निम्नलिखित बातें उल्लेखनीय है--
1. खण्ड एक इकाई
सामुदायिक विकास योजना मे कार्य करने की इकाई विकास खण्ड है। 100 ग्रामों को मिलाकर एक विकास-खण्ड का निर्माण करने की योजना बनाई जाती है। एक विकास-खण्ड का क्षेत्रफल 400 से 500 वर्ग किलोमीटर और जनसंख्या लगभग 60 या 70 हजार की होती है।
2. चरणों मे विभाजन
सामुदायिक विकास योजना को चरणों मे विभाजित किया जाता है। ये विभिन्न चरण निम्नलिखित है--
(अ) पूर्व प्रसार व्यवस्था
एक विकास-खण्ड का विकास करने के लिए एक वर्ष की अवधि रखी गई थी। कृषि कार्य का विकास करने के लिये एक क्षेत्र मे एक विकास अधिकारी और कुछ पूर्ण प्रशिक्षित ग्रामसेवक नियुक्त किये गये। एक वर्ष के विकास कार्य को ध्यान मे रखकर ग्राम विकास योजना का कार्यकाल पंचवर्षीय योजना के साथ जोड़ दिया गया।
(ब) प्रथम चरण
सामुदायिक विकास योजना का प्रथम चरण का कार्यकाल पाँच वर्ष रखा गया है। इन योजनाओं मे सिंचाई, भूमि, सुधार, सड़क, शिक्षा, समाज शिक्षा, पशु चिकित्सा आदि योजनाओं को चालू किया गया है। इस चरण मे सामुदायिक विकास योजना को सफल बनाने के लिये एक क्षेत्र विकास अधिकारी, लगभग आठ सहायक विकास अधिकारी, दस ग्रामसेवक तथा दो ग्रामसेविकाएँ अनिवार्य रूप से रखे जाते है। इनके अतिरिक्त और भी अन्य कर्मचारियों की नियुक्ति की जाती है।
(स) द्वितीय चरण
सामुदायिक विकास योजना मे दूसरी प्रगति दूसरे चरण मे होती है। इस चरण का कार्यकाल भी पाँच वर्ष होता है। इस चरण मे ग्राम विकास की विभिन्न योजनाओं को संपन्न किया जाता है। ग्राम की विभिन्न समस्याओं का समाधान करने के लिए इस चरण मे योजनाएं बनायी जाती है।
3. सामुदायिक विकास योजना की समस्याएं
ग्राम पंचायत, सहकारी समिति तथा पाठशाला नामक तीन महत्वपूर्ण संस्थाएं सामुदायिक विकास योजना की महत्वपूर्ण संस्थाएँ है। सामुदायिक विकास योजना के आर्थिक कार्यक्रम मे सहयोग देती है और शिक्षा प्रदान करने का कार्य ग्रामीण पाठशालायें करती है।
सामुदायिक विकास योजनाओं की त्रुटियाँ
1. श्री देसाई के अनुसार," इस योजना की जाँच किसी भी विद्वान या समिति ने नही की।
2. श्री टायलर के अनुसार," सामुदायिक विकास योजना सरकारी सहायता पर निर्भर है, जबकि इस योजना मे गाँव के लोगों का नेतृत्व होना चाहिये था।
3. श्री सी. एल. दुबे का कहाना है कि इस योजना मे केन्द्रीयकरण की प्रवृत्ति पायी जाती है। पदाधिकारीगण उच्च स्तरीय संगठनो से आये हुए आदेशों का पालन करते है और इसलिए यह योजना नौकरशाही का शिकार हो रही है। इससे विकास योजना का मुख्य उद्देश्य पूरा होता नजर नही आता।
4. सामुदायिक विकास योजना की सफलता ग्राम पंचायत तथा सहकारी संगठन पर निर्भर है, किन्तु इन संस्थाओं का सामुदायिक विकास योजना के प्रति उपेक्षापूर्ण भाव है। इसलिए इस योजना को सफलता प्राप्त नही हो रही है।
5. सामुदायिक विकास योजना का वास्तविक उद्देश्य सामान्य ग्रामीण जनता के हितों की रक्षा करना है, किन्तु वास्तविक रूप से इस योजना के अंतर्गत श्रेष्ठ वर्ग को लाभ पहुंचाता है। अतएव इस योजना के अंतर्गत श्रेष्ठ वर्ग का ही हित होता है।
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