उपभोक्तावाद का अर्थ (upbhoktavad kya hai)
आवश्यकता ही आविष्कार की जननी होती हैं। आवश्यकता की पूर्ति के अभाव में जीवन प्रभावित होता है। इसी प्रकार आवश्यकता और उपभोग में एक गहरा संबंध हैं। व्यक्ति अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए वस्तुओं का उपभोग करता है इसलिए उसे उपभोक्ता कहा जाता हैं। उपभोक्तावाद उपभोक्ता की जागरूकता का प्रतीक है। इसमें उपभोक्ता अपने अधिकारों के प्रति सचेत रहता है। उपभोक्तावाद के माध्यम से उपभोक्ता अपने हितों का संरक्षण करने तथा उन्हें बढ़ाने का प्रयास करता हैं। यह एक प्रकार का सामाजिक आंदोलन हैं जिसमें उपभोक्ता संगठित होकर कार्य करते हैं।
फिलिप कोटलर के अनुसार," उपभोक्तावाद संबंधित नागरिकों व सरकार का एक संगठित आंदोलन है जो विक्रेता के संबंध में क्रेता के अधिकार व शक्ति को बढ़ाता हैं।
टी. थामस के अनुसार," उपभोक्तावाद से अर्थ उस सामाजिक आंदोलन से है जो उपभोक्ताओं के अधिकारों का संरक्षण व बढ़ावा का प्रयत्न उत्पादक के संबंध में करता है।"
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